1. िालय में विशेष्य के साथ सही विशेषण का अरिय कर सके गा.
2. िालय में प्रयुलत नाम पर ( सूंज्ञा, सिानाम) के साथ कक्रया पिों का अरिय कर सके गा.
3. सूंस्कृत में सरल प्रश्न प छ सकेगा तथा उनमें उत्तर भी िे सकेगा.
7. अभभरुित- बालगीतों, कहानी एिूं सूंिाि के माध्यम से सूंस्कृत के प्रतत अलभ�धच उत्परन करना.
ंयस्कषत व्ोाकण
ंयज्ञा- अकारारत पुजल्लङ्ग- बालक, नर, िेि, िृि आदि.
अकाणा्त नपाुयंकभेङ्् - पुस्तक, पुष्प, िन,िल, फल, नयन, मुख, ग्रह, िस्त्र, भोिन, शयन, शरण,
नगर स्थान आदि.
अकाणा्त स््ीभेङ््- बाललका,शाला,रमा, करया, बाला, िनता, तृष्णा परीिा, लता, यात्रा,िषाा, विद्या,
सेिा, कथा, सभा आदि।
इकाणा्त पाुल्लेङ््- मुतन, हरर, कवि, कवप, रवि, आदि। उकारारत पुजल्लङ्ग-धेनु, तनु, चञ्चु, रज्िु
आदि। ईकारारत स्त्रीललङ्ग - निी, िाणी, भारती, भागीरथी, भधगनी, सरस्िती, िननी, पृथ्िी आदि।
सिानाम - अस्मद्, युष्मद्, तद्, ककम्
िवशखर् - (सूंख्यािाची) एक से पाुँच तक
सूंख्यािाचक एक, द्वि, बत्र, चतुर् एिूं पञ्चन् शब्ि के �प तीनों ललङ्गों में चलते हैं।
उपां्ष - प्र, परा, अप, सम्, अनु, अि, तनस्, तनर्, िुर्, पुर्, वि, आङ्, तन, अधध, अवप, अतत, सु, उत्, अलभ,
प्रतत, परर, उप। कारक- कारक धचरहों का ज्ञान एिूं विभजलत में प्रयोग कतााकारक, कमाकारक, करण
कारक सम्प्प्रिान कारक, अपािान कारक, सम्प्बरध कारक, अधधकरण कारक, सम्प्बोधन कारक। कक्रया-
कक्रया का ज्ञान कर लकारों में प्रयोग।
धातु - भ (भि्) ललख् ,हस्, पा (वपब्) नी (नय्)। लकार - लट्, लङ् एिूं लृट् लकार का प्रयोग।
वतन - एक िचन, द्वििचन, बहुिचन।
भेङ्् - पुजल्लङ्ग, स्त्रीललङ्ग, नपुूंसकललूंङ्ग। पु�ष - प्रथम पु�ष, मध्यम पु�ष, उत्तम पु�ष।
अव्ोो - अधुना, श्िः, अधः, पश्चात्, उपरर, ततः, यतः, कुतः, सिात:, पुरतः, पुरः, यिा, किा, तिा, कथम्,
अतः, कुत्र आदि ।