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Added: Jun 26, 2020
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Tech Chandan Gupta
Always smiling, because your smile is a reason for many others to smile…Smile please…!!
भा
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भगत संह क जीवनी
27/06/2020 admin 0 Comments Achievements of Bhagat Singh,
biography of bhagat singh, Revolutionary life of bhagat singh, भगत संह क उपलिधयां,
भगत संह क जीवनी, भगत संह क ारंभक जीवनEdit
उपलिधयां :
रत के ितकार आंदोलन को एक नई दशा द, पंजाब म
ांत के सदेश को फ़ैलाने के लए नौजवान भारत सभा का
गठन कया, भारत म गणतं क थापना के लए चंशेखर
आजाद के साथ मलकर हंदुतान समाजवाद जातं संघ
का गठन कया, लाला लाजपत राय क मौत का बदला लेने के लए पुलस अधकार
सॉडसy क हया क, बटुकेवर दत के साथ मलकर के य वधान सभा म बम
फेका
शहद भगत संह भारतीय
वतंता संाम के मुख
ांतकारय म से एक थे। मा
24 साल क उ म देश के लए
Celebrities
चंशेखर आज़ाद एक चंशेखर आज़ाद एक म
भारतीय ितकारभारतीय ितकार
25/06/2020 admin 0
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भगत संह
सव च बलदान देने वाला यह
वीर सदा के लए अमर हो गया।
उनके लए ांत का अथ था –
अयाय से पैदा हुए हालात को
बदलना। भगत संह ने
यूरोपयन ांतकार आंदोलन
के बारे म पढ़ा और समाजवाद
क ओर अयधक आकषत
हुए। उनके अनुसार, टश
शासन को उखाड़ फेकने और
भारतीय समाज के पुननमाण
के लए राजनीतक सता
हासल करना जर था।
हालाँक अंेज सरकार ने उह
आतंकवाद घोषत कया था पर सरदार भगत संह यितगत तौर पर आतंकवाद के
आलोचक थे। भगत संह ने भारत म ांतकार आंदोलन को एक नई दशा द।
उनका तकालन लय टश सााय का वनाश करना था। अपनी दूरदशता और
ढ़ इरादे जैसी वशेषता के कारण भगत संह को रा य आंदोलन के दूसरे नेताओं से
हटकर थे। ऐसे समय पर जब गांधी और भारतीय रा य कांेस ह देश क आजाद
के लए एक मा वकप थे, भगत संह एक नयी सोच के साथ एक दूसरे वकप के
प म उभर कर सामने आये।
ारंभक जीवन :
भगत संह का जम पंजाब के नवांशहर िजले के खटकर कलां गावं के एक सख
परवार म 27 सतबर 1907 को हुआ था। उनक याद म अब इस िजले का नाम
बदल कर शहद भगत संह नगर रख दया गया है। वह सरदार कशन संह और
वयावती क तीसर संतान थे। भगत संह का परवार वतंता संाम से स य
प से जुड़ा हुआ था। उनके पता कशन संह और चाचा अिजत संह ग़दर पाट के
सदय थे। ग़दर पाट क थापना टश शासन को भारत से नकालने के लए
अमेरका म हुई थी। परवार के माहौल का युवा भगत संह के मितक पर बड़ा असर
हुआ और बचपन से ह उनक नस म देशभित क भावना कूट-कूट कर भर गयी।
1916 म लाहौर के डी ऐ वी वयालय म पढ़ते समय युवा भगत संह जाने-पहचाने
राजनेता जैसे लाला लाजपत राय और रास बहार बोस के संपक म आये। उस समय
पंजाब राजनैतक प से काफ उतेिजत था। जब जलआंवाला बाग़ हयाकांड हुआ
तब भगत संह सफ १२ वष के थे। इस हयाकांड ने उह बहुत याकुल कर दया।
हयाकांड के अगले ह दन भगत संह जलआंवाला बाग़ गए और उस जगह से मी
इका कर इसे पूर िजंदगी एक नशानी के प म रखा। इस हयाकांड ने उनके
अंेजो को भारत से नकाल फकने के संकप को और सुढ़ कर दया।
ितकार जीवन :
1921 म जब महामा गांधी ने टश शासन के खलाफ असहयोग आंदोलन का
आवान कया तब भगत संह ने अपनी पढाई छोड़ आंदोलन म स य हो गए। वष
1922 म जब महामा गांधी ने गोरखपुर के चौर-चौरा म हुई हंसा के बाद असहयोग
आंदोलन बंद कर दया तब भगत संह बहुत नराश हुए। अहंसा म उनका ववास
कमजोर हो गया और वह इस नकष पर पहुंचे क सश ांत ह वतंता दलाने
का एक मा उपयोगी राता है। अपनी पढाई जार रखने के लए भगत संह ने लाहौर
म लाला लाजपत राय वारा थापत रा य वयालय म वेश लया। यह
वधालय ांतकार गतवधय का क था और यहाँ पर वह भगवती चरण वमा,
सुखदेव और दूसरे ांतकारय के संपक म आये।
ववाह से बचने के लए भगत संह घर से भाग कर कानपुर चले गए। यहाँ वह गणेश
शंकर वयाथ नामक ांतकार के संपक म आये और ांत का थम पाठ सीखा।
जब उह अपनी दाद माँ क बीमार क खबर मल तो भगत संह घर लौट आये।
उहने अपने गावं से ह अपनी ांतकार गतवधय को जार रखा। वह लाहौर गए
और नौजवान भारत सभा नाम से एक ांतकार संगठन बनाया। उहने पंजाब म
ांत का सदेश फैलाना शु? कया। वष 1928 म उहने दल म ांतकारय क
एक बैठक म हसा लया और चंशेखर आज़ाद के संपक म आये। दोन ने मलकर
हंदुतान समाजवाद जातं संघ का गठन कया। इसका मुख उेय था सश
ांत के मायम से भारत म गणतं क थापना करना।
फरवर 1928 म इंलड से साइमन कमीशन नामक एक आयोग भारत दौरे पर
आया। उसके भारत दौरे का मुय उेय था – भारत के लोग क वयतता और
राजतं म भागेदार। पर इस आयोग म कोई भी भारतीय सदय नहं था िजसके
कारण साइमन कमीशन के वरोध का फैसला कया। लाहौर म साइमन कमीशन के
खलाफ नारेबाजी करते समय लाला लाजपत राय पर ूरता पूवक लाठ चाज कया
गया िजससे वह बुर तरह से घायल हो गए और बाद म उहने दम तोड़ दया। भगत
संह ने लाजपत राय क मौत का बदला लेने के लए टश अधकार कॉट, जो
उनक मौत का िजमेदार था, को मारने का संकप लया। उहने गलती से सहायक
अधीक सॉडस को कॉट समझकर मार गराया। मौत क सजा से बचने के लए
भगत संह को लाहौर छोड़ना पड़ा।
टश सरकार ने भारतीय को अधकार और आजाद देने और असंतोष के मूल
कारण को खोजने के बजाय अधक दमनकार नीतय का योग कया। डफेस
ऑफ़ इंडया ऐट के वारा अंेजी सरकार ने पुलस को और दमनकार अधकार दे
दया। इसके तहत पुलस संदध गतवधय से सबंधत जुलूस को रोक और
लोग को गरतार कर सकती थी। के य वधान सभा म लाया गया यह
अधनयम एक मत से हार गया। फर भी अँगरेज़ सरकार ने इसे जनता के हत म
कहकर एक अयादेश के प म पारत कये जाने का फैसला कया।
भगत संह ने वेछा से के य वधान सभा, जहाँ अयादेश पारत करने के लए
बैठक का आयोजन कया जा रहा था, म बम फकने क योजना बनाई। यह एक
सावधानी पूवक रची गयी सािजश थी िजसका उेय कसी को मारना या चोट
पहुँचाना नहं था बिक सरकार का यान आकषत करना था और उनको यह
दखाना था क उनके दमन के तरक को और अधक सहन नहं कया जायेगा।
8 अैल 1929 को भगत संह और बटुकेवर दत ने के य वधान सभा स के
दौरान वधान सभा भवन म बम फका। बम से कसी को भी नुकसान नहं पहुचा।
उहने घटनाथल से भागने के वजाए जानबूझ कर गरतार दे द। अपनी सुनवाई
के दौरान भगत संह ने कसी भी बचाव प के वकल को नयुत करने से मना कर
दया। जेल म उहने जेल अधकारय वारा साथी राजनैतक कैदय पर हो रहे
अमानवीय यवहार के वरोध म भूख हड़ताल क।
7 अटूबर 1930 को भगत संह, सुख देव और राज गु? को वशेष यायलय वारा
मौत क सजा सुनाई गयी। भारत के तमाम राजनैतक नेताओं वारा अयधक
दबाव और कई अपील के बावजूद भगत संह और उनके साथय को 23 माच 1931
को ातःकाल फांसी दे द गयी।
भगत संह
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