Bio Ch 1 class 10.pdf for cbse and bihar board

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About This Presentation

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Slide Content

जैव प्रक्रम
Chapter - 1

जीव ववज्ञान (Biology) शब्द की उत्पवि ग्रीक भाषाके शब्द
बायोस (Bios) तथा (Logos) से ममलकर हुआ है।
जजसमें (Bios) का अथथ Life (जीवन) तथा
(Logos) का अथथ Study अध्ययन है।
> अथाथत जीवों का अध्ययन जीव ववज्ञान कहलाता है।

आधुननक युग में Biology शब्द का प्रयोग लैमाकथ ने 1801 में
ककया था लेककन Biology शब्द का लैटिन भाषा के रूप में
सवथप्रथम प्रयोग 1736 में कालथ मलननयस ने ककया था।

जीव ववज्ञान
वनस्पनत ववज्ञान प्राणी ववज्ञान सूक्ष्मजीव ववज्ञान
वनस्पनत ववज्ञान के जनक :-थथयोफ्रेस््स
प्राणी ववज्ञान के जनक :-अरस्तु
सुक्ष्म ववज्ञान के जनक :-एंिोनी वॉन ल्यूवेन्हॉक

सजीव वस्तुएँ :-वे सभी वस्तुएँ सजीव वस्तएँ
कहलाती है, जजसमें पोषण, श्वसन, उत्सजथन तथा वृद्थध
जैसी कक्रयाएँ होती है।
जैसे :-जंतु और पौधे ।

ननजीव वस्तुएँ: वे सभी वस्तुएँ ननजीव वस्तुएँ कहलाती है, जजसमें जीवन के को भी
आवश्यक कायथसंपन्न नह ं होता|
जैसे :-च्िान, मम्ि , लकडी इत्याटद ।

सजीव और ननजीव में अंतर :-
ननजीव
▪ये पोषण नह ं करते है।
▪इनमें असन नह ं होता है
▪जनन नह ं करते है।
▪इनमें वृद्थध नह ं होता है।
▪ये स्थान पररवतथन नह ं करते है।
सजीव
▪ये पोषण करते है।
▪इनमें वसन होता है।
▪ये जनन करते है।
▪इनमें वृद्थध होता है।
▪ये स्थान पररवतथन करते है।

जैव प्रक्रम :-वे सभी प्रक्रम जो संयुक्त रूप से जीव के अनुरक्षण का कायथ करते है,
जैव प्रक्रम कहलाते हैं।
जैव प्रक्रम में सजमममलत प्रकक्रयाएँ :-
❖पोषण
❖श्वसन
❖पररवहन
❖उत्सजथन

पोषण:-भोजन ग्रहण करना, पचे भोजन का अवशोषण एवं शर र द्वारा
अनुरक्षण के मलए उसकाउपयोग, पोषण कहलाता है।

पोषण के प्रकार :-
पोषण के आधार पर जीवों को दो समूह में बाँिा जा सकता है।
स्वपोषी पोषण ववषमपोषी पोषण (इसके तीन प्रकार होते हैं)

मृतजीवी पोषण
जैसे :-कवक, बैक्ि ररया, प्रोिोजोआ
परजीवी पोषण
जैसे:-गोलकृमम, मलेररया परजीवी
प्राणणसम पोषण
जैसे :-अमीबा, मेंढ़क, मनुष्य

स्वपोषी पोषण :-
❑पोषण का वह तर का जजसमें जीव अपने आस पास के वातावरण में उपजस्थत
सरल अजैव पदाथों जैसे CO2, पानी और सूयथ के प्रकाश से अपनाभोजन
स्वयं बनाता है। उदाहरण:-हरे पौधे ।
❑स्वपोषी पोषण हरे पौधों में तथा कुछ जीवाणुओं जो प्रकाश संश्लेषण कर सकते हैं,
में होता है।
❑स्वपोषी जीव की काबथन तथा ऊजाथ की आवश्यकताएँ प्रकाश संश्लेषण द्वारा पूर
होती हैं।

प्रकाश संश्लेषण :-यह वह प्रक्रम है जजसमें स्वपोषी बाहरसे मलए पदाथों को
ऊजाथ संथचत रूप मेंपररवनतथत कर देता है। ये पदाथथ काबथन डाइऑक्साइड तथा जल
के रूप में मलए जाते हैं, जो सूयथ के प्रकाश तथा क्लोरोकिल की उपजस्थनत में
काबोहाइड्रेि में पररवनतथत कर टदए जाते हैं
6CO₂ + 12H₂O = क्लोरोकिल/सूयथ का प्रकाश C6H₁₂O6, (ग्लूकोज़)) + 60+ 6H₂O

प्रकाश संश्लेषण के मलए आवश्यक कच्ची सामग्री :-
❖सूयथ का प्रकाश
❖क्लोरोकिल काबथन डाइऑक्साइड स्थल य पौधे इसे वायुमण्डल
से प्राप्त करते हैं।
❖जल -स्थल य पौधे, जडों द्वारा मम्ि से जल का अवशोषण करते हैं

प्रकाश संश्लेषण के मलए आवश्यक कच्ची सामग्री :-
❖सूयथ का प्रकाश
❖क्लोरोकिल काबथन डाइऑक्साइड स्थल य पौधे इसे वायुमण्डल
से प्राप्त करते हैं।
❖जल -स्थल य पौधे, जडों द्वारा मम्ि से जल का अवशोषण करते हैं

प्रकाश संश्लेषण के दौरान होती घिनाएं :-
❑ क्लोरोकिल द्वारा प्रकाश ऊजाथ को अवशेवषत करना ।
❑ प्रकाश ऊजाथ को रासायननक ऊजाथ में रूपांतररत करना तथाजल अणुओं
का हाइड्रोजन तथ ऑक्सीजन में अपघिन ।
❑काबथन डा ऑक्साइड का काबोहाइड्रेि में अपचयन ।

क्लोरोप्लास्ि :-पवियों की कोमशकाओं में जो हरे रंग के बबंदु टदखा
देते हैं। ये हरे बबंदु कोमशकाजजन्हें क्लोरोप्लास्िकहते हैं इनमें क्लोरोकिल
होता है।

रंध्र :-पिी की सतह पर जो सूक्ष्म नछद्र होते हैं, उन्हें रंध्र कहते हैं।
रंध्र के प्रमुख कायथ :-
➢ प्रकाश संश्लेषण के मलए गैसों का अथधकांश आदान प्रदान इन्ह ं नछद्रों के
द्वारा होता है।
➢वाष्पोत्सजथन प्रकक्रया में जल (जल वाष्प के रूप में) रंध्र द्वारा ननकल जाता
है।

रंध्र की रचना और ककया :-
❑ पवियों की सतह पर मौजूद रंध्रो को चारो ओर से दो कोमशकाएँ घेरे रहती
है। जजन्हें द्वार कोमशका कहते है। ये कोमशकाएँ रंखो केखुलने या बंद होने
के मलए उिरदायी है।
❑जब द्वार कोमशकाओं में जल अंदर जाता है तब वह िूल जाती है जजससे
नछद्र खुल जाता है। जब द्वार कोमशकाएँ मसकुडती हैं तब नछद्र बंद हो जाता
है। रंध्र से पयाथप्त मात्रा में जल की हानी होती है।

ववषमपोषी पोषण :-
पोषण का वह तर का जजसमें जीव अपना भोजन स्वयं नह ं बना सकता, बजल्क
अपने भोजन के मलए अन्य जीवों पर ननभथर होता है।
उदाहरण: मानव व अन्य जीव ।
ववषमपोषी पोषण के प्रकार :-
❑ प्राणीसमपोषण
❑ मृतजीवी पोषण
❑ परजीवी पोषण

❑प्राणीसमपोषण :-
❖इसमें जीव संपूणथ भोज्य पदाथथ का अंतग्रथहण करते हैं तथाउनका पाचन शर र
के अंदरहोता है।
उदाहरण:-अमीबा, मानव ।
❑मृतजीवी पोषण :-
❖मृतजीवी अपना भोजन मृतजीवों के शर र व सडे गले काबथननक पदाथों से
प्राप्त करतेहैं।
उदाहरण:-ििूंद , कवक ।
❑परजीवी पोषण:-
❖परजीवी, अन्य जीवों के शर र के अंदर या बाहर रहकर, उनको बबना मारे,
उनसे अपना पोषण प्राप्त करते हैं।
उदाहरण: जोक, अमरबेल, जूँ, िीताकृमम ।

जीव अपना पोषण कैसे करते है :-
एक कोमशकीय जीव :-
एक कोमशकीय जीव अपना भोजन संपूणथ सतह से ले सकते है।
जैसे:-अमीबा,पैरामीमशयम
अमीबा :-
➢एक कोशीय अननजश्चत आकार वाला प्राणणसमपोषी जीव है।
➢ कुिपादों द्वारा भोजन ग्रहण करता है।
➢ अमीबा के भोजन :-शैवाल के छोिे िुकडे, वैक्ि ररया, डायिमअन्य जीव एवं
मृत काबथननक पदाथथ

अमीबा में पोषण :-
अमीबा में पोषण तीन चरण में पूणथ होते हैं :-
❑अंतग्रथहण :-अमीबा कोमशकीय सतह से अँगुल जैसे अस्थायी प्रवधथ
की मदद से भोजन ग्रहणकरता है। यह प्रवधथ भोजनके
कणों को घेर लेते हैं तथा संगमलत होकर खाद्य ररजक्तका
बनाते हैं।
❑पाचन :-खाद्य ररजक्तका के अंदर जटिल पदाथों का ववघिन
सरल पदाथों में ककया जाता है और वेकोमशकाद्रव्यय में
ववसररत हो जाते हैं।

❑बटहष्करण :-बचा हुआ अपच पदाथथ कोमशका की सतह की ओर
गनत करता है तथा शर र से बाहर ननष्कामसत करटदया
जाता है।

पैरामीमशयम :-
पैरामीमशयम भी एककोमशक जीव है, इसकी कोमशका का एकननजश्चत
आकार होता है तथा भोजन एक ववमशष्ि स्थान से ह ग्रहणककया जाता
है। भोजन इस स्थान तक पक्ष्याभ की गनत द्वारा पहुँचताहै जो
कोमशका की पूर सतह को ढके होते हैं।

बहु कोमशकीय जीव :-
बहुकोमशकीय जीव में पोषण के मलए ववमभन्न प्रकार के अंग तथा
अंगतंत्र होताहै। जैसे :-मानव
मनुष्य में पोषण :-
• पोषण के चरण :-मुखगुहा अमाशय - क्षुद्रांत्र / छोि आत - बृहद्रां / बडी आत

मुखगुहा :-
➢भोजन को मुखगुहा में दाँतों द्वारा छोिे छोिे िुकडो में तोडा जाता
हैं, और लार ग्रंथी से ननकलने वाला लार या लालारस भोजन से
पेशीय जजहा द्वारा ममलाया जाता है जजससे भोजन आसानी से
आहार नाल में क्रमाकुचक गनत द्वारा गमन करता है।
➢लार मे एक एंजाइम होता है जजसे लार एममलेस या िायमलन कहते
है। यह मंड को शकथरा में खंडडत करता है।
➢ मनुष्य कक मुखगुहा में तीन जोडी लारग्रंथी होती है
▪ कणथमूल ग्रंथथ
▪ सबमांडडबुलर लार ग्रंथथयां
▪ अधोभावषक लार ग्रंथथयाँ

अमाशय :-
मुहँ से आमाशय तक भोजन ग्रमसका या इसोिेगस द्वारा क्रमाकुंचक
गनत द्वारा ले जाया जाता है। आमाशय की पेशीय मभवि भोजन को
अन्य पाचक रसों के साथ ममथित करने मे सहायता करती है। अमाशय
के मभवि में उपजस्थत जठर ग्रंथथ जो हाइड्रोक्लोररकअमल (HCL), प्रोि न
पाचक एंजाइम पेजप्सन तथा श्लेमा का स्रावण करती है।

जीव अपना पोषण कैसे करते है :-
एक कोमशकीय जीव :-
एक कोमशकीय जीव अपना भोजन संपूणथ सतह से ले सकते है।
जैसे:-अमीबा,पैरामीमशयम
अमीबा :-
➢एक कोशीय अननजश्चत आकार वाला प्राणणसमपोषी जीव है।
➢ कुिपादों द्वारा भोजन ग्रहण करता है।
➢ अमीबा के भोजन :-शैवाल के छोिे िुकडे, वैक्ि ररया, डायिमअन्य जीव एवं
मृत काबथननक पदाथथ

जीव अपना पोषण कैसे करते है :-
एक कोमशकीय जीव :-
एक कोमशकीय जीव अपना भोजन संपूणथ सतह से ले सकते है।
जैसे:-अमीबा,पैरामीमशयम
अमीबा :-
➢एक कोशीय अननजश्चत आकार वाला प्राणणसमपोषी जीव है।
➢ कुिपादों द्वारा भोजन ग्रहण करता है।
➢ अमीबा के भोजन :-शैवाल के छोिे िुकडे, वैक्ि ररया, डायिमअन्य जीव एवं
मृत काबथननक पदाथथ

जीव अपना पोषण कैसे करते है :-
एक कोमशकीय जीव :-
एक कोमशकीय जीव अपना भोजन संपूणथ सतह से ले सकते है।
जैसे:-अमीबा,पैरामीमशयम
अमीबा :-
➢एक कोशीय अननजश्चत आकार वाला प्राणणसमपोषी जीव है।
➢ कुिपादों द्वारा भोजन ग्रहण करता है।
➢ अमीबा के भोजन :-शैवाल के छोिे िुकडे, वैक्ि ररया, डायिमअन्य जीव एवं
मृत काबथननक पदाथथ

जीव अपना पोषण कैसे करते है :-
एक कोमशकीय जीव :-
एक कोमशकीय जीव अपना भोजन संपूणथ सतह से ले सकते है।
जैसे:-अमीबा,पैरामीमशयम
अमीबा :-
➢एक कोशीय अननजश्चत आकार वाला प्राणणसमपोषी जीव है।
➢ कुिपादों द्वारा भोजन ग्रहण करता है।
➢ अमीबा के भोजन :-शैवाल के छोिे िुकडे, वैक्ि ररया, डायिमअन्य जीव एवं
मृत काबथननक पदाथथ

जीव अपना पोषण कैसे करते है :-
एक कोमशकीय जीव :-
एक कोमशकीय जीव अपना भोजन संपूणथ सतह से ले सकते है।
जैसे:-अमीबा,पैरामीमशयम
अमीबा :-
➢एक कोशीय अननजश्चत आकार वाला प्राणणसमपोषी जीव है।
➢ कुिपादों द्वारा भोजन ग्रहण करता है।
➢ अमीबा के भोजन :-शैवाल के छोिे िुकडे, वैक्ि ररया, डायिमअन्य जीव एवं
मृत काबथननक पदाथथ

जीव अपना पोषण कैसे करते है :-
एक कोमशकीय जीव :-
एक कोमशकीय जीव अपना भोजन संपूणथ सतह से ले सकते है।
जैसे:-अमीबा,पैरामीमशयम
अमीबा :-
➢एक कोशीय अननजश्चत आकार वाला प्राणणसमपोषी जीव है।
➢ कुिपादों द्वारा भोजन ग्रहण करता है।
➢ अमीबा के भोजन :-शैवाल के छोिे िुकडे, वैक्ि ररया, डायिमअन्य जीव एवं
मृत काबथननक पदाथथ

जीव अपना पोषण कैसे करते है :-
एक कोमशकीय जीव :-
एक कोमशकीय जीव अपना भोजन संपूणथ सतह से ले सकते है।
जैसे:-अमीबा,पैरामीमशयम
अमीबा :-
➢एक कोशीय अननजश्चत आकार वाला प्राणणसमपोषी जीव है।
➢ कुिपादों द्वारा भोजन ग्रहण करता है।
➢ अमीबा के भोजन :-शैवाल के छोिे िुकडे, वैक्ि ररया, डायिमअन्य जीव एवं
मृत काबथननक पदाथथ

जीव अपना पोषण कैसे करते है :-
एक कोमशकीय जीव :-
एक कोमशकीय जीव अपना भोजन संपूणथ सतह से ले सकते है।
जैसे:-अमीबा,पैरामीमशयम
अमीबा :-
➢एक कोशीय अननजश्चत आकार वाला प्राणणसमपोषी जीव है।
➢ कुिपादों द्वारा भोजन ग्रहण करता है।
➢ अमीबा के भोजन :-शैवाल के छोिे िुकडे, वैक्ि ररया, डायिमअन्य जीव एवं
मृत काबथननक पदाथथ

जीव अपना पोषण कैसे करते है :-
एक कोमशकीय जीव :-
एक कोमशकीय जीव अपना भोजन संपूणथ सतह से ले सकते है।
जैसे:-अमीबा,पैरामीमशयम
अमीबा :-
➢एक कोशीय अननजश्चत आकार वाला प्राणणसमपोषी जीव है।
➢ कुिपादों द्वारा भोजन ग्रहण करता है।
➢ अमीबा के भोजन :-शैवाल के छोिे िुकडे, वैक्ि ररया, डायिमअन्य जीव एवं
मृत काबथननक पदाथथ