Dr hari singh gaur jayanti 2021

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About This Presentation

Founder of Sagar University, Dr. Hari Singh Gour was such a great man of India who established the University by his own life time collection / money.


Slide Content

गौर जयंति सागर विश्व विद्यालय के संस्थापक डा. हरि सिंह ग़ौर अमर रहें Compiled By Dr. Vivekanand Jain Deputy Librarian Banaras Hindu University, Varanasi - 221005 Mob. 09450538093

Doctor Harisingh Gour Vishwavidyalaya Sagar (A Central University), formerly University of Saugor , was established on 18th July 1946 by Dr. Hari Singh Gour (Nov. 26, 1870 – Dec. 25, 1949 ) by his lifetime saving. This is the 18th University of India and the oldest University of Madhya Pradesh . Dr. Gaur was a great jurist and legal luminary par excellence. He was a great Patriot, Philanthropist, Educationist and Social Reformer.

Dr. Hari Singh Gour was the first Vice-Chancellor of Delhi University (1922 to 1926) and first Dean (1924) of The Faculty of Law in Delhi University . Dr . Hari Singh Gour also held the Vice-Chancellor of the Nagpur University, (two times in 1928 and 1936).  Dr. Gour was the founder Vice–Chancellor of the Sagar University (1946). 

डॉ॰ हरिसिंह गौर सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक, महान शिक्षाशास्त्री, ख्यातिप्राप्त विधिवेत्ता, न्यायविद्, समाज सुधारक, साहित्यकार (कवि, उपन्यासकार) तथा महान दानी एवं देशभक्त थे। वह बीसवीं शताब्दी के सर्वश्रेष्ठ शिक्षा मनीषियों में से थे। डा. गौर दिल्ली विश्वविद्यालय तथा नागपुर विश्वविद्यालय तथा सागर वि.वि. के उपकुलपति रहे। डा. गौर  भारतीय संविधान सभा के उपसभापति, साइमन कमीशन के सदस्य तथा रायल सोसायटी फार लिटरेचर के फेल्लो भी रहे थे।

सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक, उप कुलपति आजीवन इसके विकास व सहेजने के प्रति संकल्पित रहे। उनका स्वप्न था कि सागर विश्वविद्यालय कैम्ब्रिज तथा ऑक्सफोर्ड जैसी मान्यता हासिल करें। डॉ॰ सर हरीसिंह गौर एक ऐसा विश्व स्तरीय अनूठा विश्वविद्यालय है, जिसकी स्थापना एक शिक्षाविद् के द्वारा दान स्वरूप की गई थी। सागर के सपूत महान विभूति, ख्याति प्राप्त विधिवेत्ता, न्यायविद् सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक ने कानून शिक्षा, साहित्य, समाज सुधार, संस्कृति, राष्ट्रीय आंदोलन, संविधान निर्माण आदि में योगदान दिया। 

Stamp on Dr. Gaur

डा. गौर की पुस्तकें   द लॉ ऑफ ट्रांसफर इन ब्रिटिश इंडिया   दी पैनल ला ऑफ ब्रिटिश इंडिया   दी स्पिरिट ऑफ बुद्धिज्म   हिज ऑनली लव (His only Love) दा फ्यूचर कंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया (The Future Constitution of India) These books are available on Archive.org (Internet archive)

Member of Committees रिपोर्ट ऑफ दा इंडियन सेण्ट्रल कमेटी (1928) (Report of the Indian Central Committee 1928) रिपोर्ट ऑफ दा ज्वाइंट कमेटी ऑन इंडियन कंस्टीट्यूशनल रिफॉर्म (1933-1934) (Report of the Joint Committee on Indian Constitutional Reform 1933-1934)

Gaur Jayanti in Varanasi 2010-2021

गौर बब्बा ने बनाओ तो जो सागर में विश्वविद्यालय आज बन गव मध्यप्रदेश को केंद्रीय विश्वविद्यालय ॥ ई में सबरे खूबई पढ़रय , दूर दूर सें आ कें पढ़रय अफसर बनकें आगे बढ़रय , खूबई नाम कमा रय। गौर बब्बा के गुन गारय रे भैया , गौर बब्बा के गुन गारय। सागर की पहाड़ियों पे फैलो , जो भोतई सुंदर विश्वविद्यालय बीचों बीच बसो है ई के , बड़ो - भारी नेहरू पुस्तकालय । बहुत सारे विभाग हैं यहां पे , नये नये विषयन को ज्ञान ले लो छात्रावास में रहकें खाओ पियो , और मस्ती से पढ़ लो ॥ गौर साहब ने पढ़वे के लाने भौतई करो संघर्ष , लेकिन हमसब के लाने , कर गय सुख सुविधायें और अपनी जीवन भर की पूंजी सागर विश्वविद्यालय खों दे गये।।   अब हम सब की जिम्मेदारी है कि - “ गौर साहब के नाम की दुनिया में पताका फहरायें , देश की सेवा करें , सागर को और गौर साहब को मान बढ़ायें।“

गौर समाधि

डा. गौर को नमन

डा. गौर को नमन

Compiled By Dr. Vivekanand Jain Deputy Librarian Banaras Hindu University Varanasi - 221005 Mob. 09450538093

सागर विश्व विद्यालय के संस्थापक डा. हरि सिंह गौर की आज 1 52 बीं जन्म जयंति है। हम सभी आज उन्हें श्रद्धांजली अर्पित करते हैं तथा नतमस्तक होकर प्रणाम करते हैं। भवदीय डा. विवेकानंद जैन उप ग़्रंथालयी , केन्द्रीय ग़्रंथालय , काशी हिंदू विश्व विद्यालय , वाराणसी – 221005 मो. 94505 38093