प्रसूतिकी सही तारीख (EDD) कैसे तय करें?

DrNisheethOza 39 views 11 slides Dec 20, 2022
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About This Presentation

Why is it so important to assign correct EDD and Which are the patients likely to deliver earlier than EDD or later than actual EDD?


Slide Content

प्रसूतिकी सही तारीख (EDD) कैसे तय करॆं ?

Dr. Nisheeth M. Oza M.D., D.G.O., F.C.P.S., D.N.B., (M.N.A.M.S.) (OBGYN) D.A., M.B.B.S., Dip. YAN Obstetrician, Gynaecologist , Infertility Consultant, FMF Certified Ultrasonographer (FMF ID 145907) Licensed for Aneuploidy Screening NT, NB, DV, Cervix & PIH Screening. Diploma in Yoga, Ayurveda & Naturopathy Dr. Oza’s Hospital 87/7, Panvel 410206, Maharashtra India. Email : [email protected] Website : drozashospital.com YouTube : DrOzaConnects

एक स्त्री जब गर्भवती होती है , तब वह जानना चाहती है की उसकी प्रसूति कब होगी. उसके डॉक्टर उसकी आखरी महावारीकी तारीख यानी LMP परसे गिनती करके उसे उसकी प्रसूतिकी संभावित तारीख यानी EDD बताते हैं. जब उसकी सोनोग्राफी होती है तब सोनोग्राफी करने वाले डॉक्टर उसे एक प्रसूतिकी अलग संभावित तारीख यानी EDD बताते हैं. आगे चल कर और सोनोग्राफी स्कॅन होने पर शायद अलग ही संभावित तारीख यानी EDD दी जा सकती हैं . आखिरकार स्त्री सोचने लगती है कि इनमेसे उसकी प्रसूति कि सही तारीख EDD कौनसी होगी ? चलो आज इस बारेमें सही बातें पता करते हैं , और इस दुविधासे सही रास्ता खोजते हैं. इसके लिये चार अलग किसमकी परिस्थितियों पर नजर डालते हैं.

ग्रुप १ : एक स्त्री जिसे पहले २८ दिनमें नियमित महावारी होती थी. उसकी LMP में २८० दिन यानी ९ महिने व ७ दिन जोडे और पायें EDD. उसकी ६ से १४ हफ्ते मे की गई सोनोग्राफी रीपोर्ट से दी गई EDD से मिलाकर देखें. अगर LMP से दी गई EDD और सोनोग्राफी से दी गई EDD के बीच मे पांच दीनोंसे कम अंतर है तो LMP से निकाली गई EDD को ही चुना जाता है.

ग्रुप २ : एक स्त्री जिसे पहले महावारी अनियमित (Irregular) स्वरूप से आती थी या उसे LMP ठीकसे याद नही हो. इस परिस्थिति में ६ और १४ हफ्तों के बीच की गई सोनोग्राफी के मुताबिक EDD तय की जाती है. अ] LMP से ६ और ९ हफ्तों के बीच सोनोग्राफी मे भ्रूण (Embryo) की ज्यादातम लंबाई नापी जाती है.

ब] LMP से ९ और १४ हफ्तों के बीच सोनोग्राफी में गर्भ (Fetus) की CRL याने सिर के उपरी हिस्से से लेकर मणका (Spine) की निचली हिस्से तक की लंबाई (Length) नापी जाती है. अगर LMP से दी गई EDD और सोनोग्राफी से दी गई EDD के बीच पांच दिनसे कम अंतर है तो LMP से निकाली गई EDD को चुना जाता है. अगर अंतर पांच दिनसे ज्यादा हो तो ६ और १४ हफ्तों के बीच की गई सोनोग्राफी से निकाली गई EDD को चुना जाता है.

एक महिला जिसे टेस्ट ट्यूब बेबी (IVF) के मार्फत गर्भधारणा हुई हो : अ] Fresh Egg IVF के लिये: भ्रूण स्थापन (Embryo Transfer) + २६६ दिन  EDD. ब] Frozen Embryo IVF के लिये : भ्रूण स्थापन (Embryo Transfer) + २६६ दिन – भ्रूण की आयू  EDD. उदा: १) अगर ३ दिन का भ्रूण स्थापन (transfer) किया गया हो तो ET की तारीख + २६६ – ३ EDD. २) अगर ५ दिन का भ्रूण स्थापन (transfer) किया गया हो तो ET की तारीख + २६६ – ५ EDD.

ग्रुप ४ : जिसे एकसे अधिक (उदा: जुडवा) गर्भ हो और अगर दोनोंकी साईज व आयु , अलग जान पडती हो तो दोनोंमेंसे जो गर्भ साईजमें बडा दिखता हो उसके मुताबिक EDD तय की जानी चाहिये. एक महत्त्वपूर्ण बात : जब गर्भावस्था के दुसरे व तिसरे तिमाही (Trimester) में फिरसे सोनोग्राफी किये जाने पर रीपोर्ट में अलग EDD लिखी गई हो तो क्या करें ? गर्भावस्था में LMP से एवं ६ से १४ हफ्तो में की गई सोनोग्राफी के मुताबिक निकाली गई EDD सबसे ज्यादा भरोसेमंद (Accurate) होती है, अत: उसे कभी न बदले.

गर्भावस्था की आयू व EDD क्यों इतनी महत्त्वपूर्ण है? इससे खून जांच एवं सोनोग्राफी जांच करनेका उचित समय जान सकते है. इससे गर्भ के फेफडों का विकास एवं सुरक्षा के लिये देने लायक इंजेकशन का सही समय तय कर सकते है. कुछ High Risk Cases उदा. गर्भका विकास धीमा होना, उच्च रक्तदाब, गर्भावस्था मे मधुमेह (डायबीटीस), जुडवा गर्भ इनमें गर्भ के विकास पर ठीकसे निगरानी रख पाने के लिये. High Risk Cases में प्रसूती का सही समय तय करने के लिये उदा. गर्भ का विकास धीमा हो रहा हो, गर्भावस्थामें मधुमेह (डायाबीटीस), पहले गर्भ की प्रसूति पूर्व ही गर्भाशय में मृत्यू हुई हो (Previous Stillbirth). नवजात शिशुकी विशेष देखभाल का प्लान बनाने के लिये गर्भ की आयु व अपेक्षित वजन काफी महत्त्व रखते हैं.

EDD तय हो जाने पर क्या स्त्री की प्रसूति उसी दिन होती है ? किस स्त्री की प्रसूति EDD से पहले हो सकती है? जिसकी पहली प्रसूति EDD से पहले हुई हो. जिसे जुडवा गर्भ हो या गर्भजल की मात्रा काफी अधिक हो, रक्तदाब ज्यादा हो, डायबीटीस हो, Placenta Praevia हो. जो अधिक मात्रा में कॉफी का सेवन करती हो. जो तमाकु या दारू का सेवन करती हो. किस स्त्री की प्रसूती EDD के बाद हो सकती है? जिसकी पहली प्रसूती EDD के पश्चात हुई हो. जो स्थूल हो यानी जिसे मोटापा हो यानी जिसका BMI नॉर्मल से काफी अधिक हो जो पहली बार गर्भवती हो.

धन्यवाद !