Mahatma Jyotiba Phule Rohilkhand University, Bareilly महात्मा ज्योतिबा फुले रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय , बरेली A State University-Government of UP.;Accredited;ISO 9001:2015 Certified Creative PowerPoint Presentation Topic – Erik Erikson's stages of psychosocial development एरिक एरिक्सन का मनोसामाजिक विकास की अवस्थायें
एरिक्सन का मनोसामाजिक विकास का सिद्धांत
विश्वास बनाम अविश्वास Trust V/S Mistrust अवधि : जन्म – 1/ 1.5 वर्ष क्रिया : भोजन क्रिया (Feeding) गुण : आशा (Hope)
स्वायत्ता बनाम लज्जाशीलता Autonomy V/S Shame अवधि : 1 /1.5 - 3 वर्ष क्रिया : शौचालय प्रशिक्षण (Toilet Training) गुण : इच्छाशक्ति (Will Power)
पहल शक्ति बनाम दोष Initiative V/S Guilt अवधि : 3-5/6 वर्ष क्रिया : खिलौनों से खेलना गुण : उद्देश्य ( Purpose )
परिश्रम बनाम हीनता Industry V/S Inferiority अवधि : 6 - 12 वर्ष क्रिया : विद्यालय ( schooling) गुण : सामर्थ्य (Competence)
पहचान बनाम संभ्रान्ति Identity V/S Confusion अवधि : 12 - 18 वर्ष क्रिया : सामाजिक सम्बंध ( Social relations ) गुण : कर्तव्यपरायणता (Fidelity)
अंतरंगता बनाम अलगाव Intimacy V/S Isolation अवधि : 18 - 35 वर्ष क्रिया : घनिष्ठ सम्बन्ध ( Romantic relation) गुण : प्रेम (Love)
जन्नात्मकता बनाम स्थिरता Generativity V/S Stagnation अवधि : 35 – 55/60 वर्ष क्रिया : कार्य एवं अभिभावन ( work and parenthood) गुण : देखभाल (Care)
संपूर्णता बनाम निराशा Integrity V/S Despair अवधि : 60 वर्ष से मृत्यु तक क्रिया : अवलोकन ( Reflecting Back) गुण : बुद्धि (Wisdom)
जन्म से लेकर डेढ़ बरस विश्वास बनाम अविश्वास बालक निर्भर होता दूजो पर भूख लगे या लगे प्यास माता भोजन करवाती है बालक जब जब भूखा होता हाँ इसी अवस्था में उसमे आशा का गुण विकसित होता फिर बरस डेढ़ से तीन तलक लज्जा बनाम है स्वायत्ता बालक इस अवधि में शौचालय का प्रयोग सीखा करता तन की छोटी सी क्रिया को कर लेता यदि नियंत्रित वो मन में इच्छाशक्ति जगती कर सकता हूँ मैं चाहे जो अब तीन से लेकर पांच तलक होता प्रारंभिक बाल्यकाल वो खेल खिलौंनों से खेले जिज्ञासु हो करता सवाल यह पहल बनाम दोष अवधि अन्वेषण करता जाता है क्या जीवन का उद्देश्य सरल उत्तर उसको मिल जाता है अब छः से लेकर बारह तक विद्यालय जाने का अवसर यह उत्तर बाल्यावस्था है मित्रों का होता खूब असर परिश्रम बनाम हीनता है उद्यमी होकर करता प्रयास सामर्थ्य के मनोसामाजिक गुण का होता है उसमें विकास
पहचान बनाम संभ्रान्ति बारह से अठारह की वय संघर्षों का तूफानों का होता तनाव का यही समय पहचान अगर मिल जाये तो कर्तव्यपरायणता आती सामाजिक संबंधो द्वारा यह अवधि भी है ढल जाती अब अठारह से पैंतीस तक सम्बन्ध बने जब अन्तरंग यही प्रेम का पुष्प खिला करता बदला बदला सा लगे ढंग यह यौ वन की वह अवधि है जब घनिष्ठता का जगे भाव एक ओर अंतरंगता होती एक ओर हुआ करता अलगाव पैंतीस से लेकर पचपन तक जननात्मकता है स्थिरता है वह अभिभावक बन संतानों का पालन पोषण करता है अपने बच्चों की चिंता में बिता करता पल दिन और साल इसी अवस्था का मनोसामाजिक गुण होता देखभाल अब इससे आगे मृत्यु तक पूर्णता बनाम निराशा है जीवन में सब सही घटित हुआ हो बस इसकी अभिलाषा है सच्ची सी परिपक्वता लिए अवलोकन करता जाता है अंतर्मन में जगती बुद्धि जीवन पूरा हो जाता है By-Vivek Pareek