Explain Social Research ।सामाजिक अनुसंधान की व्याख्या कीजिए।

shiv34954 137 views 10 slides Dec 22, 2024
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सामाजिक अनुसन्धान को परिभाषित कीजिए। उसके मूलभूत चरणों की चर्चा कीजिए।

(Define social research. Discuss its basic steps)

सामाजिक अनुसन्धान क्�...


Slide Content

ExplainSocialResearch।सामाजिक अनुसंधान
कीव्याख्याकीजिए।
दिसंबर12,2024
ExplainSocialResearch।सामाजिक अनुसंधानकीव्याख्या
कीजिए।
ExplainSocialResearch
ExplainSocialResearchसामाजिकअनुसंधानकीपरिभाषादीजिएतथाइसकेउ‌द्देश्यकीविवेचना
कीजिए।
DefineSocialResearchanddiscussitsobjectives.)
सामाजिकअनुसन्धानसेआपक्यासमझतेहै?इसकेमहत्त्वकीविवेचनाकीजिए।(Whatdoyou
understandbysocialresearch?Discussitsimportance.)
सामाजिकअनुसन्धानकोपरिभाषितकीजिए।उसकेमूलभूतचरणोंकीचर्चाकीजिए।

(Definesocialresearch.Discussitsbasicsteps)
सामाजिकअनुसन्धानक्याहै?इसकेप्रमुखचरणोंकीविवेचनाकीजिए।
(Whatissocialresearch?Discussitsmainstages.)
सामाजिकअनुसन्धानशोधकीविशेषताएँएवंउ‌द्देश्योंकीव्याख्याकीजिए।
(Explaintheobjectsandcharacteristicsofsocialresearch
सामाजिकशोय/अनुसन्धानकीसमस्याओंकीविवेचनाकीजिए।
(Discusstheproblemsofsocialresearch.)
सामाजिकअनुसन्धानआजमानवसभ्यताकाएकअंगबनगयाहै।आजकेइसवैज्ञानिकयुगमें
सामाजिकवास्तविकतायायचार्यताकोसमझनेमेंसामाजिकअनुसन्धानअत्यन्तउपयोगीसिद्धहो
रहाहै।समाजमेंपायीजानेवालीसमस्याओंकेकारणोंएवंउनकीजटिलप्रकृतिकोसमझनेमेंभी
सामाजिकअनुसन्धानकीआजअग्रणीभूमिकाहै।
सामाजिक अनुसंधानकाअर्थएवंपरिभाषा
(MeaningandDefinitionofSocialResearch)
सामाजिकअनुसंधानदोशब्दोंसामाजिकएवंअनुसंधानकेयोगसेबनाहै।सामाजिकशब्दकाअभिप्राय
है,समाजसेसम्बन्धितघटनायें,प्रक्रियायें,व्यवहारतथाव्यक्तियोंमेंपायेजानेवालेअन्तःसम्बन्ध।
अनुसंधानशब्दअंग्रेजीके'Research'शब्दकाहिन्दीरूपान्तरणहै।Researchशब्दभीदोशब्दों
Researchसेमिलकरबनाहै।इसमें'He'काअर्वपुनःयाफिरतथा'searchकाअर्थ'बोजकरना'है।
अतःशाब्दिकअर्थमेंसामाजिकअनुसन्धानसमाजसेसम्बन्धितघटनाओं,प्रक्रियाओं,व्यवहारव
सामाजिकसम्बन्धोंकेबारेमेंखोजकरनाहै।रेडमैनतथामोरी(RedmanandMory)केअनुसार,

"नवीनज्ञानकीप्राप्तिकेलियेकियेगयेप्रयत्नकोहमअनुसन्धानकहतेहैं।"ExplainSocial
Research
श्रीमतीयंगकेअनुसार,"सामाजिकअनुसंधानकोएकवैज्ञानिकयोजनाकेरूपमेंपरिभाषितकियाजा
सकताहै,जिसकाउद्देश्यतार्किकएवंक्रमबद्धपद्धतियोंकेद्वारानवीनतथ्योंकीखोज,पुरानेतथ्यों
केसत्यापन,उनकीक्रमबद्धताओं,अन्तर्सम्बन्धों,कार्य-कारण,व्याख्याओंतयाउन्हेंनियंत्रितकरनेवाले
स्वाभाविकनियमोंकीखोजकरनाहै।
बोगाईस(Bogardus)केअनुसारएकसाथरहनेवालेलोगोंकेजीवनमेंक्रियाशीनिहितप्रक्रियाओंकी
खोजहीअनुसार,समाजशास्त्रीयअनुसन्धानकेअन्तर्गतसानय-समअन्तर्निहितखोजहीसामाजिक
अनुसन्धानहै।"केसम्बन्धोंकाअध्ययनहोताहै।"
कुक(Cook)केअनुसार,"किसीसमस्याकेसन्दर्भमेंईमानदारी,विस्तारतथाबुद्धिगानसेतथ्यों,उनके
अर्थोंतथापरिणामोंकीखोजकरनाहीअनुसन्धानहै।"
उपर्युक्तपरिभाषाओंकेआधारपरहमकहसकतेहैंकिसामाजिकअनुसन्धानसामाजिकजीतव
पटनाओंकेकारणों,अन्तसम्बन्धों,प्रक्रियाओंआदिकावैज्ञानिकअध्ययनऔरविश्लेषणहै।
सामाजिक अनुसन्धानकीविशेषताएँ
(CharacteristicsofSocialResearch)
सामाजिकअनुसन्धानकीप्रमुखविशेषताएँनिम्नलिखितहैं-
​सामाजिकअनुसन्धानएकवैज्ञानिकपद्धतिहै,जोतार्किकएवंक्रमबद्धअध्ययनपरआधारित
होतीहै,
​सामाजिकअनुसच्यासामाजिकजीवनकीघटनाओंसेसम्बन्धितहै,इसकाउद्देश्यविभिन्न
परिस्थितियोंमेंसामाजिकमनुष्यकेभावनाओं,प्रवृत्तियोंऔरव्यवहारकीखोजकरनाहै,
​सामाजिकअनुसन्धानमुख्यतःनवीनतथ्योंखोजकरताहैऔरप्राप्तज्ञानमेंवृद्धियापुराने
तथ्योंकासत्यापनकरताहै,

​सामाजिकअनुसन्धानकीयहमान्यताहैकिभौतिकघटनाओंकीभाँतिहीसामाजिकघटनाएँ
भीनिशिनियमोंद्वारापरिचालितहोतीहैं,
​सामाजिकअनुसन्धानभविष्यमेंहोनेवालीसामाजिकघटनाओंकीअनुमानितजानकारीप्रदान
करताहै,
​सामाजिकअनुसन्धानविभिन्नतव्योंकेमध्यसम्बन्धोंखोजकरताहै,
​सामाजिकअनुसन्धानसामाजिकघटनाओंकेनियन्त्रणसेसम्बन्धितहै।
सामाजिक अनुसन्धानकेउद्देश्य
(AimsorObjectivesofSocialResearch)
सामाजिकअनुसन्धानमुख्यरूपसेदोप्रकारकाहोताहै-प्रथम,विशुद्धयासैद्धान्तिकजिसकाउ‌द्देश्य
केवलज्ञानप्राप्तकरनाहैतथाद्वितीय,व्यावहारिक,जिसकाउ‌द्देश्यकेवलज्ञारप्राप्तकरनाहीनहींहै
अपितुउसज्ञानकाप्रयोगसमस्याओंकेनिदानकेलियेकरनाभीहै।इसीकेअनुरूपसामाजिक
अनुसन्धानकेउ‌द्देश्योंकोदोभागोंमेंविभक्तकियाजासकताहै(अ)सैद्धान्तिकउद्देश्यऔर(ब)
व्यावहारिकउद्‌देश्य।इनकासंक्षिप्तविवरणनिम्नप्रकारहै-ExplainSocialResearch
(अ)सैद्धान्तिक उ‌द्देश्य(TheoreticalAims)-सामाजिक अनुसन्धानकेसैद्धान्तिक
उ‌द्देशनिम्नलिखित है-
(1)सामाजिकजीवनवघटनाओंकेविषयमेंज्ञानप्राप्तकरना।
(2)सामाजिकघटनाओंमेंपायेजानेवालेप्रकार्यात्मकसम्बन्धोंकाज्ञानप्राप्तकरना।
(3)सामाजिकघटनाओंमेंअन्तर्निहितस्वाभाविकनियमोंकीखोजकरना।
(4)प्रयोगसिद्धतथ्योंकेआधारपरवैज्ञानिकअवधारणाओंकाप्रमापीकरणकरना।

(ब)व्यावहारिक उ‌द्देश्य(AppliedAims)-सामाजिक अनुसन्धानकेव्यावहारिक उ‌द्देश
निम्नलिखित हैं-
(1)सामाजिकसमस्याओंकेनिराकरणमेंसहयोगदेना,
(2)सामाजिकसंघर्षोंकीस्थितिकोसमाप्तकरनेमेंसहायतादेना,
(3)सामाजिकयोजनाओंकेनिर्माणमेंसहयोगदेना,
(4)सामाजिकनियन्त्रणमेंसहायतादेना,
(5)अज्ञानतावअंधविश्वासकानाशकरना,
(6)समाजकल्याणमेंसहायताप्रदानकरना,
(7)परिवार,समूह,समुदायवसम्पूर्णसमाजकोसंगठितबनायेरखनेमेंसहायताप्रदानकरना,
(8)भविष्यमेंआनेवालीसमस्याओंपरनियन्त्रणरखना।
सामाजिक अनुसन्धानकामहत्त्वयाउपयोगिता
(ImportanceorUtilityofSocialResearch)
सामाजिक अनुसन्धानकेमहत्त्वयाउपयोगिता कोनिम्नप्रकारसेस्पष्टकियाजा
सकताहै-

​ExplainSocialResearchअज्ञानताकानिराकरण(EradicationofIgnorance)-सामाजिक
अनुसन्धानद्वारानवीनज्ञानप्राप्तकरकेअज्ञानताकोसमाप्तकरनेकाप्रयासकियाजाताहै।
अज्ञानताकेकारणहीआजकामानवअनेकानेकसमस्याओंसेघिराहुआहै।सामाजिक
अनुसन्धानअज्ञानताकानिवारणकरकेमनुष्यकोअपनीसमस्याएँसुलझानेमेंसहायतादेता
है।
​समाजकावैज्ञानिकअध्ययन(ScientificStudyofSociety)-सामाजिकअनुसन्धानसे
सामाजिकजीवनवघटनाओंकावैज्ञानिकज्ञानप्राप्तहोताहै,जिससेमानवव्यवहारमें
लचीलापनआताहैऔरसमाजमेंविद्यमानविभिन्नताओंकाभीपताचलजाताहै।इससे
सामाजिकएकतामेंभीवृद्धिहोतीहै।
​सामाजिकसमस्याओंकानिष्पक्षविश्लेषण(DispassionateAnalysisofSocial
Problems)-सामाजिकसमस्याओंकानिराकरणउनकेनिष्पक्षविश्लेषणमेंहीनिहितहै।भारत
मेंगरीबी,बेरोजगारी,भिक्षावृत्ति,अशिक्षाआदिजटिलसामाजिकसमस्याएँविद्यमानहै।इनका
निष्पक्षविश्लेषणकरकेहीइन्हेंसमाप्तकियाजासकताहै।
​सामाजिकनियन्त्रण(SocialControl)-प्रत्येकसमाजगतिशीलहोताहै।अतःसमाजपर
नियन्त्रणतभीसम्भवहोसकताहै,जबकिअनुसन्धानद्वाराहमसामाजिकसंगठनोंवसंस्थानों
कापूर्णज्ञानप्राप्तकरलें।
​समाजकल्याण(SocialWelfare)-सामाजिकअनुसन्धानकेद्वारासमाजकाअधिकतम
कल्याणकियाजासकताहैऔरअनुसन्धानकेमाध्यमसेहीसमाजकीकुप्रथाओंकाअध्ययन
करकेउन्हेंदूरकरनेकाप्रयासकियाजासकताहै।
​भविष्यवाणीकरनेमेंसहायक(HelpfulinPrediction)-सामाजिकअनुसन्धानद्वारा
सामाजिकनियोंकानिर्माणकियाजासकताहैऔरसामाजिकघटनाओंयापरिस्थितियोंके
सम्बन्धमेंभविष्यवाणीकीजासकतीहै।
​व्यावहारिकमहत्त्व(AppliedImportance)सामाजिकअनुसन्धानकाव्यावहारिकमहत्त्वयहहै
किइसकेआधारपरसामाजिकसम्बन्धोंकोवैज्ञानिकतरीकेसेविकसितकियाजासकताहै।
ExplainSocialResearch
सामाजिक शोधकेप्रमुखचरण
(MainStepsofSocialResearch)

सामाजिकशोधकेप्रमुखचरणनिम्नलिखितहैं-
(1)सर्वप्रथमकिसीएकविषयकाचुनावकरलियाजाताहैजिसकाअध्ययनकरनाहै।विषयकाचुनाव
करतेसमयइसबातकाध्यानरखाजाताहैकिशोधकार्यकेदृष्टिकोणसेवहविषयव्यावहारिकहैया
नहीं।साथहीइसबातकाध्यानरखनापड़ताहैकिजिसविषयकोअध्ययनकेलिएचुनागयाहैउसका
क्षेत्रकहींइतनाअधिकविस्तृतनहोकिउसकेसम्बन्धमेंअध्ययनकरनाहीआगेचलकरअसम्भव
प्रतीतहोअथवाजोकुछअध्ययनकियाजाएवहइतनाबिखराहुआहोकिउससेकोईयथार्थनिष्कर्षही
सम्भवनहो।नयेशोधकर्ताप्रायःयहीगलतीकरबैठतेहैं।
(2)विषयकाचुनावकरलेनेकेपश्चात्यहआवश्यकहैकिहमउसविषयसेसम्बद्धअन्यशोध
पुस्तकों(Researchbooks)काअध्ययनकरेंऔरअपनेकोअन्यशोधकर्ताओंकेविचारों,निष्कर्षोंतथा
पद्धतियोंसेपरिचितकरलें।ऐसाकरलेनेपर,पी.वीयंगकेअनुसार(1)अध्ययन-विषयकेसम्बन्धमें
एकअन्तर्दृष्टितथासामान्यज्ञानप्राप्तकरने,(ii)शोधकार्यमेंउपयोगीसिद्धहोनेवालीपद्धतियोंके
प्रयोगकेसम्बन्धमें,(iii)प्राक्‌कल्पनाकेनिर्माणमेंऔर(iv)एकहीशोच-कार्यकोफिरसेदोहरानेकी
गलतीसेबचनेतथाविषयसेसम्बद्धउनपक्षोंपरजिनपरकिदूसरेशोधकर्ताओंनेध्याननहींदियाहै,
ध्यानदेनेकेविषयमेंहमेंसहायतामिलसकतीहै।
(3)इसदिशामेंतीसराचरणअध्ययनसेसम्बद्धइकाइयोंकोपरिभाषितकरनाहै।प्रायःशोधकर्ताको
अपनेअध्ययनकार्यमेंअत्यधिककठिनाईइसकारणहोतीहैकिआरम्भमेंहीइकाइयोंकास्पष्टीकरण
नहींकियागयाहै।समस्तइकाइयोंकाअर्थस्पष्टहोजानेकातात्पर्यअध्ययनकालक्ष्यवक्षेत्रकाभी
स्पष्टीकरणहै।मकान,बेरोजगारी,तनावआदिबहुतसरलप्रतीतहोसकतेहैं,परयदिआरम्भमेंही
इनकोस्पष्टरूपसेपरिभाषितनकरदियागयातोआगेचलकरयहदेखाजाएगाकिविभिन्नसूचनादाता
इनशब्दोंकाअलग-अलगअर्थलगाकरअपने-अपनेढंगसेइसप्रकारकीसूचनाएँप्रदानकरेंगेजोकि
आगेचलकरअनुसन्धान-कार्यमेंसहायकसिद्धहोनेकेबजायउसेकेवलअस्पष्टहीबनाताहै।
(4)सामाजिकसोचकाचौथावरणप्राक्कल्पना(hypothesis)कानिर्माणहै।अपनेशोचविषयके
समाचारप्राप्तकरनेकेपश्चात्शोधकर्ताअपनेविबारसेएकहिंसासिद्धान्तवानिष्कर्षबनालेताहै
जिसकेसम्बन्धमेंवहयहकल्पनाकरताहैकिवहसिद्धान्तसम्भवतःउसकेअध्ययनकोआधार

सिद्धहोसकताहै।प्राक्‌कल्पनाकेइनजानेपरशोधकार्यकाक्षेत्रनिश्चितहोजाताहैऔरशोधकर्ताको
अपनेआध्ययनकार्यमेंआगेबढ़नेमेंमददमिलतीहै।प्राक्‌कल्पनासचप्रमाणितहोयाझूठ,दोनोंही
अवस्थाओंमेंशोधकार्यज्ञानकीवृद्धिमेंसहायकहोताहै।
(5)प्राक्‌कल्पनाकानिर्माणकरलेनेकेपश्चात्सूचनाकेस्रोत(Sourceofinformation)तथाअध्ययन
केलियेउपयोगीपद्धतियोंकानिर्धारणआवश्यकहोताहै।प्राक्‌कल्पनासचहैअथवानहीं,इसकेलिये
तथ्योंकासंकलनआवश्यकहै।येतथ्यस्वयंबोलतेहैंकिक्याठीकहैऔरक्यागलतहै।तव्योंके
संकलनकेलियेउसेयहनिश्चितकरनाहोताहैकिउसेकिनस्रोतोंसेविश्वसनीयसूचनाएँयातथ्यप्राप्त
होसकतेहैंऔरवेस्रोतउसकीपहुँचकेभीतर(withinthereach)हैंयानहीं।सूचनाकेस्रोतोंकेविषयमें
सोचलेनेकेपश्चात्शोध-विषयकीप्रकृतिकेअनुसारउनपद्धतियोंकाभीचुनावकरनाहोताहैजोकि
शोधकार्यमेंउपयोगीहोंगी।
(6)पद्धतियोंवप्रविधियोंकाचुनावहोजानेकेपश्चात्वास्तविकशोधकार्यउससमयआरम्भहोताहै
जबकितथ्योंकानिरीक्षणवसंकलनकाकामशुरूकियाजाताहै।निरीक्षणकेसाथ-साथआलेखन
(recording)भीचलतारहताहैजिससेकितथ्योंकीप्रकृतिअपरिवर्तितरहे।
(7)तथ्योंकासंकलनकरलेनेकेपश्चात्उनकोशोधकार्यकेलिएवास्तवमेंउपयोगीबनानेकेलिये
निश्चितक्रमोंतथाश्रेणियोंमेंवर्गीकरणकरनाहोताहै।वर्गीकरणविषयसेसम्बद्धअनेकअस्पष्टपक्षों
कोस्पष्टकरताहैक्योंकिइसकेद्वाराबिखरेहुएअसम्बद्धतव्योंकाढेरनकेवलकमहोजाताहै,अपितु
निश्चितक्रमोंसेसजजानेकेफलस्वरूपउन्हेंएकवैज्ञानिकस्वरूपप्राप्तहोजाताहै।तथ्योंका
पारस्परिकसम्बन्धभीवर्गीकरणकेपश्चात्स्पष्टहोजाताहै।
(8)निष्कर्षीकरणएवंनियमोंकाप्रतिपादनसामाजिकशोधकाअन्तिमचरणहैजोकितथ्योंके
वर्गीकरणवविश्लेषणकेपश्चात्सम्भवहोताहै।इसीस्तरपरयहनिश्चितरूपसेमालूमहोजाताहैकि
प्राक्कल्पनासहीहैयागलतहैपरउससेज्ञानकीवृद्धिवविज्ञानकीसमृद्धिसम्भवहै।Explain
SocialResearch
सामाजिक शोधकीसमस्याएँ

(ProblemsofSocialResearch)
प्रत्येकसामाजिकविज्ञानकीशोधसम्बन्धीअपनी-अपनीकुछविशिष्ट
समस्याएँहोतीहैंऔरयहबातसमाजशास्त्रीयशोधकेलिएभीसहीहै।इन
समस्याओंकेकारणसमाजशास्त्रकीवैज्ञानिकप्रकृतिकेसम्बन्धमें
आपत्तिउठाईजातीहै।येसमस्याएँइसप्रकारहैं-
(1)अवधारणाओंमेंस्पष्टताकाअभाव(Lackofclarityinconcepts)-प्रत्येकविज्ञानकीअपनीकुछ
विशिष्टअवधारणाएँहोतीहैजिनकाउसविषयकेसभीविद्वानसमानअर्थमेंप्रयोगकरतेहैं।ये
अवधारणाएँसामाजिकशोधकोआगेबढ़ानेमेंयोगदेतीहैं।समाजशास्त्रमेंजिनअवधारणाओंकाप्रयोग
कियाजाताहै,उनकेअर्थकेसम्बन्धमेंविद्वानोंमेंमतभेदहै।यदिकिसीअवधारणाकासभीवैज्ञानिकों
द्वारासमानअर्थमेंप्रयोगनहींकियाजायेगातोउससेसामाजिकशोधकेमार्गमेंबाधाहीआयेगी।ऐसी
स्थितिमेंशोधकेपरिणामस्वरूपजोनिष्कर्षनिकालेजायेंगे,उनमेंवैज्ञानिकताकाअभावहोगा।अभी
सामाजिकविज्ञानप्राकृतिकविज्ञानोंकेसमानसर्वमान्यशब्दावलीयाअवधारणाओंकाविकासनहींकर
पायेहैं।
(2)सामाजिकघटनाओंकीजटिलप्रकृति(Complexnatureofsocialphenomena)-जटिलप्रकृतिके
कारणसामाजिकघटनाओंकाएकओरआसानीसेअध्ययननहींकियाजासकताऔरदूसरीओरऐसे
अध्ययनसेप्राप्तनिष्कर्षोंकोप्रामाणिकनहींकहाजासकता।इसकाकारणयहहैकिकिसीएक
सामाजिकघटनाकेलिएअनेककारणयाचल(Variables)उत्तरदायीहोतेहैंजिनकोअलग-अलगकरके
सामाजिकघटनाकेघटितहोनेमेंप्रत्येककेप्रभावकोनहींआंकाजासकता।ऐसीस्थितिमेंसामाजिक
शोधकेमार्गमेंएकबहुतबड़ीबाधाउपस्थितहोजातीहै।
(3)वस्तुनिष्ठता(वैषयिकता)प्राप्तकरनेमेंकठिनाई(Difficultyinachievingobjectivity)-सामाजिक
शोधमेंवैषयिकताकाविशेषमहत्त्वहै।इसकेअभावमेंसामाजिकशोधकेआधारपरप्राप्तकिसीभी
निष्कर्षकोवैज्ञानिकनिष्कर्षनहींकहाजासकता।यहाँअनुसन्धानकर्ताउससमाज,सामाजिकजीवनया
सामाजिकघटनासेसम्बन्धितहोताहैजिसकाकिसाधारणतःवहअभिन्नअंगहोताहै।वहअपने
आपकोअध्ययनविषयसेपूर्णतःअलगनहींकरपाताहै।उसकेस्वयंकेविचारएवंभावनाएँअध्ययनमें
बाधापहुँचातेहैं।प्राकृतिकविज्ञानोंमेंवैषयिकताआसानीसेप्राप्तकीजासकतीहैजबकिसामाजिक

विज्ञानोंमेंइसकाअभावपायाजाताहै।अतःआवश्यकताऐसीप्रपद्धतियोंएवंउपकरणोंकेविकासकीहै
जिनकीसहायतासेसामाजिकजीवनवघटनाओंकाअध्ययनवैयक्तिकपक्षपातसेदूररहकरवैषयिकता
केसाथकियाजासके।
(4)सुनिश्चितमापकीसमस्या(Problemofexactmeasurement)-सामाजिकशोधमेंसामाजिक
सम्बन्धों,व्यवहारोंएवंमानवीयप्रकृतिकामुख्यरूपसेअध्ययनकियाजाताहै।इनसबकोमापना
सम्भवनहींहैक्योंकियेगुणात्मकहैनकिपरिमाणात्मक।सामाजिकसम्बन्धयामानवीयप्रकृतिया
व्यवहारकोमापनासम्भवनहींहै।इसकाकारणयहहैकिसामाजिकअनुसन्धानकर्ताकेसम्मुख
कठिनाईउपस्थितहोजातीहै।वर्तमानमेंसामाजिकअनुसन्धानकर्ताकेसम्मुखकठिनाईउपस्थितहो
जातीहै।वर्तमानमेंसामाजिकघटनाओंकोमापनेकाकोईसार्वभौमिकपैमानाविकसितनहींहुआहै।
ऐसीस्थितिमेंसामाजिकघटनाओंकोमापनेकेलिएयद्यपिकुछपैमानोंकाविकासअवश्यहुआहै,
परन्तुवेसार्वभौमिकरूपसेस्वीकृतनहींहैं।इसकेअलावाउनकाप्रयोगसीमितक्षेत्रमेंहीकियाजा
सकताहै।
(5)प्रयोगात्मकअनुसन्धानकाअभाव(Lackofexperimentalresearch)-अभीसामाजिकविज्ञानों
मेंप्रयोगात्मकपद्धतियोंकाप्रयोगनहींकेबराबरपायाजाताहै।इसकाकारणयहहैकिइनपद्धतियों
केप्रयोगकेलिएसामाजिकविज्ञानोंमेंअभीसमुचितदशाओंकाअभावपायाजाताहै।अतःकार्य-कारण
सम्बन्धोंकीखोजमेंकठिनाईआतीहै।
(6)प्रमाणीकरण(सत्यापन)कीसमस्या(Problemofverification)सामाजिकशोधोंकेआधारपर
प्राप्तकियेनिष्कर्षोंकीविश्वसनीयताकापतालगानावैज्ञानिकदृष्टिसेअत्यन्तआवश्यकहै।यहकार्य
सामाजिकविज्ञानोंमेंबहुतकठिनहैक्योंकियहाँजिनसामाजिकघटनाओंकाअध्ययनकियाजाताहै,
उनकीपुनरावृत्तिकरानासम्भवनहींहै।अतःनिष्कर्षोंकीविश्वसनीयताकापरीक्षणसामाजिकशोधकी
एकप्रमुखसमस्याहै।