MAHAVEER INSTITITUTE OF MANAGEMENT AND TECHNOLOGY SESSION:- 2017-19 Topic :- FOOD CHAIN Submitted By:- PRAMITA PAL B.Ed II nd year
खाद्य श्रृंखला एवं खाद्य जाल पारिस्थितिकी तंत्र में विभिन्न खाद्य श्रंखला मिलकर एक जाल का निर्माण करती हैं जिसे खाद्य जाल कहते हैं। इसमें खाद्य ऊर्जा का प्रवाह विभिन्न दिशाओं में होता है। एक खाद्य श्रंखला का संबंध दूसरी खाद्य श्रृंखला से होता है। विभिन्न पोषण स्तर से भोजन प्राप्त होता है ।
ऊपर बताए गए उदाहरण में बाज खरगोश को खा सकता है। इसके साथ ही टिड्डे को खा सकता है पर यह भी हो सकता है कि पहले टिड्डा घास का खाये। फिर टिड्डा को छिपकली खाये। उसके बाद बाज उसे खाए। इसी तरह यह भी संभव है कि चूहा घास खाये, सांप चूहे को खाए। बाज सांप को खाये। इस तरह यह देखने को मिलता है कि जीव विभिन्न खाद्य श्रृंखलाओं से अपना भोजन प्राप्त करते हैं।
खाद्य श्रृंखला के अंतर्गत उत्पादक, प्रथम उपभोक्ता, द्वितीय उपभोक्ता आते हैं। यह श्रृंखला पौधों से शुरू होती है। पौधों को टिड्डा खरगोश हिरन जैसे जीव खाते हैं। फिर उन जीवो को दूसरे जीव खाते हैं। इस तरह एक चक्र चलता रहता है। खाद्य श्रृंखला में 10% ऊर्जा आगे बढ़ती है जबकि 90% ऊर्जा विलुप्त हो जाती है। अधिकतर खाद्य श्रृंखला में 4-5 कड़ियाँ होती हैं। पारिस्थितिकी तंत्र में सभी जीव एक दूसरे पर निर्भर होते हैं। खाद्य श्रृंखला
इसके अंदर भेड़, बकरी, हाथी, हिरण, गाय, खरगोश, चूहा, बंदर जैसे शाकाहारी जीव आते हैं। शाकाहारी जीव अपने भोजन के लिए पेड़ पौधों वनस्पतियों पर निर्भर होते हैं। वे पेड़ पौधे या उनके फल खाकर जीवित रहते हैं। प्रथम श्रेणी के उपभोक्ता
इस श्रेणी में वे सभी जीव आते हैं जो प्रथम उपभोक्ताओं पर निर्भर रहते हैं। इस तरह के जीव मांसाहारी होते हैं और प्रथम उपभोक्ताओं को भक्षण कर जीवित रहते हैं। इसमें मेंढक, मछलियां, कीट खाने वाले पक्षी, छिपकली जैसे जीव जंतु होते हैं, द्वितीय श्रेणी के उपभोक्ता
इसके अंदर वह सभी जीव आते है जो भोजन के लिए द्वितीय श्रेणी के उपभोक्ताओं पर निर्भर करते हैं। जैसे भालू, गीदड़, लोमड़ी, शेर आदि। तृतीय श्रेणी के उपभोक्ता
इसके अंतर्गत सूक्ष्मजीव आते हैं जो मृत जीव जंतु और वनस्पतियों को आहार बनाकर सूक्ष्म अवयवों में तोड़ देते हैं। उन्हें सड़ाकर नष्ट कर देते हैं। मृत भक्षी जीव दूसरे मृत जीव जंतुओं को खाकर कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फेट, फास्फेट, नाइट्रोजन, जल को मुक्त करते हैं। अपघटक