Made by : Bhavya
Class : 9 'A'
School : SCR Public School
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Language: none
Added: Aug 11, 2024
Slides: 9 pages
Slide Content
समास नाम : भव्य चौहान कक्षा : नौवीं ‘ए’ रोल नंबर : नौ
समास किसे कहतें है ? • समास शब्द-रचना की ऐसी प्रक्रिया है जिसमें अर्थ की दृष्टि से परस्पर भिन्न तथा स्वतंत्र अर्थ रखने वाले दो या दो से अधिक शब्द मिलकर किसी अन्य स्वतंत्र शब्द की रचना करते हैं। समास विग्रह सामासिक शब्दों को विभक्ति सहित पृथक करके उनके संबंधों को स्पष्ट करने की प्रक्रिया है। यह समास रचना से पूर्ण रूप से विपरित प्रक्रिया है। उदाहरण- रसोईघर, देशवासी, चैराहा आदि।
समास के भेद समास के छह भेद होते हैं। अव्ययीभाव समास तत्पुरुष समास द्वंद्व समास बहुब्रीहि समास कर्मधारय समास द्विगु समास
अव्ययीभाव समास • अव्ययीभाव समास में पहला पद प्रधान होता है, इसका पहला पद क्रिया विशेषण होता है तथा अन्य पद अव्यय का काम करते है। अव्ययीभाव समास में पहले पद की प्रधानता होती है। इसका अर्थ पहले पद पर ही आधारित होता है। समस्त पद समास-विग्रह अनजाने बिना जाने अनचीन्हा बिना चीन्हें अजन्मा बिना जन्मे आमरण मरण तक
तत्पुरुष समास • तत्पुरुष समास में दूसरा या अंतिम पद प्रधान होता है। इस समास के दूसरे या आखिरी पद को महत्व दिया जाता है और किसी एक विभक्ति का भी प्रयोग किया जाता है। इस समास के पदों के बीच किसी एक कारक की विभक्ति का प्रयोग किया जाता है, जिससे इनकी पहचान करना आसान होता है। तत्पुरुष समास में प्रथम विभक्ति और अंतिम विभक्ति का प्रयोग नहीं किया जाता है। इसमें को, से द्वारा, के लिए, में, से, का, पर आदि विभक्तियों का प्रयोग किया जाता है। समस्त पद समास-विग्रह ग्रामगत ग्राम को गया हुआ सूररचित सूर द्वारा रचित देशभक्ति देश के लिए भक्ति
द्वंद्व समास • द्वंद्व समास में दोनों पद प्रधान होते हैं और दोनों पद संज्ञा या उसका समूह होता। दोनों पद ‘और’ ‘अथवा’ एवं ‘या’ बोधकों के द्वारा जुड़े होते हैं। जब उन पदों को अलग करके लिखते है तो इन योजक शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
बहुब्रीहि समास • बहुब्रीही समास में कोई भी पद प्रधान नहीं होता है।इसमें दोनों पद मिलकर एक नया शब्द बनाते हैं, जिसका एक नया अर्थ निकलता है। जो इस पद को परिभाषित करता है।
कर्मधारय समास • इस समास में दोनों पद प्रधान होते हैं। इसके पदों के बीच विशेषज्ञ- विशेषण, उपमान–उपमेय का भाव होता है। इसमें किसी एक पद की विशेषता बताई जाती है या फिर उसकी तुलना की जाती है।
द्विगु समास • द्विगु समास में पहला पद संख्या का बोध कराता है और दूसरा पद प्रधान होता है। संख्यावाची शब्द समूह या समाहार का बोध कराता है। इस समास के दूसरे पद को महत्व दिया जाता है।