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Added: Sep 05, 2025
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अर्थव्यवस्था ( Economy ) का मतलब एक ऐसे प्रणाली से है जिसमें किसी देश या क्षेत्र में वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन, वितरण, और उपभोग किया जाता है। यह किसी भी देश की आर्थिक गतिविधियों का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, और इसे मुख्य रूप से तीन क्षेत्रों में बांटा जा सकता है: Primary Sector इसमें कृषि, खनन, मत्स्य पालन, और अन्य प्राकृतिक संसाधनों से जुड़ी गतिविधियाँ शामिल होती हैं। Secondary Sector इसमें विनिर्माण और निर्माण गतिविधियाँ आती हैं, जैसे फैक्टरियों में वस्त्र, उपकरण, और अन्य वस्तुओं का उत्पादन। 3. Tertiary Sector : इसमें सेवाएँ आती हैं, जैसे बैंकिंग, परिवहन, शिक्षा, और स्वास्थ्य सेवाएँ।
अर्थव्यवस्था के प्रकार: पूँजीवादी अर्थव्यवस्था ( Capitalist Economy ) : इसमें निजी क्षेत्र का अधिक योगदान होता है, और सरकार का हस्तक्षेप कम होता है। समाजवादी अर्थव्यवस्था ( Socialist Economy) : इसमें सरकार का अधिक हस्तक्षेप होता है, और अधिकांश उत्पादन के साधनों का स्वामित्व सरकार के पास होता है। मिश्रित अर्थव्यवस्था ( Mixed Economy) : यह पूँजीवादी और समाजवादी अर्थव्यवस्था का मिश्रण है। भारत एक मिश्रित अर्थव्यवस्था का उदाहरण है, जहाँ निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों का योगदान होता है। अर्थव्यवस्था का सही प्रबंधन किसी भी देश के विकास और सामाजिक कल्याण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
सूक्ष्म अर्थशास्त्र ( Microeconomics ) सूक्ष्म अर्थशास्त्र का अध्ययन व्यक्तिगत इकाइयों, जैसे कि उपभोक्ता, कंपनियाँ, या घर-परिवार, पर केंद्रित होता है। यह छोटे स्तर पर आर्थिक क्रियाओं और निर्णयों की व्याख्या करता है। इसमें मुख्य रूप से निम्नलिखित चीज़ों का अध्ययन किया जाता है: मांग और आपूर्ति ( Demand and Supply) : किसी वस्तु या सेवा की बाजार में मांग और उसकी उपलब्ध आपूर्ति पर अध्ययन। मूल्य निर्धारण ( Price Determination) : किस तरह किसी वस्तु या सेवा का मूल्य निर्धारित होता है, और उपभोक्ता इसे कैसे प्रभावित करते हैं। उपभोक्ता व्यवहार ( Consumer Behavior ) : यह अध्ययन करता है कि उपभोक्ता अपनी आय और प्राथमिकताओं के आधार पर वस्तुओं और सेवाओं का चयन कैसे करते हैं। फर्म का सिद्धांत ( Theory of Firm) : इसमें यह देखा जाता है कि एक फर्म उत्पादन और मूल्य निर्धारण से संबंधित निर्णय कैसे लेती है, और उसके मुनाफे को अधिकतम कैसे किया जा सकता है।
सामूहिक अर्थशास्त्र ( Macroeconomics ): सामूहिक अर्थशास्त्र एक व्यापक दृष्टिकोण से पूरे देश या वैश्विक अर्थव्यवस्था की समस्याओं और आर्थिक गतिविधियों का अध्ययन करता है। इसमें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अर्थव्यवस्था के प्रमुख घटकों का विश्लेषण किया जाता है। इसमें मुख्य रूप से निम्नलिखित मुद्दों का अध्ययन होता राष्ट्रीय आय ( National Income) : एक देश की कुल आय या उत्पादन का मूल्यांकन करना। मुद्रास्फीति ( Inflation) : कीमतों में वृद्धि दर और उसकी अर्थव्यवस्था पर प्रभाव का अध्ययन करना। बेरोजगारी ( Unemployment ) : बेरोजगारी की दर और इसके कारणों का अध्ययन। मौद्रिक और राजकोषीय नीतियाँ ( Monetary and Fiscal Policies) : सरकार और केंद्रीय बैंक द्वारा लागू की गई नीतियाँ जो अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में मदद करती हैं। आर्थिक विकास ( Economic Growth) : किसी देश की समग्र आर्थिक प्रगति और विकास दर का अध्ययन।
इस प्रकार , सूक्ष्म और सामूहिक अर्थशास्त्र दोनों ही एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और दोनों का समन्वय किसी भी अर्थव्यवस्था को समझने में महत्वपूर्ण होता है। बिंदु सूक्ष्म अर्थशास्त्र ( Microeconomics) सामूहिक अर्थशास्त्र ( Macroeconomics) अध्ययन का स्तर व्यक्तिगत इकाइयाँ (उपभोक्ता, फर्म) राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था मुख्य विषय मांग और आपूर्ति, मूल्य निर्धारण, उपभोक्ता व्यवहार मुद्रास्फीति, बेरोजगारी, आर्थिक विकास उद्देश्य संसाधनों का कुशल उपयोग और मूल्य निर्धारण आर्थिक स्थिरता और विकास दृष्टिकोण निचले स्तर से उच्च स्तर की ओर व्यापक स्तर से विशिष्ट समस्याओं की ओर
राष्ट्रीय आय (national income ):- राष्ट्रीय आय को एक लेखांकन वर्ष के दौरान घरेलू क्षेत्र के भीतर उअत्पदित सभी तैयार माल और सेवाओ के कुल बाजार मूल्य के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। विदेश से निवल उपादान आय की अवधारणा(NFIA):- कभी कभी ऐसा होता है की किसी देश के नागरिक अस्थायी रूप से विदेश में रहते हैं (जैसे की भारतीय संयुक्त राज्य अमेररका में रहते हैं) और इसी तरह विदेशी नागरिक अस्थायी रूप से घरेलू देश में रहते हैं (जैसे की जर्मन नागरिक भारत में रहते हैं)। ऐसे नागरिक जिस देश में रह रहे हैं, वहां उपादान आय अर्जित करते हैं। विदेश से निवल उतपादन आय का तात्पर्य विदेश में रहने वाले घरेलू देश के नागरिको द्वारा अर्जित आय और घरेलू देश में रहने वाले विदेशी नागरिको द्वारा अर्जित आय के बीच के अंतर से है। अर्थार्त; NFIA = विदेश से अर्जित उपादान आय - विदेजशयों को भुगतान की जाने वाली उपादान आय NFIA राष्ट्रीय आय और घरेलू आय के बीच अंतर के आधार के रूप में कार्य करता है। राष्ट्रीय आय = घरेलू आय + NFIA NNP FC = NDP FC + NFIA
सकल आय और शुद्ध आय की अवधारण :- मूल्यह्रास सकल आय और शुद्ध आय के बीच अंतर का आधार बनता है। सकल आय में मूल्यह्रास शामिल है, जबकि निवल आय में मूल्यह्रास शामिल नहीं है शुद्ध आय = सकल आय - मूल्यह्रास बाजार मूल्य पर राष्ट्रीय आय और साधन लागत पर राष्ट्रीय आय की अवधारण :- हम राष्ट्रीय आय/उत्पादन को या तो बाजार कीमतों के संदर्भ में या उपादान लागत के संन्दर्भ में वयक्त कर सकते हैं। जब राष्ट्रीय आय को बाजार कीमतों के रूप में व्यक्त किया जाता है, तो अप्रत्यक्ष करों और सब्जिडी को ध्यान में रखा जाता है । जहां दूसरी ओर सब्जिडी बाजार मूल्य को कम करती है, वही अप्रत्यक्ष कर बाजार मूल्य को बढाते हैं। बाजार मूल्य पर राष्ट्रीय आय, अर्थात, ( NNP MP) के रूप में जाना जाता है । जब राष्ट्रीय आय को उपादान लागत के रूप परिणामी उतपादन लागत पर राष्ट्रीय आय, अर्थात ( NNP FC ) के रूप में जाना जाता है । बाजार मूल्य पर राष्ट्रीय आय ( NNP MP) = उपादान लागत पर राष्ट्रीय आय ( NNP FC) + ( अप्रतयक्ष कर - सब्जिडी) या, बाजार कीमतों पर राष्ट्रीय आय ( NNP MP) = उपादान कीमतों पर राष्ट्रीय आय ( NNP FC) + शुद्ध अप्रत्यक्ष कर
जीडीपी सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का मौद्रिक मूल्य है जो एक लेखा वर्ष में किसी देश के घरेलू क्षेत्र में उत्पादित होता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आवासीय और गैर-आवासीय दोनों में से कौन उत्पादन कर रहा है GROSS DOEMSTIC PRODUCT(GDP) सकल घरेलू उत्पाद:- बाजार मूल्यों पर सकल घरल उत्पाद ( GDP MP ) :- GDP MP एक लेखांकन वर्ष के दौरान मूल्यह्रास सहित घरेलू देश के भीतर उतपादित तैयार माल और सेवाओ के बाजार मूल्य को संदर्भित करता है । यह एक स्थूल अवधारण है क्योंवक इसके आकलन में मूल्यह्रास को ध्यान में नहीं रखा जाता है। इसके अलावा, GDP(GDP) घरेलू क्षेत्र तक ही सिमित, इसलिये इसमें एनएफआईए (NFIA) शामिल नहीं है।
GDP से अपवर्जन :- सकल घरेलू उत्पाद के प्राक्कलन में निम्लिखित वस्तुओ को शामिल नहीं वकया जाता है १ जुआ, लॉटरी आदि जैसी अवैध गवतविधियों से होने वाली आय । २ काला धन (अर्थात वह आय जो बही-खातों में दर्ज न हो) ३ छात्वृधि पेंशन, आदि जैसे भुगतान अंतरण करना ४ मौदिक लेनदेन से होने वाली आय अर्थार्त पूंजीगत लाभ शेयरों और डिबेंचरों\ से आय, ५ सेकण्ड हैंड (पुराना) वस्तुओ का बाजार मूल्य । बाजार मूल्यों पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद ( GNP MP) GNP (GNP) किसी देश के सामान्य निवासियों द्वारा घरेलू क्षेत्र के साथ-साथ देश के बाहर उत्पादित वस्तुओ और सेवाओ को ध्यान में रखता है। दुसरो शब्दों में, GNP में NFIA शामिल । जैसा की हम जानते हैं, NFIA घरेलू आय और राष्ट्रीय आय के बीच अंतर का आधार है, इसलिये, GNP MP = GDP MP + NFIA
बाजार मूल्यों पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद ( NNP MP) NNP किसी देश के सामान्य निवासियों द्वारा घरेलू क्षेत्र के साथ-साथ देश के बाहर उत्पादित सभी तैयार माल और सेवाओ के कुल बाजार मूल्य को संदर्भित करता है। NNP MP में मूल्यह्रास शामिल नहीं है लेकिन NFIA शामिल है । अर्थात NNP MP = GNP MP – मूल्यह्रास बाजार मूल्यों पर शुद्ध घरेलू उत्पाद ( NDP MP ) बाजार मूल्य पर शुद्ध घरल उत्पाद ( NDP MP) एक लेखा वर्ष के दौरान मूल्यह्रास को छोडकर , सामान्य निवासियों के साथ-साथ गैर- निवासियों द्वारा घरेलू क्षेत्र के भीतर उत्पदित सभी तैयार माल और सेवाओ के कुल बाजार मूल्य को संदर्भित करता है । NDP MP = GDP MP – मूल्यह्रास
उपादान लागत या घरल आय पर निवल घरेलू उत्पाद ( NDP FC ) :- NDP FC किराया ,मजदूरी, ब्याज और मुनाफे के रूप में उत्पादन के सभी उपादान द्वारा अर्जित कुल उपादान आय को दर्शाता है । NDP FC = NDP MP – निवल अप्रत्यक्ष कर = NDP MP – अप्रत्यक्ष कर + सब्जिड उपादान लागत पर सकल घरल उत्पाद ( GDP FC ) GDP FC, किराया, मजदरी, ब्याज और लाभ के रूप में और मूल्यह्रास सहित उत्पादन के सभी उपादान दवारा अजजित कुल उपादान आय को दर्शाता है । GDP FC = NDP FC + मूल्यह्रास
उपादान लागत या राष्ट्रीय आय पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद ( NNP FC) NNP FC उत्पादन के उन उपादान द्वारा अर्जित उपादान आय के योग को संदर्भित करता है जो घरेलू क्षेत्र के साथ- साथ विदेश में भी किसी देश के सामान्य निवासी है NNP FC = NDP FC + NFIA उपादान लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद ( GNP F C ):- GNP FC मूल्यह्रास सरहत एक लेखांकन अिधि के दौरान देश के सामान्य भनिाजसयों द्वारा अजजत सिी उपादान आय के योग को दशाथता है । GNP FC = NNP FC + मूल्यह्रास ।
महत्वपूर्ण सूत्र सकल = निवल + मूल्यह्रास निवल = सकल – मूल्यह्रास राष्ट्रीय = घरेलू + विदेश से शुद्ध उपादान आय घरेलू = राष्ट्रीय - विदेश से शुद्ध उपादान आय बाजार मूल्य = साधन लागत + निवल अप्रत्यक्ष कर उपादान लागत = बाजार मूल्य - निवल अप्रत्यक्ष कर निवल अप्रत्यक्ष कर = अप्रत्यक्ष कर - सब्जिडी