Hindi project 10 .pptx hindi project ppt for class 10

sajidmaneri0304 3 views 13 slides Sep 12, 2025
Slide 1
Slide 1 of 13
Slide 1
1
Slide 2
2
Slide 3
3
Slide 4
4
Slide 5
5
Slide 6
6
Slide 7
7
Slide 8
8
Slide 9
9
Slide 10
10
Slide 11
11
Slide 12
12
Slide 13
13

About This Presentation

hindi project ppt for class 10


Slide Content

ह िंदी परियोजना कायय ह िंदी साह त्य की विधाए

ACKNOWLEDGEMENT • I would like to express my special thanks of gratitude to my Hindi teacher as well as our principal sir who gave me the golden opportunity to do this wonderful project on the topic ह िंदी साह त्य की विधाएँ .

Index 1 विधाएँक्या ै ? 2 नाटक 3 उपन्यास 4 कहानी 5 आलोचना 6 ननबंध 7 लघुकथा 8 रेखाचचत्र और संस्मरण 9 यात्रावत 10 ररपोतार

ववधाएँ क्या है? • विधा क्या ै?विधा का अर्य ै, ककस्म, िर्य या श्रेणी, अर्ायत विविध प्रकाि की िचनाओिं को उनके र्ण, धमों के आधाि पि अलर् किना | ह न्दी साह त्य में विधा शब्द का प्रयोर्, एक िर्यकािक के रूप में ककया जाता ै। विधाएँ अस्पष्ट श्रेणणयाँ ैं, इनकी कोई ननश्चचत सीमा िेखा न ीिं ोती; इनकी प चान समय के सार् क ु छ मान्यताओिं के आधाि पि ननर्मयत की जाती ै।विधाएँ कई ति की ोती ैं; उदा िण के र्लए - साह त्य की विधाएँ, र्द्य की विधाएिं, कविता की विधाएँ, काव्य आहद। साह त्य एििं भाषण विधा शब्द का प्रयोर् एक िर्यकािक के रूप में ककया जाता ै। ककन्तुसामान्य रूप से य ककसी भी कला के र्लये प्रय ुक्त ककया जासकता ै।विधाओिं की उपविधाएँ भी ोती ैं। उदा िण के र्लये म क ते ैंकक ननबन्ध, र्द्य की एक विधा ै। विधाएँ अस्पष्ट श्रेणीयाँ ैं औि इनकी कोई ननश्चचत सीमा िेखा न ीिं ोती। ये समय के सार् कुछ मान्यताओिं के आधाि पि इनकी प चान ननर्मयत ो जाती ै।

नाटक • नाटक ििंर्मचिं पि अर्भनय द्िािा प्रस्तत ु किने की दृश्ष्ट से र्लखी र्ई एक िचना ोती ै श्जसमें पात्रों एििं सिंिादों पि आधारित एक या एक से अधधक अिंक ोते ैं। नाटक िस्तत ु ः रूपक का एक भेद ै। रूप का आिोप ोने के कािण नाटक को रूपक भी क ा जाता ै। अर्भनय के समय नायक पि ककसी ऐनत ार्सक चरित्र जैसे दष् ु यिंत, कृ ष्ण, िाम, आहद पात्र का आिोप ककया जाता ै, इसीर्लए इसे रूपक क ते ैं। नट (अर्भनेता) से सम्बद्ध ोने के कािण इसे नाटक क ते ैं। नाटक में ऐनत ार्सक पात्र विशेष की शािीरिक ि मानर्सक अिस्र्ा का अन ु किण ककया जाता ै। नाटक शब्द अिंग्रेजी शब्द ड्रामा या प्ल का पयायय बन े र्या ै। ह दिं ी में मौर्लक नाटकों का आििंभ भाितेंदु रिचचद्रिं से माना जाता ै। द्वििेदी य ु र् में इसका अधधक विकास न ीिं ु आ। छायािाद य ु र् में जयशिंकि प्रसाद ने ऐनत ार्सक नाटकों के विकास में म त्िपण ू य योर्दान हदया।

उपन्यास • ह िंदी मेंउपन्यास शब्द का आविभायि सस्िं कृत के उपन्यस्त शब्द से ु आ ै। उपन्यास शब्द का शाश्ब्दक अर्य ैसामनेिखना । उपन्यास मेंप्रसादन अर्ायत प्रसन्न किनेका भाि भी ननह त ै। ककसी घटना को इस प्रकाि र्लखकि सामनेिखना कक उससेदसू िों को प्रसन्नता ो, उपन्यास क लाता ै। ककिंत ुइस अर्यमेंउपन्यास का प्रयोर् आजकल न ीिं ोता | ह िंदी मेंउपन्यास शब्द अिंग्रेजी नािेल का पयायय बन र्या ै। ह िंदी का प ला मौर्लक उपन्यास लाला श्रीननिास दास द्िािा र्लणखत पिीक्षा र्रु ु को माना जाता ै। मश ुिं ी प्रेमचिंद नेह िंदी उपन्यास को सामाश्जक-सामनयक जीिन सेसम्बद्ध किके एक नया मोड़ हदया र्ा। िेउपन्यास को मानि चरित्र का धचत्रण समझतेर्े। उनकी नजि मेंमानि चरित्र पि प्रकाश डालना औि उसके ि स्यों को खोलना ी उपन्यास का मल ू तत्ि ै।

कहानी • जीिन केककसी मार्मयक तथ्य को नाटकीय प्रभाि के सार् व्यक्त किनेिाली,अपने मेंप ू णयकलात्मक र्द्य विधा को क ानी क ा जाता ै। ह िंदी मेंमौर्लक क ाननयों का आििंभ सिस्िती पत्रत्रका के प्रकाशन के बाद ु आ। क ानी या आख्यानयका मािेदेश के र्लए नई चीज न ीिं ै। मािेप ुिाणों मेंभी र्शक्षा, नीनत एििं ास्य-प्रधान अनेक क ाननयािंउपलब्ध ैंककिंतु आध ु ननक साह त्य क ाननयों का उद्देचय औि र्शल्प उनसेर्भन्न ै। आध ु ननक क ानी जीिन के ककसी मार्मयक तथ्य को नाटकीय प्रभाि के सार् व्यक्त किनेिाली अपनेमेंप ू णय एक कलात्मक र्द्य विधा ै, जो पाठक को अपनी यर्ार्यपिता औि मनोिैज्ञाननकता के कािण ननश्चचत रूप सेप्रभावित किती ै।

आलोचना • आलोचना का शाश्ब्दक अर्य ैककसी िस्त ु को भली प्रकाि देखना। श्जस प्रकाि ककसी िस्तु को भली प्रकाि देखनेसेउसके र् ु ण दोष प्रकट ोते ैं, ठीक उसी ति ककसी साह श्त्यक िचना को भली प्रकाि देखकि उसके र् ु ण दोषों को प्रकट किना ी उसकी आलोचना किना क लाता ै. आलोचना केर्लए समीक्षा शब्द का भी प्रचलन ै। इसका भी लर्भर् य ी अर्य ै। ह िंदी मेंआलोचना अिंग्रेजी में किहटर्सज्म शब्द का पयायय बन र्या ै। ह िंदी मेंआध ु ननक पद्धनत की आलोचना का आििंभ भाितेंदु य ु र् ‘के बालक ृ ष्ण भट्ट औि बद्रीनािायण चौधिी ‘प्रेमघन’ द्िािा लाला श्रीननिास दास क ृत सिंयोधर्ता स्ियिंिि नाटक की आलोचना सेमाना जाता ै।

ननबंध • ननबिंध' सस्िं कृत भाषा का शब्द ै, श्जसका शाश्ब्दक अर्य ै 'सिंिाि कि सीना' ।प्राचीन काल में स्तर्लणखत ग्रिंर्ों को सिंिाि कि र्सया जाता र्ा औि इस प्रकियाको ननबिंध क ते र्े। धीिे-धीिे इस शब्द का प्रयोर् ग्रिंर् के र्लए ोने लर्ा िग्रिंर् श्जसमें विचािों को बािंधा जाता र्ा, ननबिंध क लाने लर्ा। ककिंत ु ह दिं ी में ननबिंध शब्द का अलर् ी अर्य ै।आज 'ननबिंध' अिंग्रेजी के 'एस्से' शब्द के अर्य मेंप्रय ुक्त ोता ै। इस प्रकाि ननबधिं मेंनये अर्य जुड़े ैंऔि अनािचयक अर्ों कात्यार्ुआ ै। फ्ािंर्सस बेकन ने 'एस्से' को 'डडस्पडय मैडडटेशन' अर्ायत्विखिेविचाि माना ै। इस धािणा के अनुसाि साह त्यकाि के मन में उठने िाले विचािोंका र्लणखत रूप 'एस्से' ै ।

लघ ु कथा • र्ल्प साह त्य के अनेक रूप ह िंदी मेंप्रचर्लत ैं, श्जनमेंसेएक ैलघ ु कर्ा । ऊपि सेदेखनेपि “लघ ु कर्ा” “शाटयस्टोिी” का अन ु िाद प्रतीत ोता ै, पि ह िंदी लघ ु कर्ा सेि ी ध्िनन न ीिंननकलती जो अिंग्रेजी “शाटयस्टोिी” से ननकलती ै। अिंग्रेजी मेंक ाननयों को उपन्यास की तु लना मेंआकाि की दृश्ष्ट से लघ ु ोनेके कािण “शाटयस्टोिी” क ा र्या, पि ह िंदी की “लघकर्ा ु ” क ानी से भी आकाि मेंछोटी ै..लघ ु कर्ा भाितीय साह त्य औि उसकी पििंपिा सेज ुड़ी ै। इसकेविकास मेंजातक कर्ाओिं, बोध कर्ाओिं, दृष्टािंतों आहद का योर्दान स्िीकाि ककया र्या ै। क ु छ लघ ु कर्ाकािों नेबौद्ध कर्ाओिंका उपयोर् आध ु ननक लघ ु कर्ा लेखन के र्लए ककया भी ै।

रेखाचचत्र और संस्मरण • िेखाधचत्र औि सिंस्मिण ह िंदी-साह त्य की निीन विधाएँ ैं। जब ककसी व्यश्क्त, िस्त, ु स्र्ान, घटना, दृचय आहद का इस प्रकाि िणयन ककया जाता ैकक पाठक के मन पिउसकाू-ब-ू धचत्र बन जाता ैतो उसेिेखाधचत्र क ते ैं। इस प्रकाि के िणयन में व्यश्क्त को बेलार् अर्ायत्तटस्र् ोना पड़ता ै। इसके विपिीत जब लेखक अपनेया ककसी अन्य व्यश्क्त के जीिन मेंबीती ककसी घटना अर्िा दृष्य का स्मिण कि उसका िणयन किता ैतो उसेसिंस्मिण क ते ैं। िेखाधचत्र मेंिणयन काू-ब-ू ोना आिचयक ैऔि सिंस्मिण मेंउसका स्मनृत के आधाि पि र्लखा जाना एक अन्य बात य भी ै कक िेखाधचत्र मेंलेखक का िणणयत घटना, व्यश्क्त आहद के सार् ननजी सिंबिंध ोना आिचयक न ीिं ै, जबकक सिंस्मिण के र्लए य आिचयक ै। सिंस्मिण र्लखनेके र्लए य जरूिी ैकक लेखक का िणणयत व्यश्क्त, घटना आहद के सार् व्यश्क्तर्त सिंबिंध ि ा ो ।

यात्रावत • जब लेखक अपनी यात्रा के दौिान देखेर्येस्र्ानों का िणयन किता ैतो उसेयात्राित्तृ या यात्रा- साह त्य क ते ैं। लेखक कययविषय का िणयन आत्मीयता तर्ा ननजता के सार् किता ै. श्जस विषय कि ि िणयन किता ैउसके सार्उसका जु डाि ोता ैतर्ा उसके अपनेजीिन सिंदभयभी उसमेंआते ै। आत्मीयता तर्ा ननजता का य र्ु ण ननबिंध-शैली की भी विशेषता ै, इसर्लए य क ा जा सकता ैकक यात्राक ृत की िणयन-प्रकिया ननबिंध की सी ोती ैं। कििभी यात्राित्तृ ननबिंध न ीिं ै, क्योंकक इसमेंश्जस ककसी विषय का समािेश न ीिं ो सकता. इसमेंतो यात्रा के दौिान देखेर्येस्र्ानों का िणयन ी अपेक्षक्षत ै।

ररपोतार रिपताजय' फ्ें च भाषा का शब्द ै तर्ा अिंग्रेजी के 'रिपोटय' शब्द से इसका घननष्ठ सिंबिंध ै। ककसी घटना के यर्ातथ्य विििण को 'रिपोटय' क ते ैं जो प्रायः समाचािपत्रों के र्लए र्लखी जाती ै। रिपोटयके साह श्त्यक औि कलात्मक रूप को म रिपताजय' क सकते ैं ।'रिपोटय' का लेखक रिपोता में य ुद्ध, म ामािी, अकाल, माड़ आहद के दष् ु परिणामों का आ ँ खों-देखा समाचाि िणणतय किता ैपि उसका उद्देचय सू चना देना- भि न ीिं ोता। इसके पीछे उसकी एक विशषे दृश्ष्ट ोती ै। लेखक का म ु ख्य उद्देचय म ामािी, बाब ू, अकाल आहद से उत्पन्न विषम श्स्र्नतयों से लाभ उठाने िाले म ु नािाखोिों पि व्यिंग्य किना ोता ै
Tags