DeepaliSingh912552
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Jun 03, 2022
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इस Article में Lichen in Hindi ( लाइकेन क्या है ? ) के बारे में पढ़ेंगे। इसके अतिरिक्त इसमें Symptoms of lichen in Hindi (लाइकेन के लक्षण )
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Added: Jun 03, 2022
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Lichen in Hindi ( लाइकेन क्या है ? ) इस Article में Lichen in Hindi ( लाइकेन क्या है ? ) के बारे में पढ़ेंगे। इसके अतिरिक्त इसमें Symptoms of lichen in Hindi ( लाइकेन के लक्षण ), Classification of lichen in Hindi ( लाइकेन का वर्गीकरण ), Types of Lichen in Hindi ( लाइकेन के प्रकार ), Reproduction in Lichen in Hindi ( लाइकेन में प्रजन ), Importance of Lichen in Hindi ( लाइकेन के महत्व ) आदि पढ़ेंगे । What is Lichen in Hindi ( लाइकेन क्या है?) प्रकृति में कई ऐसे पौधे भी मिलते हैं जिनमें दो अलग प्रकार के पौधे परस्पर आपस में घ
Symptoms of lichen in Hindi ( लाइकेन के लक्षण ) लाइकेन पूरे विश्व में पाए जाते हैं। ये विभिन्न स्थानों जैसे- पेड़ों के तनों, दीवारों, चट्टानों व मिट्टी आदि पर पाए जाते हैं। समुद्र के किनारों से लेकर पहाड़ों के ऊचें शिखर पर भी ये देखने को मिलते हैं। लाइकेन विभिन्न प्रकार के आधारों पर उगे हुए पाए जाते हैं। जैसे कि वृक्षों की पत्तियों एवं छाल, प्राचीन दीवारों, भूतल, चट्टानों आदि में ये प्रायः पाये जाते हैं। ये समान्यतः सफ़ेद रंग के होते हैं, परन्तु कभी-कभी ये लाल, नारंगी, बैंगनी, नीले एवं भूरे तथा अन्य रंगों के भी पाए जाते हैं। इनके बढ़ने की गति धीमी होती है।
Classification of lichen in Hindi ( लाइकेन का वर्गीकरण ) अलग-अलग वर्ग के पौधें का समूह होने के कारण लाइकेन के वर्गीकरण के बारे में मतभेद है। बैसी तथा मार्टिन नामक वैज्ञानिकों के अनुसार,“इसे कवक के साथ समूह यूमाइकोफाइटा में रखा जाना चाहिए”। प्रसिद्ध वनस्पति शास्त्री बोल्ड ने इसे नया समूह माइक्रोफाइकोफाइटा नाम दिया। इस नाम से पौधे की रचना का सही पता चलता है कि इसकी रचना में शैवाल तथा कवक दोनों सम्मिलित हैं। स्मिथ ने तो इसे अलग समूह लाइकेन में ही रखा। बैसी तथा मार्टिन नामक वैज्ञानिकों के अनुसार,
Types of Lichen in Hindi ( लाइकेन के प्रकार ) लाइकेन के पूरे thailus में यदि शैवाल की कोशिकाएँ बिखरी रहती हैं तो लाइकेन होमीयोमीरम कहते है यदि शैवाल की कोशिकाएँ निश्चित पर्त में होती है तो सूकाय हेटरोमीरम कहते है| लाइकेन को उसके बाह्य आकारिकी के और संरचना के आधार पर तीन वर्गों में विभाजित किया गया है :- क्रस्टोस ( Crustose) फोलिओज ( Foliose) फ्रूटीकोज ( Fruticose) क्रस्टोस ( Crustose)
जिसमें थैलस चपटा तथा आधार लम्बा होता है और आधार के साथ पूरी तरह से चिपका रहता है। अधिकांश क्रस्ट्रोज लाइकेन का थैलस चमड़े जैसा होता है| उदाहरण:- ग्रेफिस, वेरुकेरिया, हिमेटोमा आदि इसके उदाहरण हैं। फोलिओज ( Foliose) जिसमें थैलस पत्तियों के समान दिखता है। उदाहरण :-गायरोफोरा, पेल्टीजिरा ( Peltigera ), परमीलिया ( Permelia ) फ्रूटीकोज ( Fruticose) जिसमें थैलस बहुत विकसित व शाखा युक्त होता है और जनन अंग उपस्थित होता है। इसकी कुछ शाखाएँ सीधी होती हैं, तथा कुछ शाखाएँ लटकी हुई होती हैं। उदाहरण :- इवरनिया, असनिया आदि इसी के अन्तर्गत आते हैं।
Importance of Lichen in Hindi ( लाइकेन के महत्व ) लाइकेन मृदा निर्माण ( soil formation) में बहुत सहायक होते हैं। अनेक लाइकेन खाद्य पदार्थ के रूप में प्रयोग किए जाते हैं। जैसे -ध्रुव प्रदेशो में, आर्कटिक ( Arctic) में रेन्डियर मॉस ( Reindeer moss) या क्लेडोनिया ( caledonia ) को भोजन के रूप में प्रयोग किया जाता है। आइसलैंड मॉस ( iceland moss) स्वीडन, नार्वे तथा आइसलैंड जैसे यूरोपीय देशों में केक बनाने के लिए उपयोग में लाया जाता है। दक्षिण भारत में परमेलिया ( Permelia ) सालन ( Curry) बनाने में उपयोग आता है। आर्चिल ( OrchiI ), लेकनोरा ( Lecanora ) लाइकेन से नीला रंग प्राप्त किया जाता है। प्रयोगशाला में प्रयोग करने के लिए लिटमस पेपर रोसेला ( Rocella ) नामक लाइकेन से प्राप्त किया जाता है। लोबेरिया पल्मोनेरिया ( Lobaria Pulmonaria) तथा कुछ अन्य लाइकेन सुगन्ध के रूप में प्रयोग किये जाते हैं| इरबेनिया ( Ervenia ) रेमेनिला ( Ramanila ) आदि लाइकेन से इत्र ( Perfurmes ) बनाया जाता है। मिरगी ( Epilepsi ) रोग की औषधि बनाने में परमेलिया सेक्सटिलिस ( Permelia sextilis ) का उपयोग किया जाता है। डायरिया, हाइड्रोफोबिया, पीलिया, काली खाँसी आदि रोगों में उपयोगी विभिन्न प्रकार की औषधियाँ लाइकेन से बनायी जाती हैं। Also Read – Hibernation And Aestivation In Hindi ( शीतकालीन निष्क्रियता और ग्रीष्मकालीन निष्क्रियता )