Sant Kabir Notes in Hindi for Competitive Exams

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About This Presentation

Sant Kabir Notes in Hindi for Competitive Exams


Slide Content

संत कबीरदास से सम्बंधधत सभी महत्वपूर्ण जानकारी
Highlights:

 उनका जन्म धवक्रम सम्वत 1455 सन और 1398 ई० में
 धनधन- संवत 1575 सन1518 ई० में
 कबीर- ज्ञानमागी शाखा के महान संत, समाज सुधारक कवी थे
 उनके गुरु का नाम रामानंद
 कबीर एक अरबी शब्द है धजसका अथण है महान या श्रेष्ठ
 कबीर धसकंदर लोदी के समकालीन थे
 मुधललम परम्परा में शेख तुकी को कबीर का गुरु माना जाता है
 प्रमार्ों के अनुसार कबीर के सवणमान्य गुरु रामानंद माने जाते है
 सवणप्रथम कबीर की बाधनयों का प्राचीनतम नमूना गुरु ग्रन्थ साधहब में धमलता है
 कबीरदास की बाधनयों का संकलन कबीर के धशष्य धमणदास ने बीजक में ककया है
 कबीर हहदी के सवणप्रथम रहलयवादी कवी है
 कबीर ने धनराकार ईश्वर को पाने के धलए ज्ञानमागण तथा योग साधना को महत्वपूर्ण माना है
 कबीर की भाषा- पूवी जनपद की भाषा, सधुक्कड़ी भाषा
 कबीर की रचनाओ में प्रयोग ककये गए शब्द- अरबी, फारसी, पंजाबी, बुन्देलखंडी, ब्रजभाषा, खड़ी बोली
 आचायण रामचंद्र शुक्ल के धवचार कबीर के प्रधत :-
o “इसमें कोई संदेह नहीं है की कबीर ने ठीक मौके पर जनता के उस बड़े भाग को संभाला जो नाथ पंधथयों
के प्रभाव से प्रेम भाव और भधि रस से शुष्क व शून्य पड़ता जा रहा था”
o “कबीर की भाषा बहुत पररष्कृत न होने पर भी कबीर की उधियो में कही-कही धवलक्षर् प्रयोग देखने को
धमलता है”
o “प्रधतभा उनके प्रखर थी इसमें कोई संदेह नहीं की कबीर ने अपनी झाड फटकार के द्वारा धहन्दू और
मुसलमानों का कट्टरपन दूर करने का जो प्रयास ककया है वह अधधकतर धचड़ाने वाला धसद्ध हुआ हदय को
लपशण करने वाला नहीं”
o “रामचंद्र शुक्ल ने कबीर के साधहत्य में प्रयुि भाषा को सधुक्कड़ी कहा है”
 “श्यामसुंदर दास ने कबीर के साधहत्य में प्रयुि भाषा को पंचमेल धखचड़ी कहा है”
 “डा० हजारी प्रसाद धद्ववेदी ने कबीर की भाषा को धडक्टेटर कहा था”
o “वे धसर से पैर तक मलतमौला थे, बेपरवाह, कद्रड, उग्र, कुसुमादती कोमल वज्रादधप कठोर”
o “कबीर पहुचे हुए ज्ञानी थे उनका ज्ञान कोधडयों से चुरायी हुई सामग्री नहीं था न ही वह सुनी सुनाई बातों
का बेमेल भंडार था”
 “बच्चन हसह ने कबीर की भाषा को संतभाषा कहा है”

कबीरदास जी पर धलखे गए ग्रन्थ
ग्रन्थ लेखक
कबीर हजारी प्रसाद धद्ववेदी
कबीर का रहलयवाद/ संतकबीर डा० रामकुमार वमाण
कबीर ग्रंथावली डा० श्याम सुन्दर दास
कबीर वचनावली अयोध्या हसह उपाध्याय
कबीरबाज: कपोत भी और पपीहा भी धमणवीर भारती
कबीर की प्रमुख पंधिया
 भीजे चुनररया प्रेम रस बूंदन
 सपने में साईं धमले सोवती लई जगाय
 तुम धबन जानो गीत है यह धनज ब्रह्म धवचार
 मै कहता आँधखन की देधख, तू कहता कागज की लेखी
 “ऊँ चे कुल का जनधमया, जे करनी ऊँ च हुई| सुबरन कलस सूरा भरा, साधू हनदा सोई

कबीर की रचनाएँ –साखी, सबद, रमैनी
साखी –गुरुवचन और संसार के व्यावहाररक ज्ञान देने वाली रचना
सबद –गेय पद भाषा – ब्रजभाषा
रमैनी –पद शैली में धसद्धांतो का धववेचन भाषा – ब्रजभाषा

कु छ महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
1. कबीर ककस शैली के प्रयोिा थे ?
a) सलूट बांसी शैली b) उलट बांसी शैली c) कपट बांसी शैली लूट d) सपाट बांसी सैली
Ans. b

2. कबीर की रचनाये ककन-ककन में संगृहीत है –
a) कबीर ग्रंथावली, साखी, गुरु ग्रन्थ b) कबीर ग्रंथावली, शब्द, गुरु ग्रन्थ
c) कहर ग्रंथावली, कबीर ग्रंथावली, बीजक d) कबीर ग्रंथावली, बीजक, गुरु ग्रन्थ
Ans. d

3. कबीर दास ने ककस प्रकार का प्रचार- प्रसार ककया था ?
a) धार्ममकता b) भधि मागण का c)साम्प्रदाधयक सद्भाव का d) नेकी का
Ans. c

4. कबीर की सधखयाँ ककस शैली में धलखी गयी है ?
a) प्रतीकात्मक b) व्यधिकात्मक c) लोकाकात्मक d) धवकारातामक
Ans. a

5. „काबा कफरर कासी भया, रामहह भया रहीम‟ इन पंधियों में कबीर ने ककस दृधिकोर् को अधभव्यि ककया है ?
a) धजव की मन धलतधथ का b) भ्रम में पड़े हुए धजव का
c) ईश्वर प्राधि में भटकाव का d) ईश्वर प्राधि का
Ans. b

6 .“ऊँ चे कुल का जनधमया, जे करनी ऊँ च हुई| सुबरन कलस सूरा भरा, साधू हनदा सोई” कबीर के अनुसार ककसी
व्यधि की पहचान ककससे होती है ?
a) उसके ज्ञान से b) उसके श्रेष्ठ कमण से c) उसके भाव से d) उसके पररवार से
Ans. b




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