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TanishSaifi 99 views 5 slides Sep 12, 2021
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History of Akbar in hindi


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TS HISTORICAL
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Akbar History in Hindi | अकबर का पूरा इ￸तहास
 1 hour ago Tanishsai51
Akbar-History-in-Hindi-अकबर- का- पूरा- इ￸तहास
जलाल-उीन-मुहमद अकबर (Jalal-ud-din-
Muhammad Akbar)
पूरा नाम – Abul-fath Jalal-ud-din
Muhammad Akbar (अबुल-फ़त जलाल-
उद-दीन मुहमद अकबर)
जम – 5 अटूबर 1542, उमरकोट
मृयु – 27 अटूबर 1605, फ़तेहपुर ■सकरी
पनी – मरयम-उज़-जमानी
सलीमा सुतान बेगम
माता-िपता – हमीदा बानु बेगम, हुमायूँ
औलाद – हसन िमज़ा
हुसैन िमज़ा
जहाँगीर
खानुम सुतान बेगम
मुराद िमज़ा
दािनयाल िमज़ा
शकर-उन-िनसा बेगम
आराम बानू बेगम
शस-उन-िनसा बेगम
मािह बेगम
सााय – Mughal Empire (मुग़ल सतनत)
शासन –  11 February 1556 – 27 October
1605
कगाह – ■सकंदरा, आगरा, उर देश
TS HISTORICAL
Akbar The Great : जलालुीन मोहमद अकबर मुग़ल सतनत के तीसरे सुतान थे उह मुगल
िहटी का सबसे महान राजा माना जाता है। भारत देश म मुगल सतनत क बुिनयाद भले ही अकबर
के दादा यानी जही?ीन बाबर ने रखी थी लेिकन मुग़ल सतनत क नव को मजबूत करने वाले
इंसान का नाम जलालुीन मुहमद अकबर है। अकबर ने अपनी बहादुरी और हो￱शयार से मुग़ल
सतनत को आधे से यादा हदुतान पर फैला िदया था और अपने मरने से पहले इस कािबल बना
िदया था िक उसक आने वाली नल? ने िहदूतान पर बहुत लबे समय तक राज िकया था। अकबर
अपने दौर मे अपनी सतनत के लया देवता बन गया था। लोग उस के दरबार म आकर मते मांगा
करते थे और उसके सामने सर झुकाया करते थे। यहां तक िक वो अपनी सतनत म रहने वाले लोग?
क नजर? म इतना बाइत और कमती हो चुका था िक उसने अपना ही एक अलग धम बना िदया था
और इन तमाम चीज? क वजह से ही उसका नाम हमेशा हमेशा के लए (Akbar The Great)
अकबर-द-ेट पड़ गया था।
अकबर का जीवन परचय: अकबर का पूरा नाम Abul-fath Jalal-ud-din Muhammad
Akbar (अबुल-फ़त जलाल-उद-दीन मुहमद अकबर) था। अकबर का जम 15 अटूबर 1542 को
उमरकोट के इलाके म उस व हुआ था जब अकबर के वालद नसी?ीन हुमायूँ शेरशाह सूरी के हाथ?
अपनी िदी सतनत गवाहने के बाद जंगल? म भटक रहे थे य?िक हुमायूँ उस दौर म जंगल? म भटका
करते थे। इसी वजह से अकबर क परवरश अकबर के चाचा कामरान िमजा ने क थी जो िक काबुल
इलाके के गवनर हुआ करते थे अकबर के बारे म यादातर इ￸तहासकार यह मानते ह िक बचपन से ही
अकबर बहुत ज़हीन और तेज़ थे लेिकन उनको पढ़ने लखने का जरा भी शौक नह था पढाई-लखाई
से वह हमेशा ही दूर भागा करते थे लेिकन हो￱शयार इतने थे क उह?ने 10 साल क छोटी सी उ से
भी पहले ही तलवारबाजी, िनजाबाजी, घुड़सवारी जैसी चीज बहुत अछी तरह से सीख ली थी छोटी
सी उ म ही वह अपने से बड़े बड़े उ के लोग? को कुती म चैलज िकया करता था और हैरानी क बात
तो यह है िक बड़े-बड़े लोग? को भी अकबर इतनी कम उ म हरा िदया करता था आखरकार 1555
ई० म हुमायूँ ने सूरी खानदान से अपनी िदी सतनत को दोबारा से छीन लया था ■जस व हुमायूँ ने
अपनी िदी सतनत को दोबारा हा■सल िकया उस व अकबर क उ ■सफ 13 साल थी 1 साल
बाद ही हुमायूं क अपनी लाइेरी क सीिढ़य? से िगरकर मौत हो गई।
■जस वत हुमायूँ क मौत हुई उस व अकबर क उ
■सफ 14 साल थी हुमायूँ क मौत के बाद मुग़ल दरबार म
रहने वाले लोग? को यह डर सताने लगा था क कही मुग़ल
सतनत म बगावत न हो जाये और ये डर सच सािबत हुआ।
धीरे-धीरे जगह-जगह से बगावत उठना शु? हो गई। हुमायूँ
का एक बहुत वफादार दोत था ■जसका नाम बैरम खान
था ■जसने वत को भांपते हुए एक सही फैसला लया और
हुमायूँ के ■सफ 14 साल के बेटे अकबर को (11
february 1556)ई० को सुतान घोिषत कर िदया। भले
ही अकबर को खतरे को देखते हुए सुतान घोिषत कर
िदया गया था लेिकन अकबर अभी ना समझ था इसी वजह
से सुतान भले ही अकबर बन चुका था लेिकन पूरी
सतनत को बैरम खान ही चलाया करता था और
सतनत का हर हुकुम बैरम खान ही जारी िकया करता था लेिकन बगावत के ■जस खतरे को देखते हुए
बैरम खान ने एक छोटी सी उ के अकबर को सुतान बना िदया था वो खतरा अकबर के सुतान बनने
के बाद भी नह टला।
Second battle of panipat | पानीपत का दूसरा युBattles Empires History Mughal Empire tomb TS HISTORICAL

Bairam Khan
Hemu
PaniPat Second Battle : सूरी सतनत क ■जसे चंद िदन पहले ही हुमायूँ ने अपनी सतनत को
वापस छीना था उसी सतनत के एक हदू ■सपाह-सालार ■जसका नाम हेमू था उसने बगावत कर दी
और वो अपनी पूरी फौज लेकर िदी क तरफ रवाना हुआ और दूसरी तरफ बैरम खान को जब इस
बात क खबर हुई िक वो अपनी बड़ी फौज लेकर हमारी सतनत क तरफ रवाना हो गया है तो वह भी
अपनी फौज लेकर िदी से रवाना हो गया दोन? का आमना-सामना पानीपत के इ￸तहा■सक मैदान म
हुआ और बहुत जबरदत जुंग हुई, शु? म तो ऐसा महसूस होने लगा था िक हेमू क फौज मुग़ल फौज
को बड़ी आसानी से ही हरा देगी लेिकन पर अचानक से मुगलो क तरफ से चलाया हुआ एक तीर
डायरेट हेमू के ■जम पर जाकर लगा ■जसक वजह से हेमू क मौत हो गई। हेमू के ■सपािहय? को जब
इस बात क खबर हुई के हेमू क मौत हो चुक है तो उह?ने पीठ िदखाकर भागना शु? कर िदया और
इस तरह से बैरम खान क ■सपहसालार म मुगल सतनत क फौज को जीत हा■सल हुई। कहा जाता है
िक ■जस तीर से हेमु क मौत हुई थी वह तीर अकबर ने ही चलाया था।
Bairam Khan क मौत कैसे हुई
1556 से लेकर 1560 तक यानी तकरीबन 4 साल तक अकबर भले ही शहंशाह क गी पर बैठा रहा लेिकन पूरी
संतलत को बैरम खान ह चलाता रहा लेिकन जब धीरे-धीरे अकबर क उ 17-18 वष क हुई और अकबर समझदार
हुआ तो अकबर को ये महसूस होने लगा िक बैरम खान मुझे गलत तरीके से कंटोल करने क को￱शश कर रहा है य?िक
बैरम खान ऐसे बहुत सारे फैसले खुद जारी कर िदया करता था ■जस पर अकबर राजी नह हुआ करता था और जािहर है
िक अब अकबर समझदार हो चुका था इसलए वह भी चुप बैठने वाला नह था। बैरम खान क तरफ से पानी सर से ऊपर
जा चुका है और इसलए अकबर ने बैरम खान को चुका था लेिकन वो बैरम खान क बहुत इत िकया करता था और
बैरम खान को बाबा कहकर बुलाता था। अकबर ने जब बे?म खान को वज़ीर-ए-आज़म क पद से हटा िदया और बैरम
खान को बहुत सारा मालो-दौलत देकर यह मशवरा िदया िक आप हज करने चले जाएं य?िक भले ही अकबर ■सयासी
मामले म बैरम खान से मुखालफ हो चुका था लेिकन वो बैरम खान क बहुत इत िकया करता था और बैरम खान को
बाबा कहकर बुलाता था। अकबर ने जब बे?म खान को वज़ीर-ए-आज़म के ओहदे से हटा िदया था तो यह बात बे?म
खान को बहुत बुरी लगी वह सोचता था िक अकबर अभी भी नादान है इसी वजह से उसने यह फैसला लया है और िफर
बे?म खान ने अकबर के खलाफ बगावत कर दी लेिकन य?िक अकबर अब बहुत समझदार और हो￱शयार हो चुका था तो उसने चंद लह? म ही बैरम खान को
￱शकत दे दी। अकबर के ■सपाही बैरम खान को पकड़कर उनके सामने ले आये और अकबर बैरम खान क बहुत इत िकया करता था तो इसीलए अकबर ने
दोबारा बगावत करने के बावजूद भी बैरम खान के खलाफ कोई भी हुकुम जारी नह िकया। बक उनको इत के साथ िबठाकर दोबारा मशवरा िदया और कहा
िक मेहरबानी करके हज करने चले जाएं इस बार बैरम खान हज करने के लए रवाना हो गए लेिकन कहा जाता है िक 31 जनवरी 1561 को गुजरात के राते से
जाते हुए मुबारक खान लोहानी क लीडर￱शप म अफगान? के एक ुप ने अनिहलवाड़ पाटन के पास बैरम खान पर हमला कर िदया अफ़ग़ािनओ के हमला करने
के पीछे क वजह ये बताई जाती है क उनके िपता 1555 म माछीवाड़ा क लड़ाई म मुगल? से लड़ते हुए मारे गए थे। और इसलए अफगानो ने बैरम खान क
हया करके अपना इतेक़ाम लया था।
Din-i Ilahi | दीन-ए इलाही
अकबर ■जतना बहादुर था उससे कह यादा हो￱शयार था और यही वजह थी िक
वह अपने दुमन को मैदान म हराने क बजाय उसे िदमागी तौर पर हराने को यादा
तरजी िदया करता था उसने हदुतान क यादातर इलाके अपनी ताकत के जरए
से ही जीत लए थे ■जन इलाक? के बारे म उसे ये महसूस होता था िक वह उनको
ताकत के तरीके से नह जीत सकता है उन तमाम इलाक? को उसने ■सयासत के
जरए से जीत लया था उसने राजपूत? क एक बेटी जोधाबाई से शादी कर ली थी।
■जसक वजह से महाराणा ताप के अलावा हदुतान के तमाम राजपूत? ने अकबर
क बादशाहत को कबूल कर लया था अकबर ने अपने महल? म गैर मुलम? को
बहुत बड़े बड़े पद दे रखे थे उसक सतनत के दौर म उसके महल म बड़ी बड़ी पोट
पर हदू लोग बैठे हुए थे यहां तक िक अकबर िक वह टीम ■जसे नवरन के नाम से
जाना जाता है यानी ■जसम 9 वजीर थे उनम भी तकरीबन 3 लोग हदू थे ■जनम से
एक का नाम बीरबल एक का नाम मान↓सह और एक का नाम राजा टोडरमल था
कहा जाता है िक अकबर कोई भी बड़ा कदम उठाने से पहले अपने टीम के इह 9
लोग? से मशवरा लया करता था और वो लोग भी हमेशा ही अकबर के साथ जुड़े
रहते थे।

बैरम खान क मौत के बाद जब अकबर सतनत चलाने के लए पूरी तरह से आजाद हुआ तो अकबर ने अपने नवरन म से एक वजीर ■जसका नाम अबुल फजल
था उससे मशवरा कर के एक नए िदन क थापना क ■जसका नाम Din-i Ilahi | दीन-ए इलाही था। अकबर का यह मानना था िक हर मजहब म कोई न कोई
अछी बात ज?र है तो इसीलए य? ना हर मजहब क कुछ कुछ अछी बात? को िनकाल कर एक नया मजहब तैयार िकया ■जसके जरए तमाम मजहबी झगड़े
भी खम हो जाएंगे अकबर ने इसी सोच को मेनजर रखते हुए िदन-ए-इलाही नाम के ने एक नये मजहब को तैयार िकया इस मजहब म इलाम के साथ-साथ और
दूसरे मजहब क बहुत सारी चीज? को भी शािमल िकया गया था ■जसे अकबर अछा मानता था अकबर के इस मजहब को सबसे पहले बीरबल और अबू फज़ल ने
ही कुबूल िकया था लेिकन अकबर के इस मजहब को हदुतान म रहने वाले लोग? ने पसंद नह िकया था अकबर के दौर मे हदू धम से तालुक रखने वाले लोग
अकबर को बहुत यादा अछा मानने लगे थे बहुत से लोग अकबर क पूजा िकया करते थे और अकबर के दरबार के बाहर लोग मत मांगने आया करते थे
य?िक अकबर का यह नजरया था िक हर मजहब म अछाई और बुराई दोन? चीज होती ह इसीलए वो ईसाइयो के साथ भी पूजा िकया करता था और हदुओं
के साथ भी पूजा िकया करता था और मुसलमान? के साथ मजद म नमाज भी अदा िकया करता था।
Battle of Haldighati | हदीघाटी का यु
Haldighati ka yudh: महाराणा ताप के अलावा हदुतान के तमाम राजपूत? ने अकबर क बहादुरी और हो￱शयारी देखते हुए अकबर क बादशाहत को
कुबूल कर लया था लेिकन महाराणा ताप एक ऐसे राजा थे जो आखर तक अकबर को बादशाह मानने के लए तैयार नह थे भले ही महाराणा ताप अकबर
के खलाफ कामयाब नह हो पाए लेिकन वह अपनी आखरी ↓जदगी तक अकबर के खलाफ लड़ते रहे ■जससे यकनन उनक बहादुरी सािबत होती है।
आज बहुत से लोग हदीघाटी के यु को हदू vs मुलम के तौर पर देखते ह
लेिकन साई इसके िबलकुल उलट है आपको जानकर शायद थोड़ी हैरानी होगी
िक ■जस व महाराणा ताप क मुगल? से जंग हुई थी उस व फौज म अकबर खुद
मौजूद नह थे अकबर क फौज को उस व अकबर क 9 खास वज़ीरो म से एक
वज़ीर ■जसका नाम मान↓सह था वह लीड कर रहा था जो एक हदू था इससे से यह
बात तो ियर हो जाती है िक इस जंग म दोन? फौ■जय? के कमांडर हदू ही थे ■जससे
हदू vs मुलम का तो सवाल ही पैदा ही नह होता और दूसरी हैरानी क बात यह है
िक जहां एक तरफ मुग़लो क फौज मे बहुत सारे हदू मौजूद थे जो महाराणा ताप
के खलाफ लड़ रहे थे तो वह दूसरी तरफ महाराणा ताप क फौज म भी बहुत से
मुलम मौजूद थे बक महाराणा ताप क फौज म तो हकम खान सूर जैसे बड़े-
बड़े मुलम सरदार भी मौजूद थे जो इस बात को सािबत करते ह िक यह लड़ाई हदू
vs मुलम क नह थी लेिकन अगर बात क जाए इस लड़ाई के नतीजे के बारे म तो ये लड़ाई मान↓सह यानी मुग़ल फ़ौज़ ने जीत ली थी और महाराणा ताप क
इस जंग म हार हुई थी और इस हार के साथ ही मुग़लो के राते क सबसे बड़ी ?कावट यानी महाराणा ताप भी हट चुका था।
Akbarnama | अकबरनामा
अकबरनामा, या द बुक ऑफ अकबर, अकबर के शासनकाल का इ￸तहास है, तीसरा मुगल साट,■जसे खुद अकबर ने
बनवाया था और इसे दरबारी इ￸तहासकार और जीवनी लेखक अबुल-फजल इन मुबारक ने लखा था। अकबरनामा
का पहला शद अकबर के जम, तैमूर क पारवारक इ￸तहास ,बाबर और हुमायूँ के शासनकाल और िदी के सूरी
सुतान? के बारे म है। दूसरा खंड 1602 के बाद से अकबर के शासनकाल के साथ-साथ उसके पूरे शासनकाल म हुई
घटनाओं के बारे मे बताता है।
Death of Akbar | अकबर क मौत कैसे हुई | Tomb of Akbar
मुगल साट अकबर क मृयु 27 अटूबर, 1605 को हुई थी। महान मुगल बादशाह अकबर क उनके 63व जमिदन के दस िदन बाद उनक राजधानी आगरा म
पे￸चश से मृयु हो गई थी। अकबर को ■सकंदरा (आगरा) के मकबरे म दफनाया गया था।
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