yoga definitions and meaning from old indian scriptures
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Added: Sep 10, 2014
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योग – अर्थ और परिभाषा
योग शब्द का अर्थ योग की उत्पत्ति संस्कृत शब्द ‘युज’ से हुई है । उसका अर्थ जोड़ना, संयोग, इकट्ठा करना होता है ।
जीवात्म परमात्म संयोगो योगः । आत्मा का परमात्मा से जो संयोग होता है उसे योग कहते है | योग की परिभाषा
‘ योगेनात्मदर्शन म् ’ । सतत आत्मा का दर्शन करने को ही योग कहते है | योग की परिभाषा
समत्वं योग उच्यते । (2-48) सम भाव में जब बुद्धि ठहरती है उसे योग कहते है | गीता में योग की परिभाषा
योगः कर्मसु कौशलम् । ( 2-50) कर्म करने की कुशलता को योग कहते है | गीता में योग की परिभाषा
योगो भवति दु:खहा । ( 6-17) दुःख के नाश को योग कहते है | गीता में योग की परिभाषा
‘योगश्चित्तवृत्ति निरोध:’ । ( 1-2 ) चित्त में जब वृत्तिओं का निर्माण होना बंद होता है उसे योग कहते है | पा तंजल यो ग सू त्र
मन: प्रशमन उपाय: इति योग: । मन को शांत करने का उपाय यदि हमें आ जाये तो उसे योग कहते है | योग वासिष्ठ
संसारोत्तरणे युक्तिर्योगशब्देन कथ्यते । संसार में रहते भी उसे पार करने अगर शिख लेते है तो उसे योग कहते है | योग वासिष्ठ
तां योगमिती मन्यन्ते स्थिरमिन्द्रिय धारणाम । ईन्द्रिया ँ , मन और बु द्धि की स्थि र अव स्था को ही योग कहते है | ( कठोपनिषद )
योग : समाधि । समाधि अवस्था प्राप्त करने को योग कहते है | (व्यास भाष्य )
योगेन योग: ज्ञातव्य : । योग को योग से ही जाना जा सकता है | साधन भी योग है साध्य भी योग है | (व्यास भाष्य )
स्वामी सत्यानंद सरस्वती Yoga is usually defined as union, union between the limited self ( jiva ) and cosmic self (Atman) actually speaking, we are not separated from cosmic consciousness. We actually are cosmic consciousness. So we can say that yoga is not really union it is in fact realization of the union already existing.
स्वामी निरंजनानंद सरस्वती Three ‘A’ s of English Alphabet A wareness A cceptance A ttitude