शिक्षाप्रद बच्चों की कहानियां - रामू और पत्थर by Kahanizone
kahanizoneinfo
40 views
1 slides
Apr 23, 2025
Slide 1 of 1
1
About This Presentation
एक बार की बात हैं, रामू को उसके पापा ने एक पत्थर देते हुए कहा- “इस पत्थर को लेकर बाजार में जाओ और कोई तुमसे इसे खरीदने �...
एक बार की बात हैं, रामू को उसके पापा ने एक पत्थर देते हुए कहा- “इस पत्थर को लेकर बाजार में जाओ और कोई तुमसे इसे खरीदने के लिए बोले तो तुम अपनी दो उँगलियाँ उठा देना।” अगली सुबह रामू वही पत्थर लेकर बाजार गया वहाँ पर एक बूढ़ी औरत ने उस पत्थर का दाम पूँछा तो रामू ने अपने दो अंगुलियाँ दिखा दिया। बूढ़ी औरत ने बोला मुझे दे दो मै 200 रुपये दे दूँगी। रामू तुरंत भाग कर अपने पापा के पास गया और बूढ़ी औरत की बात बता दी।
अब उस बच्चे के पापा ने रामू को फिर वही पत्थर लेकर एक संग्रहालय में जाने को बोला। रामू पत्थर लेकर संग्रहालय पहुँच गया जहाँ पर एक व्यक्ति ने रामू से पत्थर की कीमत पूछी, रामू ने अपनी दो उँगलियों को दिखाया। वह व्यक्ति 2000 रुपये देने के लिए तैयार हो गया। रामू तुरंत भाग कर अपने पापा के पास गया और सारी बातें बता दी। इस बार रामू के पापा ने वही पत्थर लेकर एक सुनार की दुकान पर जाने के लिए कहा।
रामू वही पत्थर लेकर एक सुनार की दुकान पर पहुँचा। सुनार ने दूर से देख कर बोला, “इस पत्थर की खोज में, मैं कब से था, लाओ यह पत्थर मुझे दे दो।” इस पत्थर के कितने पैसे लोगे। रामू ने दो उँगलियाँ दिखा दी। सुनार ने कहा- दो लाख, “मैं देने को तैयार हूँ लाओ दो मुझे”। रामू तुरंत अपने पापा के पास वपास गया और सारी बात फिर से बता दी।
रामू के पापा ने अपने बेटे से कहा हम सभी के जीवन की अहमियत इसी प्रकार होती हैं। यह आपके ऊपर निर्भर करता हैं कि आपको 200 रुपये का इंसान बनकर मर जाना हैं या दो लाख का इंसान बनना हैं। अपने ऊपर काम करो और अपने आपको जैसा चाहते हो ठीक वैसा बनाओ। इस दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं हैं।
नैतिक सीख:
आप जैसा चाहते हो, वैसा बनने की कोशिश करो।
Size: 523.88 KB
Language: none
Added: Apr 23, 2025
Slides: 1 pages
Slide Content
हिन्दी किानी: रामू और पत्थर
एक बार की बात िैं, रामू को उसके पापा ने एक पत्थर देते हुए किा- “इस
पत्थर को लेकर बाजार में जाओ और कोई तुमसे इसे खरीदने के ललए बोले तो
तुम अपनी दो उँगललयाँ उठा देना।” अगली सुबि रामू विी पत्थर लेकर बाजार
गया विाँ पर एक बूढी औरत ने उस पत्थर का दाम पूँछा तो रामू ने अपने दो
अंगुललयाँ ददखा ददया। बूढी औरत ने बोला मुझे दे दो मै 200 रुपये दे दँगी।
रामू तुरंत भाग कर अपने पापा के पास गया और बूढी औरत की बात बता दी।
अब उस बच्चे के पापा ने रामू को हिर विी पत्थर लेकर एक संग्रिालय में
जाने को बोला। रामू पत्थर लेकर संग्रिालय पहुँच गया जिाँ पर एक व्यलि ने
रामू से पत्थर की कीमत पूछी, रामू ने अपनी दो उँगललयों को ददखाया। वि
व्यलि 2000 रुपये देने के ललए तैयार िो गया। रामू तुरंत भाग कर अपने पापा
के पास गया और सारी बातें बता दी। इस बार रामू के पापा ने विी पत्थर लेकर
एक सुनार की दुकान पर जाने के ललए किा।
रामू विी पत्थर लेकर एक सुनार की दुकान पर पहुँचा। सुनार ने दर से देख कर
बोला, “इस पत्थर की खोज में, मैं कब से था, लाओ यि पत्थर मुझे दे दो।”
इस पत्थर के हकतने पैसे लोगे। रामू ने दो उँगललयाँ ददखा दी। सुनार ने किा-
दो लाख, “मैं देने को तैयार हँ लाओ दो मुझे”। रामू तुरंत अपने पापा के पास
वपास गया और सारी बात हिर से बता दी।
रामू के पापा ने अपने बेटे से किा िम सभी के जीवन की अिममयत इसी
प्रकार िोती िैं। यि आपके ऊपर हनभभर करता िैं हक आपको 200 रुपये का
इंसान बनकर मर जाना िैं या दो लाख का इंसान बनना िैं। अपने ऊपर काम
करो और अपने आपको जैसा चािते िो ठीक वैसा बनाओ। इस दुहनया में कु छ
भी असंभव निीं िैं।