Hamar Chhattisgarh ma khan Phan ke alag hi matlab he au ekar saintific reason bhi he te Ela hamar pahchan batate he ki haman Kati koti ke hn
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Added: Oct 28, 2025
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Slide Content
नाम : महेश्वरी चं�ाकार
विभाग : एम. ए छत्तीसगढ़ी
सत्र : �थम सेमेस्टर
विषय : छत्तीसगढ़ी लोकविविध आयाम
पं रविशंकर शुक्ल विश्ववि�ालयरायपुर छत्तीसगढ़
मागगदर्शगका
डॉ विभाषा वमश्रा
शीषगक: छत्तीसगढ़ के लोक संस्कृवि के खानपान
�स्तुिकिाग
प्रस्तावना
❑खान पान के पररचय
❑खान पान के िगीकरण
❑पारंपररक व्यंजन
❑धावमगक व्यंजन
❑रोजमराग के व्यंजन
❑क्षेत्रीय व्यंजन
❑जलिायु �भाि पर आधररि व्यंजन
छत्तीसगढ़ के लोकसंस्कृवि के खानपान
छत्तीसगढ़ के खानपान हां इहााँ के संस्कृवि एक बहुि जरूरी
वहस्सा आए छत्तीसगढ़ ला धान के कटोरा कहे जाथे िेकर सेिी
इहााँ के ज्यादािर पकिान चािल अऊ चािल के आटा ले बने
होथे इहााँ के खानपान र्सर्ग स्वावदष्ट हीनइ हे बल्कि अब्बड़
लाभदायक भी होथे अउ कई पकिान ऐसे भी होथेजेकर
पारंपररक महत्व भी होथे अउ इहा के खान पनासंस्कृवि अउ
�कृवि के संग गहरा संबंधलभीबिाथे।
�मुखलोकव्यंजनवनम्न�कारलेिगीकरणकरेहाियजइसे.........
पारंपररक व्यंजन
धावमगक व्यंजन
जलिायु आधाररि
व्यंजन
क्षेत्रीय व्यंजन
रोजमराग के व्यंजन
चौसेला चीला र्रा
बीड़िया खुरमी –ठेठरी
गुरहाचीला
कढ़ी पपची इडहर-कढ़ी दूध र्रा
पारंपररक व्यंजन
पारंपररक व्यंजन ओ खा� पदाथग ल कवहथे जे ह पीढ़ी दर पीढ़ी ले चले आि हे जे ह कोनो देश अऊ छेत्र के वहस्सा होथे छत्तीसगम म अब्बड़
�कार के व्यंजन हाबे |
छत्तीसगढ़ी सावहत्य म छत्तीसगढ़ के धावमगक पकिान के बड़ सुंदर वबचार वमले हे। ये पकिान मन र्सररर् पेट भरे के साधन नो हें, बल्कि इहााँ के
संस्कृवि, आस्था अउ भाईचारा के �िीक आय। एला कलेिा अउ खाजा के रूप मघलोजानेजाथे।
र्संघाड़ा किरा खीर शंकर कांदा रोठ बूंदी
बोबरा विलगुर िीखुर देहरोरी पीवड़या
धावमगक व्यंजन
क्षेत्रीय व्यंजन
छत्तीसगढ़ के क्षेत्रीय व्यंजन सादगी सेहि अउ �कृवि ले गहरा जुड़ाि के �विक हरे ए व्यंजन नकेिल पोषण �दान करथे बल्कि इहााँ के कृवष
अउ आवदिासी विरासि के समृद्ध संस्कृवि केकहानीभीकइथे।
रक्सेल छत्तीसगढ़ (बस्तर संभाग ) बुिती छत्तीसगढ़ (राजनंदगाव, कवर्ाा संभाग )
चपिा के चटनी आमट सलफ़ी चौसेला उरद बरा अंगाकर-रोटी
महुआ बास करील बोंडा चीला देसी रसगुल्ला हठफोिवा रोटी
रोजमराग के व्यंजन
छत्तीसगवढ़या मन के रोजमराग के भोजन बहुि सरल, पौवष्टक अउ पारंपररक होथे। काबर के छत्तीसगढ़ ल 'धान के
कटोरा' कहे जाथे, एवह कारण ले चााँउर (चािल) इहााँ के मनखे मन केमुख्यभोजनहरय।
दार,भात,मही-ममची,कढ़ी,चाउर-पापि बरे भाजी बोहर भाजी
कोलीयर भाजी ततवरा भाजी अंगाकर रोटी फरा
जलिायु �भाविि व्यंजन
❑गरमी के वदन के पकिान -------------
गरमी म शरीर ल ठंडा अउ पानी के कमी ले बचाए के जरूरि होथे, एखर बर ए
पकिान खाए जाथे
•बोरे बासी: ईहा सबले खास पकिान आय। रांधे भाि ल राि भर पानीम बोर के रखे जाथे
,एहा गरमी म शरीर ल ठंडा रखे के काम करथे।
•इडहर:उड़द दाल अउ कोचई (अरबी) के पत्ता ले बनाथे। एला भाप म पकाके खाए जाथे,
जऊन गरमी म र्ायदा करथे।
•आम पना: कच्चा आम ल उबाल के गुर, जीरा अउ पुदीना संग बनाथे। एहा लू ले बचाथे
अउ िाजगी देथे।
•बोहर भाजी: एहा गरमी के वदन म वमले िाला एक ठन खास भाजी आय, जेकर र्ूल, पत्ता
अउ र्र सबो खाए जाथे।
❑जाड़ के वदन के पकिान
जाड़ म शरीर ल गरम अउ िाकि देिईया र्जवनस खाए जाथे:
•िीलगुर:विल अउ गुर ल वमलाके लड्डू बनाथे, जऊन शरीर ल गरमी अउ िाकि
देथे। मकर संक्ांवि के समय ईहा विशेष रूप ले बनाथे।
•मुवठया:चािल के आटा के पकौड़ी, जेला भाप म पकाए जाथे। ईहा जाड़ म खूब
पसंद करे जाथे।
•र्जमी कांदा पोंगा बड़ी: र्जमी कांदा (सूरन) अउ उड़द दाल ले बने िाला
पकिान। एहा जाड़ म शरीर ल गरमाहट देथे।
•गुलगुला भर्जया: गेहं के आटा अउ गुर ले बने िालापकिान जाड़ म बहुि
खाए जाथे।
❑बरसाि के वदन के पकिान
बरसाि म गरमागरम अउ चटपटा पकिान खाए के चलन हे, जऊन शरीर म गरमी बनाए
रखथे।
•गरमा-गरम भर्जया: बाररश म िरह-िरह के भर्जया बनाथे, जइसन �ाज, आलू
अउ पालक के। एला चटनी संग खाए जाथे।
•डुबकी कढ़ी: बेसन के पकौड़ी अउ खट्टा दही ले बने चटपटाकढ़ी होथे, जेला बाररश
म भाि संग खाए जाथे।
•ठेंठरी: बेसन ले बने कुरकुरा अउ नमकीन नाश्ता, जऊन बाररशम खूब खाए जाथे।
•मशरूम (र्ुटू) के िरकारी: बाररश के बाद जंगल म अपनेआप उगे िाला
मशरूम के िरकारी घलो ए मौसम के एकखासपकिानआय।
माटी के कोरा म धान उपजय,ओकर से हमर पेट भरय.
वकसान के मेहनि, भगिान के देन,
ए खान पान बर, हिय आभार के िेन.
सुआद असन भोजन वमले,मन भर खाय,
िुहंर ए दान के,मय ह करि हो आभार.
आभार
“हमर माटी, हमर भाखा हमर पकिान इही र्चन्हरी हमर सान”