साइबर ठगी के वर्तमान प्रचलित घटनाओं पर आधारित हैंडबुक
1930
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साइबर क्राइम
पुलिस कमिश्नरेट लखनऊ
जागरुकता एवं सावधानियां
साइबर क्राइम सेल हजरतगंज, लखनऊ
राकेश कुमार मिश्र
उप निरीक्षक
लखनऊ के लोगों के लिए,
आपके पुलिस कमिश्नर के तौर पर मेरी पहली प्राथमिकता आप सभी को
हमारे प्यारे शहर में सुरक्षित रखना है। आज, मैं एक बढ़ते खतरे के बारे में बात
करना चाहता हूँ: साइबर अपराध .. ये अपराध छिपे हुए लग सकते हैं, लेकिन ये
बहुत नुकसान पहुँचा सकते हैं।
आज की डिजिटल दुनिया में, ऑनलाइन सेवाओं का उपयोग करना आसान
है, लेकिन यह अपराधियों के लिए दरवाज़े भी खोलता है। साइबर अपराधी हमेशा
लोगों को धोखा देने के नए-नए तरीके खोजते रहते हैं। वे फ़र्जी ईमेल (फ़िशिंग),
ऑनलाइन घोटाले, आपकी पहचान चुराना, आपके भुगतान न करने तक
आपकी कंप्यूटर फ़ाइलों को लॉक करना (रैंसमवेयर), और आपको जानकारी देने
के लिए धोखा देना (सोशल इंजीनियरिंग) जैसी चीज़ों का इस्तेमाल करते हैं। इन
अपराधों के कारण आपको बहुत सारा पैसा खोना पड़ सकता है, आपकी निजी
जानकारी चोरी हो सकती है, और आप बहुत तनाव में आ सकते हैं।
लखनऊ पुलिस इन साइबर अपराधियों को पकड़ने के लिए कड़ी मेहनत कर
रही है। लेकिन खुद को बचाने का सबसे अच्छा तरीका स्वयं को इन अपराधों के
बारें में जागरुक रखते हुए इन्हें होने से रोकना है। मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ,
कि आप खुद को और अपने परिवार को सतर्क रखते हुए इन ऑनलाइन खतरों
से सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँ।
शुभकामनाओं के साथ।
( अमरेंद्र कुमार सेंगर ) अमरेन्द्र कुमार सेंगर (IPS)
एडीजी/ पुलिस आयुक्त
कमिश्नरेट लखनऊ
साइबर अपराध 21वीं सदी का सबसे चर्चित मुद्दा है। दुनिया
भर में प्रौद्योगिकी क्षेत्र में स्मार्टफोन और इंटरनेट के उपभोक्ताओं की
संख्या दिन प्रतिदिन वृद्धि होती जा रही है, जो उपयोगकर्ताओं की
गोपनीयता और सुरक्षा के संबंध में चिंताएं बढ़ा रहा है। आज के दौर में
साइबर सुरक्षा हेतु हमारी प्राइवेसी/ जानकारी सुरक्षित रखना एक
सबसे बड़ी आवश्यकता बन गयी है। विगत वर्षों में लोगों के साथ आये
दिन ऑनलाइन धोखाधड़ी, ब्लैकमेलिंग, स्पैमिंग, भड़काऊ
कमेंट्स, हैकिंग आदि धटनाएं घटित होना परिलक्षित हुआ है।
सरकार द्वारा ऐसे अपराधों से निपटने के लिए समय- 2 पर
विभिन्न प्रावधान किए जा रहे है। प्रथम बचाव के रूप में सबसे ज्यादा
जरूरी हो जाता है, साइबर अपराधों के प्रति लोगों को जागरूक करते
हुए सतर्क करना। कुछ सुरक्षा उपायों के मद्देनजर हमें कभी भी किसी
अनजान व्यक्ति अनजान नंबरों की कॉल पर बिना वेरीफाई किये
अपनी बैंक डिटेल, पासवर्ड व अन्य प्राइवेसी साझा नहीं करना
चाहिए। आनलाइन ठग तकनीक के साथ- साथ एक मनोवैज्ञानिक गेम
है, अत: हमें इसके तकनीकी व मनोवैज्ञानिक दोनों पहलुओं को
समझकर स्वयं को जागरुक करने के साथ- साथ अपने मित्र, परिजनों
व रिश्तेदारों को भी जागरुक करना चाहिए।
शुभकामनाओं के साथ
( अमित वर्मा )
अमित वर्मा (IPS)
जे0सी0पी0 (अप0 एवं मुख्या0)
कमिश्नरेट लखनऊ
आपके संयुक्त पुलिस आयुक्त (कानून और व्यवस्था) लखनऊ के रूप
में, मैं साइबर अपराध के बढ़ते खतरे पर जोर देना चाहता हूं। जबकि
प्रौद्योगिकी अविश्वसनीय अवसर प्रदान करती है, यह अपराधियों के लिए
नए रास्ते भी बनाती है, और लखनऊ में ऐसे मामलों में वृद्धि देखी गई है।
लखनऊ पुलिस इससे निपटने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
हमने प्रशिक्षित कर्मियों के साथ एक साइबर अपराध पुलिस स्टेशन
और साइबर सेल की स्थापना की है, और हम तत्काल सहायता के लिए
सभी पुलिस स्टेशनों पर साइबर हेल्प डेस्क स्थापित कर रहे हैं, खासकर
वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों में जहां त्वरित कार्रवाई महत्वपूर्ण है।
हालाँकि, साइबर अपराध का मुकाबला करने के लिए सभी की सक्रिय
भागीदारी की आवश्यकता होती है। साइबर अपराधी अक्सर धोखे और
हेरफेर का उपयोग करते हैं, इसलिए आपकी जागरूकता और बुनियादी
सुरक्षा उपायों का पालन आपका सबसे मजबूत बचाव है। कभी भी OTP,
PIN या पासवर्ड साझा न करें। संदिग्ध लिंक या अटैचमेंट से सावधान रहें,
और हमेशा पैसे या व्यक्तिगत जानकारी के अनुरोधों को सत्यापित करें।
यदि आप शिकार बनते हैं, तो तुरंत 1930 (राष्ट्रीय साइबर अपराध
हेल्पलाइन) पर कॉल करें और www.cybercrime.gov.in पर इसकी
रिपोर्ट करें। आइए लखनऊ को साइबर-सुरक्षित बनाने के लिए मिलकर
काम करें।
शुभकानाओं के साथ
( बबलू कुमार )
बबलू कुमार (IPS)
जे0सी0पी (कानून & व्य0)
कमिश्नरेट लखनऊ
आज की डिजिटल दुनियां में साइबर सुरक्षा के महत्व को एक छात्र की
भांति याद रखना बहुत ही महत्वपूर्ण है। आज हमारे बहुत से कार्य
ऑनलाइन/ इंटरनेट के माध्यम से किये जाते हैं जिसका मतलब है कि हमारी
व्यक्तिगत जानकारी, जैसे पासवर्ड, बैंकिग डाटा, स्कूल, सरकारी/ गैर
सरकारी संस्थानों का कार्य साइबर खतरों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है।
साइबर अपराध ऑनलाइन/ डिजिटल स्वरुप में किया जाने वाला ऐसा
अपराध है, जिसमें वित्तीय धोखाधड़ी, ब्लैकमेलिंग, स्पैमिंग, हैकिंग, सोशल
मीडिया से सम्बन्धित अपराध सम्मिलित होते हैं। सभी का उद्देश्य धन प्राप्त
करना अथवा डाटा चोरी कर उसका दुरुपयोग करना होता है। साइबर
अपराधियों द्वारा आम लोगों के साथ इन अपराधों को कारित करने के लिए
अक्सर मनोवैज्ञानिक रुप से लोगों में डर बनाकर, लालच देकर अथवा लोगों
की आवश्यकता के अनुसार ऑनलाइन सहायता उपलब्ध कराने के नाम पर
भ्रमित करके ठगी की जाती है। हमें साइबर ठगों की तकनीक व रणनीति के
प्रति सतर्क व जागरुक रहते हुए अपने धन व डाटा/ प्राइवेसी को सुरक्षित
रखना है, तथा कोई ऐसा कार्य नहीं करना है, जिससे कि हम स्वयं साइबर
अपराधियों की लिस्ट में शामिल हो जाएं।
लखनऊ पुलिस द्वारा साइबर अपराध में संलिप्त अपराधियों के विरुद्ध
सतत् कार्यवाही करते हुए तथा जागरुकता कार्यक्रमों का आयोजन कर
निरन्तर बढ़ते हुए साइबर अपराध पर अंकुश लगाने में सफलता प्राप्त की है।
लखनऊ पुलिस साइबर अपराध के प्रति आपकी सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।
शुभकामनाओं के साथ
( कमलेश कुमार दीक्षित ) कमलेश कुमार दीक्षित (IPS)
डी0सी0पी0 (क्राइम)
कमिश्नरेट लखनऊ
प्रदेश की बढ़ती जनसंख्या के साथ, आने वाले दिनों में साइबर
अपराधों की संख्या में निश्चित रूप से तेजी से वृद्धि होगी और ऐसे
अपराधों को रोकने का एकमात्र उपाय साइबर अपराधियों द्वारा इस्तेमाल
की जा रही विभिन्न तकनीकों और तौर-तरीकों से अवगत होना और अपने
आस-पास के लोगों को भी सतर्क और जागरूक करना है।
मैं लखनऊ के सभी लोगों से आग्रह करता हूं कि वे इन सभी तौर-
तरीकों के बारे में जानने के लिए सोशल मीडिया हैंडल और लखनऊ
कमिश्नरेट द्वारा जारी की जा रही विभिन्न पुस्तिकाओं का अनुसरण करते
रहें। इन साइबर धोखाधड़ी को हल करने का एक बुनियादी उपाय यह है
कि अपने बैंक खाते से बिना किसी UPI के जुड़ा एक अलग 2G मोबाइल
फोन रखें, खासकर उस बैंक खाते से जिससे आप कोई भी व्यावसायिक
लेन-देन करते हैं, ताकि साइबर अपराधी भी आपके मोबाइल को हैक
करके आपके बैंक खाते तक न पहुंच सकें। और मैं लोगों से यह भी आग्रह
करता हूं कि वे अपनी मेहनत की कमाई को ऐसे प्लेटफॉर्म पर निवेश न
करें जो संबंधित नियामक प्राधिकरणों द्वारा विनियमित और सत्यापित न
हों ताकि ऐसी किसी भी धोखाधड़ी को रोका जा सके। पुलिस कभी भी
पैसे नहीं मांगती और कभी भी किसी को ऑनलाइन गिरफ्तार नहीं कर
सकती। हो रही सभी डिजिटल गिरफ्तारियों से सावधान रहें।
जय हिंद
( आर. वसंथ कुमार )
आर. वसंथ कुमार (IPS)
ए0डी0सी0पी0 (क्राइम)
कमिश्नरेट लखनऊ
आज के डिजिटल युग में, जहाँ तकनीक जीवन के हर हिस्से
को प्रभावित करती है, साइबर अपराध व्यक्तियों, व्यवसायों और
सरकार के लिए एक गंभीर खतरा बनकर उभरा है। साइबर अपराध
में वृद्धि के कई कारण हो सकते हैं। इंटरनेट का तेजी से विस्तार और
कनेक्टेड डिवाइसों की बढ़ती संख्या हैकर्स के लिए नए अवसर पैदा
करती है। लोगों में साइबर सुरक्षा उपाय और ज्ञान की कमी से भी
साइबर फ्राड करने वाले व्यक्तियों और संगठनों के लिए नये अवसर
पैदा होते हैं। जैसे-जैसे तकनीक विकसित होती है, साइबर
अपराधियों की तकनीकें भी विकसित होती जाती हैं। हमें यहां
साइबर अपराध को रोकने के लिए तथा आगे बने रहने के लिए
निरंतर जागरूकता, नवाचार और सहयोग की आवश्यकता होती है।
सरकार द्वारा लगातार साइबर अपराध पर अंकुश लगाने के
लिए सख्त कानूनी प्रावधानों सहित अन्य प्रभावी कदम उठाये जा रहें
हैं, जिसमें फ्राडस्डरों के तकनीकी तन्त्र/ नेटवर्क को तोड़ना,
अभियु्क्तों की गिरप्तारी सुनिश्चित करना व जन सहयोग से साइबर
जागरुकता अभियान चलाकर लोगों को सतर्क व सावधान करना।
साइबर अपराध की गति पर लगााम लगाने हेतु प्रत्येक व्यक्ति
को सरकार द्वारा बनाये गये कानूनी प्रावधानों के सदुपयोग के साथ-
साथ, शैक्षिक संस्थानों, संगठनों में साइबर सुरक्षा ज्ञान को बढ़ावा देने
के लिए सहयोग करना चाहिए।
( अभिनव ) अभिनव
ए0सी0पी0 (साइबर)
कमिश्नरेट लखनऊ
दिन प्रतिदिन बढ़ती हुई टेक्नोलॉजी और उन पर मानव समाज की निर्भरता
ने जहां हर कार्य को आसान कर दिया है वहीं साइबर अपराधियों द्वारा इन्ही
टेक्नोलॉजी के किये जा रहे से दुरुपयोग से आम जन मानस में डर व चिंता का
कारण बनते जा रहे हैं। अतः समय समय पर हमें भी साइबर ठगों के दांव पेंच
उनको कार्य के तौर तरीकों से अपडेट होते रहना चाहिए। एक छोटी सी लापरवाही
से हमारी मेहनत की पूंजी, हमारी बेशकीमती डेटा साइबर अपराधियों के पास
चला जाता है, जिससे तत्समय हमारे लिए एक बड़ी समस्या खड़ी हो जाती है।
इस पुस्तक में साइबर अपराधियों द्वारा इस्तेमाल किये जा ठगी के नए तौर
तरीकों को कहानियों (केस स्टडी) के रुप में सम्मिलित किया गया है। जिसका
मुख्य स्रोत शिकायतकर्ताओं द्वारा बताई गयी बातें तथा साइबर अपराध में
गिरप्तार किये गये अपराधियों दिये गये अभिकथन हैं। साइबर अपराध की
घटनाओं को देखते हुए जरूरी है, कि सभी लोग अपनी दिनचर्या से कुछ समय
निकाल कर साइबर अपराध के बारे में जाने अपने बच्चों को परिजनों को व
रिश्तेदारों को भी इसके बारे में जागरूक करें।
अक्सर लोगों का सवाल रहता हैं कि पैसा चला जाता है, तो मिल जाता है
क्या? चंूकि इसका उत्तर इस बात में निहित है आप कितनी जल्दी ऑनलाइन
अथवा ऑफलाइन शिकायत दर्ज कराते हैं, ऐसे में हमें उस सवाल की बजाय इस
बात पर ध्यान देना चाहिए कि हम ठगी का शिकार बनें ही क्यों। मेरा यह विश्वास
है कि यदि साइबर ठगों की साइकोलॉजी लोगों तक सही तरीके से पहुंचा दिया
जाए, तो शायद ही कोई ठगी का शिकार हो। इस पुस्तक के माध्यम से मेरा उद्देश्य
यही है कि लोगों तक साइबर फ्राड के बारे में कुछ लाभप्रद बातें पहुंचाकर ठगी
का शिकार होने से बचाया जा सके। आशा है, यह पुस्तक आप सबके लिए
साइबर मनोविज्ञान समझनें में सहायक सिद्ध होगी।
सादर आभार
राकेश कुमार मिश्र (उ0नि0)
साइबर क्राइम सेल
प्राक्कथन
विषय
साइबर अपराध
साइबर अपराध के तकनीकी पहलू
साइबर अपराध के मनोवैज्ञानिक पहलू
डर
लालच
इमोशन
आवश्यकता
सोशल मीडिया छल
डेबिट/ क्रेडिट कार्ड क्लोनिंग
साइबर क्राइम दुनिया की प्रमुख शब्दावली
कहीं हम स्वयं अपराध तो नहीं कर रहे
केस स्टडी 1 से 13
निष्कर्ष
डिवाइस, सिम, जीमेल आदि की सुरक्षा
सोशल मीडिया APP की सुरक्षा
सोशल मीडिया समस्याओं का निदान
शिकायत कैसे करें
बीएनएस में साइबर अपराध सम्बन्धित प्रावधान
आईटी एक्ट में साइबर अपराध के प्रावधान
साइबर समरी
अपील
फोटो गैलरी
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विषय- सूची
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21.
22.
साइबर अपराध
कंप्यूटर, मोबाइल इंटरनेट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके
किया जाने वाला ऐसा कार्य जिससे किसी व्यक्ति की आर्थिक,
मानसिक, शारीरिक क्षति हो अथवा उसकी गोपनीयता भंग होती
है, साइबर अपराध की श्रेणी में आता है। जिसे हम कुछ प्रचलित
नामों से जान सकते हैं।
फाइनेंशियल फ्रॉड
सोशल मीडिया अकाउंट सम्बंधित
Ransomware,
मैलवेयर,
वायरस attack,
हैकिंग
sextortion
पहचान की चोरी अथवा data theft
डिजिटल वर्ल्ड में साइबर क्राइम का क्षेत्र बहुत ही व्यापक है,
इसमें कई प्रकार के अपराध शामिल हैं, जिसमें से कुछ प्रमुख
अपराधों को जिन्हेेेेेेेें पूर्व में दर्शाया गया है, इन अपराधों से जुड़े कुछ
टेक्निकल नाम जैसे- Ransomware, malware, virus
attack, सिस्टम तंत्र को हैक कर लेना, ऐसी चीजें आम लोगों के
साथ बहुत कम होती हैं, इस प्रकार की हैकिंग अक्सर बड़ी
कंपनियों या एजेंसियों के साथ होने की संभावना होती हैं, जिसके
01
लिए ऐसी कंपनियां अपनी सुरक्षा हेतु cyber expert/ ethical
hacker को appoint करती हैं, ताकि ऐसे ख़तरों से अपने डेटा को
सुरक्षित रख सकें।
हम ऐसे अपराधों के बारे में जानेेंगे, जो आजकल एक आम
नागरिक के साथ घटित हो रहे हैं या जिनके होने की अधिक
संभावना रहती है, जो कि साइबर क्राइम का एक अंश है, जिसे हम
साधारण शब्दों में साइबर ठगी/ फ्रॉड कहते हैं।
साइबर ठगी के अंतर्गत साइबर अपराधियों के द्वारा हमारा
वित्तीय नुकसान करना, हमारी प्राइवेसी लेकर उसका दुरुपयोग
करना, ब्लैकमेल करना, sextortion, फेक प्रोफाइल आदि।
व्यक्तिगत रूप से आम जनमानस के साथ होने वाले साइबर
अपराधों को दो भागों में विभाजित कर सकते हैें ।
प्रथम वित्तीय धोखाधड़ी
दूसरा सोशल मीडिया अकाउंट से संबंधित
वित्तीय धोखाधड़ी- वित्तीय धोखाधड़ी वह अपराध है, जहां
साइबर ठग हमारे धन को किसी न किसी तरह से डिजिटली ले
जा रहे हैं, यहां लोगों को अक्सर ऐसा लगता है कि ठगों द्वारा
हमारा मोबाइल हैक करके, बैंक खाता हैक करके पैसे ट्रांसफर
कर लिया जा रहा है, परंतु हकीकत में ऐसा नहीं है। साइबर ठग
हमारा सिस्टम नहीं बल्कि हमारे माइंड को हैक
02
कर रहे हैं, और यही वजह है कि लगभग 80 प्रतिशत मामले
ऐसे होते हैं, जहां लोग स्वयं ही ठगों के जाल में फंसकर अपनी
गाढ़ी कमाई लुटा दे रहे हैं अर्थात खुद ही रुपया भेज रहे हैं।
बहुत कम ही मामले ऐसे होते हैं, जहां टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल
किया जा रहा है अथवा हैकिंग जैसा कोई कार्य करके पैसे
ट्रांसफर किये जाते हैं।
वित्तीय ठगी को हम दो अलग रूपों में समझते हैं, पहला
टेक्निकल दूसरा साइकोलॉजिकल। सबसे पहले हम
समझेंगे कि साइबर अपराधी किस प्रकार टेक्निकल/ लिंक/
app जैसी चीजों का इस्तेमाल करके ठगी को अंजाम दे रहे हैं।
साइबर क्राइम का नाम आता है, तो अक्सर हमारे mind
में कुछ कॉमन बातें चलने लगती हैं, जैसे कि किसी अनजान
लिंक पर क्लिक नहीं करना है, किसी से ओटीपी शेयर नहीं
करनी है वगैरह, परंतु हमें जानना चाहिए कि जिस लिंक की
बात की जाती है, वह लिंक कैसे काम करती है.............
साथ ही यह भी जानना चाहिए कि ओटीपी मांगने का
चलन अब बहुत पुराना हो गया है, अब ओटीपी मांगी नहीं
जाती है, बल्कि टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके चुराई जा रही
है। जिसे जानना समझना आवश्यक है कि साइबर अपराधियों
द्वारा किस प्रकार से ऐसा किया जा रहा है।
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साइबर फ्रॉड के तकनीकी पहलू
APK फाइल का प्रयोग
APK फाइल एंड्रॉइड के लिए बनाया गया एक थर्ड पार्टी
ऐप्लिकेशन होता है। फ्राडस्टरों द्वारा इस फाइल को किसी न किसी
बहाने से कॉल करके हमें डाउनलोड कराया जाता है अथवा हमारे
व्हाट्सएप पर भेज दिया जाता हैं, जहां पर अक्सर व्हाट्सएप में
मीडिया ऑटोडाउनलोड ENABLE होने के कारण यह फाइल स्वत:
ही हमारे मोबाइल में ऑटोडाउनलोड हो जाती है, इससे हमारे फोन
का ACCESS भी जा सकता है, SMS की परमिशन जाती है,
हमारा ओटीपी भी फॉरवर्ड होकर उनके हाथ लग जाती है, ओटीपी
हाथ लगने से आप समझ सकते हैं, कि इससे हमारा नेट बैंकिंग,
UPI, सोशल मीडिया अकाउंट आदि कुछ भी एक्सेस किया जा
सकता है। ध्यान रखें जीमेल, व्हाट्सएप, टेलीग्राम आदि सभी
का आटोडाउनलोड डिसेबल
कर दें, जो नंबर आपके
मोबाइल से SAVE नहीं है,
यदि उससे कोई ऐप, फाइल
आती है अथवा SAVE किये
गये नंबर से भी कोई फाइल है
जो संदिग्ध लग रही है तो उसे
डाउनलोड करने से पहले
वेरिफाई जरूर कर लें।
04
स्क्रीन शेयर एप्लीकेशन का इस्तेमाल जहां लोगों को ऑनलाइन
तकनीकी सहायता उपलब्ध कराने के लिए किया जाता है, वहीं
साइबर ठग भी इसका इस्तेमाल करने से पीछे नहीं रह रहे हैं। प्रायः
देखने में आता है, कि साइबर ठग स्वयं को बैंक कर्मचारी अथवा
टेलीकॉम कंपनी का कर्मचारी बता कर कॉल करते हैं अथवा हम
अपनी आवश्यकता के लिए जैसे बैंक, सिमकार्ड, गैस कनेक्शन
आदि में आई किसी तकनीकी खराबी को लेकर गूगल से
के सम्पर्क मे
आने की प्रबल सम्भावना रहती
है।
चूंकि लोगों द्वारा यहां पर ध्यान नहीं दिया जाता कि वह नम्बर
REAL वेबसाइट पर न होकर एक FAKE वेबसाइट पर होता है, जो
कि फ्राडस्टरों का ही रहता है। वह आपको तकनीकी सहायता
उपलब्ध कराने के नाम पर कोई न कोई स्क्रीन शेयर ऐप
ANYDESK, RUSTDUST QUICK SUPPORT आदि
डाउनलोड करा देता है और हम विश्वास में रहते हैं कि हमारी बात
हमारे बैंक के अधिकारी, किसी टेलीकॉम कंपनी के कर्मचारी
CUSTOMER CARE
नंबर सर्च करते हैं अथवा
किसी भी तकनीकी
सहायता के लिए सम्पर्क
करते हैं तो वहां पर
साइबर ठगों
स्क्रीन शेयर एप्लीकेशन का प्रयोग
05
अथवा हमारी समस्या का निदान करने वाले सही कर्मचारी से हो रही
है और उसके बताए अनुसार हम कार्य करते जाते हैं। परिणामस्वरुप
स्क्रीन शेयर होने से हमारी प्राइवेसी, यूजर आईडी, पासवर्ड, ओटीपी
आदि सब फ्रॉडस्टरों को पता चल जाता है, और हमारा बैंक अकाउंट
खाली हो जाता है।
नोट- स्क्रीन शेयर ऐप के साथ-2 कई बार वीडियो कॉल पर स्क्रीन
शेयर कराये जाने से फ्राड कर लिया जाता है।
लिंक/ फेक प्रोफार्मा
क्रेडिट कार्ड फ्रॉड के मामले में अक्सर देखने को पाया गया कि
फ्रॉडस्टरों को कॉल आती है, आपके क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने
के लिए, इंश्योरेंस जैसा कोई प्रीएक्टिव प्लान को डीेेएक्टीवेट कराने
के लिए या अन्य कोई तरह- तरह की बातें बताकर उसे ठीक करने के
लिए कहा जाता है, जिसके लिए वह आपको बैंक का फॉर्म भर कर
सबमिट करने को कहा जाता है। विश्वास में लेने के बाद वह फॉर्म का
लिंक भेजता है, जिसपर लोग क्लिक करते हैं और बैंक का एक
प्रोफार्मा खुलकर आता है। उस लिंक में हमारे डेटा जैसे- एसएमएस,
गैलरी, कान्टेक्ट लोकेशन आदि का एक्सेस करने की बहुत सारी
परमिशन छिपी होती है। जिससे फ्रॉडस्टरों को सारा जरुरी डेटा मिल
जाता है, साथ ही जब हम उस पर क्रेडिट कार्ड का डेटा भरते है,
जिस समय हम डेटा भर रहे होते है। उस समय वह डेटा फ्राडस्टरों
को उनके सिस्टम पर दिखाई देता है, और आपके
06
क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करने के लिए वह किसी
असली पोर्टल पर कोई खरीददारी अथवा कैश ट्रांसफर
करने लगता है। अंत में ओटीपी आपके मोबाइल पर
आता है। जिसे आप उस फॉर्म में भरकर सबमिट करते
हैं, परंतु वह फेल हो जाता है, क्योंकि वह एक फेक
पोर्टल होता है। वहीं फ्राॅडस्टरों को ओटीपी दिखते ही वह
उसका इस्तेमाल कर लेता है।
आजकल ओटीपी की मांग न करके, इसी तरह
चुराया जा रहा है ।
साइबर अपराधियों द्वारा एआई तकनीक के सहारे हमारी
आवाज/ वीडियो क्लोन करके उसका उपयोग ऑडियो/
वीडियो कॉल के माध्यम से परिचित बनकर ठगी कर रहे
हैं इसके साथ किसी सेलीब्रिटी की वीडियों बनाकर किसी
फ्रॉड कम्पनी को प्रमोट करना तथा लोगों की फोटो
वीडियो मार्फ करके लोगों को DEFAME करना तथा
ब्लैकमेल करने का कार्य भी बड़ी प्रमुखता से किया जा
रहा है। हमें किसी भी जानी पहचानी सी लगने वाली
आवाज अथवा वीडियों पर सतर्क रहना है, खासकर जब
पैसों अथवा प्राइवेसी से सम्बन्धित बात हो।
मोर्फिंग टूल्स/ AI तकनीक
07
आइये जानते है उस पहलू को जिसका सहारा लेकर साइबर
अपराधियों द्वारा सबसे अधिक फ्रॉड किए जा रहे है और वह तरीका
है, साइकोलॉजिकल अर्थात हमें भ्रमित करके किसी न किसी बहाने
से ट्रैप करना। ठीक उसी तरह जैसे मछली पकड़ने वाला कहीं कटिया
के ऊपर चारा लगाता है तो कहीं डराकर मछलियों को दूसरी तरफ
जिस तरफ जाल होता उधर भगाते हैं और डर में अथवा लालच में
आकर मछलियां बड़ी आसानी से शिकार हो जाती हैं। उसी तरह से
साइबर ठग भी अपना दिमागी इस्तेमाल करके हमें ट्रैप करते हैं।
अक्सर बहुत से मामलों में साइबर अपराधी हमें ट्रैप करने से पहले
सोशल मीडिया के माध्यम से हमारे बारे में वह होमवर्क करते हैं,
अर्थात विभिन्न स्रोतों से हमारे बारे में कुछ न कुछ जानकारी पहले से
ही प्राप्त कर लिए होते हैं।
यहां समझना जरुरी हो जाता है कि कौन से स्रोत हैं जहां से
हमारी जानकारी प्राइवेट होने की बजाय PUBLIC हो जाती है।
उनमें से ओपन सोर्स के कुछ प्रमुख स्रोत निम्न हैं-----
सोशल मीडिया ACCOUNT जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर
आदि पर हमारे द्वारा डाली गई पोस्ट से, फोटो, वीडियो का
ANALYSIS कर बड़ी आसानी से हमारे बारे में बहुत सी
जानकारी इकट्ठा कर सकता है, यदि हमारी सोशल
साइबर धोखाधड़ी के मनोवैज्ञानिक पहलू
“AMATEURS HACK SYSTEM
PROFESSIONALS HACK PEOPLE”
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RAKESH KUMAR MISHRA CYBER CRIME CELL LUCKNOW RAKESH KUMAR MISHRA CYBER CRIME CELL, LKO
08
साइबर अपराधियों द्वारा हमारे मोबाइल नंबर को फोनपे,
गूगलपे, अथवा आधार कार्ड वेबसाइट पर सर्च करके या
ओपन सोर्स इंटेलिजेंस रिपोर्ट के माध्यम से हमारे नंबरों से
रजिस्टर्ड विभिन्न सोशल मीडिया ID की जानकारी कर ली
जाती हैं।
अक्सर हम जॉब के लिए विभिन्न वेबसाइटों पर लॉगिन
करके अपना बायोडाटा डालते हैं, इन वेबसाइटों के द्वारा
साइबर ठग डेटा खरीदकर उसका इस्तेमाल करते हैं।
एक PHISHING एपीके अथवा लिंक व्हाट्सएप पर
भेजा जाता है जिसे हम अंजान में क्लिक करते हैैं अथवा
सेटिंग में आटोडाउनलोड इनेबल होने से कारण वह स्वत:
ही डाउनलोड हो जाते हैं और SMS व कॉल
PROFILE लॉक नहीं है, अथवा कोई फेक प्रोफाइल के
माध्यम से हमारी फ्रेंड लिस्ट में शामिल हो चुका है।
हमारे द्वारा जब भी कोई मोबाइल APP डाउनलोड किया
जाता है अथवा किसी वेबसाइट पर सर्च किया जाता है तो
उस APP द्वारा तथा वेबसाइट द्वारा COOKIES के
माध्यम से हमारे गैलरी, CONTACT, PHONE,
लोकेशन के एक्सेस का PERMISSION मांगा जाता है।
हमारे द्वारा परमिशन देने के बाद ऐसे APP/ वेबसाइट बड़ी
आसानी से हमारी प्राइवेट चीजों का इस्तेमाल/ दुरुपयोग
कर सकते हैं।
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आदि की परमिशन मिल जाने से चोरी छिपे हमारी गोपनीय
जानकारी फ्राॅडस्टरों को बड़ी आसानी से मिलती रहती हैं।
इस प्रकार ज्यादातर मामलों में कहीं न कहीं से हमारे बारे
में कुछ जानकारी इकट्ठा करने के बाद वह हमसे डिजिटली संपर्क
करते हैं। डिजिटल युग में हम अप्रत्यक्ष रूप से लोगों से संपर्क
बनाने के लिए अक्सर दो माध्यमों का सहारा लेते हैं।
पहला कॉल के माध्यम से
दूसरा मैसेजिंग/ सोशल मीडिया आईडी
साइबर अपराधी भी फ्रॉड
को अंजाम देने के लिए इन्हीं
माध्यमों का सहारा लेते हैं।
इन्हीं माध्यमों से होने वाले
संपर्क को लेकर हमें सतर्क
और सावधान रहना होगा। यह
तभी संभव है, जब हमें यह
पता होगा कि साइबर
अपराधी कस तरह व किस बहाने से छद्म रूप धारण कर लोगों
को ट्रैप करते हैं। अक्सर हमारे पास आने वाली कॉल सीधे
टेलीकॉम कंपनियों के नंबरों द्वारा होती हैं अथवा वीओआईपी
कॉल होती है। जो कि ऑडियो/ वीडियो दोनों प्रकार से की जाती
है। इसके अलावा दूसरी तरफ मैसेजिंग
10
डर पैदा करना, लालच देकर, इमोशन में अथवा हमारी
किसी डिजिटल हेल्प या आवश्यकता का फायदा उठाकर
ट्रैप किया जाता है और हम बिना वेरिफाई किए, बिना अपने
किसी मित्र संबंधी से सलाह लिए स्वयं ही पैसा ट्रांसफर कर
देते हैं।
ठगों द्वारा जो MODUS
OPERANDI अपनाई
जाती है। उनमें से प्रमुख है
ठगों के द्वारा कॉल करके
लोगों में....................
अथवा सोशल मीडिया आईडी का प्रयोग करते हुए स्वयं के बारे में
अथवा अपने व्यवसाय हेतु अपने PRODUCT का प्रचार प्रसार
करने के लिए या अपनी बातों को प्रेजेंट करने के लिए किया जाता
है। साइबर अपराधी भी यहीं पर फेक वेबसाइट/ आईडी बनाकर,
AI जनरेटेड पोस्ट, वीडियो बनाकर अथवा फर्जी सस्ते सामान,
लुभावने ऑफर को प्रचारित करके ऑडियो/ वीडियो कॉल/ मैसेज
के माध््यम से लोगों को बड़ी आसानी से फंसा लेते हैं। हमारे द्वारा
उनकी बातों पर बहुत ही आसानी से विश्वास कर लिया जाता है।
11
पिछले काफी समय से साइबर अपराधियों द्वारा लोगों से
ठगी के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला जो पॉपुलर तरीका
रहा है, वह है लोगों में किसी न किसी बातों का डर बनाकर
पैसे ऐंठने का रहा है। साइबर ठग कॉल करते हैं। लोगों के
बैकग्राउंड के बारे में थोड़ी जानकारी पहले से प्राप्त कर लेते
हैं। कॉल करके खुद को पुलिस अधिकारी अथवा किसी जांच
एजेंसी जैसे सीबीआई, ईडी, विजलेंस, आदि का अधिकारी
बताते हैं और हमारे पेशे या उम्र के अनुसार ऐसे आरोप लगाते
हैं कि जब हम अपनी मेमोरी को रिवर्स में ले जाते हैं तो सोंच
में पड जाते हैं कि कुछ गलती तो न हुई हैं। पुलिस के डर के
साथ साथ साइबर ठग कुछ टेक्निकल कंपनियां जिनका हमारे
दैनिक जीवन में सीधे आवश्यकता रहती है, जैसे सिमकार्ड,
क्रेडिट कार्ड, बैंक, आधार कार्ड, गैस कनेक्शन आदि ऐसी
कंपनी के कर्मचारी बनकर कॉल करते हैं और उस सेवा को
बंद करने का डर बनाते हैं।
डर
क्या आरोप लगाते हैं-
यह कि आपके द्वारा अश्लील वेबसाइट देखी जा रही है।
मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाते हैं।
आपके नाम से किसी अवैध पार्सल के पकड़े जाने का डर
जिसमें ड्रग्स आदि मादक पदार्थ है।
12
बातचीत के दौरान उनका कॉन्फिडेंस इतना मजबूत होता
है कि हमें विश्वास करना कठिन हो जाता है कि वह साइबर ठग
ही हैं। वीडियो कॉल पर पुलिस की ड्रेस, किसी पुलिस स्टेशन
का बैकग्राउंड, पुलिस का सायरन, व्हाट्सएप पर पुलिस के
मुहर के साथ भेजी गई नोटिस फिल्मी गेटअप हमारे अंदर
सहज ही डर
यह कि आपके आधार कार्ड का दुरुपयोग हो रहा है।
बैंकिंग अथवा टेक्निकल कंपनियों के नाम का डर जैसे कि
बैंक खाते में अवैध धन का लेनदेन हुआ है अथवा मोबाइल
नंबर का इस्तेमाल गलत कार्यों में हो रहा है।
सिम कार्ड ब्लॉक कर देने का डर, गैस कनेक्शन/ बिजली
कनेक्शन काटने का डर, क्रेडिट कार्ड आदि बन्द करने का
डर बनाना।
अश्लील वीडियो/PIC बनाकर, अथवा कोई प्राइवेट PIC/
वीडियो प्राप्त कर उसे वायरल करने की धमकी देकर
ब्लैकमेल करना।
और विश्वास पैदा कर देता
है, और हम खुद को फंसा
हुआ पाकर उनके बताए
अनुसार पैसा ट्रांसफर कर
देते हैं।
13
यहां लोग सबसे बड़ी गलती यह करते हैं कि डर वश,
लोकलज्जा वश अपनी बात किसी से शेयर नहीं करते हैं।
अभी हाल में ही सबसे चर्चित मामला डिजिटल अरेस्ट
डर का ही स्वरुप है जो कि वास्तविक में होता ही नहीं है।
नोट- हमें ऐसी किसी भी कॉल पर विश्वास नहीं करना है, डर में
आकर पैसे नहीं गवाना है, लोगों से अपनी बात शेयर करते हुए
सच्चाई का पता लगाना है।
14
वर्क फ्रॉम होम में कंपनियों को रेटिंग देने जैसे
लुभावने कार्य, टेलीग्राम चैनल से जोड़कर फिर
एक फर्जी आईडी बनाकर ट्रेडिंग में निवेश
करके अत्यधिक रिटर्न का लालच। सबसे
ज्यादा रकम तो लोगों की इसी में जा रही है।
ट्रेडिंग में बेहतर रिटर्न का लालच देकर पहले
लोगों की छोटी धनराशि फंसायी जाती है फिर
उसे निकालने के अलग- 2 बहाने बनाकर
फ्राडस्टरों द्वारा और अधिक धनराशि की ठगी
कर ली जाती है।
सोशल मीडिया पर फर्जी आईडी के माध्यम से
सस्ते सामान का लालच, लाइक व फॉलोवर
बढ़ाने का लालच देकर।
गेमिंग के दौरान सट्टेबाजी व अन्य लुभावने
ऑफर।
लालच
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लालच- दूसरा जो सबसे पॉपुलर साइकोलॉजिकल अटैक है
वह है लालच, जिसका इस्तेमाल साइबर अपराधी अलग
अलग तरीकों से कर रहे हैं। कॉल के माध्यम से अथवा सोशल
मीडिया के माध्यम से लुभावनी चीजों को प्रदर्शित करके,
हमारी आवश्यकताओं को प्रचारित करके हमें
ट्रैप करते हैं जैसे--
15
जॉब के लिए रजिस्ट्रेशन, इंटरव्यू आदि अलग अलग बहाने
बनाकर पैसे मांगना।
लालच की एक श्रेणी यह भी है, जहां ऑपोजिट जेंडर अर्थात
महिला को पुरुष से दोस्ती और पुरुष को महिला से दोस्ती
की चाहत भी ठगी की तरफ ले जाती है।
नोट- डिजिटल दुनियां में किसी भी प्रकार की लालच
आपका भारी नुकसान करा सकती है, इसलिए एक फार्मूला
याद रखें----
TRUST NOTHING
VERIFY EVERYTHING
16
अक्सर लोगों को कॉल करते हैं और किसी परिचित
का नाम लेकर ऐसा बताने की कोशिश करते हैं कि
वह आपके दोस्त या रिश्तेदार हैं और Ai तकनीक के
इस्तेमाल से हमें आवाज भी कुछ मिलती जुलती
लगती है। जब हम कुछ विश्वास कर लेते हैं तब वह
कुछ समस्या बताकर पैसे की मांग करता है। संकोच
व लिहाजवश हम सही से वेरिफाई नहीं करते हैं और
इमोशन में फंसकर उसे पैसा भेज देते हैं।
सोशल मीडिया, डेटिंग ऐप, मैट्रिमोनियल ऐप पर
अक्सर फेक अकाउंट बनाकर ठगों द्वारा दोस्ती की
जाती है और धीरे धीरे हमें इमोशनली ब्लैकमेल करके
पैसे की डिमांड करते हैं। इसमें अक्सर महिलाओं को
ट्रैप करने के लिए पुरुष की आईडी और पुरुष को ट्रैप
करने के लिए महिलाओं की आईडी का इस्तेमाल
किया जाता है।
इमोशन
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इमोशन- इमोशनल ब्लैकमेल करने का फंडा भी साइबर ठगों
द्वारा बहुतायत प्रयोग में लाया जाता है। आपसे दोस्ती करके
विश्वास में लेकर, कॉल के माध्यम से फंसाने की कोशिश की
जाती हैं, जहां लोग बहुत ही आसानी से पैसा ट्रांसफर कर देते
हैं।
17
अक्सर हमने देखा है कि किसी प्राकृतिक, भौतिक आपदा
के समय डोनेशन के लिए सोशल मीडिया पर किसी
सेलिब्रिटी के नाम का सहारा लेते हुए यूपीआई आईडी
अथवा बैंक अकाउंट में पैसा भेजने को कहते हैं।
बचाव- इमोशन को काबू में रखते हुए किसी के
ऑनलाइन संपर्क किए जाने पर तथा पैसे की डिमांड किए
जाने पर क्रॉस वेरिफिकेशन करें अर्थात अन्य माध्यमों से
मोबाइल नंबर प्राप्त कर पहले वेरिफाई करें।
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आवश्यकता
जैसा कि हम जानते हैं, इंटरनेट, सोशल मीडिया आदि
हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है। जिस तरह से भौतिक
रूप से हमारी बहुत सारी आवश्यकताएं हैं, उसी प्रकार से
डिजिटल रूप से भी हमारी तमाम आवश्यकताएं रहती हैं। अपनी
किसी जरूरत के लिए जब हम डिजिटल वर्ल्ड में प्रवेश करते हैं
तब हमारे लिए सबसे बड़ा खतरा इस बात का रहता है कि जिस
व्यक्ति या जिस साइट पर संपर्क कर रहे हैं वह असली है या
नकली। साइबर अपराधी शिकार के लिए हमारी हर आवश्यकता
के अनुसार जाल लगाकर बैठें हैं। जैसे- महाकुम्भ के दौरान
ऑनलाइन कॉटेज बुक करने पर लोगों को ठगी का शिकार होना
पड़ा।
साइबर ठगों द्वारा बहुत सारी ब्रांडेड कंपनियों की वेबसाइट
से मिलते जुलते नामों से फेक वेबसाइट बनाई गई है जहां
पर अक्सर लोग होटल बुकिंग, शिक्षा के लिए अथवा किसी
कंपनी की फ्रेंचाइजी लेने के लिए या कोई प्रोडक्ट लेने के
लिए जाते हैं और ठगी का शिकार हो जाते हैं।
अपनी जरूरत के लिए वेबसाइट की तरह ही हम जब किसी
कस्टमर केयर का नंबर गूगल पर सर्च करते हैं, यहां अक्सर
हम फ्रॉडस्टरों के नंबरों के संपर्क में आ जाते हैं और जैसा
वह कहते हैं हम उनकी बात में आकर अपना पैसा गवां देते
हैं।
सोशल मीडिया पर कोई सामान खरीदने अथवा बेचने के
लिए डालते हैं वहां पर भी किसी न किसी तरह से हमें बातों
में फंसा कर रुपए ले लिए जाते हैं।
19
अपरिचित जगहों अथवा अपरिचित लोगों द्वारा से किसी
तकनीकी मदद के दौरान अक्सर हमारा डेटा शेयर होने की
संभावना तथा जॉब के नाम पर पैसा लेने के साथ साथ
हमारी आईडी का इस्तेमाल करके हमारे नाम से खाता
खुलवाया जा सकता है, साथ ही साथ सिम भी जारी करवा
लिया जाता है तथा उसका इस्तेमाल फ्राड के कार्यों में किया
जाता है।
आवश्यकता को देखते हुए लोग शादी के लिए, डेटिंग के
लिए बने हुए पोर्टल/ एप्लीकेशन पर आईडी बनाकर
सजातीय अथवा किसी भी प्रकार के लोगों से संपर्क करते
हैं, ऐसे वेबसाइटों पर भी fraduster फेक आई बनाकर बैठे
हुए हैं। लोगों से बातचीत कर इमोशनली ब्लैकमेल कर
अथवा कोई प्राइवेट pic/ वीडियो मिलने पर उसके आधार
पर ब्लैकमेल करते हैं।
बचाव- वेबसाइट को सही तरीके से वेरिफाई कर ले तथा कस्टमर
केयर नंबर को संबंधित कंपनी की अधिकृत वेबसाइट से ही प्राप्त
करें। डेटिंग ऐप के माध्यम से लोगों के संपर्क में आने पर कभी भी
अपनी प्राइवेसी साझा न करें तथा पैसे की मांग किए जाने पर
सतर्क रहें।
“अब तक हमने जाना कि हमारी वित्तीय क्षति के कार्य के
लिए किस साइकोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है। अब
हम समझते हैं कि विभिन्न सोशल मीडिया आईडी के माध्यम से
किस प्रकार से लोगों को टारगेट किया जा सकता है।”
20
सोशल मीडिया का छल
सोशल मीडिया आईडी की अगर हम बात करें तो जितनी
आईडी real हैं उसे कहीं ज्यादा fake बनी हुई हैं। उन फर्जी
आईडी की पहचान करना इतना आसान नहीं। हमारे विभिन्न
सोशल मीडिया अकाउंट अथवा साइबर अपराधियों द्वारा बनाए
गए अकाउंट के द्वारा जिस प्रकार से लोगों को टारगेट किया जा
रहा है। उसे लेकर हमें सतर्क रहने की जरूरत है।
सबसे ज्यादा प्रचलन किसी सेलिब्रिटी अथवा हमारे जानने
वाले किसी व्यक्ति के नाम का फेक अकाउंट बनाकर दोस्ती
करना और हमारी व्यक्तिगत जानकारी लेना अथवा पैसे की
मांग करना।
सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर, डेटिंग ऐप,
मैट्रिमोनियल ऐप आदि पर अक्सर महिला की फर्जी आईडी
बनाकर पुरुष को तथा पुरुष की आईडी बनाकर महिला से
दोस्ती करना तथा विश्वास में लेने के बाद ट्रेडिंग में निवेश को
लेकर, फेक गिफ्ट भेजने अथवा इमोशन में लेकर ठगी
करना।
सोशल मीडिया पर अक्सर लोग अपनी प्रोफाइल लॉक नहीं
रखते ऐसे में फ्रॉडस्टर फोटो आदि चोरी कर किसी परिचित
के नाम की आईडी बनाते हैं तथा किसी बहाने अन्य लोगों से
ओटीपी मांग कर अथवा फिशिंग लिंक भेजकर दूसरे की भी
फेसबुक, इंस्टाग्राम अथवा व्हाट्सएप आईडी हैक कर लेते
हैं।
एक नाम आता है साइबर स्टॉकिंग का। जिस प्रकार भौतिक
रूप से लोग एक दूसरे का पीछा करते हैं ठीक उसी तरह
21
से साइबर अपराधी भी वित्तीय ठगी के उद्देश्य से अथवा यौन
शोषण के लिए सोशल मीडिया पर लोगों की गतिविधियों पर नजर
रखते हैं।
प्रायः यह भी देखने में आता है कि जब दोस्ती, प्यार अथवा
अन्य किसी रिश्ते नातों में जब किसी मोड पर मतभेद/ मनमुटाव
हो जाता है तब लोग पूर्व में ली गई प्राइवेट pic/ वीडियो अथवा
चैटिंग की बातों को सोशल मीडिया पर वायरल करने व दूसरों को
बदनाम करने का कार्य करते हैं। कभी स्वयं से ऐसा कार्य न करें
जिससे आपको भविष्य में समस्य़ा हो।
अपने सोशल मीडियो अकाउंट को हैक होने से बचाने के लिए
प्रोफाइल लॉक रखे, बिना वेरिफाई किए किसी की FRIEND
रिक्वेस्ट स्वीकार न करें। अपने प्रत्येक आईडी का 2 स्टेप
वेरिफिकेशन कर लें।
साइबर अपराधियों द्वारा कॉल मैसेजिंग अथवा इंटरनेट/
सोशल मीडिया किसी न किसी प्रकार लोगों से सम्पर्क करते हैं ।
यहां हमारे विश्वास को जीतने का प्रयास करतें हैें और सारा खेल
इसी विश्वास के बाद शुरु हो जाता है। यहां हमें इसी बात का ध्यान
रखना है कि यदि हमारा सम्पर्क किसी अंजान से होता है तो हमें
उस कॉलर के नंबर को, मैसेजिंग के नंबर को तथा उनके द्वारा
कही गयी बातों को पहले वेरीफाई करना है कि वह नंबर हमारे
परिचित का है, किसी valid कम्पनी का है या फ्राडस्टर का है।
उनके द्वारा कही गयी बातों में कितनी सत्यता है। इस सब बातों
का बिना क्रास वेरीफिकेशन किये हमें उसके बताये अनुसार कोई
कार्य नहीं करना है।
22
हम बात करेंगे डेबिट कार्ड व क्रेडिट कार्ड क्लोनिंग व उसके
एक्सचेंंंंंंंंंंंंंंज किये जाने की सम्भावनाओं के बारे में । हमारे द्वारा
इस्तेमाल किये जाने वाले कार्ड की अक्सर सम्भावना रहती है
क्लोन हो जाने की अथवा बदल दिये जाने की । जिसके लिए
सावधान रहने की बहुत ही आवश्यकता रहती है।
खरीददारी के लिए यदि हम अपने कार्ड का इस्तेमाल कर रहे
है तो ध्यान रखें कि अस्थायी दुकानों, मेले आदि में व
अन्जान जगहों पर कार्ड स्वाइप करने से बचना चाहिए, ऐसी
जगहों पर सम्भावना रहती कि फ्राड गैंग कार्ड स्वाइप किये
जाने के दौरान कार्ड का डाटा चोरी कर उसकी क्लोनिंग कर
लें।
एटीएम मशीन में स्वाइप करते समय ध्यान रखें कि स्वाइप
करने की जगह पर कोई क्लोनिंग डिवाइस तो नहीं लगायी
गयी है। खासकर ऐसी जगह पर जहां गार्ड आदि न हो।
यदि तकनीकी खराबी के कारण कार्ड अथवा पैसा फंस
जाता है तो वहां शिकायत करने हेतु नंबर डायल करते समय
वेलिड नंबर की जानकारी करने के उपरान्त ही कॉल करें।
DEBIT/ CREDIT CARD
23
अक्सर वृद्धजन अथवा ऐसे व्यक्ति जिसे कार्ड का इस्तेमाल
किये जाने में असुविधा होती है वह सहायता के लिए वहंा
पर खड़े किसी अपरिचित का सहयोग लेते हैं, जो कि
फ्राडस्टर भी हो सकते हैं वह पैसे निकालने में आपकी मदद
करते । पिन नंबर डालते ही उन्हें पिन की जानकारी हो
जाती हैै तथा कार्ड जब उनके हाथ में जाता है तब वह कार्ड
बदल कर सेम कम्पनी व कलर का कार्ड आपको दे देते हैं,
जिस पर हम उस समय ध्यान नहीं देते हैं ।
अत: ऐसी छोटी छोटी सावधानियों से आप अपने
कार्ड को सुरक्षित रख सकते हैं, जिससे कि कार्ड
सम्बन्धित कोई धोखाधड़ी न हो।
24
Cyberbullying- साइबर बुलिंग से तात्पर्य इंटरनेट या मोबाइल
टेक्नोलॉजी का प्रयोग करके असभ्य, घटिया या तकलीफदेह संदेश,
टिप्पणियां और इमेज/वीडियो भेजकर किसी को जानबूझकर तंग
करना या डराना धमकाना है।
Cyberstalking- साइबरस्टॉकिंग का तात्पर्य इंटरनेट या अन्य
इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों का उपयोग करके किसी व्यक्ति, समूह या
संगठन को परेशान करने से है। इसमें कोई झूठे आरोप, मानहानि,
बदनामी और परिवाद शामिल हो सकते हैं। साइबरस्टॉकिंग में
निगरानी, पहचान चुराना, धमकियां देना, बर्बरता, सेक्स के लिए
याचना, या ऐसी जानकारी एकत्र करना शामिल हो सकता है
जिसका इस्तेमाल धमकी, शर्मिंदगी या उत्पीड़न के लिए किया जा
सकता है।
Sextortion- यौन शोषण या ‘सेक्सटॉर्शन’ ब्लैकमेल का एक रूप
है, जिसमें कोई व्यक्ति आपकी नग्न या यौन छवि या वीडियो साझा
करने की धमकी देता है, जब तक कि आप उनकी मांगों को पूरा न
कर दें। अगर आपके साथ ऐसा होता है, तो आप अकेले नहीं हैं -
मदद उपलब्ध है।
Honey Trapping- हनी ट्रैप तरह की जासूसी है जिसमें
पारस्परिक, राजनीतिक या मौद्रिक उद्देश्य के लिए एक रोमांटिक या
यौन संबंधों का उपयोग किया जाता है (Honey Trap) हनी ट्रैप में
किसी ऐसे व्यक्ति से संपर्क किया जाता है जिसके पास कोई
आवश्यक जानकारी हो या पैसे ठगने हों। ट्रैपर तब लक्ष्य को एक
झूठे रिश्ते में फंसाने की कोशिश करता है जिसमें वे लक्ष्य पर
जानकारी बटोर सके।
साइबर क्राइम दुनिया की प्रमुख शब्दावली
25
Grooming- ऑनलाइन ग्रूमिंग वह है जिसमें कोई व्यक्ति किसी
बच्चे से ऑनलाइन मित्रता करता है तथा उसका शोषण करने तथा
उसे नुकसान पहुंचाने के इरादे से उसमें विश्वास पैदा करता है।
Morphing- छवि को बदल कर लोगों को ब्लैकमेल करना
साइबर अपराध की दुनिया में बहुत प्रयोग में लाया जा रहा है।
Spoofing- साइबर सुरक्षा में, 'स्पूफिंग' तब होता है जब
धोखेबाज किसी व्यक्ति का विश्वास जीतने के लिए कोई और
व्यक्ति या कोई और चीज़ होने का दिखावा करते हैं। इसका उद्देश्य
आमतौर पर सिस्टम तक पहुँच प्राप्त करना, डेटा चुराना, पैसे
चुराना या मैलवेयर फैलाना होता है।
Ransomware- रैनसमवेयर एक प्रकार का मैलवेयर है जो
आपके कंप्यूटर या नेटवर्क की फ़ाइलों को एन्क्रिप्ट कर देता है
और फिर उन्हें अनलॉक करने के लिए आपसे फिरौती की मांग
करता है
26
हमें साइबर अपराधियों से सतर्कता के साथ साथ स्वयं से एक
सवाल जरुर करना चाहिए कि क्या हम स्वयं से कोई ऐसा कार्य
तो नहीं कर रहे जो कि साइबर अपराध की श्रेणी में आता है
जैसे कि.........
लालच में आकर अपने नाम का बैंक अकाउंट अथवा
सिम कार्ड का संचालन साइबर ठगों के हाथों में देना
अथवा ठगी के पैसे अपने बैंक खातों में मंगाना ।
सोशल मीडिया पर, गेमिंग ऐप पर किसी बच्चे से अश्लील
चैट करना अथवा छोटे बच्चों की अश्लील फोटो, वीडियों
सर्च करना उसे लाइक करना फॉरवर्ड करना शेयर करना
आदि संज्ञेय अपराध की श्रेणी मेंंंंंंंं आता है। इससे बचें।
अपने किसी ऐसे परिचित जिससे वर्तमान में मतभेद होने
के कारण उसे बदनाम करने की नियत से उसकी प्राइवेसी
सोशल मीडिया पर पोस्ट तो नहीं किया जा रहा है।
स्कूल, कॉलेज आदि में बच्चों द्वारा अक्सर शरारत में फेक
आईडी बनाकर टीचर्स के फोटो/ वीडियो को AI तकनीक
के द्वारा उसे एडिट कर पोस्ट किया जाता है, उन्हें भ्रम
रहता है कि फेक आईडी है पता नहीं चलेगा। यह भ्रम न
पाले और ऐसी शर्मनाक गलती न करें।
गलती से किसी की प्राइवेट फोटो वी़़डियो बनाने का
प्रयास न करे न ही उसे शेयर करेंे।
कहीं हम स्वयं तो अपराध नहीं कर रहे?
27
जॉब आदि के नाम पर किसी व्यक्ति को गुमराह कर ठगी के
कार्य के लिए प्रेरित अथवा संलिप्त न करेेेेेेेेेेेेेेेेेेेें।
सोशल मीडिया पर अक्सर देखने मे आता है कि लोग
अभिव्यक्ति की आजादी की मर्यादा का उल्लंघन करते हुए
राष्ट्र विरोधी अथवा व्यक्ति विशेष के विरुद्ध अमर्यादित पोस्ट
करते हैं जो कि न केवल देश में आपसी एकता, अखण्डता
पर असर डालती है, बल्कि विश्व स्तर पर देश की छवि पर
प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
**********************************************************
“अब हम कुछ प्रमुख केस
स्टडीज के माध्यम से
साइबर अपराधियों के
मनोविज्ञान को समझतें है,
जो कि साइबर ठगोंं के तौर
तरीको पर आधारित हैं,
यह किसी व्यक्ति विशेष से
सम्बन्धित नहीं हैं। नाम
काल्पनिक हैं। आपकी
जागरुकता व समझ के
लिए सहायक सिद्ध
होगी।”
28
खच्चर खाता - संजीव कुमर के घर एक दिन नोटिस
आती है, बंगलौर साइबर पुलिस की जिसमें लिखा कि
उसके नाम से रजिस्टर्ड बैंक खाता 125×××××78555
ifsc UBN05856 में बहुत ही बड़ी राशि में फ्रॉड किए धन
का ट्रांजेक्शन हुआ है, जिस कारण से वह कई अलग अलग
मामलों में आरोपी है, अब संजीव को ध्यान आता है कि
उसकी दुकान पर एक व्यक्ति आया था और उसने यह
केस स्टडी- 1
कहकर बैंक खाता
खुलवा दिया था कि
इसमें गेम का पैसा
आएगा और उसको
20% कमीशन मिलेगा
और उसके कहने पर
संजीव ने एक बैंक खाता खुलवाकर उसक Atm आदि उस
आदमी को दे देता है। कुछ दिन तक व्यक्ति एक चौराहे पर
संजीव से मुलाकात करता रहता है और हर बार संजीव को
हजार दो हजार दे देता है, कुछ दिन बाद वह व्यक्ति संजीव से
मिलना बंद कर देता है। संजीव भी उसे ध्यान से हटा देता हैं।
जब उसे वह नोटिस मिलती है तो उसके बाद संजीव अपने बैंक
जाता है।व बैंक खाते के बारे में पता करता है तो पता चलता है
कि उस खाते में प्रतिदिन बहुत सारा लेनदेन हुआ है, साथ ही
बेलेंस भी बहुत कम है तथा उस खाते को लेकर कई जगहों से
साइबर फ्रॉड की शिकायत भी है, जिस कारण से वह खाता भी
29
बन्द कर दिया गया है। अब संजीव असमंजस में हो जाता है कि
उस नोटिस को लेकर वह कैसे साबित करे कि उसने उस खाते
का संचालन नहीं किया है, या उसने लालच में आकर किसी
व्यक्ति को Atm कार्ड दे दिया था, या उससे सही बात न बताकर
गुमराह करके बैंक खाता खुलवा लिया गया था। क्योंकि जिस
व्यक्ति ने उसे खाता खोलने को कहा था उस आदमी के बारे में
संजीव जानता भी नहीं था।
सावधान- साइबर फ्राड की दिन प्रतिदिन बढ़ोत्तरी में ऐसे ही
लोगों का योगदान सबसे ज्यादा रहा है जो लालच में आकर,
अथवा किसी के द्वारा गुमराह किए जाने पर अपने नाम से बैंक
खाता खुलवा कर, अपने नाम से सिम कार्ड issue करवाकर
उसे किसी दूसरे को दे देते हैं और बाद में स्वयं अपराधी बन जाते
हैं। ध्यान रखें जॉब के नाम पर, वेतन के नाम पर, कमीशन के
नाम पर गलती से भी आपके नाम पर रजिस्टर्ड कोई बैंक खाता,
सिमकार्ड किसी फ्राॅडस्टर के हाथ न लगने देें।
30
सोशल मीडिया दोस्त- एक महिला ने एक घटना के बारे में
बताते हुए कहा कि उसके पति का अपहरण हो गया है, उसके पति
ने उसके लिए गिफ्ट भेजा था, पहले गिफ्ट को पकड़ लिया गया
और अब वह उससे मिलने आ रहे थे तो उन्हें भी सीबीआई वालों ने
एयरपोर्ट पर पकड़ लिए हैं। मैंने पूछा शादी कब हुई थी, महिला
बोली कि 15 दिन पहले फेसबुक पर दोस्ती हुई थी, और वहीं पर
हम दोनों ने शादी का फैसला किया था। वह विदेश में रहते हैं।
अभीदो दिन पहले उन्होंने मेरे लिए गिफ्ट भेजा था फिर अगले दिन
कॉल आई कि वह गिफ्ट एयरपोर्ट पर पकड़ लिया गया है, उसे
छोड़ने के लिए कस्टम के अधिकारी पैसा मांग रहे थे, उसमें काफी
महंगा सामान था तो हमने कुछ रुपये दे दिए फिर वह दुबारा से और
ज्यादा मांगने लगे। कल उनके पति उनसे बोले कि मैं मिलने आ रहा
हूं, और आकर सामान भी छुड़ा लेता हूं, आज फिर फोन आया कि
उनको भी रोक लिए हैं, 50 हजार रुपए मांग रहे थे तो हमने 20
हजार रुपए भेज भी दिए पर कस्टम वाले मान नहीं रहे हैं। जब
हमने हिम्मत करके अपनी सहेली से यह बात बताई तो वह कह रही
कि कोई मित्र या पति नहीं है वह सब ऑनलाइन ठगी करने वाले ही
है, जो कभी पति बनकर कभी कस्टम अधिकारी बनकर कॉल करते
हैं।
केस स्टडी- 2
जी हां सही बताया उस महिला की
सहेली ने वह साइबर ठग ही होते हैं, जो लोगों
को ठगी करने के लिए एक नए ट्रेंड में
फेसबुक से दोस्ती करते हैं, खुद को high
प्रोफाइल rich man के रूप में दिखाते हैं
और फिर कहेंगे कि आपके लिए गिफ्ट भेज
रहा, फिर उसका पकड़े जाना और उसे
छुड़ाने के लिए पैसे मांगना। यह फिशिंग जैसा
ट्रैप ही है।
31
क्रेडिट कार्ड स्कैम - राजेश एक क्रेडिट कार्ड के लिए
अप्लाई करता है उसका क्रेडिट कार्ड कूरियर के माध्यम से घर
आता है। अगले दिन उस पर कॉल आती है। कॉलर राजेश से
कहता है कि वह उसके बैंक से बोल रहा है उसके क्रेडिट कार्ड
को active करके उसकी लिमिट बढ़ानी है। साथ ही वह राजेश
का नाम व उसके बारे में कुछ जानकारी बताता है जिससे राजेश
को विश्वास हो जाता है कि कॉलर के पास उसके बारे में पहले
से ही जानकारी है शायद वह उसके बैंक का ही कोई कर्मचारी
है। कॉलर आगे कहता है कि वह उसे बैंक का एक प्रोफार्मा भेज
रहा है। जिसे वह भर कर सबमिट कर दें, जिससे उसकी लिमिट
बढ़ जाएगी। कॉलर एक लिंक भेजता है। जिसे राजेश क्लिक
करता है तो एक बैंक का प्रोफार्मा पेज खुल जाता है। राजेश
अपने क्रेडिट कार्ड की जानकारी भरता है। कुछ देर बाद उसके
क्रेडिट कार्ड से 48500/- spent का मैसेज आता है। राजेश
को समझ नहीं आता है कि यह क्या हुआ। कुछ समय बाद उसे
समझ आ जाता है कि उसके साथ ठगी हो गई। लेकिन यह
समझ नहीं आया कि यह हुआ कैसे….
केस स्टडी- 3
क्या उस लिंक पर
क्लिक करने मात्र से पैसे
कटे या कुछ और
हुआ……..….
आइए जानते हैं कि
राजेश के साथ क्या
हुआ।
32
राजेश ने जब उस लिंक पर क्लिक किया, बैंक की तरह
एक प्रोफार्मा खुल जाता है, वह उसमें अपने क्रेडिट कार्ड की
डिटेल फीड करता हैं, उसके बाद एक ओटीपी भी आता हैं और
वह उसे सबमिट करता हैं, परन्तु वह फेल हो जाता है, क्योंकि
वह एक फेक पेज होता है। जिस समय वह डिटेल भर रहा होता
है, उसी समय सारी डिटेल फ्रॉडस्टर अपने सिस्टम पर देख रहा
होता है और असली पेज पर खरीददारी करने के लिए वही
डिटेल फिल करता रहता है, ओटीपी हाथ लगते ही वह राजेश
के क्रेडिट कार्ड से धन का इस्तेमाल कर लेता है।
बचाव - बहाने बहुत सारे हो
सकते हैं परन्तु आपको ऐसी
किसी अन्जान काल पर
विश्वास करके न तो पैसे देने
है न ही अपनी कोई
जानकारी शेयर करनी है, न
ही उसके भेजे गये किसी
लिंक पर क्लिक करके कोई
डेटा फीड करना है।
33
न्यू़ड कॉल- एक व्यक्ति ने बताया कि फेसबुक पर
एक लड़की ने उन्हें फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजा। उन्होंने लड़की
की रिक्वेस्ट स्वीकार कर ली। उसके बाद मैसेंजर पर
दोनों में कुछ चैटिंग हुई फिर उस लड़की ने व्हाट्सएप
नंबर मांगा। व्हाट्सएप नंबर मिलने पर लड़की ने वीडियो
कॉल किया। वीडियो कॉल पर रोमांटिक बातों के साथ
वह धीरे- धीरे अपने वस्त्र उतारने लगी। वस्त्र उतारने के बाद
लडकी उस व्यक्ति को भी ऐसा करने के लिए उकसाने लगी। ये
भी महाशय कुछ समझ नहीं पा रहे थे और खुद पर नियंत्रण
नहीं रख सके, कर दिए गलती, हो गए वस्त्र विहीन। फिर तो
खेल होना ही था। इनकी वीडियो कॉल रिकॉर्ड हुई। कॉल कट
होने बाद शुरू हो गया मैसेज व काल आना। वीडियो वायरल
करने की धमकी, रिश्तेदारों में बदनाम करने की धमकी, पुलिस
में शिकायत करने की धमकी और यह सब रोकने के लिए पैसे
की मांग। कभी लड़की द्वारा कभी पुलिस अधिकारी बनकर,
कभी वकील बनकर।
खैर एक गलती करने के बाद इन्होंने उसे पैसा देने की
दूसरी गलती नहीं की, और समय से अपने कुछ परिचितों को
व पुलिस से अपनी बात शेयर कर दी, जिससे ठगी का शिकार
होने से बच गए। यह एक ट्रेंड है, कंप्यूटर जनरेटेड प्रोजेक्टाइल
कॉल होती है, जिसमें कॉल रिकॉर्ड करके उसे एडिट कर
वायरल करने की धमकी देकर पैसे की मांग किया जाता है।
केस स्टडी- 4
WWW.CYBERCRIME.GOV.IN
34
सस्ता सामान - एक दिन हमारे एक
परिचित ने फोन किया, कि भैया मैने
फेसबुक पर एक स्कूटी पसंद की थी।
आर्मी का है बातचीत हुई तो बताया
उनका ट्रांसफर हो गया है, उन्हें कुछ
सामान बेचना है। 40 हजार बताया
था दाम, मुझे सस्ती लगी इसलिए
केस स्टडी- 5
उसे एडवांस में दस हजार रुपए भी दे दिए। अब वह कह रहा
है कि गाड़ी आधे रास्ते में पहुंच गई है। दस हजार और मांग
रहा है। उसने अपनी आईडी भेजी है, देख कर बताइए सही है
या नहीं तब भेजे पैसा। उन्होंने उसकी आईडी भेजी । आर्मी
की आईडी थी, नंबर भी था। मुझे तो उनसे बात करते ही
समझ में आ गया कि यह स्कैम है। उस आईडी को गूगल लेंस
पर स्कैन किया तो पता चल गया कि आईडी गूगल से लेकर
एडिट की गई है। मोबाइल नंबर भी स्पैम का आ रहा था। फिर
मैंने उन्हें समझाया कि यह एक ट्रेंड है साइबर फ्रॉड का जिसमें
आर्मी पर्सन के नाम का सहारा
लेकर क्योंकि लोग आर्मी पर्सन पर
विश्वास करते हैं। उसे और पैसा मत
भेजिए, और जल्दी से जल्दी उसकी
शिकायत दर्ज कराइए।
35
कॉलर ने सुरेश कुमार के मोबाइल पर एक फेक मैसेज भेजा ।
कुछ इस प्रकार से……….
मैसेज भेजने के तुरंत बाद फिर काल आई कि अंकल
जी गलती से एक 0 बढ़ गया था और चालीस हजार चले गए
हैं। मैं हॉस्पिटल में हूं। आप मुझे 4 हजार काट कर शेष राशि
वापस कर दीजिए। सुरेश ने ऐसा ही किया और घर आकर
अपने बेटे को बताया कि आपके दोस्त ने 4 हजार दे दिया है।
बेटा बोला कौन सा दोस्त मैंने तो किसी को नहीं दिया था
रुपया। सुरेश दुबारा उसी नंबर पर कॉल करता है तो नम्बर
ऑफ जाता है। अपना अकाउंट चेक किया पता चला कोई
रुपया नहीं आया है। बल्कि 36 हजार उन्होंने भेजा था वह
बैलेंस कट चुका था। अब सुरेश को पता चला कि उनके साथ
फ्रॉड किया गया है। ठगी का शिकार हो जाने पर सुरेश कुमार
ने सोचा कि बैंक से संपर्क कर एक शिकायत दर्ज करा दी जाए
फेक क्रेडिट मैसेज- एक दिन
सुरेश कुमार के मोबाइल पर कॉल
आती है, कॉलर बोलता है, अंकल
जी मैं आपके बेटे का दोस्त बोल रहा
हूं। मैने आपके बेटे से 4 हजार रुपए
उधार लिए थे। उन्होंने आपके खाते
में भेजने को बोला है। मैं आपको
भेज दे रहा हूं। उन्होने सहमति दे दी।
केस स्टडी- 6
36
जिसके लिए वह गूगल से Customer care नंबर सर्च
कर उस पर कॉल करके अपनी समस्या बतातेें हैं। वह
व्यक्ति बोलता है सर मेैं आपकी सहायता कर रहा हूं और
सुरेश को anydesk एप्लीकेशन डाउनलोड कराता है जो
स्क्रीन शेयर एप्लीकेशन होती है। इस तरह स्क्रीन शेयर हो
जाने से सुरेश के मोबाइल में चल रहे upi आईडी से करीब
68 हजार और ट्रांसफर कर लिया गया। जानकारी के
अभाव और गलत जगह से कस्टमर केयर नंबर लेने से वह
पुनः ठगी का शिकार हो जाता है।
इस तरह आप समझ सकते है कि किस प्रकार पहले
फर्जी मैसेज भेजकर इमोशनली ठगी का शिकार
बनाया गया तथा बाद में फर्जी कस्टमर केयर नंबर पर
भी सम्पर्क करने बाद तकनीकी रुप से ट्रेप किया
गया।
यदि आप किसी अज्ञात कॉल का मैसेज को
वेरीफाई नहीं करते हैं तो इसी तरह ठगी का शिकार
हो सकते है।
37
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RAKESH KUMAR MISHRA CYBER CRIME CELL, LKO
37
डेटिंग ऐप छल- सतेन्द्र कुमार डेटिंग एप्प पर अपनी
प्रोफ्ाइल बनाते हैं, एक लड़की से उनकी बातचीत शुरु होती
है, कुछ दिन बाद लड़की अपनी धरेलू समस्याओं का जिक्र
करते हुए सतेन्द्र से मदद के लिए कहती है, सतेन्द्र मदद करने
के लिए तैयार हो जाता और उसे समय-2 पर रुपये भेजता
रहता है। यूं ही कुछ दिन सिलसिला चलता है फिर सतेन्द्र उसे
एक रेस्टोरेंट में मिलने के लिए कहता है जिसपर लड़की उसे
अपने बताये हुए एक रेस्टोरेंट पर बुलाती है दोनों मिलते हैं,
लंच आदि आर्डर किया जाता है, जब बिल भुगतान की बात
आती है तो सतेन्द्र के होश उड़ जाते हैं जिस सामान का
अनुमान उसनें 300- 400 लगाया था उसका बिल 25000/-
बताया गया। मान- सम्मान बचाने के लिए सतेन्द्र उसका
भुगतान करता है। मिलने का सिलसिला शुरु रहता है। एक
दिन अंजान नंबर से उसके व्हाट्सएप पर कुछ आपत्तिजनक
फोटो आती है सतेन्द्र देखता है कि वह फोटो उसी लड़की ने
एक होटल के कमरे में रोमांटिक अवस्था में ली थी और फोटो
भेजने के बाद एक मैसेज आता है कि लड़की पुलिस में
शिकायत करने जा रही है।
अगर उसे रोकना है तो पैसे
देकर मामला सेटल कर
लो।
केस स्टडी- 7
38
रमेश के पैरों तले जमीन खिसक जाती है, लड़की को कॉल
करता है, परन्तु नंबर बंद जाता है। वह समझ जाता है कि पूरे
प्लान के साथ किस प्रकार उसके साथ धोखा किया गया है।
इमोशनल ब्लैकमेल, रेस्टोरेंट का मंहगा बिल और अंत में
प्राइवेसी को लेकर ब्लैकमेंलिंग..........
ध्यान रखें- किसी पर विश्वास
कर अपनी कमजोर कड़ी उसे
न सौंपे।
39
मी़़डिया ऑटोडाउनलोड- महेश के मोबाइल पर एक दिन 48000/
रुपए बैंक खाते से कटने का मैसेज आया। महेश हैरान होकर अकाउंट
चेक करता है तो उसे पता चला पैसे सच में कट गए हैं। परेशान होकर
वह बैंक जाता है, बैंक में अपना खाता को होल्ड करा देता है । बैंक
कर्मचारी महेश को साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराने को कहते हैं।
महेश साइबर सेल जाता है और बताता है कि उसने न तो ओटीपी शेयर
किया न ही किसी लिंक पर क्लिक किया फिर पता नहीं कैसे पैसे कट
गए। साइबर सेल में गहन पूछताछ की गई तो पता चला कि उसने
गूगल से नंबर लेकर इलाज के लिए डॉक्टर को कॉल कर अपॉइंटमेंट
ली थी और बाद में व्हाट्सएप पर अपॉइंटमेंट बुकिंग नाम की एक
फाइल भी आई थी परंतु उसने उसे ओपन नहीं किया था। खेल यह था
कि नंबर डॉक्टर के नाम पर फ्रॉडस्टर का था। फ्राडस्टर के
केस स्टडी- 8
द्वारा एक apk फाइल भेजी गई जो कि
व्हाट्सएप में ऑटो डाउनलोड इनेबल होने के
कारण स्वतः ही डाउनलोड हो गई। डाउनलोड
होने के बाद उसे sms, call, लोकेशन, आदि
सारी परमिशन allow की गई थी और इस तरह
जो भी ओटीपी आती है फ्रॉडस्टर को उसका
पता चल जाता है और वह sms में आने वाली
otp का उपयोग करते हुए upi आईडी बनाकर
खाते से पैसे ट्रांसफर कर लेते हैं।
ध्यान रखें- व्हाट्सएप, टेलीग्राम, ईमेल आदि
सभी प्लेटफार्म से आटोडाउनलोट disable कर
दें।
40
वर्क फ्रॉम होम- महेश ग्यारहवीं क्लास का स्टूडेंट है। एक दिन
उसके व्हाट्सएप पर मैसेज आया घर बैठे जॉब करने का। महेश
ने इच्छा जताई। सवाल किया कि क्या काम है? जवाब था कि
कुछ रेस्टोरेंट, होटल, इंस्टीट्यूट को रेटिंग करना है और अच्छे
कमेंट करने हैं। महेश सोचा चलो करके देखते है, इसमें कोई
बड़ा काम तो है नहीं। बस फिर क्या था उसने बतायी गयी
वेबसाइट पर रेटिंग की और शाम तक उसके खाते में 400
रुपए आ गए। महेश खुश था कि इससे तो वह अपना खर्च उठा
सकता है। शाम को ही उसके मोबाइल नंबर को एक टेलीग्राम
ग्रुप पर जोड़ा गया। वहां पर महेश ने देखा कि कुछ लोग ट्रेडिंग
कर रहे हैं और उसका स्क्रीनशॉट भी शेयर कर रहे है।
स्क्रीनशॉट से लग रहा था कि उन लोगों को बहुत ज्यादा फायदा
हो रहा है। महेश के भी मोबाइल पर मैसेज आया कि आप भी
अगर शेयर मार्केट में निवेश करना चाहते हैं, तो अलग-अलग
टास्क के हिसाब से निवेश कर सकते हैं, जिसका आपको
बेहतर रिटर्न मिलेगा। आप रेटिंग के साथ-साथ यह काम भी
कर सकते हैं। महेश ने सोचा चलो एक छोटे अमाउंट से शुरू
करते हैं और उसके कहने के बाद उसकी आईडी बना दी गई
और उसे एक अकाउंट नंबर पर रुपये भेजने को कहा गया।
महेश ने उसमें करीब ढाई हजार रुपए भेज दिया बदले में उसे
₹3500 मिले, फिर महेश को उस काम में धीरे-धीरे मजा आने
लगा।
केस स्टडी- 9
41
महेश ने ₹10000 और लगाएं, फिर उसका विड्रॉल के लिए
कहा तो जवाब मिला कि आपको 30000 रु का एक टास्क
और पूरा करना है। महेश ने ₹30000 और लगा दिए, अब
उसकी आईडी पर 65000 रुपए शो करने लगा। जिसका
विड्रॉल करना चाहा तो फिर उसे बताया गया कि आपने अब
तक रुपए 40000 लगाया गया है और उसका 65000 हो रहे
हैं लेकिन आपको ₹65000 और लगाने हैं तो आपको करीब
170000 मिल जाएगा। महेश ने 65000 और भेज दिए।
महेश चुंकि अपने पिताजी का बैंक अकाउंट इस्तेमाल करता
था जो कि आर्मी में थे।महेश को डर भी था कि पैसे निकालने
हैं और उत्सुकता भी कि पैसा कमाकर पिता जी को सरप्राइज
भी देगा। अब रमेश की आईडी पर 170000 रुपए शो करने
लगा। परंतु जब उसका वह विड्रॉल करना चाहा तो उसे एक
और स्कीम बताई गई। जिसमें उसे 2.5 लाख रुपए निवेश
करना था क्योंकि उसके द्वारा अब तक 1.5 लाख रुपए लगा
दिए गए थे इसलिए वह रुपए निकालने के लिए 2.5 लाख
रुपए और भेज दिया गया। उसने बाद उसने जब पैसे रिटर्न
करने की बात की तो कहा गया कि कि आपका कुल अमाउंट
₹7 लाख हो रहा है। उसका आपको 30% टैक्स देना होगा।
इसलिए आप 210000 टैक्स भर भर दे तो आपको
₹700000 मिल जाएंगे महेश ने सोचा कि उसने ₹5.20 लाख
हो जाएंगे और दो दिन में रुपए 7 लाख मिल रहे हैं तब भी
फायदा है तो उसे जमा कर देना चाहिए।
42
इस तरह महेश ने 210000 और भर दिए। तो इसी
तरह पैसे लगाने के लिए लगातार अन्य बहाने बनाए जा रहे
थे, परन्तु रिटर्न नहीं किया जा रहा था। बैंक खाते में अब पैसे
नहीं बचे थे इसलिए रिटर्न करने के लिए बार-बार रिक्वेस्ट
करने लगा लेकिन उसका पैसा रिटर्न नहीं हो रहा था। फिर
उसके फोन को भी उठाना बंद कर दिया गया। महेश ने यह
बात अपनी माताजी से बताई। फिर कुछ अन्य लोगों से भी
कहा। तब उसे पता चला कि उसके साथ फ्रॉड हुआ है।
उसकी आईडी पर शो करने वाला अमाउंट फर्जी था
और उसने जो पैसे डाले थे, वह फ्रॉडस्टरों के खाते में गए थे,
टेलीग्राम पर जो भी स्क्रीन साथ शेयर किया जा रहा था वह
ठगों की ही टीम के लोग थे वही सब शेयर कर रहे थे और
उसको लग रहा था कि लोगों को बहुत फायदा हो रहा है।
महेश की गलती यह थी कि लालच में आकर उसने
सोशल मीडिया पर लोगों की बातों में विश्वास किया और
बिना किसी से अपनी
बात शेयर किए किसी
से सलाहलिए पैसे
भेजता चला गया।
43
फेक आईडी- एक महिला ने मॉडलिंग में कैरियर बनाने के लिए
फेसबुक पर अपनी एक दोस्त को बिकनी में फोटो शेयर कर दी। फोटो
लेने के बाद उसे शेयर करने की धमकी देते हुए जब महिला को मिलने
के लिए दबाव बनाने लगा, और फोन पर बात हुई तब पता चला कि
वह लड़की नहीं बल्कि लड़का है। परेशान होकर उस महिला ने
साइबर सेल की मदद ली और जब वह व्यक्ति पकड़ा गया। उस
साइको व्यक्ति की जब पूरी हिस्ट्री निकाली गई, मोबाइल डेटा देखा
गया, तब पता चला कि उसने इस तरह कई लड़कियों के साथ धोखा
किया था।
उस व्यक्ति ने इस महिला की फेसबुक प्रोफाइल को सर्च किया
और उसकी फ्रेंडलिस्ट से एक लड़की की फोटो और अन्य डिटेल
निकाल कर उस पुरानी महिला दोस्त के नाम से एक फर्जी आईडी
बनाई और मैसेंजर के माध्यम से बात करने लगा। कुछ दिन बाद फर्जी
दोस्त ने खुद को बताया कि वह मॉडलिंग के क्षेत्र में कार्य करती है,
और उस महिला की पर्सनालिटी, फिटनेस की तारीफ करते हुए और
महिला को भी मॉडलिंग में कैरियर बनाने को कहा। कुछ दिन सोच
विचार के बाद जब वह महिला तैयार हो गई, तो उस फर्जी दोस्त
महिला को फेसबुक पर ही अपनी कंपनी के बॉस से जोड़कर उनसे
बात करने को कहा जो कि एक और फर्जी आईडी उसी व्यक्ति ने बॉस
के नाम पर बनाई थी । इसके बाद उस महिला से कुछ फोटोग्राफ मांगे
गए। इस तरह उस व्यक्ति ने महिला की बहुत सारी सेमी न्यूड फोटो ले
ली। फोटो प्राप्त करने के बाद फिर उसे मिलने के लिए ब्लैकमेल करने
लगा। जब फोन पर बात शुरू हुई, तब महिला को पता चला कि वह
लड़की नहीं बल्कि लड़का है, और उसी ने ही लड़की के नाम से और
बॉस के नाम से फर्जी आईडी का सहारा लेकर ट्रैप किया है।
केस स्टडी- 10
44
केस स्टडी- 11
साइकबर स्लेवरी- कुछ समय पूर्व म्यांमार से रेस्क्यू कर आए
युवाओ को किस तरह से नौकरी के नाम पर बाहर भेजा गया था।
दूसरे देशों में नौकरी करने का सपना संजोए देश के अलग अलग
हिस्सों से युवा लाखों रुपया खर्च करके वीजा पासपोर्ट बनवाकर
तथा साथ में जॉब के लिए भेजने वालों को कमीशन देकर जब वह
वहां पहुंचे तब उन्हें किस प्रकार समस्याओं का सामना करना पड़ा।
एजेंटों द्वारा नौकरी के लिए एमबीए व बीटेक उत्तीर्ण युवक
वियतनाम, थाईलैंड के रास्ते अवैध तरीके से म्यांमार भेजे गए। इन
लोगों को डिजिटल सेल्स और मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव की नौकरी देने
के लिए लालच दिया गया था, वहां पहुंचने के बाद ये नौकरी फर्जी
साबित हुई और इन्हें अवैध रूप से सीमा पार कराकर म्यांमार ले
जाया गया। वहां कई अन्य देशों के लोग भी ऐसे ही कामों में लगाए
गए थे। इन लोगों को महिलाओं के नाम की फेसबुक आईडी दी
जाती थी। समय समय पर फोटो अपडेट करने के लिए फोटो गैलरी
भी दिया जाता था। इन्हें बस उसी आईडी के माध्यम से अलग अलग
देशों के लोगों से दोस्ती कर उन्हें विश्वास में लेकर उन्हें ट्रेडिंग के नाम
पर व अन्य प्रकार से ठगने का कार्य कराया जाता था।
उन्हें बंधक की तरह व्यवहार किया जाता था। कई तरह की शर्ते
थी, परिजनों से अकेले बात नहीं कर सकते थे, दो साल से पहले घर
नहीं जा सकते थे, कामों के लिए दिए गए टास्क न कंप्लीट होने पर
वेतन कटौती किसी तरह से कोई रूल्स तोड़ने पर भी वेतन कटौती
की जाती थी।
सरकार द्वारा ऐसे लोगों को रेस्क्यू कर भारत वापस लाया गया।
तथा भेजने वाले एजेंटों के विरुद्ध कार्यवाही भी की जा रही।
45
रेड्डी अन्ना गेमिंग फ्राड- अभी हाल में ही कमिश्नरेट लखनऊ में
पुलिस ने दुबई संचालित एक बड़े अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगी रैकेट
का पर्दाफाश किया है। एडीसीपी क्राइम के निर्देशन में साइबर
क्राइम थाना, साइबर सेल, और पीजीआई थाना लखनऊ की
संयुक्त कार्रवाई में 15 शातिर जालसाजों को गिरफ्तार कर भारी
मात्रा में सामान बरामद किया गया है। यह गिरोह श्रीलंका,
सिंगापुर, और दुबई के बाद पिछले एक महीने से लखनऊ के
पीजीआई थाना क्षेत्र में एक अपार्टमेंट के पेंटाहाउस से संचालित
हो रहा था।
साइबर ठगों का यह गैंग अन्ना रेड्डी' नामक गेमिंग ऐप के
जरिए भारत के कई राज्यों में लोगों से मोबाइल पर बातचीत
करके मोटा मुनाफा कमाने का लालच देकर पैसे निवेश करवाते
थे। यह गैंग समय-समय पर अपना ठिकाना भी बदलता रहता था
और ऑनलाइन सट्टा भी खिलवाता था ।
गैंग का सरगना विशाल यादव उर्फ गन्नी उर्फ प्रिंस है, जो
कर्मचारी रखकर सोशल मीडिया के जरिए 'अन्ना रेड्डी' ऐप से लोगों
को जुड़वाता था। कर्मचारी फोन कॉल करके अथवा व्हाट्सएप के
माध्यम से लोगों को बेटिंग, निवेश में मोटे मुनाफे का लालच देकर
अलग- 2 टास्क देते थे। शुरुआत में वह लोगों को कुछ लाभ
मिलता था, परन्तु बाद में लोगों का पैसा हड़प लिया जाता था ।
चूंकि ऐप का संचालन फ्रॉडस्टर अपने मनमर्जी से करते थे। जब
तक लोग लाभ- हानि, जीत हार का गेम कुछ समझ पाते तब तक
केस स्टडी- 12
46
उनका काफी पैसा फंस चुका होता था। इसके बाद उस पैसे को
फर्जी अकाउंट (म्यूल अकाउंट) में ट्रांसफर करके निकाल कर
क्रिप्टो करेंसी खरीदकर उसे बाहर देशों में भेद दिया जाता था।
यदि कोई शिकायत करता था, तो उस अकाउंट को फ्रीज कर
दिया जाता था। जिसके बाद नये खातों तथा सिम का इस्तेमाल
किया जाता था।
47
उपरोक्त विभिन्न अपराधों मे फ्राड के पैसों का विभिन्न
माध्यमों से धन शोधन करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ लखनऊ
पुलिस की साइबर क्राइम सेल द्वारा किया गया है। जिसमें
संगठित गिरोह टेलीग्राम चैनल पर मुख्यतया चीनी नागरिकों या
उनके प्रतिनिधियों द्वारा संचालित साइबर ठगी करने वाले गिरोहों
के सम्पर्क में रहते थे। सम्पर्क में रहते हुए इन ठगों द्वारा स्थानीय
स्तर पर लोगों को गुमराह करके अथवा कमीशन का लालच देकर
उनका बैंक खाता लिया जाता था तथा फ्रॉड के पैसों को उन्हीं
खातों में मंगाया जाता था। इस गिरोह के सदस्य खाता धारकों को
अपने साथ रखते थे तथा पैसे खातें में आते ही उसे एटीएम, चैक
आदि के द्वारा नकद भुगतान कराकर अपने पास रख लेते थे।
केस स्टडी- 13
नकद निकासी के बाद
शुरु होती थी, उस ब्लैकमनी
को ह्वाइट मनी में बदलने की
प्रक्रिया। निकाली गयी नकद
धनराशि को क्रिप्टो ब्रोकर को
सौंपा जाता है। ब्रोकर नकद
का उपयोग कर विकेंद्रीकृत
('पीयर-टू-पीयर' P2P)
लेनदेन करता है और कई
डीसेंट्रलाइज़्ड वॉलेट्स के
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इस तरह से संपूर्ण धनराशि को USDT में बदलकर TRC-20
नेटवर्क के माध्यम से भारत से बाहर भेज दिया जाता है।
इस तरह के मामलों में तीन तरह से लोगों को शिकार बनाते हैं
साइबर ठग..........
प्रथम वह लोग जिन्होंने निवेश के नाम पर, जॉब के नाम पर
सीधे पैसे लगाये, अर्थात अलग-2 तरह से ठगी का शिकार
हुए।
दूसरे वह लोग होते हैं जो लालच में आकर अथवा किसी अन्य
धोखे में पड़कर ऐसे पैसे को ऑनलाइन लेने के लिए अपना
बैंक खाता फ्रॉडस्टरों को दे देते हैं।
तीसरे वह लोग जो ऐसे फ्रॉडस्टरों को USDT बेचते हैं क्योंकि
USDT बेचकर जो पैसा उनके खाते में आता वह फ्रॉड का
पैसा होता है, जिससे की उनके लिए भी एक नई समस्या बन
जाती है।
यह कार्य निम्न रुप से अपराध की प्रकृति में आता है......
मनी लॉन्ड्रिंग
अपराध से प्राप्त संपत्ति का उपयोग
विदेशी मुद्रा कानून का उल्लंघन
आपराधिक साजिशी
आईटी अधिनियम उल्लंघन
बैंकिंग नियमों का उल्लंघन
माध्यम से कैस देकर USDT लिया जाता है। ये वॉलेट्स केवाईसी
और रेगुलेशन से मुक्त होते हैं, जिससे इनका उपयोग अवैध लेन-
देन छिपाने के लिए किया जाता है।
यह गैंग खुद को क्रिप्टो ट्रेडर के रुप में दर्शाते थे।
49
Stop dreaming and
start doing
जैसा कि अब तक तमाम केसों के अध्ययन से हमें यही
ज्ञात होता है कि साइबर ठगों द्वारा ज्यादातर मामलों में लोगों को
किसी न किसी बातो में गुमराह किया जाता हैं। जहां पर झासे में
आकर अक्सर लोगों द्वारा खुद ही रुपये ट्रांसफर कर दिये जा रहे
हैं। कुछ ही मामले ऐसे पाये जाते हैं, जहां पर तकनीकी सहारा
लिया गया। उसी क्रम में हम अब समझते हैं, अपने मोबाइल,
सिम के साथ- साथ अपने विभिन्न सोशल मीडिया आईडी, बैंक
खातों आदि को तकनीकी रूप से सुरक्षित रखने हेतु कुछ कॉमन
सावधानियों के बारे में........
निष्कर्ष
चुंकि साइबर ठग मुख्य रुप से जिन माध्यमों से लोगों से
सम्पर्क स्थापित करते हैं, हमें उन रास्तों को तकनीकी रुप
से और साइकोलॉजिकल दोनों तरह से सुरक्षित रखने के
बारे में सोचना होगा।
50
फोन डिवाइस की सुरक्षा- फ्रॉडस्टर द्वारा खुद को एक बड़ी कंपनी
का मैनेजर बताते हुए लकी ड्रा के रूप में एक व्यक्ति को गिफ्ट के
तौर पर मोबाइल भेजा गया। जिसे पाने वाले व्यक्ति द्वारा उसका
इस्तेमाल किया जाने लगा, उसने अपनी नेट बैंकिंग लॉगिन किया।
उसमें पहले से फिशिंग मालवेयर इंस्टॉल किया गया था। जिससे
यूजर आईडी, पासवर्ड फ्रॉडस्टरों को पता चल गई और उसका सारा
अकाउंट खाली कर दिया गया।
इसलिए हमें अपने फोन के माध्यम से होने वाली घुसपैठ के
बारे में फोन खरीदने से लेकर उसके इस्तेमाल किए जाने से ही शुरू
कर देनी चाहिए। जिसमें प्रमुख है -
ऑनलाइन अथवा ऑफलाइन किसी भी माध्यम से फोन
खरीददारी करते समय ध्यान रखें कि दुकान अथवा स्टोर अथवा
ऑनलाइन ऐप वेरीफाइड है या नहीं।
मोबाइल इस्तेमाल करते समय ध्यान रखें कि स्क्रीन लॉक
मजबूत रखें।
चार्जिंग के लिए अंजान जगहों व अनजान लोगों की डिवाइस
का इस्तेमाल करने से बचें।
डिवाइस मेेें किसी प्रकार की खराबी होने पर किसी परिचित की
दुकान से ही मरम्मत कराएं।
अपनी डिवाइस में बैंकिग डिटेल अथवा अन्य प्राइवेसी को
गैलरी में न रखें साथ नोटपैड अथवा किसी ऐप में भी संग्रहीत
न करें।
डिवाइस की सुरक्षा
51
सिम की सुरक्षा- मोबाइल लेने के बाद हम सबसे पहले
मोबाइल में सिम लगाते हैं। अतः दूसरी जिम्मेदारी यह बनती है
कि हम अपने सिम को सुरक्षित कैसे करें।
किसी स्टोर अथवा रोड साइड कैनोपी लगाकर सिम
विक्रेताओं से सिम लेते समय ध्यान रखें कि बार-2 अंगूठा
स्कैन कराकर विक्रेता द्वारा कहीं आपके नाम से एक से
अधिक सिम न जारी कर दे, जिससे कि बाद में दूसरी सिम
का इस्तेमाल फ्रॉड कार्य में किया जाए।
मोबाइल में सिम लगाने के बाद सिम का पिन जेनरेट कर लें
जिससे कि मोबाइल खोने के बाद आपका सिम किसी अन्य
मोबाइल में use न हो सके। आवश्यकतानुसार ही इंटरनेट
का डाटा ऑन करें।
कॉल व sms की सेटिंग्स को always ask पर रखें तथा
फॉरवर्डिंग को चेक करें कि कही sms व कॉल फॉरवर्ड तो
नहीं हो रहे।
सिम की सुरक्षा
अपनी डिवाइस में अनावश्यक एप्लीकेशन डउनलोड न करें
न हीं उन्हें अपनी प्राइवेसी का एक्सेस दें।
प्लेस्टर में पैरेंट्स कंट्रोल OPTION से तथा मोबाइल सेंटिंग
के माध्यम से प्लेस्टोर लॉक करके बच्चों के दुरुपयोग से बचा
कर रखें।
52
कई बार डिवाइस हैक होने पर फ्रॉडस्टरों द्वारा कम्पनियों को
गुमराह करते हुए सिम पोर्ट करा लिया जाता है, यदि कभी
ऐसा होता है तो तुरन्त अपनी टेलीकॉम कम्पनी से सम्पर्क
करेें।
यदि सिम कार्ड उपयोग में न होने के कारण कम्पनी द्वारा
किसी अन्य को जारी कर दिया जाता है, यदि ऐसा नंबर बैंक
में रजिस्टर्ड है तो उसे तुरन्त बैंक से हटवा दें।
सिम के साथ- 2 उस पर आने वाली कॉल को लेकर सबसे
ज्यादा सतर्क रहने की जरुरत है, अंजान नंबरो से आने वाली
कॉल पर सहज ही विश्वास न करें, नंबर का क्रॉस
वेरीफिकेशन करें। उसकी बातों को पहले ध्यान से सुने समझें
व कुछ लोगों से शेयर करें उसके बाद कोई एक्शन लें। कॉल
पर न ही स्क्रीन शेयर करें न ही कॉल को मर्ज होने दें।
कॉल के बाद मैसेंज पर ध्यान दें, कि यदि सीधे मैसेंजर पर
कोई मैसेज भेजा जाता है तो ध्यान दें उसके हेडर पर कि
मैसेज किसी कम्पनी द्वारा आया है Like- JM-BOBTXN-
S अथवा मोबाइल नंबर से।
कई बार फ्रॉडस्टरों द्वारा लोगाें को गुमराह करते हुए उनके
नंबर से मैसेज प्रेषित कराकर ई- सिम चालू करा लिया जाता
है, यदि कभी ऐसा होता है तो तुरन्त अपनी टेलीकॉम कम्पनी
से सम्पर्क करेें।
53
सिम कार्ड के उपरांत अपने मोबाइल को हम ईमेल आई से
लॉगिन करते हैं, अतः अपने ईमेल आईडी को सुरक्षित रखना भी
बहुत ही जरूरी हो जाता है।
मजबूत पासवर्ड रखे व समय- 2 पर बदलते रहें।
टू स्टेप वेरिफिकेशन करें।
Autodownload डिसबल रखें।
किसी अपरिचित जगह पर लॉगिन न करें, किसी दूसरे
सिस्टम में लॉगिन करते समय ध्यान रखें कि पासवर्ड ऑटो
सेव न हो।
बैंक में इस्तेमाल की जाने वाली ईमेल आईडी को किसी
थर्ड ग्रेड वेबसाइट पर लॉगिन न करें।
बैंकिग ईमेल आईडी को अपनी अन्य सोशल मीडिया
आईडी से भिन्न रखें।
नियमित रुप से आने वाली ईमेल/ हेडर की जांच करते रहें
तथा सार्वजनिक वाई-फाई का इस्तेमाल न करें।
सेेटिंग्स में जाकर उसका ऑटोडाउनलोड बंद कर दें जिससें
अवांछित फाइल डाउनलोड न हो सके। साथ ही सेटिंग में
समय- समय पर यह भी चेक करते रहें कि आपका ई- मेल
अकाउंट किसी अन्य डिवाइस में लॉगिन तो नहीं है या
किन- किन सोशल मीडिया खातों, वेबसाइट में उसे लॉगिन
किया गया है।
जीमेल की सुरक्षा
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बैंक खाते/ATM/ क्रडिट कार्ड/ UPI आदि
की सुरक्षा
साइबर फ्राड से बचने के लिए अपने बैंकिग प्राइवेसी,
यूपीआई आईडी को सुरक्षित रखना बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाता
है। इसे सुरक्षित रखने के लिए कुछ जरुरी उपाय किये जा सकते
हैं...................
बैंकिंग पासवर्ड को मजबूत रखें तथा समय-2 पर अपडेट
करते रहें।
कैफे व किसी अपरिचित के सिस्टम पर व संदिग्ध वेबसाइटों
पर बैंकिग आईडी को लॉगिन न करें।
आधार की वेब/ ऐप पर जाकर आधार को लॉक कर दें,
जिससे आधार का दुरुपयोग कर कोई वित्तीय लेन- देन न
कर सके।
ओटीपी अब कम मांगी जा रही, बल्कि चुराया जा रहा है ऐसे
में बताये गये प्रकरणों को ध्यान में रखते हुए ओटीपी को
सुरक्षित रखेंं।
बैैंकिंग ट्रांजेक्सन की त्वरित जानकारी हेतु SMS एलर्ट
नियमित रखें।
किसी अज्ञात द्वारा अथवा बैैेंक कर्मचारी द्वारा कॉल पर कोई
प्राइवेसी मांगे जाने पर उसे शेयर न करें तथा रुककर सोंचे
कि वह क्या मांग रहा, क्यों मांग रहा है तथा उस डाटा के
जाने से जोखिम क्या-2 हैं।
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जैसा कि विभिन्न केस स्टडी से हमे पता चलता है कि साइबर
ठगी मुख्यत: मनोवैज्ञानिक है, अर्थात सारा खेल दिमाक का ही
चलता है, हमने देखा कि किस तरह लोगों को सोशल मीडिया पर
निवेश का, सस्ते सामान का गेमिंग का लुभवना ऑफर मिला और
लोगों ने बिना किसी से सलाह लिए, बिना अपना दिमाग लगाये
उसके जाल में फंसे और अपने रुपये गवां बैठे। ठीक उसी तरह
कॉल पर किसी ने डर का मनोवैज्ञानिक प्रेशर बनाया और भेज
दिये करोड़ो। अत: हमें डिजिटल दुनिया में किसी भी रुप में
अंजान के संपर्क में आने पर पहले उसकी बातों को सुनना
चाहिए, थोड़ी देर ठहर कर उसे समझना चाहिए और जब बात
पैसों की हो अपनी प्राइवेसी की तो तब उसे अपने मित्र, परिजनो
से उसकी चर्चा करनी चाहिए। इससे हमारा भ्रम भी दूर होगा और
सच्चाई सामने आयेगी। डिजिटल दुनिया में अकेले लिया जाने
वाला निर्णय नुकसानदायक हो सकता है।
किसी ट्रेप में फंसने से बचने का सबसे बेहतर तरीका
यही कि खुद को थोडीं देर रोकें थोड़ा सोचें और
कमसे कम अपने अपने मित्र व परिजनों से इस बात
की चर्चा जरुर करें।
दिमाग पर नियंत्रण
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सोशल मीडिया की बात करेें तो उसके लिए जहां जरुरी है
अंजान लोगों की आईडी की पहचान करना वहीं किसी परिचित के
नाम पर बनी फेक आईडी पर विश्वास करना। अत: ऐसी किसी
संदिग्ध आईडी पर विश्वास कर उनकी बातों में आकर अपनी
प्राइवेसी साझा न करें न ही किसी लालच में फंसकर कोई लेनदेन
करें।
फेक आईडी के साथ साथ अपनी आईडी की भी सुरक्षा
महत्वपूर्ण हैं, जिसके लिए निम्न सुरक्षात्मक उपाय किये जाने
चाहिए।
अपनी समस्त सोशल मीडिया आईडी की प्रोफाइल को लॉक
रखें।
सभी आईडी का टू स्टेप वेरीफिकेशन कर लें।
संदिग्ध लोगों की फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार न करें।
कैफे व किसी अपरिचित के सिस्टम पर व संदिग्ध वेबसाइटों
पर बैंकिग आईडी को लॉगिन न करें।
अपनी हर गतिविधि को सोशल मीडिया पर पोस्ट न करें।
ऑटोडाउनलोड डिसेबल कर दें।
किसी पर सहज विश्वास कर ओटीपी व अन्य प्राइवेट डिटेल
साझा न करें।
परिचित व्यक्ति की आईडी से भी किसी प्राइवेसी जैसे
ओटीपी आदि शेयर न करें।
सोशल मीडिया अकाउंट/ ऐप की सुरक्षा
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RAKESH KUMAR MISHRA CYBER CRIME CELL, LKO
यदि किसी अज्ञात कारणों अथवा अज्ञानता वश
आपका सोशल अकाउंट हैक कर लिया जाता है अथवा
अन्य कोई संदिग्ध आईडी संज्ञान में आती है तो उसके
लिए उक्त पोर्टल पर शिकायत
दर्ज कर समस्या का निदान कर सकते हैं।
WWW.CYBERCRIME.GOV.IN
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साइबर क्राइम से सम्बन्धित शिकायतोें के लिए तत्काल
हेल्पलाइन नंबर- 1930 पर सम्पर्क करें तथा उसके दिशा निर्देशों
का पालन करें अथवा cyber crime पोर्टल-
www.cybercrime.gov.in पर अपनी शिकायत पंजीकृत करायें
साथ ही नजदीकी साइबर क्राइम सेल से भी सम्पर्क कर सकतें हैं।
Cyber crime पोर्टल पर तीन तरह के प्रारुप दिये गये हैं, एक
महिलाओं एवं बच्चों के लिए है, जिसमें महिलाएं एवं बच्चे अपनी
शिकायतें यदि चाहें तो पहचान छुपाकर (Anonymously) अथवा
पहचान बताते हुए दोनों में किसी भी प्रकार शिकायत कर सकते हैं।
दूसरा सेक्सन वित्तीय अपराधों से सम्बन्धित है जिसमें आप
रुपये से सम्बन्धित ठगी की शिकायतें पंजीकृत करा सकते हैं और
यदि दोनों से सम्बन्धित आपकी शिकायत नहीं लगती है, तो इसके
लिए OTHER CYBER CRIME से सम्बन्धित भाग है।
C
Y
B
E
R CR
IM
E
शिकायत कैसे करें
60
प्राय: देखने में आता है कि महिलाओं, बच्चों की कुछ अंतरंग/
अश्लील तश्वीरेंं अथवा कुछ व्यक्तिगत जानकारी भद्दे कमेंट के
साथ इंटरनेट/ सोशल मीडिया पर वायरल हो जाती हैं, जिससे
लोगों को मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
ऐसे कान्टेंट्स के हटाने के लिए साइबर सेल के साथ-2 आप
स्वयं से निम्न जगहों पर रिक्वेस्ट कर सकते हैं.............
Google Support--C
O
M
PLA
IN
https://support.google.com/legal/contact/
lr_idmec?sjid=17336166945834858509-AP
इसके साथ-2 आप NCII के
टूल्स पर भी रिक्वेस्ट सबमिट कर
सकते हैे।
https://stopncii.org
नोट- सोशल मीडिया पर कभी
महिलाओं/बच्चों के प्रति अश्लील
कमेंट, फोटो, वीडियों अपलोड करने का
कृत्य न करें क्योंकि यह कार्य बिना
शिकायत आपको संकट में डाल सकता
है।
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C
O
M
PLA
IN
हमें पता होना चाहिए कि बहुत सी देशी- विदेशी, सरकारी तथा
गैर सरकारी संगठन ऑनलाइन यौन शोषण से सम्बन्धित मामलों
की निगरानी करते हुए उसपर कार्यवाही करती हैं। यूएसए स्थित
एक निजी संगठन नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइटेड
चिल्ड्रन (NCMEC) द्वारा साइबर टिपलाइन का संचालन किया
जाता है, जिसके द्वारा बाल यौन शोषण (यौन दुर्व्यवहार,
ऑनलाइन प्रलोभन, सोशल मीडिया अथवा गेमिंग प्लेटफार्म पर
आनलाइन अश्लील चैट, अश्लील प्रदर्शन आदि) से सम्बन्धित
शिकायतों की निगरानी की जाती है, इसमें कुछ इलेक्ट्रानिक सेवा
प्रदाता कम्पनियों के लिए ऐसे मामलों की रिपोर्टिगं करना
अनिवार्य कर दिया है, यदि किसी के द्वारा सोशल मीडिया/
डिजिटल रुप से किसी माइनर के साथ कोई अश्लीलता की जाती
है, तो सम्बन्धित के विरूद्ध निगरानी करते हुए संगठन द्वारा
कार्यवाही हेतु रिपोर्ट प्रेषित की जाती है। अत: सावधानी यह
रखनी है कि स्वयं से कभी ऐसी गलती न करें।
शिकायतों के सम्बन्ध में कुछ अन्य पोर्टल- भारत सरकार, संचार मंत्रालय के द्वारा संचालित पोर्टल
https://sancharsaathi.gov.in के अंतर्गत विभिन्न सेक्सन
दिये गये हैं जहां पर आप कॉल/ मोबाइल से सम्बन्धित विभिन्न
समस्याओं के बारे में शिकायत कर सकते हैं। जैसे-
चक्षु- आपके मोबाइल पर आने वाली संदिग्ध फ्रॉड कॉल व अनचाहे
कॉमर्शियल मोबाइल नंबरों को लेकर।
सीईआईआऱ- अपने चोरी हुए अथवा खोये हुए मोबाइल नंबरों को
को ब्लाक करने तथा शिकायत करने के लिए।
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T
O O LS साइबर अपराध के सम्बन्ध में अध्यतन जानकारी हेतु गृह मंत्रालय
भारत सरकार द्वारा संचालित यूट्यूब, फेसबुक चैनल, ट्यूटर हैंडल
“Cyber Dost” को फॉलो करें। जिससे साइबर अपराध के तौर तरीकों
के बारे में जानकारी मिल सके।
विभिन्न प्रकार की भ्रामक व अफवाह जनक खबरों की जानकारी
हेतु भारत सरकार के ब्लू टिक चैनल “PIB Fact Check” को भी
फॉलो करके रखें।
सुरक्षात्मक दृष्टि से हमें अपने डिजिटल उपकरण को वायरस,
मैलवेयर से सुरक्षित रखने हेतु प्रमाणित एंटीवायरस का इस्तेमाल करना
चाहिए।
जैसे- भारत सरकार के C- DAC द्वारा विकसित किया गया एंड्रवायड
ऐप एम- कवच के माध्यम से स्मार्ट फोन को हैकर्स व अन्य साइबर खतरों
से सुरक्षा प्रदान करता है। Trace SMS Header-
यदि मैसेज बाक्स में मैसेज मोबाइल नंबर
की कम्पनी के हेडर जैसै- JD-BSELTD-S से प्राप्त हुए हैं तो इसे
Trai द्वारा संचालित पोर्टल smsheader.trai.gov.in पर एसएमएस
हेडर की जांच कर प्रेषक के बारेे में जानकारी की जा सकती है।
Google lens-
गूगल लेंस भी विभिन्न फेक आईडी, फोटो दस्तावेजों
की पहचान करने में सहायक सिद्ध हो सकता है। जहां पर स्कैन करके
इंटरनेट पर पहले से पड़े डेटा को वेरीफाई किया जा सकता है।
FAKE URL/ WEB- किसी आवश्यकता के लिए सर्च किये गये
वेबसाइट को लेकर संदेह की स्थिति में use करने से पहले उसके
यूआरएल की Spelling चेक करें तथा url को Who is Domain पर
चेक कर ले । डोमेन रजिस्ट्रार व पंजीकरण की तिथि आदि से वेबसाइट
की संदिग्धता की पुष्टि करें।
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धारा- 75- यौन उत्पीड़न (SEXUAL HARASSMENT) किसी
महिला को बिना उसकी इजाजत के शारीरिक व भावनात्मक रूप से
परेशान करना। एक ऐसा कार्य है जो किसी महिला की गरिमा व
सम्मान को ठेस पहुंचाता है। (डिजिटल /फिजिकल) (354A IPC)
धारा- 77- किसी महिला को बिना उसकी सहमति के निजी क्षणों
(PRIVATE MOMENTS) में रिकॉर्ड करना, दूसरों के साथ
साझा करना। चाहे वह वीडियो या फोटो के रूप में हो। किसी व्यक्ति
को बिना उसकी सहमति के ऐसे स्थान पर देखना जिसे वह पूरी तरह
से निजी समझता हो, जैसे कि बाथरूम या बेडरूम। (354C IPC)
धारा-78- किसी महिला को सहमति के बिना बार-2 फोन करके
परेशान करना, फोटो/वीडियो भेजना, मैसेज करना चाहे वह टेक्स्ट/
ईमेल, या सोशल मीडिया पर हो। किसी महिला को घर, काम की
जगह या अन्य स्थानों पर बार-2 पीछा करना। (354D IPC)
धारा- 79- कोई व्यक्ति किसी महिला की लज्जा भंग करने या उसके
सम्मान को ठेस पहुँचाने के अपराध का दोषी पाया जाएगा। उसे इस
अपराध की सजा (PUNISHMENT) तीन साल तक की कारावास
व जुर्माना
धारा- 111- संगठित अपराध धारा- 111(1)- अपहरण, डकैती,
वाहन चोरी, जबरन वसूली, भूमि कब्जा, अनुबंध हत्या, आर्थिक
अपराध, साइबर अपराध, व्यक्तियों की तस्करी, ड्रग्स, हथियारों,
अवैध माल या सेवाओं का दुर्व्यापार, वेश्यावृत्ति या फिरौती के लिए
मानव दुर्व्यापार किसी संगठित अपराध सिंडिकेट के सदस्य द्वारा या
ऐसे सिंडिकेट का प्रतिनिधित्व करने वाले व्यक्ति या व्यक्तियों के
समूह द्वारा कोई सतत् विधि विरुद्ध कार्य
बीएनएस- 2023 में साइबर अपराध से सम्बन्धित
प्रावधान
कॉल करें- 1930
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RAKESH KUMAR MISHRA CYBER CRIME CELL LUCKNOW
धारा 294- अश्लील सामग्री के प्रकाशन और प्रसारण से जुड़ी है।
इसमें इलेक्ट्रॉनिक माध्यम भी शामिल हैं। (292 IPC)
धारा- 296- सार्वजनिक स्थानों (PUBLIC PLACES) पर
अश्लीलता और अशांति फैलाने वाले कार्यों से संबंधित है। इसमें
फिजिकली अथवा डिजिटली रुप से अश्लील हरकत करना, अश्लील
गाना या बोलना शामिल है। (294 IPC)
धारा 303- यह धारा मोबाइल फोन, डेटा, या कंप्यूटर हार्डवेयर/
सॉफ्टवेयर से संबंधित चोरी को संबोधित करती है। इसके तहत
साइबर चोरी में लिप्त व्यक्तियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का
प्रावधान है। हालांकि, जब विशेष LAW जैसे IT एक्ट लागू होते हैं,
तो उनकी प्राथमिकता होती है। (379 IPC)
धारा- 317:- यह धारा चोरी किए गए मोबाइल फोन, कंप्यूटर या
डेटा प्राप्त करने पर लागू होती है। यहां तक कि तीसरे पक्ष द्वारा भी
ऐसी संपत्ति के कब्जे पर दंड है। (410,411,412,413,414 IPC)
धारा- 318- धोखा (CHEAT) किसी अन्य व्यक्ति को धोखा देकर
उसे संपत्ति देने या संपत्ति के नुकसान के लिए सहमति देने के लिए
प्रेरित करना शामिल है। यह धारा ऑनलाइन/ ऑफलाइन धोखाधडी
से सम्बन्धित है। (415,417,418,420 IPC)
धारा- 319- प्रतिरूपण द्वारा धोखा (DECEPTION BY
IMPERSONATION) किसी व्यक्ति द्वारा जानबूझकर किसी और
का रूप धारण करके धोखा देने से संबंधित है। इस अपराध के तहत
कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी दूसरे व्यक्ति की पहचान का गलत
उपयोग करके उसके नाम से कोई कार्य करता है, (419 IPC)
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धारा 336- जालसाजी (FORGERY) जब कोई व्यक्ति जानबूझकर
किसी झूठे दस्तावेज़ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड (यानि डिजिटल डेटा जैसे
EMAIL, PDF आदि।) को बनाता है, ताकि किसी को धोखा दे सके या
नुकसान पहुँचा सके, तो उसे जालसाजी कहा जाता है। यह धारा इस तरह
के कार्यों के लिए कानूनी रूप से कार्यवाही करती है ।
(463,465,468,469 IPC)
धारा- 351- "आपराधिक धमकी"- किसी व्यक्ति द्वारा आपको डराने के
लिए धमकी देने या आपको ऐसा कार्य करने के लिए मजबूर करना जो
आप नहीं करना चाहते या धमकी देकर आपको ऐसा कुछ करने से रोकने
की कोशिश करना, जिसे करने का आपको अधिकार है। (506 IPC)
धारा 352- यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी भी व्यक्ति का अपमान
करने या उसको उकसाने (PROVOKE) के लिए कोई भी ऐसा गलत
कार्य करता है। जिससे उस व्यक्ति को गुस्सा आए और वहाँ पर झगड़े का
माहौल बन जाए। (504 IPC)
धारा 356- यह धारा मानहानि को दंडित करती है, जिसमें ईमेल के
माध्यम से मानहानिकारी सामग्री भेजना भी शामिल है। इसके अंतर्गत
कारावास और जुर्माने का प्रावधान है। (499,500 IPC)
डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम 2023
भारत सरकार द्वारा डीपीडीपी अधिनियम 2023 लाने मुख्य
उद्देश्य डिजिटल व्यक्तिगत डेटा के प्रसंस्करण के लिए इस तरह से
प्रावधान करना, जो व्यक्तियों के अपने डेटा की सुरक्षा करने के
अधिकार औऱ वैध उद्देश्यों के लिए और उससे सम्बन्धित या उसके
प्रासंगिक मामलों के लिए ऐसे व्यक्तिगत डेटा को संसाधित करने की
आवश्यकता को मान्यता देता हो। (अधिनियम में बच्चों के लिए विशेष
प्रावधान हैं, बच्चों से सम्बन्धित डेटा उल्लंघन किये जाने पर 200 से
250 करोड़़ रु0 के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
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साइबर/ डिजिटल अपराधों से सम्बन्धित कुछ आईटी एक्ट
में किये गये प्रावधान
धारा- 66- कम्प्यूटर संबंधी अपराध
धारा 66 ए. कोई भी व्यक्ति जो कंप्यूटर संसाधन या संचार
उपकरण के माध्यम से भेजता है-
(ए) कोई भी जानकारी जो घोर आपत्तिजनक हो या जिसका चरित्र
ख़तरनाक हो।
(बी) कोई भी सूचना जिसके बारे में वह जानता है कि वह झूठी है,
असुविधा, अपमान, चोट, आपराधिक धमकी, घृणा या दुर्भावना
उत्पन्न करने के उद्देश्य से
(सी) किसी इलेक्ट्रॉनिक मेल संदेश का उद्देश्य परेशानी/ असुविधा
पैदा करना या ऐसे संदेशों से प्राप्तकर्ता को धोखा देना या गुमराह
करना है,
SUPREME COURT ISSUES DIRECTION TO STOP
USE OF SECTION 66A IT ACT (SHREYA SINGHAL
JUGEMENT)
धारा 66 बी. चोरी किए गए कंप्यूटर संसाधन या संचार उपकरण
को बेईमानी से प्राप्त करने के लिए दंड
धारा 66 सी- जो कोई भी व्यक्ति धोखाधड़ी या बेईमानी से किसी अन्य
व्यक्ति के इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर, पासवर्ड या किसी अन्य विशिष्ट
पहचान विशेषता का उपयोग करता है, उसे किसी एक अवधि के लिए
कारावास से दंडित किया जाएगा जो तीन साल तक बढ़ सकती है और
एक लाख रुपये तक के जुर्माने के लिए भी उत्तरदायी होगा।
धारा- 66डी- कम्प्यूटर संसाधन का उपयोग करके छद्मवेश धारण
करके धोखाधड़ी करना। जो कोई किसी संचार उपकरण या कंप्यूटर
संसाधन के माध्यम से छल करेगा, उसे कारावास जिसे तीन वर्ष तक
बढ़ाया जा सकेगा तथा एक लाख रुपये तक के जुर्माना
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धारा- 66ई- गोपनीयता के उल्लंघन के लिए दंड.- जो कोई,
जानबूझकर किसी व्यक्ति के निजी क्षेत्र की छवि को उसकी सहमति के
बिना, उस व्यक्ति की गोपनीयता का उल्लंघन करने वाली परिस्थितियों
में कैप्चर, प्रकाशित या प्रसारित करता है, उसे तीन साल तक के
कारावास या दो लाख रुपये से अधिक के जुर्माने या दोनों से दंडित
किया जाएगा।
धारा- 66एफ- साइबर आतंकवाद भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा
या प्रभुता को खतरे में डालना दण्ड- आजीवन कारावास
धारा- 67. इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री प्रकाशित या प्रसारित
करने के लिए दंड- जो कोई भी ऐसी सामग्री को इलेक्ट्रॉनिक रूप में
प्रकाशित या प्रसारित करता है या प्रकाशित या प्रसारित करवाता है, जो
कामुक है या कामुक रुचि को अपील करती है या यदि इसका प्रभाव
ऐसा है जो ऐसे व्यक्तियों को भ्रष्ट करने की प्रवृत्ति रखता है, तो पहली
बार दोषसिद्धि पर कारावास से, जिसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता
है और जुर्माने पांच लाख रुपये और दूसरी या बाद की सजा की स्थिति
में किसी एक अवधि के लिए कारावास से, जिसे पांच साल तक बढ़ाया
जा सकता है साथ ही जुर्माना दस लाख रुपये तक।
धारा- 67ए. इलेक्ट्रॉनिक रूप में यौन रूप से स्पष्ट कृत्य आदि
वाली सामग्री के प्रकाशन या प्रसारण के लिए दंड- जो कोई भी
ऐसी सामग्री इलेक्ट्रॉनिक रूप में प्रकाशित या प्रसारित करता है या
प्रकाशित या प्रसारित करवाता है, जिसमें स्पष्ट यौन कृत्य या आचरण
शामिल है, उसे पहली बार दोषसिद्धि पर पांच वर्ष तक के कारावास
और दस लाख रुपए तक के जुर्माना और दूसरी या बाद की दोष सिद्धि
की स्थिति में सात वर्ष तक के कारावास और दस लाख रुपए तक के
जुर्माना
धारा- 67बी- इलेक्ट्रॉनिक रूप में बच्चों को यौन रूप से स्पष्ट कृत्य
आदि में चित्रित करने वाली सामग्री के प्रकाशन या प्रसारण के लिए
दंड।
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पुलिस का
डर
(DIGITAL
अरेस्ट)
वर्क फ्राम होम/
ट्रेडिंग का
लालच
परिचित बताकर
पैसे मांगना
गुगल पर डाले
गये फर्जी हेल्प
लाइन नंबर
ED/ CBI
आदि किसी
जांच एजेंसी
का डर
जॉब के नाम
पर धोखाधड़ी
सोशल मीडिया पर
दोस्ती करके
इमरजेंसी बताकर पैसे
मांगना
विभिन्न कम्पनियों
के नाम की फर्जी
वेबसाइट
गैैैस
कनेक्शन/
मोबाइल बंद
करने का डर
सस्ते सामान/
गिफ्ट का
लालच
डेटिंग एप्प के
माध्यम से ठगी
ऑनलाइन
तकनीकी सहयोग
पर स्क्रीन शेयर/
sms फॉरवर्डर एप्प
डाउनलोड करना
फोटो/ वीडियो
वायरल करने
का डर
बनाकर
सोशल मीडिया
पार फॉलोवर
बढाने की चाहत
मैट्रीमोनियल
साइट पर शादी के
नाम पर ठगी
सोशल मीडिया
फॉलोवर बढ़ाने
की चाहत
अवैध पार्सल
आदि के
पकडे जाने
का डर
सोशल मीडिया
पर मित्र बनाने/
बेहतरीन लाइफ
की चाहत
राष्ट्रीय आपदा
अथवा अन्य में
ठगों द्वारा पैसे
मांगना
अपरिचित जगहों
पर मोबाइल/ बैंकिग
डाटा लीक होना
CYBER SUMMARY
डर लालच इमोशन आवश्यकता
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जैसा कि पूर्व में साइबर अपराध के प्रमुख तौर तरीकों को लेकर
बहुत सारी बातेंंंंंंंंंंंंं बतायी जा चुकी हैं, प्रत्येक समस्या का कारण ही
उसका निवारण होता है। अज्ञानतावश अथवा बहकावे में आकर जो भी
गलतियां हम जल्दबाजी में बिना विचार की किये कर जाते हैेेंे, उसी का
परिणाम होता है हमारे साथ ठगी होना। सतर्कता, सावधानी के साथ-
2 हमें स्वयं से कोई ऐसा कार्य नहीं करना है, जो कि अपराध की कोटि
में आता है।
सोशल मीडिया पर अक्सर देखने में आता है कि लोग विरोध में
किसी धर्म, जाति अथवा जनप्रतिनिधि की मीम्स बनाते हुए बहुत ही
अशोभनीय पोस्ट करते हैं। आप सभी से यही अपील है कि सोशल
मीडिया पर किसी धर्म, जाति, राजनेता या किसी व्यक्ति विशेष के
विरुद्ध कोई अभद्र, अपमानजनक पोस्ट वीडियो पोस्ट न करें, क्योंकि
यह कार्य न कि असंवैधानिक है, बल्कि इससे विश्व स्तर पर देश की
एकता, अखंडता और राष्ट्र गौरव भी प्रभावित होता है। अंतराष्ट्रीय
मीडिया ऐसी पोस्ट के माध्यम से देश के लोगों की सोच, उनकी ऊर्जा
को दशा और दिशा का सहज ही अनुमान लगा लेते हैं। किसी के प्रति
मतभेद हमें अपने स्तर तक ही सीमित रखते हुए, सोशल मीडिया पर
भ्रामक, अपमानजनक पोस्ट करने की जगह हमें ज्ञानवर्धक बातें,
भारतीय संस्कृत, साइबर अपराध जागरूकता, संबंधित संदेश पोस्ट
करने की आदत डालनी चाहिए। जिससे कि हमारे स्वयं के संस्कार और
देश व समाज के प्रति भलाई की हमारी सोच और कर्तव्य परिलक्षित
होते हैं।
धन्यवाद
अपील
PHOTO
GALLERY
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COMMISSIONERATE LUCKNOW
JAI HIND
RAKESH KUMAR MISHRA
SUB INSPECTOR