hindi article on energy conservation published in daily newspaper DAINIK YUGPAKSH bikaner rajasthan written by professor trilok kumar jain.docx
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Added: Dec 15, 2014
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ऊर्जा उपभोग पर सीमज, भविष्य कज बीमज
(रजष्रीय ऊर्जा संरक्षण दििस विशेष )
आज (१४ दिसंबर) को भारत में रजष्रीय ऊर्जा संरक्षण दििस मनाया जाता है. ऊजाा संरक्षण आज पुरे िेश की ज�रत है.
आज भी अनेक ऐसे गाव हैं जहााँ पर बबजली नहीं है. आज भी ऐसे कारखाने हैं जहााँ पर बबजली बंि रहने के कारण
कमाचाररयों को काम नहीं ममलता और मामलकों को मुनाफा नहीं ममलता. आज भी अनेक ऐसे अस्पताल हैं जहााँ पर
बबजली की कटौती की कारण मरीजों का इलाज नहीं हो पाटा है. हम एक ऊजाा संकट का सामना कर रहे हैं और इसके
जजम्मेिार हम स्वयं हैं.
ऊर्जा संकट से बेखौफ क्यों हैं?
शायि हमें लगता है की भववष्य ऐसे ही चलता रहेगा. यह हमारी गलत फहमी है. अब जल्ि ही एक दिन आएगा जब न
पेट्रोल बचेगा, न कोयला बचेगा और न अन्य परम्परागत ऊजाा स्रोत बचेंगे. आज और अभी से प्रयास शु� करने पड़ेंगे.
आज ज�रत है हम सब ऊजाा संरक्षण को एक राष्ट्रीय धमा के �प में स्वीकार कर लेवें और हर गाव-शहर , हर संस्था
और हर मोहल्ले में इस हेतु प्रयास शु� हो. सरकार को भी पेट्रोल, डीजल और अन्य परम्परागत ऊजाा साधनों पर
टैक्स बढ़ा िेना चादहए (सरकार ने ऐसा ककया भी है); उससे जो आय हो उससे वैकजल्पक ऊजाा साधनों को सस्ता
करना चादहए. ऐसे उपकरणों को बढ़ावा िेना चादहए जो या तो ऊजाा पर आधाररत न हो या वैकजल्पक ऊजाा पर
आधाररत हो. ऐसे वैज्ञाननकों को प्रोत्साहन िेना चादहए जो हमें इस दिशा में ले जा सकें. जैसे आदिलाबाि के ववक्रम
राठोड (जो ज्यािा पढ़े मलखे नहीं हैं लेककन मैं उनको एक वैज्ञाननक मानता ह ाँ) ने एक ऐसा पम्प बनाया है जो बबना
बबजली के चलता है और इस पम्प के साथ एक सायककल आती है जजस पर बैठ कर चलते ही पानी आ जाता है. लेककन
ऐसे आववष्कारकों को प्रोत्साहन चादहए.
क्यज कजरन है ऊर्जा संकट कज?
हम ने हर जगह पर ऊजाा के संरक्षण की जगह पर उसकी बबाािी की है. जहााँ पर मसफा पंखे से काम चल सकता है वहां
पर हमने एयर कं डीशन लगा दिए हैं, जहााँ पर मसफा िुपदहया गाडी से काम चल सकता है वहां हमने बड़ी चौपदहया
गाड़ड़यों की लाइन लगा िी. हमने हर जगह मानव शमा की जगह बबजली से चलने वाली मशीने लगा िी. बबजली की
बचत करने वाले उपकरण लगाने में हम कोई फुती नहीं दिखाते लेककन शान का दिखावा करने के मलए बड़े से बड़े
मशीन, उपकरण, वाहन और सीस्टम लगाते जा रहे हैं.
कमर्ोर सरकजरी पहल
हर साल सरकार ऊजाा संरक्षण के लक्ष्य रखती है और भ ल जाती है. २ िशक पहले गगने चुने सरकारी िफ्तरों में
एयरकं डीशन ममलता था, आज हर िफ्तर में ममलता है. २ िशक पहले गगने चुने सरकारी अगधकारी हवाई जहाज या
वविेशी कार में घुमा करते थे - आज हर कोई घुमा करता है. २ िशक पहले हमने ऊजाा संरक्षण के जो लक्ष्य रखे थे -
उसका उल्टा करते रहे हैं. आज वक्त आ गया है की हम ननम्न लक्ष्य प्राप्त करने के मलए एक समय सीमा तय कर लेवें
: -
१. हर गाव में बबजली पहुंचाने का लक्ष्य
२. हर गाव हर शहर और हर उद्योग को २४ घंटे बबजली (बबना बढ़ा के) पहुाँचाने का लक्ष्य
३. हर शहर में वैकजल्पक ऊजाा को बढ़ावा िेने के मलए प्रयास और अगले २ िशकों में कमसेकम ५०% तक वैकजल्पक
ऊजाा का उपयोग शु� करने का (अभी यह अगधकतम ५ से ७ प्रनतशत है)
४. हर व्यजक्त और हर संस्था को ऊजाा संरक्षण हेतु प्रयास करने के मलए प्रेररत करने की ज�रत है. जब हर व्यजक्त
अपने घर में ऊजाा संरक्षण हेतु समवपात होगा तभी शु�आत होगी. जब हर संस्था एयर-कं डीशन की जगह ग्रीन
बबजल्डंग के मलए ननवेश करेगी तभी शु�आत हो पाएगी.
५. हर सरकारी ववभाग बबजली का उपभोग काम करने और अपने भवनों को ग्रीन बबजल्डंग बनाने के मलए एक
समयबद्ध कायाक्रम तय करे. नए मसरे से कोई भी एयरकं डीशन की खरीि न हो जब तक इसका कोई ववकल्प ही न हो
(अस्पताल, ररसचा सेंटर और ऐसे अन्य ज�री ववभागों को छोड़ कर) .
र्रुरत है - कजर रेस नहीं ऊर्जा संरक्षण में रेस
आज भारत में वविेशी िेखा-िेखी होड़ मची है की हम भी बड़ी से बड़ी कर खरीिें, एयर कं डीशन लगाएं, फाम ाला-वन
कार रेस प्रनतयोगगता करें आदि आदि. ये सभी हमें ववकास की जगह पर ववनाश की तरफ ले जाने के साधन हैं. आज
ज�रत है की हम अगर वविेशों से कुछ रेस प्रनतयोगगता ही करनी चाहते हैं तो मसएटल (अमेररका का एक शहर) से
ऊजाा संरक्षण में प्रनतयोगगता करें, रेकजाववक (आइसलैंड का एक शहर) से प्रनतयोगगता करें हाइड्रोजन एनजी को
इस्तेमाल करने में, लॉस एंजेल्स (अमेररका का एक शहर) व् बासेलोना (स्पेन का एक शहर) से प्रनतयोगगता करें
सोलर एनजी पैनल स्थावपत करने में. आज हर शहर की मुननमसपल्टी को वेंक वर (कनाडा का एक शहर) से प्रेरणा
लेनी चादहए जजसने हर बबजल्डंग को ग्रीन बबजल्डंग बनाने का संकल्प ले रखा है और वहां पर कोई भी व्यावसानयक
इमारत तभी बनायीं जा सकती है जब वो ऊजाा संरक्षण के मानकों पर खरी उतरे.
सस्ती करें सौर ऊर्जा, पिन ऊर्जा, और अन्य िैकल्पपक ऊर्जा विकपप
जनरल मोटसा ने सोर ऊजाा की कार शु� की तब उसको काफी घटा लगा. टेस्ला नामक कम्पनी ने सोलर कारें बनायीं
लेकीन वे इतनी महंगी है की लोकवप्रय नहीं हो प् रही है. भारत में प्रमोि चोरमसया जैसे अनेक वैज्ञाननक हैं जजन्होंने
सोलर कार बनायीं है लेककन इस हेतु शु� में सरकारी सहयोग की ज�रत है. जब तक सरकार इस प्रकार के प्रयासों को
खुल कर मिि नहीं करेगी, ये प्रयास सफल नहीं हो पाएंगे. इस हेतु सरकार को परम्परागत तकनीक की कारों पर
टैक्स लगाना पड़ेगा और सोर ऊजाा पर आधाररत करों को सजससडी िेना शु� करना पड़ेगा ताकक ये कारे भी लोकवप्रय
को सके.
ललविंग ग्रीन र्ैसे अनोखे प्रयजस
प्रनतक नतवारी, श्री नरेन् बक्शी आदि ने ममल कर जयपुर में मलववंग ग्रीन नमक कम्पनी बनायीं है जो हर छत पर
सजसजयों का बाग़ लगा सकती है, वे हर दिवार को ग्रीन दिवार में बिलते हैं. इस प्रकार के प्रयास से जहा भवन का
तापमान ५-७ ड़डग्री कम हो जाता है वहीीँ रोज मराा की ज�रत की सजसजयां (वो भी शुद्ध ऑगेननक खेती द्वारा तैयार)
भी ममलती रहती है. आज ज�रत है की एयरकं डीशन आदि ऊजाा पर आधाररत उपकरणों को रोक कर मलववंग ग्रीन के
प्रयासों को सहायता और प्रोत्साहन दिया जय. पहल तो सरकार और बड़े उद्योगों को करनी चादहए. सरकार को इस
प्रकार की तकनीक पर सजससडी शु� करनी चादहए साथ ही हर सरकारी उपक्रम को ग्रीन बबजल्डंग बनाने की मलए
शु�आत करनी चादहए.