Hindi portfolio for students of 10th class

AbhishekMaurya386956 1,916 views 8 slides Dec 25, 2023
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Slide Content

पोटफोलयो
BY-PULKIT TIWARI
CLASS- 10 C
Roll No. 10338

तुलसीदास

▶ज?म
▶गो?वामी तुलसीदास का ज?म ?थान jववा?दत है। कुछ लोग मानते हG क' इनका ज?म सोरI शूकर?े, वत[मान मE कासगंज (एटा) उ?र $देश मE हुआ था।
[3]
कुछ jवnवान् इनका ज?म राजापुर िजला बाँदा (वत[मान मE lचकूट) मE हुआ मानते हG। जबiक कुछ jवnवान तुलसीदास का ज?म ?थान राजापुर को
मानने के प? मE हG।
▶राजापुर उ?र $देश के lचकूट िजला के अंतग[त ि?थत एक गाँव है। वहाँ आ?माराम दुबे नाम के एक $?ति?ठत सं?या नंददास भि?तकाल मE पुि?टमाग8य
अ?टछाप के कjव नंददास जी का ज?म जनपद- कासगंज के सोरI शूकर?े अ?तव6द# रामपुर (व?[मान- ?यामपुर) गाँव ?नवासी भरnवाज गोीय सनाmय
&ा?मण पं० सि?चदानंद शु?ल के पु पं० जीवाराम शु?ल क' प?नी चंपा के गभ[ से स?वत्- 1572 jवमी मE हुआ था। पं० सि?चदानंद के दो पु थे, पं०
आ?माराम शु?ल और पं० जीवाराम शु?ल। पं० आ?माराम शु?ल एवं हुलसी के पु का नाम महाकjव गो?वामी तुलसीदास था, िज?हIने
.ीरामच?रतमानस महांथ क' रचना क' थी। नंददास जी के छोटे भाई का नाम चँदहास था। नंददास जी, तुलसीदास जी के सगे चचेरे भाई थे। नंददास जी
के पु का नाम कृ?णदास था। नंददास ने कई रचनाएँ- रसमंजर#, अनेकाथ[मंजर#, भागवत्-दशम ?कं ध, ?याम सगाई, गोवn[धन ल#ला, सुदामा च?रत,
jवरहमंजर#, ?प मंजर#, ?ि?मणी मंगल, रासपंचा?यायी, भँवर गीत, gसnधांत पंचा?यायी, नंददास पदावल# हG। &ा?मण रहते थे। उनक' धम[प?नी का नाम
हुलसी था। संवत्1511के .ावण मास के शु?लप? क' स?तमी ?तlथ के ?दन अभु?त मूल न? मE इ?ह#ं द?प?त के यहाँ तुलसीदास का ज?म हुआ।
$चgलत जन.ु?त के अनुसार gशशु बारह मह#ने तक माँ के गभ[ मE रहने के कारण अ?यlधक ??ट पु?ट था और उसके मुख मE दाँत ?दखायी दे रहे थे। ज?म
लेने के साथ ह# उसने राम नाम का उ?चारण iकया िजससे उसका नाम रामबोला पड़ गया। उनके ज?म के दूसरे ह# ?दन माँ का ?नधन हो गया। jपता ने
iकसी और अ?न?ट से बचने के gलये बालक को चु?नयाँ नाम क' एक दासी को सKप ?दया और ?वयं jवर?त हो गये। जब रामबोला साढे पाँच वष[ का हुआ
तो चु?नयाँ भी नह#ं रह#। वह गल#-गल# भटकता हुआ अनाथI क' तरह जीवन जीने को jववश हो गया।

.
▶बचपन
▶भगवान शंकरजी क' $ेरणा से रामशैल पर रहनेवाले .ी अन?तान?द जी के j$य gश?य .ीनरहया[न?द जी (नरह?र बाबा) ने इस रामबोला के नाम से बहुचlच[त
हो चुके इस बालक को ढूँढ ?नकाला और jवlधवत उसका नाम तुलसीराम रखा
[4]
। तदुपरा?त वे उसे अयो?या (उ?र $देश) ले गये और वहाँ संवत् 1561 माघ
शु?ला पंचमी (शुवार) को उसका य?ोपवीत-सं?कार स?प?न कराया। सं?कार के समय भी ?बना gसखाये ह# बालक रामबोला ने गायी-म? का ?प?ठ
उ?चारण iकया, िजसे देखकर सब लोग चiकत हो गये। इसके बाद नरह?र बाबा ने वै?णवI के पाँच सं?कार करके बालक को राम-म? क' द#?ा द# और
अयो?या मE ह# रहकर उसे jवnया?ययन कराया। बालक रामबोला क' बुnlध बड़ी $खर थी। वह एक ह# बार मE गु?-मुख से जो सुन लेता, उसे वह कंठ?थ हो
जाता। वहाँ से कुछ काल के बाद गु?-gश?य दोनI शूकर?े (सोरI) पहुँचे। वहाँ नरह?र बाबा ने बालक को राम-कथा सुनायी iक?तु वह उसे भल#-भाँ?त समझ न
आयी।
▶?ये?ठ शु?ल योदशी, गु?वार, संवत् 1583 को 29 वष[ क' आयु मE राजापुर से थोडी ह# दूर यमुना के उस पार ि?थत एक गाँव क' अ?त सु?दर# भारnवाज गो
क' क?या र?नावल# के साथ उनका jववाह हुआ। चूँiक गौना नह#ं हुआ था अत: कुछ समय के gलये वे काशी चले गये और वहाँ शेषसनातन जी के पास
रहकर वेद-वेदांग के अ?ययन मE जुट गये। वहाँ रहते हुए अचानक एक ?दन उ?हE अपनी प?नी क' याद आयी और वे ?याकुल होने लगे। जब नह#ं रहा गया तो
गु?जी से आ?ा लेकर वे अपनी ज?मभूgम राजापुर लौट आये। प?नी र?नावल# चूँiक मायके मE ह# थी ?यIiक तब तक उनका गौना नह#ं हुआ था अत:
तुलसीराम ने भयंकर अँधेर# रात मE उफनती यमुना नद# तैरकर पार क' और सीधे अपनी प?नी के शयन-क? मE जा पहुँचे। र?नावल# इतनी रात गये अपने प?त
को अकेले आया देख कर आ?चय[चiकत हो गयी। उसने लोक-लाज के भय से जब उ?हE चुपचाप वापस जाने को कहा तो वे उससे उसी समय घर चलने का
आह करने लगे। उनक' इस अ$?याgशत िजद से खीझकर र?नावल# ने ?वरlचत एक दोहे के मा?यम से जो gश?ा उ?हE द# उसने ह# तुलसीराम
को तुलसीदास बना ?दया। र?नावल# ने जो दोहा कहा था वह इस $कार है:

.
▶मृ?यु
▶तुलसीदास जी जब काशी के jव?यात् घाट असीघाट पर रहने लगे तो एक रात कgलयुग मूत[ ?प धारण कर उनके पास आया
और उ?हE पीड़ा पहुँचाने लगा। तुलसीदास जी ने उसी समय हनुमान जी का ?यान iकया। हनुमान जी ने सा?ात् $कट होकर
उ?हE $ाथ[ना के पद रचने को कहा, इसके प?चात् उ?हIने अपनी अि?तम कृ?त jवनय-प?का gलखी और उसे भगवान के
चरणI मE समjप[त कर ?दया। .ीराम जी ने उस पर ?वयं अपने ह?ता?र कर ?दये और तुलसीदास जी को ?नभ[य कर ?दया।
▶संवत् १६८० मE .ावण कृ?ण तृतीया श?नवार को तुलसीदास जी ने "राम-राम" कहते हुए अपना शर#र प?र?याग iकया।

रामच?रतमानस क' रचना


संवत् १६३१ का $ार?भ हुआ। दैवयोग से उस वष[ रामनवमी के ?दन वैसा ह# योग आया जैसा ेतायुग मE राम-ज?म के ?दन था। उस ?दन $ातःकाल तुलसीदास जी
ने .ीरामच?रतमानस क' रचना $ार?भ क'। दो वष[, सात मह#ने और i?बीस ?दन मE यह अnभुत ?थ स?प?न हुआ। संवत् १६३३ के माग[शीष[ शु?लप? मE राम-jववाह के ?दन
सातI का?ड पूण[ हो गये।

तुलसीदास पर भारत सरकार nवारा जार# डाक ?टकट
इसके बाद भगवान क' आ?ा से तुलसीदास जी काशी चले आये। वहाँ उ?हIने भगवान jव?वनाथ और माता अ?नपूणा[ को .ीरामच?रतमानस सुनाया।
रात को पु?तक jव?वनाथ-मि?दर मE रख द# गयी। $ात:काल जब मि?दर के पट खोले गये तो पु?तक पर gलखा हुआ पाया गया-स?यं gशवं
सु?दरम् िजसके नीचे भगवान शंकर क' सह# (पुि?ट) थी। उस समय वहाँ उपि?थत लोगI ने "स?यं gशवं सु?दरम् " क' आवाज भी कानI से सुनी।
इधर काशी के पि?डतI को जब यह बात पता चल# तो उनके मन मE ई?या[ उ?प?न हुई। वे दल बनाकर तुलसीदास जी क' ?न?दा और उस पु?तक को
न?ट करने का $य?न करने लगे। उ?हIने पु?तक चुराने के gलये दो चोर भी भेजे। चोरI ने जाकर देखा iक तुलसीदास जी क' कुट# के आसपास दो
युवक धनुषबाण gलये पहरा दे रहे हG। दोनI युवक बड़े ह# सु?दर मश: ?याम और गौर वण[ के थे। उनके दश[न करते ह# चोरI क' बुnlध शुnध हो गयी
। उ?हIने उसी समय से चोर# करना छोड़ ?दया और भगवान के भजन मE लग गये। तुलसीदास जी ने अपने gलये भगवान को क?ट हुआ जान कुट# का
सारा समान लुटा ?दया और पु?तक अपने gम टोडरमल (अकबर के नौर?नI मE एक) के यहाँ रखवा द#। इसके बाद उ?हIने अपनी jवल?ण ?मरण
शि?त से एक दूसर# $?त gलखी। उसी के आधार पर दूसर# $?तgलjपयाँ तैयार क' गयीं और पु?तक का $चार ?दनI-?दन बढ़ने लगा।
इधर काशी के पि?डतI ने और कोई उपाय न देख .ी मधुसूदन सर?वती नाम के महापि?डत को उस पु?तक को देखकर अपनी स?म?त देने क'
$ाथ[ना क'। मधुसूदन सर?वती जी ने उसे देखकर बड़ी $स?नता $कट क' और उस पर अपनी ओर से यह ?ट?पणी gलख द#-
आन?दकानने ?याि?मंजंगम?तुलसीत?ः।
कjवतामंजर# भा?त राम'मरभूjषता॥
इसका ?ह?द# मE अथ[ इस $कार है-"काशी के आन?द-वन मE तुलसीदास सा?ात तुलसी का पौधा है। उसक' का?य-मंजर# बड़ी ह# मनोहर है, िजस पर
.ीराम ?पी भँवरा सदा मँडराता रहता है।"

रचनाएँ
∙ रामच?रतमानस
∙रामललानहछू
∙वैरा?य-संद#पनी
∙बरवै रामायण
∙पाव[ती-मंगल
∙जानक'-मंगल
∙रामा?ा$?न
∙दोहावल#
∙ कjवतावल#
∙ गीतावल#
∙.ीकृ?ण-गीतावल#
∙jवनय-प?का
∙सतसई
∙छंदावल# रामायण
∙कुं डgलया रामायण
∙राम शलाका

∙संकट मोचन
∙करखा रामायण
∙रोला रामायण
∙झूलना
∙छ?पय रामायण
∙कjव? रामायण
∙कgलधमा[ ?न?पण
∙हनुमान चाल#सा

कोरोना

▶1. माच[ 2020 से COVID-19 महामार# हमारे दै?नक जीवन का ?ह?सा बन चुक' है।
▶2. वै?ा?नक अभी भी COVID-19 के बारे मE सीख रहे हG।
▶3. बीमार# को रोकने का सबसे अ?छा तर#का इस वायरस के संपक[ मE आने से बचना है।
▶4. कोरोनावायरस के कारण होने वाल# बीमार# जानलेवा है।
▶5. वायरस ?वसन के दौरान कर#ब 6 फ'ट (?यि?त के भीतर) संपक[ मE आता है।
▶6. COVID-19 हवाई $सारण nवारा फैल सकता है।
▶7. COVID-19 से खुद को और दूसरI को बचाने के gलए फेस मा?क आव?यक सहायक उपकरण बन गए हG

▶8. याा COVID-19 के $सार को बढ़ा सकती है।
▶9. ल?णI मE अंतर को पहचानना मह?वपूण[ है।
▶10. हाथ धोने से COVID-19 के संमण से बचा जा सकता है।