History of Geographical Thought

Durgeshkurmi3 413 views 12 slides Jun 10, 2023
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About This Presentation

Geography is an Inter – Disciplinary Science (भूगोल एक अन्‍तरा-अनुशासनिक विज्ञान के रूप में)


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Online classes MA Ist sem History of Geographical Thought History of Geographical Thought Part II Presented by Dr   Durgesh Kurmi Assistant Professor of Geography   Institute for Excellence in Higher Education , Bhopal , MP Geography is an Inter – Disciplinary Science ( भूगोल एक अन्‍तरा-अनुशासनिक विज्ञान के रूप में )

Geography is an Inter – Disciplinary Science ( भूगोल एक अन्‍तरा-अनुशासनिक विज्ञान के रूप में ) भूगोल विज्ञान एक अन्‍तरा – अनुशासनिक विषय है भूगोल के दो उपागम हैं – 1) क्रमबद्ध भूगोल 2) प्रादेशिक भूगोल ये दोनों ही उपागम परस्‍पर समाविष्‍ट हैं, अर्थात् दोनों विधियां एक दूसरे में समाहित रहती हैं । भूगोल की दोनों विधियां परस्‍पर समाविष्‍ट रहने के साथ – साथ भूगोल विषय की एक विशेषता यह भी है कि भूगोल दूसरे कई विज्ञानों तथा मानवीय विज्ञानों में समाया रहता है तथा उपविषयों को परस्‍पर जोड़ता है । उपरोक्‍त दोनों ही उपागमों में से किसी भी उपागम यानी रीति का प्रयोग किया जाये, भूगोल सदैव ही एक अन्‍तरा – अनुशासनिक विज्ञान विषय बना रहता है, क्‍योंकि भूगोल के द्वारा भौतिक विज्ञानों और मानवीय विज्ञानों का परस्‍पर समाकलन होता है । परस्‍पर समाविष्‍ट – क्रमबद्ध या वर्गीकरण उपागम (systematic approach) तथा प्रादेशिक उपागम (regional approach) में चाहे किसी भी एक उपागम के आधार पर अध्‍ययन किया जाये, किन्‍तु उस उपागम में दूसरा उपागम स्‍वत: समाविष्‍ट हो जाता है । अन्‍तरा-अनुशासनिक – भूगोल विज्ञान अन्‍य भौतिक विज्ञानों तथा मानवीय विज्ञानों में समाया हुआ है, और इस प्रकार अन्‍य विज्ञानों को श्रृंखलाबद्ध करता है ।

रिचथोफेन ने उन्‍नीसवी शताब्‍दी के अन्‍त में और हेटनर ने बीसवी शताब्‍दी के आरम्‍भ में ही, अन्‍य विज्ञानों में भूगोल को समाकलन अनुशासन (integrating discipline) का स्‍थान दे दिया था । भूगोल अन्‍य बहुत से विज्ञानों को परस्‍पर सम्‍बद्ध करने में एक श्रृंखला का कार्य करता है और बहुत से विज्ञानों को अपने में समाविष्‍ट करके एक पूर्ण इकाई बनाता है । रिचथोफेन ने भूगोल के क्रमबद्ध उपागम तथा प्रादेशिक उपागम दोनों के समाकलन कार्यों को समझाया था । हेटनर ने भूगोल किसी न किसी रूप तथा मात्रा में दूसरे विज्ञानों में समाया हुआ रहता है और दूसरे विज्ञान किसी न किसी रूप और मात्रा में भूगोल के अन्‍दर समाये रहते हैं ।

हेटनर के उपरोक्‍त मत की पुष्टि जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस, अमेरिका, रूस, भारत आदि के प्रमुख भूगोलवेत्‍ताओं ने की । रिचार्ड हार्टशोर्न ने अपनी पुस्‍तक The Nature of Geography में उक्‍त मत की पुष्‍टी की । ग्रिफिफथ टेलर ने अपनी पुस्‍तक Geography in the Twentieth Century में हेटनर के मत की पुष्‍टी करते हुए भूगोल को एक समाकलन विज्ञान बतलाया था । वूल्‍डरिज तथा ईस्‍ट ने भी अपनी पुस्‍तक The Spirit and Purpose of Geography में भूगोल को अन्‍तरानुसाशनिक विज्ञान बताया । भारतीय भूगोलवेत्‍ता प्रो. चटर्जी ने भी भूगोल को अन्‍तरानुशासनिक विज्ञान बतलाकर हेटनर के मत की पुष्टि की ।

Hettner The Basic Concepts of Geography Hettner R. Hartshorn

भूगोल की मुख्‍य संकल्‍पनाएँ ( The Basic Concepts of Geography) भूगोल के अध्‍ययन में कुछ सिद्धांतों और संकल्‍पनाओं के आधार पर भौगोलिक अन्‍वेष्‍ण और विश्‍लेषण किये जाते हैं । जो इस प्रकार हैं – पृथ्‍वी या भू – तल (earth surface) की संकल्‍पना । अवस्थिति (location) की संकल्‍पना । स्‍थानिक वितरण (spatial distribution) की संकल्‍पना । स्‍थानिक अंतर्क्रिया (spatial interaction) की संकल्‍पना । पारिस्थितिक प्रदेश (ecological region) की संकल्‍पना । क्षेत्रीय भिन्‍न्‍ता (areal differntiation ) की संकल्‍पना । क्षेत्रों की आंतरिक सम्‍बद्धता (spatial internal coherence) की संकल्‍पना । पृथ्‍वी का सांस्‍कतिक मूल्‍यांकन (cultural appraisal of the earth) की संकल्‍पना । समय के साथ-साथ परिवर्तन की संकल्‍पना (the concept of temporal change or succession – time aspect) मापनी (scale) की संकल्‍पना ।

Concept of spatial distribution स्‍थानिक वितरणों की संकल्‍पना प्रत्‍येक स्‍थान की पृथ्‍वी तल पर एक विशेष अवस्थिति होती है । यदि हम उस स्‍थान का कोई एक तत्‍व अथवा गुण छांटकर उसकी तुलना दूसरे स्‍थान के वैसे ही तत्‍वों या गुणों की अवस्थिति से करें, तो यह वितरण का उल्‍लेख कहलायेगा । उदा . – गेहुं उत्‍पादन के प्रमुख क्षेत्र, युक्रेन प्रदेश, संयुक्‍त राज्‍य और कनाडा के प्रेयरी प्रदेश अर्जेन्‍टाइना के पम्‍पास, आस्‍ट्रेलिया का मरे – डार्लिंग बेसिन, भारत के पंजाब हरियाणा, चीन का विशाल मैदान आदि । विषुवतरेखीय पेटी में सदापर्णी वन, टैगा पेटी में शंकुधारी वन, सहारा, कालाहारी, अटाकामा तथा थार का मरूस्‍थल आदि ये सब भौगोलिक वितरण के उदाहरण हैं । स्‍थानिक वितरण के तीन पक्ष होते हैं – 1. वितरण का घनत्‍व (density) 2. विक्षेपण (dispersion) 3. प्रतिरूप (pattern) घनत्‍व का अर्थ दिये हुए अध्‍ययन क्षेत्र में किसी तथ्‍य या परिघटना की बारम्‍बारता होता है । विक्षेपण यह प्रकट करता है कि उस तथ्‍य या लक्षण के फैलाव क्षेत्र का विस्‍तार कितना है किसी तथ्‍य के वितरण का ज्यामितीय विन्‍यास उस तथ्‍य के वितरण का प्रतिरूप कहलाता है ।

Concept of Spatial Interaction स्‍थानिक अंतर्क्रिया की संकल्‍पना पृथ्‍वी पर वस्‍तुओं, विचारों और मनुष्‍यों की एक स्‍थान से दुसरे स्‍थान को गतिशीलता होती रहती है । प्राकृतिक तत्‍वों की गतिशीलता वायु और जल द्वारा होती है, वस्‍तुओं की गतिशीलता प्राय: परिवहन के साधनों द्वारा होती है, विचारों की गतिशीलता संचार के साधनों, जैसे – डाक, तार, टेलीफोन, रेडियो, टेलीविजन द्वारा होती है या मनुष्‍यों की पारस्‍परिक सभाओं, सम्‍भाषणों आदि के द्वारा और समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, पुस्‍तकों के द्वारा होती है । स्‍थानों के बीच 1. वस्‍तुओं 2. विचारों 3. मनुष्‍यों की गतिशीलता को स्‍थानिक पारस्‍परिक क्रिया (spatial interaction) कहते हैं । क्षेत्रीय विभिन्‍नता (areal) differentiation और क्षेत्रीय समाकलन (areal integration) दोनों साथ – साथ मौजूद रहते हैं, और इसके लिये क्षेत्रों में पारस्‍परिक क्रिया की आवश्‍यकता होती है । यह पारस्‍परिक क्रिया प्रदेशों या क्षेत्रों में संचार प्रवाह के द्वारा होती है । संचार साधन विभिन्‍न क्षेत्रों का समाकलन (integration) करने से बंधता है किसी स्‍थान के स्‍वरूप निर्धारण में बड़ा भारी महत्‍व इस बात का होता है, कि परिवहन मार्गों तथा संचार साधनों से बने परिसंचरण जाल में, उस स्‍थान की स्थिति कहॉं पर है । स्‍थानों की केन्‍द्रीय अवस्थिति होती है, उनकी अभिगम्‍यता अर्थात दूसरे स्‍थानों से उन केन्‍द्रीय स्‍थानों तक की पहुँच बहुत ऊंचे दर्जे की होती है ।

Concept of Areal Differentiation क्षेत्रीय भिन्‍नता की संकल्‍पना 1898 में जर्मन भूगोलवेत्‍ता हैटनर ने अपने लेखों में क्षेत्रीय भिन्‍नता की संकल्‍पना को स्‍पष्‍टत: समझाया था । हैटनर के मतानुसार भूगोल पृथ्‍वी के क्षेत्रों का ज्ञान है, और ये क्षेत्र एक दूसरे से भिन्‍न होते हैं । इन्‍होने बतलाया कि भूगोल पृथ्‍वी का क्षेत्रीय विज्ञान (chorological science) है । भूगोल पृथ्‍वी के क्षेत्रों तथा स्‍थानों की भिन्‍नता का और उनके स्‍थानिक सम्‍बंधों का विज्ञान है । Choro (Region) + logy (Study) Chorology includes the discription of the the causal relation of phenomena whithin a perticular region. भूगोल पृथ्‍वी तल पर प्रादेशिक अन्‍तरों का विज्ञान है । ब्रिटिश भूगोलवेत्‍ताओं के अनुसार भूगोल वह विज्ञान है जो क्षेत्रों की भिन्‍नता तथा उनके सम्‍बंधों के संदर्भ में पृथ्‍वी तल का वर्णन करता है । अमेरिकन भूगोलवेत्‍ताओं के अनुसार भूगोल वह विज्ञान है जो पृथ्‍वी तल की क्षेत्रीय भिन्‍नता का अध्‍ययन करता है । यह भिन्‍नता ऐसे तत्‍वों जैसे जलवायु, उच्‍चावच, मिटटी, वनस्‍पति, जनसंख्‍या, भूमि-उपयोग तथा कई तत्‍वों के सम्मिश्र रूपों के गुण क्रम अंतर्सम्‍बंधों द्वारा व्‍यक्‍त होती है । भूगोल के अंतर्गत स्‍थानों की परिघटनाओं (phenomena) का तथा स्‍थानों की सदृश्‍यताओं (likenesses) और अन्‍तरों (differences) का अध्‍ययन होता है ।

भूगोल में पथ्‍वी तल के क्षेत्रों की विविधताओं का ज्ञान प्राप्‍त किया जाता है । अत: क्षेत्रीय भिन्‍नता का वास्‍तविक अर्थ क्षेत्रों का अंतर नहीं है, वरन क्षेत्रों की विविधता है ।

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