Inspiring short story in hindi - बुद्धिमान मेंढ़क की कहानी 😍

kahanizoneinfo 143 views 1 slides Apr 19, 2025
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एक मेंढक था। वह बहुत चतुर था। एक कौवा कई दिन से उसे पकड़ने का प्रयास कर रहा था। लेकिन मेंढक उसके हाथ ही नहीं आ रहा था।...


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बुद्धिमान मेंढ़ककी कहानी
एक मेंढक था। वह बहुत चतुर था। एक कौवा कई दिन से उसे पकड़ने का प्रयास कर रहा था।
लेककन मेंढक उसके हाथ ही नहीं आ रहा था। आखिरकार, एक दिन कौवे को अच्छा मौका
ममला। मेंढक आराम से बैठा धूप सेंक रहा था। तभी कौवे ने उसे पीछे से धर िबोचा और टााँग
पकड़ कर आकाश में ले उड़ा।

बेचारा मेंढक घबराया तो बहुत लेककन उसने साहस नहीं छोड़ा। वह अपने मुक्त होने की युक्तक्त
सोचने लगा। उड़ते-उड़ते कौवा एक पेड़ पर बैठ गया और मेंढक से बोला- “मरने के क्तलए तैयार
हो जाओ, अब मैं तुम्हें िाऊं गा” मेंढक अब काफी संभल चुका था। वह मुस्कु राता हुआ बोला-
हे कॉकराज! आप शायि इस पेड़ पर रहने वाली भूरी कबल्ली को नहीं जानते? वह मेरी मौसी
है।

यदि तुमने मुझे जरा भी नुकसान पहुाँचाया तो तुम्हारे प्राणों की िैर नहीं हैं। कौवा थोड़ा
भयभीत हो उठा। उसने कफर से मेंढक की टााँग पकड़ी और उड़कर एक पहाड़ी पर जा बैठा।
मेंढक के बुरे हालात थे। उसने सोच क्तलया कक कौवा उसे छोड़ने वाला नहीं है। लेककन, उसने
अपने चेहरे पर भय की क्तशकन तक न आने िी। हे कॉकराज! यहााँ भी आपकी िाल गलने वाली
नहीं हैं।

यहााँ भी मेरा भौं-भौं कु त्ता रहता है। यदि उसे पता चला कक तुम मुझे िाना चाहते हो तो वह
तुम्हारे पंि नोच लेगा। -मेंढक ने कहा। कनराश होकर कौवा वहााँ से भी उड़ा और एक निी के
ककनारे जा बैठा। “मैं समझता हाँ कक यहााँ तुम्हें बचाने वाला कोई नहीं है।” कौवे ने मेंढक से
कहा। बेचारे मेंढक के हाथ पैर फू ल गए थे। कफर भी वह अपनी बुद्धि बल से सोच कर बोला-

“कॉकराज अब तो मैं आपके ही हाथ में हाँ आप मुझे आराम से िा सकते हो। मगर ककतना
अच्छा होता कक तुम अपनी चोंच थोड़ा तेज कर लेते। द्धजससे मुझे कम कष्ट होगा।” कौवा
मेंढक के बहकावे में आ गया और बोला- “अरे यह कौन-सी बड़ी बात है।” यह कहकर अपनी
चोंच निी के ककनारे एक पत्थर पर मघसने लगा। मेंढक के क्तलए इतना अवसर बहुत था। उसने
तुरंत उछलकर पानी में डुबकी लगा िी।

बेचारा कौवा, अपना-सा मुाँह लेकर बैठ गया। तभी पानी में से एक आवाज आई- “ कॉकराज!
चोंच तो आपने तेज कर ली अब बुद्धि भी अपनी तेज कर लो। तब मैं कहीं आपके हाथ
आऊाँ गा। बेचारा कौवा अपनी मंिबुद्धि पर तरस िा रहा था।
पररस्स्थकतयााँ कै सी भी हो बुद्धि और साहस के साथ समस्या का हल कनकालना चाकहए।
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