pollination and fertilization

NaveenJakhar2 1,758 views 8 slides Oct 23, 2020
Slide 1
Slide 1 of 8
Slide 1
1
Slide 2
2
Slide 3
3
Slide 4
4
Slide 5
5
Slide 6
6
Slide 7
7
Slide 8
8

About This Presentation

परागण (Pollination): परागकणों (Pollengrains) के परागकोष (Anther) से मुक्त होकर उसी जाति के पौधे के जायांग (Gynoecium) के वर्तिकाग्र (stigma) तक पहुँचन�...


Slide Content

परागण ( Pollination) परागकणों ( Pollengrains ) के परागकोष ( Anther) से मुक्त होकर उसी जाति के पौधे के जायांग ( Gynoecium) के वर्तिकाग्र ( stigma) तक पहुँचने की क्रिया को परागण कहते हैं।

परागण के प्रकार   Types of Pollination: 1. स्वपरागण ( self Pollination):   जब एक पुष्प के परागकण उसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर या उसी पौधे पर स्थित किसी अन्य पुष्प के वर्तिकाग्र पर पहुँचता है, तो इसे स्वपरागण कहते हैं। 2. पर-परागण ( Cross pollination):   जब एक पुष्प का परागकण उसी जाति के दूसरे पौधे पर स्थित पुष्प के वर्तिकाग्र पर पहुँचता है, तो उसे पर-परागण कहते हैं। पर-परागण कई माध्यमों से होता है। पर परागण पौधों के लिए उपयोगी होता है। पर-परागण के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता होती है। वायु, कीट, जल या जन्तु इस आवश्यकता की पूर्ति करते हैं।

परागण की विधियां ( Methods of pollination):   1. वायु परागण ( Anemophilous ):   वायु द्वारा परागण 2. कीट परागण ( Entomophilous ): कीट द्वारा परागण 3. जल परागण ( Hydrophilous ): जल द्वारा परागण 4. जन्तु परागण ( Animophilous ): जन्तु द्वारा परागण 5. पक्षी परागण ( Ornithophilous ): पक्षियों द्वारा परागण 6. मेलेकोफिलस ( Malacophilous ): घोंघे द्वारा परागण 7. चिरोप्टोफिलस ( Chiroptophilous ): चमगादड़ द्वारा परागण

निषेचन ( Fertilization): परागण के पश्चात निषेचन की क्रिया प्रारम्भ होती है। परागनली ( Pollen tube) बीजाण्ड ( ovule) में प्रवेश करके बीजाण्डासन को भेदती हुई भ्रूणपोष ( Endosperm) तक पहुँचती है और परागकणों को वहीं छोड़ देती है। इसके पश्चात् एक नर युग्मक एक अण्डकोशिका से संयोजन करता है। इसे ही निषेचन कहते हैं। अब निषेचित अण्ड ( Fertilized egg) युग्मनज ( zygote) कहलाता है। यह युग्मनज बीजाणुभिद की प्रथम इकाई है। निषेचन के पश्चात बीजाण्ड से बीज, युग्मनज से भ्रूण ( embryo) तथा अण्डाशय से फल का निर्माण होता है ।

निषेचन के पश्चात् पुष्प में होने वाले परिवर्तन:   1. बाह्य दलपुंज ( Calyx):   यह प्रायः मुरझाकर गिर जाता है। अपवाद-मिर्च। 2. दलपुंज ( Corolla):   यह मुरझाकर गिर जाता है। 3. पुंकेसर ( stamen):   यह मुरझाकर झड़ जाता है। 4. वर्तिकाग्र ( stigma):   यह मुरझा जाती है। 5. वर्तिका ( style):   यह मुरझा जाती है। 6. अण्डाशय  ( Ovary):   यह फल में परिवर्तित हो जाती है। 7. अण्डाशय भित्ति ( Ovary wall):   यह फलाभित्ति ( Pericarp) में परिवर्तित हो जाती है। 8 . अण्डकोशिका ( Egg cells):   यह भ्रूण ( embryo) में परिवर्तित हो जाता है। 9 . बीजाण्डसन ( Nucellus ):   यह पेरीस्पर्म ( Perisperm ) में परिवर्तित हो जाती है। 10. बीजाण्ड ( Ovule):   यह बीज ( seed) में परिवर्तित हो जाती है।

फल का निर्माण ( Formation of Fruits): फल का निर्माण अण्डाशय ( Ovary) से होता है। परिपक्व अण्डाशय को ही फल ( Fruit) कहा जाता है। परिपक्व अण्डाशय की भित्ति फल-भित्ति ( Pericarp) का निर्माण करती है। फल-भित्ति मोटी या पतली हो सकती है। मोटी फलभित्ति में प्रायः तीन स्तर हो जाते हैं। बाहरी स्तर को बाह्य फलभित्ति ( Epicarp ), मध्य स्तर को मध्य फलभिति ( Mesocarp ) तथा सबसे अन्दर के स्तर को अन्त:फलभिति ( Endocarp) कहते हैं।