बच्चों की कहानियां नैतिक शिक्षा के साथ : बुद्धिमान सियार की सलाह
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Apr 21, 2025
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किसी जंगल में एक विशालकाय बरगद का पेड़ था। उस पेड़ पर एक कौवा अपनी पत्नी के साथ रहता था। कौवा बहुत दुखी रहता था। क्यों�...
किसी जंगल में एक विशालकाय बरगद का पेड़ था। उस पेड़ पर एक कौवा अपनी पत्नी के साथ रहता था। कौवा बहुत दुखी रहता था। क्योंकि, उसकी पत्नी जब भी अंडे देती उसी पेड़ पर रहने वाला एक काला साँप आकर खा जाता था। कौवा अपने भोजन की तलाश में कही गया हुआ था। वह जंगल में एक पेड़ पर बैठ कर रोए जा रहा था।
तभी वहाँ से एक सियार गुजरा वह कौवे को रोते हुए देख पूँछा – “कॉक महाराज आप क्यों रो रहे हो। पहले तो कौवे ने सियार से कुछ बताने से कतराने लगा। लेकिन, सियार ने उसे हौसला दिलाते हुए कहा। दोस्त दुख को एक दूसरे से बांटने से दिमाग हल्का हो जाएगा। मुझे बताओ कुछ क्या पता मै आपकी कुछ मदद कर सकूँ।”
कौवा साँप के बारें में सियार से सारी बातें बता देता हैं। सियार उसे विश्वास दिलता हैं। तुम्हारी समस्या का समाधान बहुत जल्द निकल जाएगा। थोड़ा धीरज रखो। मैं उसे सबक सीखाने का कोई न कोई जतन करूँगा। अगले दिन सियार ने कौवे को एक युक्ति बताते हुए कहा- “तुम नगर के राजा के महल में जाओ और एक कीमती हार लाकर सांप के बिल में डाल देना। बाकी का काम अपने आप हो जाएगा। लेकिन, ध्यान रहे हार उस वक्त उठाना जब राजा और उसके सिपाही देख रहे हो।”
कौवे को सियार की पूरी बात समझ नहीं आई। लेकिन वह हार लेने के लिए महल को उड़ गया। कौवा मौका पाकर हार लेकर दरबार से निकल पड़ा राजा उसको पकड़ने के लिए सिपाहियों को उसके पीछे भेज दिया। कौवा उड़ते-उड़ते बरगद के पेड़ पर बने सांप के बिल में रख दिया। कौवे के पीछे-पीछे सैनिक भी लगे थे।
वे झट से पेड़ पर चढ़ गए जैसे ही हार निकालने के लिए बिल में हाथ बढ़ाया। उस बिल से भयंकर सांप निकल जिसे सैनिकों ने अपने भाले से छेद-छेद कर टुकड़े-टुकड़े कर दिया। इसलिए, कहा गया हैं जो कार्य हथियार से नहीं किया जा सकता हैं, वह बुद्धि से हो सकता हैं। अब कौवा और उसकी पत्नी खुशी-खुशी उसी पेड़ पर रहने लगे।
कहानी से सीख:
कठिन परिस्थितियों में हमें बहुत ही धैर्य के साथ काम लेना चाहिए।
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Added: Apr 21, 2025
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Slide Content
बुद्धिमान सियार की िलाह
ककिी जंगल में एक किशालकाय बरगद का पेड़ था। उि पेड़ पर एक कौिा अपनी
पत्नी के िाथ रहता था। कौिा बहुत �खी रहता था। क्योंकक, उिकी पत्नी जब भी
अंडे देती उिी पेड़ पर रहने िाला एक काला िााँप आकर खा जाता था। कौिा
अपने भोजन की तलाश में कही गया हुआ था। िह जंगल में एक पेड़ पर बैठ कर
रोए जा रहा था।
तभी िहााँ िे एक सियार गुजरा िह कौिे को रोते हुए देख प ाँछा – “कॉक महाराज
आप क्यों रो रहे हो। पहले तो कौिे ने सियार िे कु छ बताने िे कतराने लगा।
लेककन, सियार ने उिे हौिला ददलाते हुए कहा। दोस्त �ख को एक �िरे िे बांटने
िे ददमाग हल्का हो जाएगा। मुझे बताओ कु छ क्या पता मै आपकी कु छ मदद कर
िक ाँ ।”
कौिा िााँप के बारें में सियार िे िारी बातें बता देता हैं। सियार उिे किश्वाि ददलता
हैं। तुम्हारी िमस्या का िमाधान बहुत जल्द कनकल जाएगा। थोड़ा धीरज रखो। मैं
उिे िबक िीखाने का कोई न कोई जतन कराँ गा। अगले ददन सियार ने कौिे को
एक युसि बताते हुए कहा- “तुम नगर के राजा के महल में जाओ और एक कीमती
हार लाकर िांप के कबल में डाल देना। बाकी का काम अपने आप हो जाएगा।
लेककन, ध्यान रहे हार उि िि उठाना जब राजा और उिके सिपाही देख रहे हो।”
कौिे को सियार की प री बात िमझ नहीं आई। लेककन िह हार लेने के सलए महल
को उड़ गया। कौिा मौका पाकर हार लेकर दरबार िे कनकल पड़ा राजा उिको
पकड़ने के सलए सिपाकहयों को उिके पीछे भेज ददया। कौिा उड़ते-उड़ते बरगद के
पेड़ पर बने िांप के कबल में रख ददया। कौिे के पीछे-पीछे िैकनक भी लगे थे।
िे झट िे पेड़ पर चढ़ गए जैिे ही हार कनकालने के सलए कबल में हाथ बढ़ाया। उि
कबल िे भयंकर िांप कनकल द्धजिे िैकनकों ने अपने भाले िे छेद-छेद कर टुकड़े-
टुकड़े कर ददया। इिसलए, कहा गया हैं जो कायय हसथयार िे नहीं ककया जा िकता
हैं, िह बुद्धि िे हो िकता हैं। अब कौिा और उिकी पत्नी खुशी-खुशी उिी पेड़
पर रहने लगे।
कदठन पररस्स्थकतयों में हमें बहुत ही धैयय के िाथ काम लेना चाकहए।