RAM KRISH N A COLLEGE OF AYURVEDA AND MEDICAL SCIENCE S Department of Rasashastra and Bhaishajya Kalpana Guided By – Dr. Anil K. Baghel ( Professor ) Dr. Manisha Chikhale ( Professor ) Dr. Deepak Jaiswal ( Associate Professor ) Dr. Gaurav Bansod ( Assistant Professor ) Dr. Deepak Choudhary ( Assistant Professor ) Presented By – Saniya Mansuri Vaibhav Patil Vaibhav Abhang ( BAMS 2 nd prof. Batch – 2022-23 ) Topic Name- Aarogyavardhini gutika
प्रस्तावना वटी एक औषधि से निर्मित किया हुआ ( solid dosage form ) होता है , जिनके आकार ( size & shape ) तथा भार ( weight ) में भिन्नता होती है | वटी किनारोंसे पतली तथा बिच में मोटी (स्थूल ) होती है | इसके अंतर्गत वटक, गुटिका, वटी, मोदक, वटिका, पिण्डी, गुरु तथा वर्ती शब्द का उल्लेख है, जिन्हें पर्याय भी कहा जाता है | घटक द्रव्य अनुसार दो वर्गों में विभाजन – 1. रसा औषधियों तथा काष्ठ औषधियों से युक्त 2. केवल काष्ठ औषधियों से युक्त e.g. संजीवनी वटी e.g. एलादी वटी , लवंगादी वटी छोटा आकार बड़ा आकार ( 125 - 250 mg ) ( 500 m g- 1 gm )
साधने व उपकरण Stick machine , Stick cutter machine ( Modern ) End runner or Edge runner ( Modern ) खल्व यन्त्र वर्ती (suppository) मशीन
घटक द्रव्य शुद्ध पारद - 1 भाग शुद्ध गंधक - 1 भाग लोहा भस्म - 1 भाग अभ्रक भस्म - 1 भाग ताम्र भस्म - 1 भाग शुद्ध शिलाजतु - 3 भाग त्रिफला चूर्ण - 6 भाग ( बिभितकी चूर्ण (2 भाग ) + आमलकी चूर्ण (2 भाग ) + हरीतकी चूर्ण(2 भाग ) शुद्ध गुग्गुल - 4 भाग चित्रक मूल - 4 भाग कुटकी - 22 भाग भावना द्रव्य – निम्बपत्र स्वरस
निर्माण विधी सर्वप्रथम शुद्ध पारद + शुद्ध गंधक को खल्व यंत्र में मर्दन करके कज्जली बना ले सभी भस्मों को एकत्रित कर कज्जली में मिला ले शुद्ध गुग्गुल को पीसकर नरम करे या पानी में मिलाकर अग्नि देकर नरम करके शुद्ध शिलाजतु आदि शेष द्रव्योंको सूक्ष्म चूर्ण करके खल्व यंत्र में मिश्रित करे निम्बपत्र स्वरस 7 भावना दे 2 – 2 रत्ती की गोलिया / वटिका बना ले
सविर्यता आवधि 5 वर्ष ( गुटिका - रस तथा काष्ठ औषधि से निर्मित ) 2 -3 years expiry date printed on products available in market
दक्षता उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री का प्रयोग सही निर्माण प्रक्रिया का पालन सही प्रमाण में घटक द्रव्यों का इस्तेमाल आधिक प्रमाण में सेवन करने से विषाक्त लक्षण उत्पन्न हो सकते है
औषधि परिक्षण एकसमान वजन की गुटिका विघटन का समय ( disintegration time ) कठोरता ( hardness test ) राख परिक्षण ( गुटिका का वजन और राख का वजन की तुलना की जाती है ) ( अशुद्धियों की मात्रा ) ( गुणवत्ता और सुरक्षा )
द्रव्य कार्मुकता पाचन ( digestion ) दीपन ( appetizer ) मेदोनाशक ( prevents diseases arising from hyperlipidemia ) मल शुद्धि ( cleaning of waste materials from body ) कुटिका प्रधान होने से ‘ पिताशय अश्मरी ‘ में लाभदायक
उपयोगिता कुष्ठरोग नाशक ( मंडल कुष्ठ – 14 दिन प्रयोग ) वातज, पित्तज, कफज, ज्वरनाशक ( 5 दिन प्रयोग ) त्वचा रोग मेदोवृद्धि नाशक क्षुधा वर्धन यकृत विकार नाशक कुटिका प्रधान होने से ‘ पिताशय अश्मरी ‘ में लाभदायक ( Gallstone ) अपचन में हितकारी
मात्रा और अनुपान मात्रा – 250 – 500 mg. ( according to AFI ) राजकोल प्रमाण ( राजकोल = Indian jujube , बेर ) Dose – 500mg – 1gm per day . Colour – Black Taste – Bitter ( कड़वा )
अनुपान – आद्रक स्वरस मधु निम्बपत्र स्वरस क्षीर जल घी गुड़ दही गन्ने का रस दशमूल क्वाथ पुर्ननवाई क्वाथ
संदर्भ ग्रंथाधार रसरत्नसमुच्चय – कुष्ठ प्रकरण भैषज्यरत्नावली – प्लीहा यकृत विकार प्रकरण शारंगधर संहिता - माध्यम खंड , अध्याय सात चरकसंहिता चिकित्सास्थान -( गुटिका , वटक उल्लेख )