Very Short Story in Hindi with Moral - मोर और कछुआ की कहानी
kahanizoneinfo
97 views
1 slides
Apr 25, 2025
Slide 1 of 1
1
About This Presentation
एक बार की बात हैं किसी जंगल में एक मोर रहता था। वह बहुत सुंदर था जब भी पानी बरसता वह नाचने लगता, पर न जाने क्यों वह नाच�...
एक बार की बात हैं किसी जंगल में एक मोर रहता था। वह बहुत सुंदर था जब भी पानी बरसता वह नाचने लगता, पर न जाने क्यों वह नाचते-नाचते हमेशा उदास हो जाता। वहीं नदी के किनारे एक कछुआ रहता था जो मोर को ऐसा करते हमेशा देखता और सोचता कि आखिर बात क्या है? एक दिन उससे रहा नहीं गया और उसने मोर से पूछ ही लिया।
मोर भाई तुम इतने खूबसूरत हो और इतना शानदार नाचते भी हो, तो अचानक ऐसे क्यों उदास हो जाते हो। मोर ने कछुए की बात सुनी और कहा कि “क्या खाक मैं नाचता हूँ? काश मैं गा भी सकता, जब भी मैं गाने के लिए अपना मुहँ खोलता हूँ तो आसपास के सारे जानवर मेरे पास से भाग जाते हैं। उन्हें लगता हैं कि मैं चीख रहा हूँ। देखो न कुक्कू चिड़िया कितना अच्छा गाती हैं”। कछुए को समस्या समझ में आ गई।
कछुए ने उसे बहुत शांति से इसका जबाब दिया। तुम सबसे सुंदर पक्षी हो, सबसे सुंदर नाचते भी हो। भगवान हमें हमारी अच्छाइयों और बुराइयों के साथ भेजता हैं। हमें अपनी अच्छाईयों और बुराइयों को एक साथ एक भाव से स्वीकार करना चाहिए। अगर सब में सारी खूबियाँ हो जाएंगी तो फिर सब एक जैसे हो जाएंगे। फिर आप मोर नहीं रह जाओगे और मैं कछुआ नहीं रह जाऊंगा। मोर को कछुए की बात समझ में आ गई और वह फिर खुशी-खुशी नाचने लगा।
नैतिक शिक्षा:
हमें अपनी अच्छाइयों और बुराइयों दोनों को स्वीकार करना चाहिए। हमेशा अपनी तुलना किसी और के साथ नहीं करनी चाहिए। अपने आपको निखारते जाओ, आप लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बन जाएंगे।
Size: 544.5 KB
Language: none
Added: Apr 25, 2025
Slides: 1 pages
Slide Content
मोर औरकछुआ की कहानी
एक बार की बात हैं ककसी जंगल में एक मोर रहता था। वह बहुत सुंदर था जब भी
पानी बरसता वह नाचने लगता, पर न जाने क्यों वह नाचते-नाचते हमेशा उदास हो
जाता। वहीं नदी के ककनारे एक कछुआ रहता था जो मोर को ऐसा करते हमेशा
देखता और सोचता कक आखखर बात क्या है? एक ददन उससे रहा नहीं गया और
उसने मोर से पूछ ही ललया।
मोर भाई तुम इतने खूबसूरत हो और इतना शानदार नाचते भी हो, तो अचानक ऐसे
क्यों उदास हो जाते हो। मोर ने कछुए की बात सुनी और कहा कक “क्या खाक मैं
नाचता हूँ? काश मैं गा भी सकता, जब भी मैं गाने के ललए अपना मुहूँ खोलता हूँ तो
आसपास के सारे जानवर मेरे पास से भाग जाते हैं। उन्हें लगता हैं कक मैं चीख रहा
हूँ। देखो न कु क्कू चचच़िया ककतना अच्छा गाती हैं”। कछुए को समस्या समझ में आ
गई।
कछुए ने उसे बहुत शांकत से इसका जबाब ददया। तुम सबसे सुंदर पक्षी हो, सबसे
सुंदर नाचते भी हो। भगवान हमें हमारी अच्छाइयों और बुराइयों के साथ भेजता हैं।
हमें अपनी अच्छाईयों और बुराइयों को एक साथ एक भाव से स्वीकार करना
चाकहए। अगर सब में सारी खूकबयाूँ हो जाएंगी तो किर सब एक जैसे हो जाएंगे। किर
आप मोर नहीं रह जाओगे और मैं कछुआ नहीं रह जाऊं गा। मोर को कछुए की बात
समझ में आ गई और वह किर खुशी-खुशी नाचने लगा।
हमें अपनी अच्छाइयों और बुराइयों दोनों को स्वीकार करना चाकहए। हमेशा अपनी
तुलना ककसी और के साथ नहीं करनी चाकहए। अपने आपको कनखारते जाओ, आप
लोगों के ललए प्रेरणा स्रोत बन जाएंगे।
@kahanizone.com
@kahanizone.com