कक्षा 10 लेखाशास्त्र, अध्याय-1: "लेखाांकन-एक परिचय" इस अध्याय में लेखा (Accounting) के मूल सिद्धांतों, उद्देश्यों और इसके �...
कक्षा 10 लेखाशास्त्र, अध्याय-1: "लेखाांकन-एक परिचय" इस अध्याय में लेखा (Accounting) के मूल सिद्धांतों, उद्देश्यों और इसके विभिन्न पहलुओं का परिचय दिया जाता है। लेखा वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यापारिक संस्थाएँ अपने वित्तीय लेन-देन का रिकॉर्ड रखती हैं, इनका विश्लेषण करती हैं और परिणामों का आकलन करती हैं। लेखाशास्त्र का उद्देश्य व्यापार की वित्तीय स्थिति को समझना और सही निर्णय लेना है।
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Language: none
Added: Feb 04, 2025
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लेखाशास्त्र
अध्याय-1: लेखाांकन-एक परिचय
(1)
लेख ांकन-एक परिचय 01
लेख ांकन
सरल श�ों में, लेख ांकन क आशय वित्तीय स्वभ ि के सौदों (य लेन-देनों) को क्रमबद्ध �प में
लेख बद्ध करने, उनक िर्ीीकरण करने, स र ांश तैय र करने एिां उनको इस प्रक र प्रस्तुत करने से
है जिससे उनक विश्लेषण (Analysis) ि ननिवचन (Interpretation) हो सके।लेख ांकन में स र ांश
क अर्व तलपट (Trial Balance) बन ने से है और विश्लेषण ि ननिवचन क आध र अन्तिम ख ते
(Final Accounts) होते हैं जिनके अिर्वत व्य प र ख त , ल भ-ह नन ख त तर् चचट्ठ /स्थिनत-
वििरण य तुलन-पत्र (Balance Sheet) तैय र ककए ि ते हैं।
कल –
“लेख ांकन सौदों एिां घटन ओां को, िो आांजशक �प में अर्ि कम-से-कम वित्तीय प्रिृजत्त के होते
हैं, प्रभ िपूणव विचध से एिां मौद्रिक �प में जलखने, िर्ीीकृ त करने और स र ांश में व्यक्त करने तर्
उनके पररण मों की व्य ख्य करने की कल है।”
विज्ञ न –
“लेख ांकन मुख्यतः वित्तीय स्वभ ि ि ले व्य िस नयक व्यिह रों और घटन ओां के जलखने एिां
िर्ीीकरण करने क विज्ञ न है और इन व्यिह रों ि घटन ओां क महत्वपूणव स र ांश बन ने, विश्लेषण
करने, उनकी व्य ख्य और पररण मों को उन व्यक्तक्तयों तक सम्प्रेद्रषत करने की कल है जिन्हें उनके
आध र पर ननणवय लेने हैं।”
परिभ ष एँ
अमेरिकन इांस्टीट्यूट ऑफ सर्टटफ इड पब्लिक एक उांटेंट्स (AICPA) ने 1961 में लेख ांकन की
पररभ ष ननम्न प्रक र दी र्ी:
“लेख ांकन सौदों एिां घटन ओां को, िो आांजशक �प में अर्ि कम-से-कम वित्तीय प्रिृजत्त के होते
हैं, प्रभ िपूणव विचध से एिां मौद्रिक �प में जलखने, िर्ीीकृ त करने और स र ांश में व्यक्त करने तर्
उनके पररण मों की व्य ख्य करने की कल है।”
(2)
लेख ांकन-एक परिचय 01
इस -क्षेत्र पर पूणव प्रक श ड ल र्य है, इसमें के िल लेखे तैय र करन ही लेख ांकन क क यव नहीां
पररभ ष में लेख ांकन के क यव म न र्य िरन् लेखों क श्रेणीयन, विश्लेषण एिां व्य ख्य पर भी बल
कदय र्य है।इस पररभ ष में लेख ांकन से प्र प्त होने ि ले सभी ल भों की स्पष्ट झलक चमलती है।
अमेरिकन एक उांटटिंग प्रिन्सिपल्स बोडड (AAPB) ने लेख ांकन की पररभ ष ननम्न श�ों में दी है
इस पररभ ष के अनुस र लेख ांकन एक सेि कक्रय कल प है।इसक क यव आर्थर्क इक इयों के
सम्बन्ध में पररम ण त्मक सूचन एँ, मुख्यत: वित्तीय प्रकृ नत की, िो आर्थर्क ननणवयों ि िैकन्तिक
उप यों में से सुविच ररत चयन के जलए उपयोर्ी हैं, प्रद न करन है।
लेख ांकन की ननम्नललखखत विशेषत एँ है :
• लेख ांकन व्यिस नयक सौदों के जलखने और िर्ीीकृ त करने की कल है ।
• विश्लेषण एिां ननिवचन की सूचन उन व्यक्तक्तयों को सम्प्रेद्रषत की ि नी च हहए जिन्हें इनके
आध र पर ननष्कषव य पररण म ननक लने हैं य ननणवय लेने हैं।
• यह स र ांश जलखने, विश्लेषण और ननिवचन करने की कल है।
• सौदे मुि में व्यक्त ककये ि ते हैं।
(3)
लेख ांकन-एक परिचय 01
• ये लेन-देन पूणव य आांजशक �प से वित्तीय प्रकृ नत के होते हैं।
लेख ांकन की िकृ वत एिां लेख ांकन क क्षेत्र
लेख ांकन की ननम्नजलखखत प्रकृ नत होती हैं-
1. लेख ांकन : एक पेश – आधुननक समय में लेख ांकन एक पेश क �प ध रण कर चुक
है।लेख ांकन क विजशष्ट ज्ञ न प्र प्त व्यक्तक्त को लेख प ल य च टवडव एक उन्टेंट कहते हैं।
2. लेख ांकन : एक बौलिक विक स – लेख ांकन क विजशष्ट ज्ञ न क स्व�प बौजद्धक है, जिसे
सैद्ध न्तिक अध्ययन तर् व्य िह ररक ज्ञ न के द्व र सीखकर उसमें विजशष्टत प्र प्त की ि ती
है।
3. लेख ांकन : एक स म लिक शक्ति – लेख ांकन से प्र प्त सूचन ओां क प्रयोर् व्य प र क
स्व मी, लेनद र, विननयोक्त , िनत तर् सरक र अपने हहत में करते हैं।
4. लेख ांकन : एक नीवत ननर् डिक शक्ति – लेख ांकन के आध र पर मूल्य ननध वरण, मूल्य-
ननयन्त्रण, मूल्य-नीनत, व्य प र-नीनत, क्रय-विक्रय नीनत, विननयोर्-नीनत, आकद क ननम वण
होत है।सरक र भी इसी के आध र पर आय त-ननय वत, औद्योचर्क नीनत, उत्प दन नीनत आकद
क ननम वण करती है।
लेख ांकन के उद्देश्य
1. व्य िस नयक लेन-देनों क ननयममत एिां सुव्यिब्लित ढांग से पूर्ड लेख किन –
लेख ांकन क प्रर्म उद्देश्य सभी व्य िस नयक लेन-देनों को पूणव एिां व्यिस्थित �प से लेख
करन है।मुज्यिस्थित ढर् से लेख करने से भूत की सम्भ िन नहीां रहती है और पररण म
शुद्ध प्र प्त होत है।
2. शुि ल भ-ह नन क ननर् डिर् किन – लेख ांकन क दूसर उद्देश्य एक ननजित अिचध क
ल भ-ह नन ज्ञ त करन है।ल भ ह नन ज्ञ त करने के जलए व्य प ।ल भ-ह नन ख त (Profit
and Loss Account) य आय वििरणों (Income Statement) तैय र करत है।
3. व्यिस य की वित्तीय ब्लिवत क ज्ञ न किन – लेख ांकन क एक उद्देश्य सांि की वित्तीय
स्थिनत के सम्बन में ि नक री प प्त करन है।इस उद्देश्य को पूर्तत के जलए एक स्थिनत-
(4)
लेख ांकन-एक परिचय 01
वििरण तैय र ककय ि त है जिसमें ब र्ीी और पिी एिां द नयत्वों (Capital and
Liabilities) को कदख य ि त है और द यों और सम्पजत्तयों (Assets) को कदख य ि त
है।स्थिनत वििरण को चचट्ठ भी कह ि त है।यकद सम्पजत्तयों से देयत एँ ( पूँिी एिां द नयत्व)
कम रहती है तो व्य प र को आर्थर्क स्थिनत सुदुढ़ म नी ि ती है और यकद देयत एँ हो अचधक
हो तो यह खर ब आर्थर्क स्थिनत की सूचक होती है।
4. आर्थिक ननर्डयों के ललए सूचन िद न किन – लेख ांकन क एक क यव वित्तीय प्रकृ नत
ि ली सूचन एां प्रद न करन है जिससे प्रयन्धकों को ननणवय लेने में सुविध हो, स र् ही सही
ननणवय जलये ि सकें।इसके जलए िैकन्तिक उप य भी लेख ांकन उपलर् कर त है।
5. व्यिस य में टहत िखने ि ले पक्षों को सूचन एँ देन – व्यिस य में कई पक्षों के हहत होते
हैं, िैसे-स्व मी (Proprielor), कमवच री िर्व, प्रिन्धक, लेनद र, विननयोिक (Investors),
आकद।व्यिस य में हहत रखने ि ले विचभन्न पक्षी को उनसे सम्बन्तन्धत सूचन एँ उर्ल�
कर न भी लेख ांकन क एक उद्देश्य है।
6. क नूनी आिश्यकत ओां को पूि किन – लेख ांकन क एक उद्देश्य विचभन्न िैध ननक
आिश्यकत ओां की पूर्तत करन भी है।लेख ांकन प्रत्यक्ष एिां अप्रत्यक्ष करों के जलए ररटनव
द खखल करने के जलए सबसे अच्छ आध र प्रस्तुत करत है।
लेख ांकन की आिश्यकत एिां महत्व य ल भ
आि के युर् में लेख ांकन य लेख कमव (लेख विचध) क महत्व क फी बढ़ र्य है।इस श स्त्र के
ज्ञ न से न ससफव व्य प री ही ल भ न्तित होते हैं िरन् सरक र एिां अन्य पक्षों को भी ल भ पहँचत
है।लेख ांकन के ननम्नजलखखत ल भ हैं :
• स्मिर् शक्ति के अभ ि की पूर्तत – कोई भी व्यक्तक्त ककतन भी योग्य क्यों न हो, सभी
ब तों को स्मरण नहीां रख सकत है।व्य प र में प्रनतकदन सैकडों लेन-देन होते हैं, िस्तुओां क
क्रय – विक्रय होत है।ये नकद और उध र दोनों हो सकते हैं।मिदूरी, िेतन, कमीशन, आकद
के �प में भुर्त न होते हैं।इन सभी को य द रखन कठिन है।लेख ांकन इस अभ ि को दूर
कर देत है।
(5)
लेख ांकन-एक परिचय 01
• व्यिस य से सम्बन्सित सूचन ओां क ज्ञ न होन – लेख ांकन से व्यिस य से सम्बन्तन्धत
कई महत्वपूणव सूचन एँ प्र प्त होती हैं, िैसे :
1. ल भ-ह नन की ि नक री होन
2. सम्पजत्त तर् द नयत्व की ि नक री होन
3. ककतन �पय लेन है और ककतन �पय देन है
4. व्यिस य की आर्थर्क स्थिनत कै सी है, आकद।
• व्य प ि क उचचत मूल् ांकन – व्य िस नयक सांि को बेचते य क्रय करते समय उसके
सही मूल्य ांकन की आिश्यकत होती है।यकद सांि में सही लेख ांकन की व्यिि है तो उस
सांि की वित्तीय स्थिनत के आध र पर व्यिस य क उचचत मूल्य ांकन हो सकत है।
• न्य य लय में िम र् – अन्य व्य प ररयों से झर्डे होने की स्थिनत में लेख ांकन अचभलेखों
को न्य य लय में प्रम ण (स क्ष्य) के �प में प्रस्तुत ककय ि सकत है।न्य य लय प्रस्तुत
ककये लेख ांकन अचभलेखों को म न्यत प्रद न करत है।
• ददि ललय घोवषत किने की क यडि ही में सह यक होन – एक व्य प री कदि जलय तभी
घोद्रषत ककय ि सकत है, िबकक उसके द नयत्व उसकी सम्पजत्तयों के मूल्य से अचधक
हों।इसी प्रक र िब ककसी व्य िस नयक सांि की ऐसी स्थिनत आ ि ये, िबकक िह द नयत्वों
के भुर्त न में असमर्व हो ि ये तो उसे कदि जलय घोद्रषत ककय ि सकत है।ककसी भी
न्य य लय को यह ज्ञ न बहीख तों तर् लेखों से ही होत है।अतः कदि जलय घोद्रषत कर ने
के जलए लेख कमव अत्यि सह यक ससद्ध होत है।
• कि-ननर् डिर् में सह यक – व्य प ररयों को कई प्रक र के कर चुक ने पडते हैं; िैसे – आय-
कर, नबक्री-कर, सम्पद -कर, मनोरांिन-कर, उत्प दन-कर, आकद।इन करों के ननध वरण में
लेख ांकन से बडी सह यत चमलती है।यकद व्य प री आिश्यक पुस्तकें न रखें तो सम्बन्तन्धत
अचधक री मनम ने ढांर् से कर लर् देंर्े।
• ऋर् लेने में सह यक – व्यिस य के विस्त र हेतु तर् उसके सफल सांच लन के जलए
समय-समय पर ऋण की आिश्यकत पडती है।यकद हहस ब-ककत ब िीक ढांर् से रखे र्ये
हों तो व्य प र की सही आर्थर्क स्थिनत दश वई होर्ी तो हहस ब-ककत ब कदख कर ऋणद त
(6)
लेख ांकन-एक परिचय 01
को सिुष्ट ककय ि सकत है और इस प्रक र ख त कदख कर बैंक ि अन्य वित्तीय सांि ओां
से ऋण प्र प्त करने में सुविध हो ि ती है।
• तुलन त्मक अध्ययन – विचभन्न िषों के लेखों की तुलन द्व र व्य प री बहत-सी ल भद यक
और आिश्यक सूचन एँ प्र प्त कर सकत है।इससे िह भविष्य में उन्ननत य विस्त र की
योिन एँ बन कर ल भ में िृजद्ध कर सकत है अर्ि ह ननयों से बचने के जलए आिश्यक
कदम उि सकत है।
• महत्वपूर्ड सूचन ओां क ज्ञ न – बहीख तों की सह यत से व्य प री उपयोर्ी आँकडे इकट्ठे
कर सकत है, िैसे-आय-व्यय, क्रय-विक्रय, पूँिी, देयत एँ, सम्पजत्त, ह्यस, स्टॉक, विननयोर्,
इत्य कद के आँकडे।इन आँकडों से न ससफव महत्वपूणव सूचन एँ चमलती हैं िरन् इनके आध र
पर आिश्यक ननष्कषव भी ननक ले ि सकते हैं इन सूचन ओां के आध र पर नीनतय ँ ननध वररत
करने में मदद चमलती है।
• कमडच रियों को ल भ – वित्तीय लेखों से कमवच ररयों के िेतन, बोनस, भत्ते, आकद से
सम्बन्तन्धत समस्य ओां के ननध वरण में मदद चमलती है।
लेख ांकन के क यड
लेख ांकन के छः क यड हैं :
1. लेख त्मक क यव
2. व्य ख्य त्मक क यव
3. सम्प्रेषण त्मक क यव
4. िैध ननक आिश्यकत ओां की पूर्तत करन
5. व्यिस य की सम्पजत्तयों की रक्ष करन
6. ननणवय लेने में सह यत प्रद न करन
• लेख त्मक क यड – लेख ांकन क यह आध रभूत क यव है।इस क यव के अिर्वत व्यिस य की
प्र रस्थम्भक पुस्तकों (िनवल और उसकी सह यक बहहयों) में क्रमबद्ध लेखे करन , उनको
उपयुक्त ख तों में िर्ीीकृ त करन अर् वत् उनसे ख ते तैय र करन और तलपट (Trial
Balance) बन ने के क यव श चमल हैं।इनके आध र पर वित्तीय वििरजणयों (Financial
(7)
लेख ांकन-एक परिचय 01
Statements), िैसे-ल भ-ह नन ख त /आय वििरणी ख त तर् चचट्टे को तैय र ककय
ि त है।
• व्य ख्य त्मक क यड – इस क यव के अिर्वत लेख ांकन सूचन ओां में हहत रखने ि ले पक्षों के
जलए वित्तीय वििरण ि प्रनतिेदन (Report) क विश्लेषण एिां व्य ख्य श चमल है।तृतीय पक्ष
एिां प्रबन्धकों की दृष्टष्ट से लेख ांकन क यह क यव महत्वपूणव म न र्य है।
• सम्प्रेषर् त्मक क यड – लेख ांकन को व्यिस य की भ ष कह ि त है।जिस प्रक र भ ष
क मुख्य उद्देश्य सम्प्रेषण के स धन के �प में क यव करन है, क्योंकक विच रों की अचभव्यक्तक्त
भ ष ही करती है, िीक उसी प्रक र लेख ांकन व्यिस य की वित्तीय स्थिनत ि अन्य सूचन एां
(िैसे – शुद्ध ल भ, सम्पजत्त ि द नयत्व, आकद) उन सभी पक्षक रों को प्रद न करत है जिनके
जलए ये आिश्यक हैं।
• िैर् ननक आिश्यकत ओां की पूर्तत किन – विचभन्न क नूनों/विध नों िैसे-कम्पनी
अचधननयम आयकर अचधननयम, नबक्री कर अचधननयम आकद द्व र विचभन्न प्रक र के वििरणों
को िम करने पर बल कदय ि त है।िैसे-ि र्षषक ख ते. आयकर ररटनव, नबक्रीकर ररटनव
आकद।ये तभी िम ककये ि सकते हैं यकद लेख ांकन िीक से रख ि ये।
• व्यिस य की सम्पलत्तयों की िक्ष किन – लेख ांकन क एक महत्वपूणव क यव व्यिस य की
सम्पजत्तयों की रक्ष करन है।यह तभी सम्भि है िबकक विचभन्न सम्पजत्तयों क उचचत लेख
रख ि ये।
• ननर्डय लेने में सह यत किन – लेख ांकन महत्वपूणव आकडे उपल� कर त है जिससे
ननणवयन क यव में सुविध होती है।
• उपयुवक्त क यों के अनतररक्त लेख ांकन प्रबन्धक को सांि के ननयन्त्रण क यव में पय वप्त
सह यत प्रद न करत है।यह सह यत विचभन्न प्रक र की सूचन ओां को उपल� कर कर ही
की ि ती है।
िैसे :
1. हस्तस्य रोकड ककतनी है?
2. बैंक शेष की स्थिनत क्य है?
3. स मचियों य स्टॉक (Inventories) की स्थिनत क्य है?
(8)
लेख ांकन-एक परिचय 01
4. ि हकों के प स ककतन बक य है?
5. लेनद रों को ककतन देन है?
6. विचभन्न सम्पजत्तयों की स्थिनत क्य है और उनक उपयोर् ककस प्रक र हो रह है?
इन सूचन ओां के आध र पर ही सांि के स्व मी य प्रबन्धक यह देखते हैं कक ककसी सम्पनत
की बब वदों तो नहीां हो रही है।
लेख ांकन के िक ि य श ख एँ
विचभन्न उद्देश्यों की पूर्तत हेतु अलर्-अलर् प्रक र की लेख ांकन पद्धनतय ँ विकससत हई हैं।इन्हें
लेख ांकन के प्रक र य लेख ांकन की श ख एँ कह ि त है।
लेख ांकन की मुख्य श ख एँ ननम्नजलखखत हैं :
1. वित्तीय लेख ांकन
2. ल र्त लेख ांकन
3. प्रबन्ध लेख ांकन
• वित्तीय लेख ांकन – वित्तीय लेख ांकन िह लेख ांकन है जिसके अिर्वत वित्तीय प्रकृ नत ि ले
सौदों को लेख बद्ध ककय ि त है।इन्हें स म न्य लेख कमव भी कहते हैं और इन लेखों के
आध र पर ल भ-ह नन य आय वििरण तर् चचट्ठ (तुलन-पत्र) तैय र ककय ि त है।
1. इस प्रक र वित्तीय लेख ांकन के ननम्नजलखखत मुख्य क यव हैं :
2. व्यिस य य सांि से सम्बन्तन्धत लेन-देनों को उपयुक्त बही में जलखन
3. आिश्यक ख ते, ल भ-ह नन ख त तर् चचट्ठ तैय र करन
4. एक ननजित अिचध के व्य िस नयक पररण मों से व्यिस य के स्व मी य सम्बन्तन्धत
पक्षक रों को अिर्त कर न ।
(9)
लेख ांकन-एक परिचय 01
•ल गत लेख ांकन – ल र्त लेख ांकन वित्तीय लेख पद्धनत की सह यक (Subsidiary)
है।ल र्त लेख ांकन ककसी िस्तु य सेि की ल र्त क व्यिस्थित ि िैज्ञ ननक विचध से लेख
करने की प्रण ली है।इसके द्व र िस्तु य सेि की कु ल ल र्त तर् प्रनत इक ई ल र्त क
सही अनुम न लर् य ि सकत है।इसके द्व र ल र्त पर ननयन्त्रण भी ककय ि त है।ल र्त
लेख ांकन के अिर्वत प्रत्येक क यव य आदेश, िेक , विचध, सेि य इक ई की ल र्त
क ननध वरण सस्थिजलत रहत है।यह उत्प दन, विक्रय एिां वितरण की ल र्त भी बत त है।
•िबि लेख ांकन – यह लेख ांकन की आधुननक कडी है।िब कोई लेख विचध प्रबन्ध की
आिश्यकत ओां के जलए आिश्यक सूचन एँ प्रद न करती है, तब इसे प्रबन्थकीय लेख विचध
कह ि त है।
(10)
लेख ांकन-एक परिचय 01
लेख ांकन की सीम एँ
ससद्ध िों के एक पूणव सांिह क अभ ि
भूतक लीन शल्य परीक्षण
1. ससद्ध िों पर एकमत क अभ ि
2. ससद्ध िों के प्रनतप लन में अिर
3. ससफव मौद्रिक तथ्यों क लेख
4. सीचमत अिचध क चचत्र प्रस्तुत करन
5. व्य ख्य त्मक वििरण क अभ ि
6. ि स्तविक मूल्य न बत प न
मसि न्तों के एक पूर्ड सांग्रह क अभ ि –
लेख ांकन के ससद्ध िों को एक सबसे बडी कमी यह है कक इसके ससद्ध िों क कोई एक पूणव सांिह
य सूची उपल� नहीां है।
भूतक लीन शल् पिीक्षर् –
(11)
लेख ांकन-एक परिचय 01
वित्तीय लेख ांकन भूतक लीन शल्य परीक्षण (Post-mortem) विश्लेषण प्रस्तुत करत है (अर् वत्
भूतक लीन समस्य ओां हेतु है)।यह भविष्य की योिन ओां की उपेक्ष करत है।
मसि न्तों पि एकमत क अभ ि –
लेख ांकन के िो भी ससद्ध ि हैं, उनमें से बहत-से ससद्ध िों पर सभी लेख प ल एकमत नहीां
रखते।लेख ांकन के ससद्ध ि ‘स म न्यतय स्वीकृ त ससद्ध ि’ होते हैं।
मसि न्तों के िवतप लन में अन्ति –
लेख ांकन के ससद्ध िों के प्रनतप लन में भी बहत-सी चभन्नांत एँ रहती हैं।उसके फलस्व�प पररण मों
में चभन्नत रहती है और तुलन में कठिन ई होती है।
मसफड मौप्रिक तथ्यों क लेख –
लेख ांकन में के िल उन्हीां घटन ओां और तथ्यों क लेख ककय ि त है जिन्हें मुि के �प में व्यक्त
ककय ि सकत है।अत: कोई भी घटन व्यिस य के जलए ककतनी ही महत्वपूणव क्यों न हो, उसक
लेख पुस्तकों में तब तक सम्भि नहीां है िब तक उसक मौद्रिक म पन नहीां ककय ि त है।
सीममत अिचर् क चचत्र िस्तुत किन –
(वित्तीय) लेख ांकन एक सीचमत अिचध क ही चचत्र प्रस्तुत करत है. िैसे – ननजित अिचध के जलए
ल भ-ह नन ख त अर्ि ननजित नतचर् क चचट्ठ ।
व्य ख्य त्मक विििर् क अभ ि –
लेख ांकन में व्य ख्य त्मक वििरण (Analytical Details) क भी अभ ि रहत है जिससे उपक्रम
की बढ़़ी हई ल भ त्मकत ननजित करन कठिन होत है।
ि स्तविक मूल् न बत प न –
लेख ांकन में सम्पजत्तयों क अचभलेखन इसके ल र्त मूल्य पर ककय ि त है।अत: यह व्यिस य के
शुद्ध म न को प्रस्तुत नहीां करत अर् वत् ि स्तविक मूल्य नहीां बत त है।
(12)
लेख ांकन-एक परिचय 01
अक उांहटिंर् (Accounting) य बुक कीद्रपिंर् व्य िस नयक भ ष एां हैं।हम इस भ ष क उपयोर्
वित्तीय लेनदेन और म जलक को उनके पररण मों को सांप्रेद्रषत करने के जलए कर सकते हैं।लेख ांकन
कां पनी के म जलक य शेयरध रक को वित्तीय ि नक री एकत्र करने, विश्लेषण और सांच र करने के
जलए एक व्य पक प्रण ली है।
एक लेख क र िह व्यक्तक्त होत है िो इन सभी प्रक र के व्य प ररक लेनदेन को लेख ांकन प्रण ली
में म जलक द्व र जलए र्ए ननणवय के पररण म को म पने के जलए ररकॉडव करत है, इसे लेख ांकन
कह ि त है।
लेख ांकन में तीन प्रक र की श ख एँ हैं िैस कक आरेख में कदख य र्य है और जलिंक नीचे कदए र्ए
हैं: –
1. Financial Accounting or book keeping (वित्तीय लेख य बहीख त ): –
वित्तीय लेख ांकन क अर्व है मूल लेख ांकन य प्र रांचभक स्तर क लेख ांकन जिसमें हम ककसी विशेष
व्यिस य के कदन-प्रनतकदन के लेनदेन को ररकॉडव, स र ांजशत और विश्लेषण कर रहे हैं।और अांत में,
हम ककसी विशेष वित्तीय िषव में व्यिस य की वित्तीय स्थिनत य ल भ / ह नन और बैलेंस शीट तैय र
करके ककसी सांर्िन की स्थिनत के ब रे में ि न प एांर्े।
(13)
लेख ांकन-एक परिचय 01
2. Cost Accounting (ल गत लेख ांकन): –
यह क रवि ई के विचभन्न िैकन्तिक प ठ्यक्रमों की ररकॉर्डडर् और िर्ीीकरण, विश्लेषण, स र ांश,
आिांटन और मूल्य ांकन और ल र्तों के ननयांत्रण की एक प्रकक्रय है।इसक लक्ष्य ल र्त दक्षत और
क्षमत के आध र पर प्रबांधन को सबसे उपयुक्त प ठ्यक्रम पर सल ह देन है।ल र्त लेख ांकन क
उपयोर् घर में ननर्थमत उत्प द की ल र्त को अांनतम �प देने के जलए ककय ि त है।
3. Management Accounting (िबांर्न लेख ांकन): –
प्रबांधन लेख ांकन य प्रबांधकीय लेख ांकन में, प्रबांधक अपने सांर्िन के म मलों को तय करने से
पहले स्वयां को बेहतर ढांर् से सूचचत करने के जलए लेख ांकन ि नक री के प्र िध नों क उपयोर्
करते हैं, िो उनके प्रबांधन और ननयांत्रण क यों के प्रदशवन को प्रभ वित करत है।व्यिस य के भविष्य
से सांबांचधत महत्वपूणव ननणवय लेने में प्रबांधन की सह यत से।िैस कक ननम्नजलखखत के �प में
कदख य र्य है:
•पूांिी बिट
•पूांिी सांरचन
•क यवशील पूांिी की आिश्यकत एां
•अनुप त विश्लेषण
•योिन और सांर्िन
•वित्तीय आांकडों क विश्लेषण
•विचभन्न विभ र्ों के जलए लक्ष्य तैय र करें।
•और सभी ननणवय लें िो सांर्िन के विक स में मदद करत है।
(14)
लेख ांकन-एक परिचय 01
NCERT SOLUTIONS
िश्न (पृष्ठ सांख्य 22)
लघुउत्तिीय िश्न:
प्रश्न 1 लेख ांकन को पररभ द्रषत कीजिए।
उत्तर – लेख एिां अांकन दो श�ों के मेल से िने लेख ांकन में लेख से मतलब जलखने से होत है
तर् अांकन से मतलब अांकों से होत है ।ककसी घटन क्रम को अांकों में जलखे ि ने को लेख ांकन
(Accounting) कह ि त है ।
ककसी ख स उदेश्य को ह ससल करने के जलए घहटत घटन ओां को अांकों में जलखे ि ने के कक्रय को
लेख ांकन कह ि त है ।यह ँ घटन ओां से मतलब उस समस्त कक्रय ओां से होत है जिसमे �पय क
आद न-प्रद न होत है ।
प्रश्न 2 वित्तीय लेख ांकन क अांनतम पररण म क्य होत है?
उत्तर – टरेकडिंर् ख त और ल भ और ह नन ख त और बैलेंस शीट।
वित्तीय लेख ांकन एक बय न है िो ननम्नजलखखत अांनतम उत्प दों के �प में पररण म को दश वत है:
• टरेदडिंग A/c - इस लेख ांकन में प्रनतभूनतयों से सांबांचधत एक फमव के वित्तीय डेट , नकदी य
ननिेश को ररकॉडव ककय ि त है।
• ल भ औि ह नन A/c - यह ख त एक टरेकडिंर् ख ते के पररण म के ब द तैय र ककय ि त
है, िो कक फमव के शुद्ध ल भ य ह नन की र्णन करने के जलए ल भ य ह नन की सकल
र जश के �प में यह ां कदख य र्य है।
• बैलेंस शीट- यह फमव की सांपजत्तयों और देनद ररयों के ब रे में स्थिनत ि नने के जलए प्रमुख
�प से तैय र है।
प्रश्न 3 लेख ांकन के मुख्य उद्देश्यों की र्णन कीजिए।
(15)
लेख ांकन-एक परिचय 01
उत्तर – वित्तीय लेनदेन की अचभलेख्बद्ध, अचभजलखखत ककए र्ए बय नों को रखन , त्रुहटयों क पत
लर् न और अांनतम पररण म ि नन ।
लेख ांकन के उद्देश्य
• अमभलेख्बि वित्तीय लेनदेन-: लेख ांकन लेनदेन के वििरण को तब तक सांिहीत करने में
मदद करत है िब तक कक कम्पनी लेनदेन अचभलेख करन च हत है।
• अमभललखखत विििर्-: बडी सांख्य में विक्रे त ओां, विक्रे त ओां और अन्य पक्षों के स र् एक
कम्पनी सौद करती है िह ां ि जणज्यज्यक लेनदेन होत है।
• त्रुटटयों क पत लग एां-: अचभलेख ककए र्ए लेनदेन से ककसी फमव की ि जणज्यज्यक
र्नतविचध के ब रे में ि नने में मदद चमलती है त कक अर्र कु छ त्रुहट हो तो उसे सुध र ि
सके ।
• अांवतम परिर् म-: लेख ांकन अिचध में ल भ य ह नन की स्थिनत ि नने के जलए लेख ांकन
एक कम्पनी की मदद करत है।
प्रश्न 4 ऐसे प ँच उपयोर्कत्त वओां को सूचीबद्ध कीजिए जिनकी लेख ांकन में परोक्ष �प से �चच होती
है।
उत्तर – लेख ांकन आमतौर पर उन लोर्ों द्व र उपयोर् ककय ि त है िो कदन के लेन-देन के स र्
चमलते हैं य जिन्हे कु छ लेनदेन को अचभलेख करने की आिश्यकत होती है, लेख ांकन के
उपयोर्कत व नीचे कदए र्ए हैं:
1) बैंककिं र् सांि न- यह ँ कई वित्तीय य बैंककिं र् सांि न हैं, जिन्हें अचभलेख रखने के जलए
व्य िस नयक र्नतविचधयों क अचभलेख रखन आिश्यक है।
2) ि हक- आमतौर पर िो ि हक व्य िस नयक उद्देश्यों के जलए कु छ र जश खचव करते हैं, िे अपने
वित्तीय वििरण य सह यत क अचभलेख रखते हैं।
3) विक्रे त - विक्रे त ओां को अपने व्यिस य, लेन-देन के स र्-स र् र्नतविचधयों की स्थिनत ि नने
के जलए वित्तीय लेख ांकन वििरण होन आिश्यक है।
(16)
लेख ांकन-एक परिचय 01
4)कर प्र चधकरण- सरक री अचधक ररयों को विक स त्मक य विक स योिन ओां को तैय र करने
के जलए खचव और कम ई क अचभलेख रखने की सख्त आिश्यकत होती है।
प्रश्न 5 दीघव॑ अिचध ऋणद त ओां के जलए आिश्यक लेख ांकन सूचन को प्रकृ नत को बत इए।
उत्तर – िह ल भ, आरओआई, विक स और व्य प र की क्षमत पर कें द्रित हैं।
1)ल भ: लांबी अिचध के ऋणद त व्यिस य में पैस लर् ते हैं यकद यह ल भ कम रह है तो भविष्य
में सक र त्मक ि पसी देने में सक्षम होर् ।
2)ननिेश पर ि पसी: सांभ वित उध रद त ओां ननिेश पर ि पसी की ओर ध्य न कें द्रित कर रहे हैं िो
आमतौर पर दोर्ुन है त कक उनक ल भ और िम ि पस प्र प्त हो।
3)व्यिस य की िृजद्ध और क्षमत : यकद कोई ऋणद त ककसी व्यिस य में ननिेश करन च हत है,
तो िह कम्पनी को ल भ प्र प्त करने के जलए बढ़ती और बडी क्षमत होने की उिीद करत है।
4)व्यिस य की पररच लन क्षमत : आिश्यक सांस धनों की खरीद और लांबी अिचध को सुननजित
करने में व्यिस य की क्षमत ।
प्रश्न 6 सूचन के ब ह्म उपयोर्कत व कौन हैं?
उत्तर – अन्य तृतीय पक्ष िो व्य िस नयक र्नतविचधयों पर लजक्षत है, उन्हें सूचन के ब हरी
उपयोर्कत वओां के �प में न चमत ककय र्य है।
•ब हरी उपयोर्कत व एक अन्य व्यक्तक्त है िो व्यिस य य व्यिस य के प्रबांधन से सांबांचधत नहीां
है, प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष �प से व्यिस य की व्य िस नयक र्नतविचधयों पर कें द्रित है।
•यह एक सांर्िन य फमव और कु छ अन्य सांि न हो सकते हैं िो कु छ ल भ य ल भ प्र प्त
करने के जलए व्यिस य में ननिेश करन च हते हैं।एक फमव अपने आांतररक डेट िैसे कक
सरक र, प्र चधकरण य वित्तीय सांि न पर ककसी ब हरी उपयोर्कत व क ननयांत्रण कभी नहीां
देत है।
प्रश्न 7 प्रबन्ध कक सूचन सांबांधी आिश्यकत की र्णन करें।
(17)
लेख ांकन-एक परिचय 01
उत्तर – ककसी व्यिस य की ि नक री की ि�रत ननयोिन, ननयांत्रण और ननणवय लेने पर ननभवर
होती है।
1)योिन -: प्रबांधन को आम तौर पर नबक्री विभ र् के प्रदशवन के पररण म के स र्-स र् उत्प दन
की ल र्त के ब रे में भी इकट्ठ करन पडत है, अर्र यह भविष्य के जलए एक सही योिन बन ने
के जलए बढ़ती य घटती है।
2)ननयांत्रण -; कभी-कभी कु छ विभ र् उत्प दन की ल र्त पर ध्य न देते हैं, और यह भी प्रबांधन
के जलए यह ि नन उपयोर्ी होत है कक उत्प दन की ल र्त ननयांत्रण में है य ल भ प्र प्त करने के
जलए नहीां।
3)ननणवय लेन -: यह ि नने के जलए कक उन्हें क्य बेचन च हहए और ककस ल भ के जलए उन्हें
अचधक ल भ प्रबांधन की ि नक री च हहए।
व्यिस य को ननयांष्टत्रत करने से लेकर योिन बन ने तक में प्रबांधन की प्र र्चमक भूचमक है।यह
नबक्री विभ र् के उत्प दन और खचों के स र्-स र् योिन के ब रे में भी ध्य न रखन है कक उन्हें
आर्े क्य बेचन च हहए, यह ननणवय लेने की भूचमक के जलए आत है जिसके जलए प्रबांधन को
ि नक री की आिश्यकत होती है।
प्रश्न 8 आर्म के कोई तीन उद हरण दीजिए।
उत्तर – आर्म से आशय व्यिस य की आय से है।इसक अचभप्र य ननयचमत �प से प्र प्त होने ि ली
आय य आितीी प्रकृ नत की आय से भी है।आर्म से पूँिी में अचभिृजद्ध होती है।
आगम क उद हिर्
म ल के विक्रय से प्र न्तप्तय ँ, अर्जित ब्य ि, अर्जित कमीशन, अर्जित ककर य , अर्जित ल भ ांश, अर्जित
बट्ट , आकद
प्रश्न 9 देनद र एिां लेनद रों में अांतभेद कीजिए।
उत्तर – देनद र एिां लेनद रों में अांतभेद
(18)
लेख ांकन-एक परिचय 01
• देनद र िे पक्ष हैं जिनके प स इक ई के जलए धन क बक य है।लेनद र िे पक्ष होते हैं, जिन
पर कां पनी क द नयत्व होत है।
• देनद र ख त प्र प्य की श्रेणी में आते हैं िबकक लेनद र देय ख ते की श्रेणी में आते हैं।
• देनद र कां पनी की सांपजत्त हैं िबकक लेनद र कां पनी की देनद ररय ां हैं।
• ऋणी क लैहटन अर्व है 'किव देन '।इसके विपरीत, लेनद र क लैहटन अर्व 'ऋण के जलए'
है।
• देनद रों के म मले में, कां पनी द्व र छूट की अनुमनत है।दूसरी ओर, लेनद रों के म मले में,
छूट कां पनी द्व र प्र प्त की ि ती है।
• सांकदग्ध ऋणों क प्र िध न देनद रों पर बन य र्य है, लेककन लेनद रों पर नहीां।
प्रश्न 10 लेख ांकन सूचन तुलन योग्य होनी च हहए।क्य आप इस कर्न से सहमत है? कोई दो
क रण दें।
(19)
लेख ांकन-एक परिचय 01
उत्तर – यह पय वप्त नहीां है कक वित्तीय सूचन एक समय विशेष पर विशेष पररस्थिनतयों में अर्ि
विशेष प्रनतिेदन (ररपोटव) इक ई के जलए ही प्र सांचर्क एिां विश्वसनीय हो ।लेककन यह भी महत्त्वपूणव
है कक सूचन के उपयोर्कत व स ध रण उद्देश्य के जलए प्रस्तुत व्यिस य के वित्तीय प्रलेखों में प्रदर्जशत
विचभन्न आय मों की अन्य व्य िस नयक इक इयों से परस्पर तुलन कर सकें ।
क रण:
1.सही आर्थर्क स्थिनत की ि नक री करने के जलए।
2.सही ल भदेयत की ि नक री करने के जलए।
प्रश्न 11 यकद लेख ांकन सूचन क प्रस्तुतीकरण स्पष्ट नहीां है तो लेख ांकन सूचन की कौन सी
र्ुण त्मक विशेषत क उल्लांघन हआ है?
उत्तर –
1.विश्वसनीयत ,
2.प्र सांचर्कत ,
3.तुलनीयत ,
4.बोधर्म्यत ।
प्रश्न 12 बीते समय में लेख ांकन की भूचमक में पररितवन आय है।क्य आप सहमत हैं? व्य ख्य
कीजिए।
उत्तर – आर्थर्क विक स में पररितवन एिां स म जिक आिश्यकत ओां की बढ़ती म ांर् के स र्
लेख ांकन की भूचमक में पररितवन होत रह है।यह ककसी उद्यम के म पन, िर्ीीकरण एिां
सांजक्षप्तीकरण के द्व र उन्हें विश्लेद्रषत एिां िर्जणत भी करत है और उन्हें वििरणों ि प्रनतिेदनों के �प
में प्रस्तुत करत है।ये वििरण एिां प्रनतिेदन उस सांर्िन की वित्तीय स्थिनत ि सांच लन पररण मों
को प्रदर्जशत करते हैं।पररम ण त्मक वित्तीय सूचन प्रद न कर यह सेि क यव भी करत है िो
उपयोर्कत वओां को अनेक प्रक र से सह यत देती है।एक सूचन प्रण ली के �प में लेख ांकन एक
सांर्िन की विचभन्न प्रक र की सूचन ओां को एकष्टत्रत करके उन्हें व्यिस य में �चच रखने ि ले
(20)
लेख ांकन-एक परिचय 01
विचभन्न पक्षों को सांप्रेद्रषत करत है।लेख ांकन सूचन ओां क सांबांध भूतक ल के लेन देनों से होत है
तर् यह पररम ण त्मक एिां वित्तीय होती है।यह र्ुण त्मक एिां र्ैर वित्तीय सूचन प्रद न नहीां करती।
प्रश्न 13 ननम्न लेख ांकन श�ों को उद हरण देकर समझ इए।ि यी पररसांपजत्तय ँ
उत्तर –
•ि यी पररसांपजत्तय ँ- भूचम, भिन,
•आर्म-ककर य प्र प्त, दल ली प्र प्त,
•व्यय- िेतन, ककर य
•अि-अिचध देयत - व्य प र ख ते देय, अर्जित व्यय
1.ि यी पररसांपजत्तय ँ: ये कम्पनी द्व र कई लेख ांकन अिचधयों में, लांबे समय तक उपयोर् और
व्यिस य के ल भ कम ने ि ले पररम ण के विक स के जलए आयोजित की ि ती हैं।िैसे-
भूचम, भिन आकद।
2.आर्म: यह व्यिस य की दैननक र्नतविचधयों से प्र प्त र जश है।उद हरण के जलए-िेतन,
ककर य ।
3.अि-अिचध देयत अि-अिचध देयत : यह उस द नयत्व को सांदर्थभत करत है िो १२ महीने
से कम समय के जलए है।उद हरण के जलए-देय, अर्जित खचव।
4.पूांिी- यह एक कम्पनी के म जलक द्व र ननिेश की र्ई र जश को सांदर्थभत करत है।यह नकदी
य सांपजत्त के �प में हो सकत है।पूँिी = द नयत्व-सांपजत्त।
5.व्यय- व्यय िे ल र्तें हैं िो व्य प र की ल भप्रदत बन ए रखने के जलए अर्जित की ि ती
हैं।उद हरण के जलए- ककर य और िेतन।
प्रश्न 14 आर्म एिां व्यय को आप कै से पररभ द्रषत करेंर्े?
उत्तर – आगम: यह िह धनर जश है िो व्यिस य िस्तुओां की नबक्री य उपभोक्त ओां को प्रद न की
र्ई सेि ओां से अर्जित करत है।इसे विक्रय आमदनी भी कह ि त है।आमदनी की अन्य दूसरी
मदें िो अचधक ांश व्यिस यों में सम न �प से प्रयुक्त होती हैं, ये हैं: ब्य ि, कमीशन, ल भ ांश,
ककर य प्र प्त, रॉयल्टी आकद।
(21)
लेख ांकन-एक परिचय 01
व्यय यह व्यिस य में आर्म अर्जित करने की प्रकक्रय में आने ि ली ल र्त है।स ध रणतः व्यय क
म पन. एक लेख ांकन अिचध के दौर न उपयोर् की र्ई पररसांपजत्तयों य उपयोर् की र्ई सेि ओां के
�प में ककय ि त है।व्यय की अचधक ांश मदें हैं ककर य , िेतन, ब्य ि, मूल्य ह्र स, नबिली, प नी,
टेलीफोन नबल इत्य कद की ल र्त।
प्रश्न 15 ि जणज्य के विद्य र्थर्यों एिां अन्य लोर्ों के जलए लेख ांकन विषय के अध्ययन के प्र र्चमक
क रण क्य हैं?
उत्तर – ितवम न में लेख ांकन से कोई भी क्षेत्र अछूत नहीां रह है।प्रत्येक क्षेत्र में लेख ांकन सूचन ओां
की आिश्यकत होती है।ि जणज्य के क्षेत्र में तो इसक महत्त्व और भी बढ़ ि त है।लेख ांकन विषय
क अध्ययन करके ही लेख ांकन सूचन ओां को आस नी से तर् िीक तरह से समझ ि सकत
है।ि जणज्य के विद्य र्थर्यों तर् अन्य लोर्ों के जलए लेख ांकन विषय के अध्ययन क प्र र्चमक
क रण यही है कक इससे उन्हें लेख ांकन सूचन ओां को समझन तर् उन्हें उपयोर् में लेन आ ि त
है।ि जणज्य के विद्य र्ीी तो लेख ांकन विषय क अध्ययन कर लेख ांकन क यव में भी मह रत ह ससल
कर सकते हैं।
लेख ांकन सूचन एँ ब ह्य उपयोर्कत वओां िैसे - कर अचधक ररयों, श्रम सांर्िनों, ि हकों, स्कन्ध
विपजणयों इत्य कद को भी वित्तीय वििरणों, ि फ, च टव आकद के म ध्यम से विषय क अध्ययन करके
ज्ञ न प्र प्त करने में सहयोर् करती हैं।उपयुवक्त की विस्तृत ि नक री प्र प्त करने के उद्देश्य से ही
ि जणज्य के विद्य र्ीी एिां अन्य लोर् लेख ांकन विषय क अध्ययन करते हैं।
दीघडउत्तिीय िश्न:
प्रश्न 1 लेख ांकन की पररभ ष दीजिए तर् इसके उद्देश्यों क िणवन कीजिए।
उत्तर – लेख ांकन क अर्व एिां पररभ ष एँ
अमेररकन इांस्टीट्यूट ऑफ सर्टटफ इड पज्यिक एक उांटेंट्स (AICPA) के अनुस र, "लेख ांकन क
सम्बन्ध उन लेन देनों एिां घटन ओां को, िो पूणव �प से य आांजशक �प से वित्तीय प्रकृ नत के होते
हैं, मुि के �प में प्रभ िश ली ढांर् से जलखने, िर्ीीकृ त करने, सांक्षेप में व्यक्त करने एिां उनके
पररण मों की विश्लेषण त्मक व्य ख्य करने की कल अमेररकन एक उांहटिंर् एसोससशन (AAA) ने
(22)
लेख ांकन-एक परिचय 01
लेख ांकन को इस प्रक र पररभ द्रषत ककय है, "लेख ांकन आर्थर्क सचन ओां को पहच नने, म पने
और सम्प्रेद्रषत करने की एक ऐसी प्रकक्रय है जिसके आध र पर सचन ओां के उपयोर्कत व तकव युक्त
ननणवय लेने में सक्षम होते हैं।"
ए.आई.सी.पी.ए. के एक उांहटिंर् द्रप्रन्सीपल बोडव के अनुस र, "लेख ांकन क क यव मुख्य �प से
आर्थर्क इक इयों के सम्बन्ध में ऐसी र्ुण त्मक सूचन एँ उपल� कर न है, िो प्रमुख �प से वित्तीय
प्रकृ नत की होती हैं और िो आर्थर्क ननणवय लेने में उपयोर्ी होती हैं।" आर.एन. एन्थोनी के अनुस र,
"लेख ांकन प्रण ली व्यिस य से सम्बन्तन्धत सूचन ओां को मौद्रिक �प में एकष्टत्रत, स र ांजशत,
विश्लेद्रषत और सूचचत करने क एक स धन है।" हैरॉल्ड नबयरमेन एिां एलन आर. डरेनबन के अनुस र,
"लेख ांकन को वित्तीय सूचन ओां की पहच न, म पन, अचभलेखन और सांिहन के �प में पररभ द्रषत
ककय ि सकत है।"
ननष्कषव �प में, लेख ांकन सांर्िन की आर्थर्क घटन ओां को पहच नने, म पने और जलखकर रखने
की ऐसी प्रकक्रय है, जिसके म ध्यम से सूचन ओां से सम्बन्तन्धत आँकडे उपयोर्कत वओां तक सम्प्रेद्रषत
ककये ि सकें ।
लेख ांकन के उद्देश्य (Objects of Accounting): लेख ांकन के उद्देश्य ननम्नजलखखत हैं:
(1) व्य िस नयक लेन देन क हहस ब रखन लेख ांकन क प्रमुख उद्देश्य सभी मौद्रिक व्यिह रों क
लेख करन है।मौद्रिक व्यिह र िे व्यिह र हैं जिनमें पूणव य आांजशक �प से मुि क लेन देन
श चमल होत है।सभी लेन देनों क िर्ीीकरण कर उन्हें पुस्तकों में उचचत शीषवकों में जलखन (िैसे
- सम्पजत्त, द नयत्व, पूँिी, आय, व्यय आकद) लेख ांकन क उद्देश्य है।
(2) ल भ अर्ि ह नन की र्णन प्रत्येक व्यिस य क मुख्य क यव ल भ कम न होत है।प्रत्येक
व्यिस यी ननजित अिचध के अि में यह ि नन च हत है कक उसे व्य िस नयक कक्रय ओां से ल भ
हआ है अर्ि ह नन? इसके जलए िह लेख पुस्तकों में जलखे र्ये लेन देनों के आध र पर ल भ ह नन
ख त बन त है।यकद ननजित अिचध में आय व्ययों से अचधक होती है तो व्यिस यी को ल भ होत
है तर् पररण म अनुकू ल म ने ि ते हैं।इसके विपरीत यकद ननजित अिचध में व्यय आय से अचधक
होते हैं तो ह नन होती है. तर् पररण म प्रनतकू ल म ने ि ते हैं।इस प्रक र ल भ ह नन क ननध वरण
भी लेख ांकन क प्रमुख उद्देश्य है।
(23)
लेख ांकन-एक परिचय 01
(3) वित्तीय स्थिनत को प्रदर्जशत करन प्रत्येक व्यिस यी ननजित अिचध के अि में व्य प र की
आर्थर्क य वित्तीय स्थिनत भी ि नन च हत है अर् वत िह यह ि नन च हत है कक व्यिस य में
सम्पजत्तय ँ ि द नयत्व ककतने हैं।इनकी ि नक री एक वििरण पत्र बन कर दी ि ती है जिसे चचट्ठ
य स्थिनत वििरण य तुलन पत्र कहते हैं।यह लेख ांकन द्व र ही सम्भि है।
(4) उपयोर्कत वओां को सूचन एँ उपल� करि न व्यिस य में उसके म जलक के अल ि विचभन्न
पक्षक रों क भी हहत ननहहत होत है।िैसे - लेनद र, विननयोर्कत व, प्रबन्धक, कमवच री, सम ि,
शोधकत व आकद।इन सभी पक्षक रों को सूचन यें उपल� कर न भी लेख ांकन क उद्देश्य होत
है।कमवच ररयों क हहत मिदूरी ि बोनस में, विननयोर्कत व क हहत ब्य ि ि ल भ ांश में तर्
विननयोजित र जश की सुरक्ष में, स्व मी क हहत ल भ में ि लेनद रों क हहत अपनी र जश की सुरक्ष
के जलए होत है।
(5) व्यिस य पर प्रभ िी ननयन्त्रण लेख ांकन के द्व र व्यिस य के ल भ ह नन, उत्प दन, नबक्री, िस्तु
की ल र्त आकद के समांकों की ि नक री होती है।इन समांकों द्व र विचभन्न प्रक र के तुलन त्मक
अध्ययन (िैसे उत्प दन, ल भ ह नन ि नबक्री क ) ककये ि ते हैं तर् कचमयों क पत लर् कर उन्हें
दूर करने क प्रय स ककय ि त है।इस प्रक र यह स्पष्ट है कक लेख ांकन द्व र व्यिस य पर प्रभ िी
ननयन्त्रण सम्भि है।
(6) कर सम्बन्धी वििरण तैय र करन लेख ांकन क उद्देश्य विचभन्न करों सम्बन्धी वििरण तैय र
करन भी है।व्यिस य में सरक र द्व र विचभन्न प्रक र के कर लर् ये ि ते हैं, िैसे - आयकर,
धनकर, उपह र कर, विक्रय कर, उत्प दन शुल्क, सीम शुल्क आकद।आयकर क ननध वरण ल भ
ह नन ख ते द्व र तर् धनकर क ननध वरण चचिे द्व र ककय ि त है।
(7) वित्तीय सांि ओां को आिश्यक सूचन यें उपल� कर न व्यिस य के सांच लन हेतु वित्तीय
सांि ओां से ऋण जलये ि ते हैं तर् इसके जलए वित्तीय सांि ओां द्व र व्यिस य सम्बन्धी विचभन्न
सूचन यें म ांर्ी ि ती हैं।इन सूचन ओां को प्रद न करन भी लेख ांकन क उद्देश्य है।िैसे - व्यिस य
की ल भ ह नन, आर्थर्क स्थिनत, नबक्री, स्टॉक, ब्यिस य में लेनद र ि देनद र आकद।
प्रश्न 2 व्यिस्थित लेख ांकन की आिश्यकत के ननध वरक तत्वों को समझ इए।
(24)
लेख ांकन-एक परिचय 01
उत्तर – ककसी भी व्यिस य में लेख ांकन की एक ननजित क यवविचध अपन ई ि ती है जिसे 'लेख ांकन
प्रकक्रय ' कह ि त है।लेख ांकन प्रकक्रय लेख ांकन कक्रय ओां क पूणव क्रम है िो लेख ांकन उद्देश्यों
को पूर करने के जलए प्रत्येक लेख अिचध में एक ननजित क्रम में दोहर न पडत है।स म न्यतः यह
प्रकक्रय एक वित्तीय िषव में पूरी होती है।लेख ांकन की यह प्रकक्रय िनवल से प्र रम्भ होकर अन्तिम
ख तों के ननिवचन एिां सांप्रेषण पर सम प्त होती है।
व्यिब्लित लेख ांकन की आिश्यकत के ननर् डिक तत्व ननम्नललखखत हैं:
1. पहच न (Identification): सिवप्रर्म व्य िस नयक लेन देनों में से उन लेन देनों को
पहच न ि त है िो कक वित्तीय स्वभ ि के हैं तर् जिनक कोई प्रम ण होत है।
2. लेखन (Recording): लेन देनों को पहच नने के ब द उसे प्र रस्थम्भक लेखे की पुस्तकों
अर् वत् िनवल य सह यक बहहयों में जलख ि त है।यह लेख ांकन प्रकक्रय क द्रद्वतीय चरण
है।
3. िगीीकिर् (Classification): इस चरण में एक ही प्रकृ नत के लेन देनों को एक ही ि न
पर ल य ि त है, जिसे ख त कहते हैं।यह क यव जिस बही में ककय ि त है, उसे ख त बही
कहते हैं।
4. स ि ांश एिां विश्लेषर् (Summary & Analysing): इस चरण के अिर्वत व्य प ररक
ख त , ल भ ह नन ख त ि चचट्ठ बन य ि त है।अन्तिम ख ते बन ने के जलए ख त बही में
खोले र्ये विचभन्न ख तों (िैसे व्यक्तक्तर्त, िस्तुर्त, न म म त्र) क विश्लेषण ककय ि त
है।अन्तिम ख तों को वित्तीय वििरण भी कहते हैं।
5. ननिडचन (Interpretation): लेख क र वित्तीय वििरणों क विचभन्न आध रों पर विश्लेषण
करके उनक ननिवचन करत है त कक व्यिस य से सम्बन्तन्धत पक्षक रों (िैसे देनद रों,
लेनद रों, विननयोर्कत व आकद) को सही सूचन यें प्र प्त हो सकें तर् िे ब ि र में उपल�
विकिों में से सिवश्रेष्ठ विकि क चुन ि कर सकें।
6. सांिेषर् (Communication): इस चरण के अिर्वत स र ांजशत, विश्लेद्रषत ि ननिवचचत
सूचन ओां को विचभन्न पक्षक रों तक पहँच य ि त है जिससे उन्हें उचचत ि तकव पूणव ननणवय
लेने में कठिन ई न हो।
(25)
लेख ांकन-एक परिचय 01
प्रश्न 3 ब ह्य उपयोर्कत वओां की सूचन की आिश्यकत क िणवन कीजिए।
उत्तर – लेख ांकन क मूल उद्देश्य ननणवय लेने के जलए उपयोर्ी सूचन उपल� कर न है।लेख ांकन
सूचन एां उपयोर्कत वओां को महत्वपणव ननणवय लेने के जलए सह यत प्रद न करती हैं।लेख ांकन
सचन ओां के जलए सह यत प्रद न करती हैं।लेख ांकन सूचन ओां के उपयोर्कत व आिररक तर्
ब हरी दो प्रक र के हो सकते हैं।ब ह्य उपयोर्कत वओां को आिश्यक सूचन एँ प्र प्त करने के सीचमत
अचधक र, योग्यत एिां स धन होते हैं।िे वित्तीय वििरणों (तलन पत्र, ल भ ह नन ख त आकद) पर
ही ननभवर करते हैं।
िमख ब ह्य उपयोगकत ड ति उनकी सचन की आिश्यकत ननम्न िक ि होती है:
• ननिेशक एिां सांभ वित ननिेशक ननिेश की िोखखम एिां उन पर आय के सांबांध में सूचन ओां
की आिश्यकत ।
• श्रमसांघ एिां कमवच री समूह व्यिस य की स्थिरत , ल भप्रदत एिां उसके धन के बांटि रे के
सम्बन्ध में सूचन ओां की आिश्यकत ।
• ऋणद त एिां वित्तीय सांि न कम्पनी की स ख एिां इसकी ऋण एिां ब्य ि को भुर्त न की
क्षमत से पररपक्व सांबांचधत सूचन की आिश्यकत होती है।
• आपूर्ततकत व एिां लेनद र देनद री की नतचर् को भुर्त न करने तर् व्यिस य की ननरांतरत के
सांबांध में सूचन की आिश्यकत ।
• ि हक व्यिस य की ननरांतरत , उत्प द, प ट्सव एिां नबक्री के पि त् की सेि ओां के सांबांध में
सूचन ओां की आिश्यकत ।
• सरक र एिां अन्य ननय मक सांस धनों के आबांटन एिां ननयमों के प लन से सांबांचधत सूचन
की आिश्यकत ।
• स म जिक उत्तरद नयत्व समूह िैसे पय विरण समूह पय विरण पर प्रभ ि एिां उसके सांरक्षण के
सम्बन्ध में सूचन की आिश्यकत ।
• प्रनतयोर्ी अपने प्रनतयोर्ी की अपेक्ष कृ त शक्तक्त एिां तुलन त्मक ननदेश चचह्न के उद्देश्य से
सांबांचधत सूचन की आिश्यकत ।िबकक उपयुवक्त िर्व के उपयोर्कत व कम्पनी की सांपजत्त में
हहस्स बँट ते हैं।प्रनतयोर्ी सूचन ओां की आिश्यकत मुख्यतः व्यूह रचन के जलए होती है।
(26)
लेख ांकन-एक परिचय 01
प्रश्न 4 पररसम्पजत्त से आप क्य समझते हैं और पररसम्पजत्तयों के विचभन्न प्रक र कौन कौन से हैं ?
उत्तर – पररसम्पजत्त से आशय ऐसी समस्त िस्तुएँ जिनकी सह यत से व्य प र क सांच लन ककय
ि त है तर् सांि जिनके स्व मी होते हैं, पररसम्पजत्तय ँ अर्ि सम्पजत्तय ँ कहल ती हैं।यह ककसी
उद्यम के आर्थर्क स्रोत होते हैं जिन्हें मुि के �प में उपयोर्ी ढांर् से प्रकट ककय ि सकत
है।पररसम्पजत्तयों क मूल्य होत है तर् इनक व्यिस य के पररच लन में उपयोर् ककय ि त
है।पररसम्पजत्तयों को तुलन पत्र में पररसम्पजत्त पक्ष की ओर दश वय ि त है।
परिसम्पलत्तयों को मुख्यतः दो िक िों में ब ँट ि सकत है:
1. च लू पररसम्पजत्तय ँ ऐसी सम्पजत्तय ँ जिन्हें स म न्यतः एक िषव की लेख िचध के अिर्वत अर् वत्
अिक ल में ही रोकड में पररिर्ततत ककय ि सकत हो, च लू सम्पजत्त कहल ती हैं।उद हरण र्व,
स्टॉक, प्र प्य विपत्र, देनद र, रोकड, बैंक शेष, अन्य च लू पररसम्पजत्तय ँ आकद।
2. र्ैर च लू अर् वत् ि यी पररसम्पजत्तय ँ: ऐसी सम्पजत्तय ँ जिन्हें दीघवक ल तक उपयोर् में जलय
ि त है तर् स म न्यतः जिन्हें विक्रय के जलए नहीां खरीद ि त है, र्ैर च लू अर्ि ि यी सम्पजत्त
कहल ती हैं।इसमें मूतव, अमूतव तर् अन्य सभी प्रक र की पररसम्पजत्तय ँ श चमल रहती
हैं।उद हरण र्व, भिन, प् ांट एिां मशीनरी, फनीीचर, ख्य नत, व्य प ररक टरेडम कव, प्र रांचभक व्यय
आकद।
पररसम्पजत्तयों क िर्ीीकरण-
(27)
लेख ांकन-एक परिचय 01
प्रश्न 5 आमदनी एिां ल भ के अर्व को समझ इए।इन दोनों श�ों में अिर बत इए।
उत्तर –
• आमदनी आमदनी िह धनर जश होती है िो ककसी व्यिस य में िस्तुओां की नबक्री य
उपभोक्त ओां को प्रद न की र्ई सेि ओां से य ककसी सम्पजत्त के विक्रय से प्र प्त होती है।यह
पूँिीर्त तर् आयर्त दोनों प्रक र की होती है।
• ल भ ककसी लेख अिचध विशेष में कु ल आय क कु ल व्ययों पर आचधक्य, ल भ कहल त है।
ल भ = कु ल आय - कु ल व्यय
प्रश्न 6 लेख ांकन सूचन की र्ुण त्मक विशेषत ओां को समझ इए।
उत्तर – लेख ांकन सूचन की र्ुण त्मक विशेषत एँ लेख ांकन सूचन की र्ुण त्मक विशेषत एँ िे
होती हैं िो इसकी बोधर्म्यत एिां उपयोचर्त को बढ़ ती हैं ।लेख ांकन सूचन क ननणवय लेने में
उपयोचर्त के मूल्य ांकन के जलए इसमें विश्वसनीयत , प्र सांचर्कत , बोधर्म्यत तर् तुलन त्मकत
क र्ुण होन आिश्यक है।
(28)
लेख ांकन-एक परिचय 01
1.विश्वसनीयत (Reliability): वित्तीय वििरणों में दी ि ने ि ली सूचन एँ बहत ही विश्वसनीय
होनी च हहए।दूसरे श�ों में लेख ांकन सूचन एँ तथ्यों पर आध ररत तर् ि ँच हो सकने योग्य होनी
च हहए।ये सूचन एँ ि ँच हो सकने योग्य के िल तभी हो सकती हैं, िबकक ये मूल प्रलेखों द्व र
प्रम जणत की ि सकें।ये मूल प्रलेख क्रय बीिक, विक्रय बीिक, कै श मीमो, पत्र व्यिह र, िहर ि
तर् सम्पजत्त हस्त िरण पत्र आकद हो सकते हैं।
लेख ांकन सूचन ओां की विश्वसनीयत लेखों की शुद्धत पर भी बहत ननभवर करती है।अतः सही
ननष्कषों पर पहँचने के जलए लेखों क पय वप्त म त्र में शुद्ध होन भी आिश्यक है।लेख ांकन के कु छ
लेखे अत्यचधक विश्वसनीय होते हैं, िबकक इसके विपरीत कु छ अन्य लेखे अचधक विश्वसनीय नहीां
होते।िैसे कक ि यी सम्पजत्तयों क इनकी ि स्तविक ल र्त पर लेख ांकन करन अत्यचधक
विश्वसनीय लेख है; क्योंकक इसे सम्पजत्त हस्त िरण पत्र से स्वतन्त्रत पूिवक प्रम जणत ककय ि
सकत है।
इसके विपरीत कु छ अन्य व्यिह रों के सम्बन्ध में यह ब त ल र्ू नहीां होती; क्योंकक लेख ांकन कोई
ननजित विज्ञ न नहीां है।िैसे कक ि यी सम्पजत्तयों पर लर् ए र्ए ह्र स को स्वतन्त्रत पूिवक प्रम जणत
नहीां ककय ि सकत ; क्योंकक यह सम्पजत्त के उपयोर्ी िीिन क ल के अनुम न पर आध ररत है
और ऐस अनुम न व्यक्तक्तर्त ननणवय पर ननभवर होत है।स्टॉक क मूल्य ांकन तर् सांकदग्ध ऋणों क
आयोिन भी व्यक्तक्तर्त ननणवयों पर ही आध ररत होत है।ऐसे व्यिह रों के सम्बन्ध में विश्वसनीयत
बन ए रखने के जलए आिश्यक है कक व्यक्तक्तर्त ननणवय स्वतन्त्र तर् ननष्पक्ष हों।
2.प्र सांचर्कत (Relevance): लेख ांकन सूचन प्र सांचर्क होनी च हहए।लेख ांकन सूचन तभी
प्र सांचर्क होर्ी, िबकक यह समय पर उपल� होर्ी, पूि वनुम न लर् ने एिां प्रत्युत्तर देने में सह यक
होर्ी।सूचन की प्र सांचर्कत के जलए इसे उपयोर्कत वओां के ननणवयों को ननम्न के द्व र प्रभ वित
करन अननि यव है:
•भूत, ितवम न एिां भविष्य की घटन ओां के पररण मों क पूि वनुम न लर् ने, करने एिां प्रत्युत्तर
देने में सह यक होन , अर्ि
•द्रपछले मूल्य ांकन की पुष्टष्ट अर्ि उनमें सांशोधन करन ।
(29)
लेख ांकन-एक परिचय 01
3.बोधर्म्यत (Understandability): वित्तीय वििरणों क मुख्य उद्देश्य यह होत है कक ये
व्यिस य के सांस धनों (Resources) एिां क यव ननष्प दन (Performance) के ब रे में आिश्यक
सूचन एँ प्रद न करें।अतः लेख ांकन सूचन एँ स्पष्ट, सरल तर् समझ में आने योग्य होनी च हहए।इन
सूचन ओां को एक स ांध रण व्यक्तक्त भी सरलत से समझ सके, यद्यद्रप उसे लेख ांकन के ससद्ध िों
क भी ज्ञ न नहीां है।
इसजलए िह ँ तक सम्भि हो वित्तीय वििरणों क प्र �प िहटल नहीां होन च हहए और इनमें प्रयोर्
ककए र्ए श� प्रचजलत तर् सरल होने च हहए।इनमें दी र्ई सूचन ओां को उचचत प्रक र से समझ ने
के जलए इनसे सम्बन्तन्धत स्पष्टीकरण नोट के �प में कदए ि ने च हहए।ऐसे स्पष्टीकरण विशेष �प
से ह्र स की पद्धनत, स्कन्ध के मूल्य ांकन की पद्धनत, सांचयों की व्य ख्य , सम्भ वित द नयत्वों क
वििरण, अस ध रण ल भ एिां ह ननयों की व्य ख्य तर् स्थिनत वििरण की नतचर् के पि त् की
घटन ओां के प्रकटीकरण आकद से सम्बन्तन्धत हो सकते हैं।यही स्पष्टीकरण वित्तीय वििरणों को
अचधक उपयोर्ी एिां समझ में आने योग्य बन देते हैं।
4.तुलनीयत (Comparability): तुलनीयत लेख ांकन सूचन ओां की एक बहत ही महत्त्वपूणव
विशेषत है।वित्तीय वििरण विश्लेषण (Analysis of Financial Statement) क आध र ही
तुलन करन है।अतः वित्तीय वििरण इस प्रक र तैय र ककए ि ने च हहए कक च लू िषव की प्रर्नत
की तुलन र्त िषों की प्रर्नत से की ि सके।इसी प्रक र इनकी सह यत से सांि की ल भद यकत
एिां वित्तीय स्थिनत की तुलन इसी प्रक र की अन्य सांि ओां से की ि सके ।
तुलन त्मकत तभी सम्भि हो प ती है, िबकक ककसी उद्योर् की सभी सांि एँ लर् त र सभी िषों में
एक ही िैसे लेख ांकन ससद्ध िों (एक�पत की अिध रण ) को अपन एँ।उद हरण के जलए, विचभन्न
िषों में ह्र स लर् ने की एक ही पद्धनत क प्रयोर् ककय ि न च हहए।इसी प्रक र स्टॉक के मूल्य ांकन
की पद्धनत भी विचभन्न िषों में एक िैसी ही होनी च हहए।
एक�पत की अिध रण वित्तीय वििरणों को तैय र करने में व्यक्तक्तर्त सुझ ि तर् पक्षप त को
सम प्त करती है।एक�पत क अर्व यह नहीां है कक जिस पद्धनत क प्रयोर् एक ब र कर जलय ि ए
तो उसमें पररितवन ककय ही नहीां ि सकत ।यकद पद्धनत में पररितवन से लेख ांकन सूचन ओां को
अच्छी प्रक र से तैय र एिां प्रस्तुत ककय ि सकत है तो इसमें पररितवन ककय ि न च हहए।
(30)
लेख ांकन-एक परिचय 01
ककिु इस प्रक र के पररितवनों की प्रकृ नत, प्रभ ि एिां पररितवन के क रणों को हटप्पणी (Foot notes)
के �प में स्पष्ट कर देन च हहए त कक लेख ांकन सूचन ओां के प्रयोर्कत वओां को इनके सम्बन्ध में
उचचत ि नक री प्र प्त हो ि ए।उपयुवक्त के अनतररक्त लेख ांकन सूचन ओां में शीघ्रत
(Timeliness), यर् र्वत (Reality), पूणवत (Completeness) तर् ननष्पक्षत (Neutrality)
आकद र्ुणों क होन भी आिश्यक है।
प्रश्न 7 आधुननक समय में लेख ांकन की भूचमक क िणवन कीजिए।
उत्तर – आधुननक समय में लेख ांकन की भूचमक सकदयों से लेख ांकन लेख प ल के वित्त सांबांचधत
हहस ब ककत ब रखने तक सीचमत रह है।परिु आि के तेिी से बदलते व्य िस नयक ि त िरण ने
लेख ांकन को सांर्िन एिां सम ि, दोनों में अपनी भूचमक एिां क यों के पुनः मूल्य ांकन के जलए
ब ध्य कर कदय है।विस्तृत �प से लेख ांकन आि म त्र पुस्त लेखन एिां वित्तीय प्रलेख तैय र करन
ही नहीां बन्तल्क उससे बहत आर्े है।
लेख प ल आि नये विकससत क्षेत्रों, िैसे - न्य यजलक लेख ांकन (कम्प्प्यूटर हैककिं र् एिां इन्टरनेट पर
बडे पैम ने में धन की चोरी िैसे अपर धों को हल करन ), ई कॉमसव (िेब आध ररत भुर्त न प्रण ली),
वित्तीय ननयोिन पय विरण लेख ांकन आकद में क यव करने के योग्य हैं।इस अनुभूनत क क रण है कक
आि लेख ांकन प्रबन्धकों एिां दूसरे इच्छुक व्यक्तक्तयों को िह सूचन एँ प्रद न करने में सक्षम है िो
उन्हें ननणवय लेने में सह यत प्रद न कर सकें ।
समय के स र् लेख ांकन क यह पक्ष इतन अचधक महत्वपूणव बन र्य है कक आि यह सूचन
प्रण ली के स्तर तक पहांच र्य है।एक सूचन प्रण ली के �प में यह ककसी भी सांर्िन की आर्थर्क
सूचन ओां से सांबांचधत आांकडे कर उनक सांप्रेषण उन विचभन्न उपयोर्कत वओां तक करत है, जिनके
ननणवय एिां कक्रय एां सांर्िन के प्रदशवन को प्रभ वित करती हैं।
आधुननक समय में लेख ांकन ननम्न प्रक र की भूचमक एँ अद करत है:
1. एक भ ष के �प में भूचमक (Role as a Language) लेख ांकन को व्यिस य की भ ष के
�प में देख ि त है।क्योंकक इसे व्यिस य से सम्बन्तन्धत सचन को सम्प्रेद्रषत करने के जलए
उपयोर् में ल य ि त है।
(31)
लेख ांकन-एक परिचय 01
2.ऐनतह ससक लेखों के �प में भूचमक (Role as Historical Records) लेख ांकन में सभी
वित्तीय लेन देन के लेखों को क्रमि र तर् ननजित ननयमों के अनुस र लेख करने के �प में
भी देख ि त है।
3.सूचन तन्त्र के �प में भूचमक (Role as a Information System) लेख ांकन को आि
सूचन प्रण ली की भूचमक के �प में भी देख ि त है; क्योंकक लेख ांकन ऐसी सूचन ओां को
प्रद न करने में सक्षम है, िो प्रबन्धकों एिां व्यिस य में हहत रखने ि ले अन्य पक्षक रों को
महत्त्वपूणव ननणवय लेने में सह यक हैं।
4.एक िस्तु एिां सेि प्रद न करने ि ले के �प में भूचमक (Role as a Commodity and
Service Provider) लेख ांकन को एक िस्तु तर् सेि प्रद न करने ि ले की भूचमक के
�प में भी देख ि त है जिसकी सम ि में म ँर् है तर् लेख क र जिसे उपल� कर ने के
जलए इच्छुक एिां सक्षम भी हैं।
5.ि स्तविक ल भ अर्ि ह नन को ननध वररत करने की भूचमक (Role of Determining the
Real Profit or Loss) लेख ांकन को ककसी व्य िस नयक सांि के ि स्तविक ल भ अर्ि
ह नन को ननध वररत करने की भूचमक के �प में भी देख ि त है।
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