संतुलित एवं दक्ष उर्वरक उपयोग बायोचार/समन्वित पोषक तत्व प्रबंधन / जैव उर्वरक रासायनिक खाद जैविक खाद पोषक तत्व प्रबंधन भा.कृ.अनु.प.-भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान नबीबाग , भोपाल, मध्य प्रदेश- 462038
भारतीय कृषि में प्रमुख समस्याएं
पोषक तत्वों के उपयोग दक्षता में गिरावट पोषक तत्व दक्षता दक्षता में गिरावट के कारण नत्रजन 30-50 % स्थिरीकरण , वाष्पीकरण , डीनाइट्रिफिकेशन , निक्षालन फास्फोरस 15-20% मिट्टी में स्थिरीकरण Al – P, Fe – P, Ca – P पोटाश 70-80% क्ले लैटिस में स्थिरीकरण गंधक 8-10% स्थिरीकरण , निक्षालन सूक्ष्म पोषक तत्व (Zn, Fe, Cu, Mn, B) 1-2% मिट्टी में स्थिरीकरण
पोषक तत्व प्रबंधन क्या है? उर्वरक मात्रा का प्रबंधन , स्रोत , स्थान, रूप और समय पोषक तत्वों का अनुप्रयोग और मृदा संशोधन सभी पोषक स्रोतों की दक्षता बढ़ाएँ प्रदूषण और पर्यावरणीय जोखिम को कम करें लाभ बढ़ाएँ उद्देश्य जलवायु परिवर्तन शमन मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार
सर्वोत्तम उर्वरक प्रबंधन संतुलित उर्वरीकरण : संतुलित उर्वरक के उपयोग का उद्देश्य तभी पूरा हो सकता है जब उर्वरक में मौजूद सभी पोषक तत्वों ( मुख्य पोषक तत्व और सूक्ष्म पोषक तत्व ) का ज्ञान हो और इनके सही संयोजन पर ध्यान केंद्रित किया जाए। फसल प्रणाली के आधार पर पोषक तत्वों के अनुपात का भी ध्यान पूर्वक पालन किया जाना चाहिए , जैसे अनाज में 4:2:1, दलहनी फसलों में 1:2:2, जड़ वाले फसलों में 1:2:1 के अनुपात में नत्रजन, फास्फोरस एवं पोटाश का उपयोग करना सर्वोत्तम माना जाता है । स्थान-विशिष्ट पोषक तत्व प्रबंधन : पौधों को उनकी आवश्यकताओं को बेहतर ढंग से पूरा करने के लिए स्थान-विशिष्ट पोषक तत्व प्रबंधन किया जाए। समन्वित पौध पोषक प्रबंधन : खेत में जैविक उर्वरकों का उपयोग और उन्हें खनिज उर्वरकों के साथ सम्मिलित करना । फर्टिगेशन : सिंचाई के पानी के साथ उर्वरकों के संयोजन किया जाए।
पोषक तत्व प्रबंधन -‘ 5 R ’ पद्धति सही स्रोत ( राईट सोर्स ) सही मात्रा (राईट डोज़ ) सही स्थान ( राईट प्लेस ) सही समय ( राईट टाइम ) सही संयोजन (राईट कॉम्बिनेशन ) सही स्रोत सही मात्रा सही स्थान सही समय सही संयोजन
नत्रजन प्रबंधन उर्वरक का विभाजित (Split) उपयोग पौध मांग के साथ उर्वरक आपूर्ति जल प्रबंधन अवरोधकों का उपयोग ग्रीनसीकर या स्पैड मीटर जैसे सेंसर का उपयोग
पौधे की शुरुआती वृद्धि के लिए बुवाई के समय उर्वरक की अनुशंसित खुराक का 25% डालें फसल वृद्धि के महत्वपूर्ण चरणों में दो बराबर भागों में नत्रजन की शेष खुराक की आपूर्ति करें परिपक्वता अवस्था में नत्रजन युक्त उर्वरकों के प्रयोग से बचें नत्रजन डालने के पश्चात भारी सिंचाई न करें सूखी मिट्टी पर नत्रजन न डालें जहां तक संभव हो नत्रजन उर्वरक का लाइन और बैंड में प्रयोग करें उच्च पोषक तत्व उपयोग दक्षता के लिए उर्वरक और जैविक खाद का समन्वित उपयोग करें नत्रजन
फास्फोरस प्रबंधन मृदा में फास्फोरस की जांच उर्वरक प्रबंधन रॉक फॉस्फेट जैसे स्वदेशी फास्फोरस स्रोतों का उपयोग खाद का पर्याप्त उपयोग बैंड प्लेसमेंट संरक्षण कृषि प्रणाली
प्रबंधन प्रणाली परिस्थिति फास्फोरस का भुरकाव उच्च फास्फोरस की मात्रा डालने के तहत फास्फोरस का बैंड प्लेसमेंट प्रारंभिक मौसम तनाव के समय और मिट्टी परीक्षण में कम फास्फोरस होने पर फर्टिगेशन गहन कृषि के तहत; फास्फोरस उर्वरक की दक्षता बढ़ाने में सहायक होता है उपचारित रॉक फास्फेट का प्रयोग कार्बनिक पदार्थ के साथ उपयोग; फास्फोरस सॉल्यूबिलाइज़र ; खाद बनाने के दौरान ए. आवामोरी का प्रयोग प्रभावी जड़ों के क्षेत्र को बढ़ाना अर्बास्कुलर माइकोराइज़ा कवक (एएमएफ) के साथ जड़ों का सहजीवन राइजोस्फीयर संशोधन के माध्यम से फास्फोरस उपलब्धता को बढ़ाना जड़ों के रिसाव एवं फसल आनुवंशिकी के आधार पर फास्फोरस
पोटाश प्रबंधन मृदा परिक्षण के आधार पर प्रयोग बुवाई के समय प्रयोग फसल अवशेष प्रबंधन फसल के द्वारा अत्यधिक खपत को कम करें
बुवाई के समय उर्वरक की अनुशंसित मात्रा का 100% प्रयोग करें जहां तक संभव हो बीज सह उर्वरक ड्रिल का उपयोग करके उर्वरक को जड़ क्षेत्र में रखें फास्फोरस और पोटाश के प्रयोग के बिना बुवाई से बचें पानी में घुलनशील एसएसपी और एमओपी का फसल के प्रारंभिक विकास चरण में प्रयोग किया जा सकता है । उच्च पोषक तत्व उपयोग दक्षता के लिए उर्वरक के साथ जैविक खाद का प्रयोग करें फास्फोरस और पोटाश का प्रबंधन
अम्लीय मिट्टी का प्रबंधन चूना का प्रयोग क्षारीय उर्वरक का उपयोग रॉक फॉस्फेट का उपयोग उचित मृदा प्रबंधन अम्ल सहिष्णु फसलों की खेती अम्लीय मिट्टी में नत्रजन और पोटाश उर्वरकों की क्षमता बढ़ाना उचित जल प्रबंधन
समन्वित पोषक तत्व प्रबंधन (आईएनएम) आईएनएम के तहत रासायनिक उर्वरकों, जैविक खादों और जैव उर्वरकों के संयुक्त उपयोग करने से पोषक तत्वों के उपयोग दक्षता, मृदा स्वास्थ्य , फसल की पैदावार और लाभप्रदता में बढ़ोत्तरी होती है आईएनएम को सुदृढ़ बनाने के लिए जैविक खाद, फोर्टिफाइड, लेपित और अनुकूलित उर्वरकों का प्रयोग करने की आवश्यकता है जो द्वितीयक और सूक्ष्म पोषक तत्वों की आपूर्ति करते हैं स्थान विशिष्ट पोषक तत्व प्रबंधन
मृदा परीक्षण आधारित उर्वरक
द्वितीयक और सूक्ष्म पोषक तत्वों का प्रबंधन पोषक तत्व अनुशंसा S सल्फर @ 25-50 किग्रा/ हेक्टेयर (188 - 385 किग्रा जिप्सम या फॉस्फो-जिप्सम/ हेक्टेयर) फास्फोरस उर्वरक के स्रोत के रूप में एसएसपी (12.5% एस) का प्रयोग करें Zn Zn SO 4 (<0.5%) का पर्ण छिड़काव या मिट्टी में 20 किग्रा Zn SO 4 / ha के दर से प्रयोग करें Fe मृदा में सिंथेटिक आयरन या 0.5-1% FeSO 4 घोल का पर्ण स्प्रे करें Mn 0.1% मैंगनीज सल्फेट का पर्ण छिड़काव करें Cu बोर्डो मिश्रण का मृदा में प्रयोग करें या 0.1% कॉपर सल्फेट का पर्ण छिड़काव करें B बोरेक्स का मृदा में प्रयोग करें या 100 लीटर पानी में 0.5% बोरेक्स + 0.3% चूने का छिड़काव करें
कस्टमाइज्ड उर्वरक यह मृदा एवं फसलों के आधार पर पुर्व संयोजित, क्षेत्र विशेष उर्वरक मिश्रण है जो प्रमुख और/या सूक्ष्म पोषक तत्वों की आपूर्ति करते हैं। इन उर्वरकों को फसलों की पोषण सम्बन्धी आवश्यकता, फसल विकास, मृदा उर्वरता एवं फसल उगाये जाने वाले क्षेत्र के अनुसार तैयार किया जाता है। दानेदार बनाने की प्रणालीगत प्रक्रिया (भौतिक मिश्रण) के माध्यम से अनुकूलित (कस्टमाइज्ड) उर्वरक तैयार किए जाते हैं जो फसल की पोषक तत्वों की आवश्यकता को पूर्ण करते हैं। कस्टमाइज्ड उर्वरक के निम्न फायदे हैं- इसमें मौजूद पोषक तत्व पूरी तरह पानी में घुलनशील होने के कारण फसलों को आसानी से उपलब्ध होते हैं। इनमे प्रमुख और सूक्ष्म दोनों ही प्रकार के पोषक तत्व एक साथ दिए जा सकते हैं जिससे उर्वरकों की संग्रहण , परिवहन एवं अनुप्रयोग में किये जाने वाले खर्च कम किये जा सकते हैं। फसल की जरुरत के अनुसार होने के कारण इन उर्वरकों की उपयोग दक्षता बढ़ जाती है। ये संतुलित उर्वरिकरण के दृष्टिकोण से भी बहुत उपयोगी है।
tSo moZjd tSo moZjd os lw {e tho gSa tks e`nk esa iks"kd rRoksa dks c<+k dj mldh moZjrk cukrs gSaA ç— fr esa vusd thok.kq vkSj uhy gfjr ' kSoky ik , tkrs gSa tks ;k rks Lo;a ;k dqN vU ; thoksa ds lkFk feydj ok;qe.Myh ; ukbVªkstu dk ; kSfxdhdj.k djrs gSa A blh çdkj ] ç— fr esa vusd dod vkSj thok.kq ik , tkrs gSa ftuesa e`nk esa miyC /k v?kqyu'khy QkLQksjl dks ? kqyu'khy QkLQksjl esa cnyus dh Nerk j[ krh gSaA जैव उर्वरक के प्रकार राइजोबियम- राइजोबियम बायो फ़र्टिलाइज़र को मुख्य रूप से सभी तिलहनी और दलहनी फसलों में सहजीवी के रूप में रहकर पौधों को नाइट्रोजन की पूर्ति करता है| एजोटोबैक्टर- एजोटोबैक्टर मिट्टी और जड़ों की सतह में मुक्त रूप से रहते हुए वायुमंडलिए नाइट्रोजन को पोषक तत्वों में परिवर्तित करके पौधों को उपलव्ध करवाता है| एजोटोबैक्टर सभी गैर दलहनी फसलों में प्रयोग होता है| अजोस्पिरिल्लुम- वैक्टैरिया और नीले हरे शैलाव जैसे कुछ सूक्ष्म जीवों में वायुमंडलीय नाइट्रोजन का उपयोग करने और फसली पौधों को इस पोषक तत्व को उपलब्ध कराने की क्षमता होती है| नीले हरे शैवाल- चावल के लिए बायो फ़र्टिलाइज़र के रूप में नीले हरे शैलाव का उपयोग बहुत ही लाभदायक है| फास्फोरस विलायक जीवाणु- पी. एस. बी. मिट्टी के अंदर की अघुलनशील फास्फोरस को घुलनशील फास्फोरस में परिवर्तित पौधों को उपलब्ध करता है,
नैनो उर्वरक वर्तमान में फ़सल उत्पादन बढ़ाने एवं उर्वरक दक्षता के लिए नैनो उर्वरकों का भी प्रयोग किया जा रहा है। नैनो उर्वरक अतिसूक्ष्म होने के कारण पौधौं में आसानी से अवशोषित हो जाते हैं और उर्वरक संसाधनो का दक्षतापूर्ण उपयोग हो पता है। इनका मृदा स्वास्थ्य पर कोई विपरित प्रभाव भी नहीं होता है नैनो यूरिया का छिड़काव नैनो रॉक फॉस्फेट का उपयोग
हमेशा मृदा की जांच के आधार पर ही उर्वरकों, जैविक खादों, फसल अवशेषों तथा जैव उर्वरकों का समुचित प्रबंधन तथा संतुलित मात्रा में उपयोग करें फसल चक्र अपनाये एवं दलहनी फसलों का समावेश अवश्य करें जैविक खादों एवं विभिन्न प्रकार के जैव उर्वरकों का इस्तेमाल अवश्य करें स्वस्थ समाज एवं आने वाली पीढीयों के सुरक्षित भविष्य के लिए संतुलित पोषक तत्व प्रबंधन को अपनाकर मृदा स्वास्थ्य संरक्षित कर एक स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण करें। किसान भाइयों सतत फसल उत्पादन, मृदा स्वास्थ्य एवं पर्यावरण की सुरक्षा की लिए- जय किसान जय विज्ञान।