सामाजिक विज्ञान (भूगोल), अध्याय-2: "भारत का भौतिक स्वरूप"
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Feb 01, 2025
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सामाजिक विज्ञान (भूगोल), अध्याय-2: "भारत का भौतिक स्वरूप" में भारत के भौतिक रूपों और उनके प्रभावों पर चर्चा की जा�...
सामाजिक विज्ञान (भूगोल), अध्याय-2: "भारत का भौतिक स्वरूप" में भारत के भौतिक रूपों और उनके प्रभावों पर चर्चा की जाती है। यह अध्याय भारत की भौतिक संरचना, भू-आकृतिक विशेषताएँ, और प्राकृतिक संपत्तियाँ को समझाने का प्रयास करता है।
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Added: Feb 01, 2025
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सामाजिक विज्ञान
(भूगोल)
अध्याय-2: भारत का भौततक स्वरूप
(1)
भारत का भौततक स्व�प 02
भारत का भौततक स्व�प
भूगोलवेताओं का मानना है कक भारत का जो भौततक स्व�प है, वह ववश्व में पाये जाने वाले समस्त
प्रकार के भू-आकृ ततयों का ममश्रण है। यहां पर पववत, मैदान, म�स्थल, पठार तथा द्वीप समूह
समस्त प्रकार की भू-आकृ ततयााँ पायी जाती है।
भारत में ववमभन्न प्रकार के शैल खण्ड पाये जाते है, जो कु छ मुलायम होती है कु छ कठोर होती है।
भारत में मभन्न प्रकार की मृदा पायी जाती है जजनका ववभाजन आकार तथा रंग के आधार पर ककया
जाता है। मृदाओं का रंग, आकार प्रकार उसकी जन्मदात्री शैल पर ही तनभवर करता है, कक उसका
तनमावण ककस शैल से हुआ हैं।
भारत के संपूर्ण क्षेत्रफल का तिभाजन
(2)
भारत का भौततक स्व�प 02
• 10.7 % पववतीय भाग
• 18.6 % पहाक़ियां
• 27.7 % पठारी क्षेत्र
• 43 % मैदानी भाग
तिभभन्न प्रकार की भू – आकृ ततयााँ का ननर्ाणर्
इन भौततक आकृ ततयों के तनमावण के पीछे कु छ ससद्ांत हैं जजनमें से एक ससद्ांत है- प्लेट वववतवतनक
ससद्ांत।
प्लेट तिितणननक का भसद्ांत
एक ससद्ांत जो भौततक आकृ ततयों के तनमावण की व्याख्या करने की कोजशश करता है।
प्लेट वववतवतनक के ससद्ांत के अनुसार पृथ्वी की ऊपरी पपवटी सात ब़िी एवं कु छ छोटी प्लेटों से
बनी है।
प्रर्ुख तिितणननक प्लेंटें
• प्रशान्त महासागरीय प्लेट।
• उत्तर अमेररकी प्लेट।
• दजक्षण अमेररकी प्लेट।
• अफ्रीकी प्लेट।
• अंटाकव टटक प्लेट।
• यूरेजशयन प्लेट।
• इंडो – आस्ट्रेजलयन प्लेट।
भारत की भौगोललक आकृ ततयों का तिभाजन
भारत की भौगोललक आकृ ततयों को ननम्नललखखत िगों र्ें तिभालजत ककया जा सकता है :-
• टहमालय पववत श्रृंखला
(3)
भारत का भौततक स्व�प 02
• उत्तरी मैदान
• प्रायद्वीपीय पठार
• भारतीय म�स्थल
• तटीय मैदान
• द्वीप समूह
हहर्ालय पिणत
टहमालय को नवीन वजलत पववत कहा जाता है। टहमालय पववत भारत की उत्तरी सीमा का तनधावण
करता है। टहमालय पववत ससन्धु नदी से लेकर ब्रहामपुत्र नदी तक फै ला हुआ है।
टहमालय की लम्बाई 2400 ककलोमीटर है तथा चौ़िाई कश्मीर में 400 ककलो मीटर तथा अ�णाचल
प्रदेश में 150 ककलोमीटर है।
उत्तरी र्ैदान
उत्तरी र्ैदान तीन प्रर्ुख नदी प्रर्ाललयों – ससिंधु गंगा एवं ब्रह्मपुत्रा तथा इनकी सहायक नकदयों
से बना है। यह मैदान जलोढ़ मृदा से बना है। लाखों वर्षों में टहमालय के मगररपाद में स्थस्थत बहुत
ब़िे बेससन द्रोणीद् में जलोढ़ों वफा तनक्षेप हुआए जजससे इस उपजाऊ मैदान का तनमावण हुआ है।
इसका ववस्तार 7 लाख वगव कक.मी. वेफ क्षेत्र पर है। यह मैदान लगभग 2400 कक.मी. लंबा एवं
240 से 320 कक.मी. चौ़िा है। यह सघन जनसंख्या वाला भौगोजलक क्षेत्रा है। समृ मृदा आवरण
(4)
भारत का भौततक स्व�प 02
प्रयावप्त पानी की उपल�ता एवं अनुवूफल जलवायु वेफ कारण वृफषर्ष की दृष्टि से यह भारत का
अत्यमधक उत्पादक क्षेत्र है।
उत्तरी र्ैदान
• इसका ववस्तार 7 लाख वगव कक० मी० के क्षेत्र पर है।
• इस मैदान की लम्बाई 2400 कक० मी० तथा चौडाई 240 कक० मी० से 320 कक० मी० है।
• यह मैदान भारत का सबसे अमधक जनसंख्या वाला भाग है।
• कृ षर्ष के जलये अनुकू ल दशाओं के कारण यह क्षेत्र सवावमधक कृ षर्ष उत्पादकता वाला क्षेत्र है
इस कारण इसे भारत का अन्न भण्डार गृह कहा जाता है।
उत्तरी र्ैदानो का तिभाजन
उत्तर के र्ैदान को तीन भागों र्ें तिभालजत ककया गया है :-
• गंगा का र्ैदान
गंगा के मैदान का ववस्तार घघ्घर तथा ततस्ता नकदयों के बीच है। यह उत्तरी भारत के राज्यों
हररयाणा, कदल्ली, उत्तर प्रदेश, तबहार, झारखंड के कु छ भाग तथा पजिम बंगाल में फै ला है।
• पंजाब का र्ैदान
(5)
भारत का भौततक स्व�प 02
उत्तरी मैदान के पजिमी भाग को पंजाब का मैदान कहा जाता है। ससिंधु तथा इसकी सहायक
नकदयों के द्वारा बनाये गए इस मैदान का बहुत ब़िा भाग पाककस्तान में स्थस्थत है।
प्रायद्वीपीय पठार
प्रायद्वीपीय पठार एक मेज की आकृ तत वाला स्थल है जो पुराने किस्ट्लीय आग्नेय तथा �पांतररत
शैलों से बना है। यह गोंडवाना भूमम के टूटने एवं अपवाह के कारण बना था तथा यही कारण है कक
यह प्राचीनतम भू - भाग का एक टहस्सा है। इस पठारी भाग में चौ़िी तथा जछछली घाटटयााँ एवं
गोलाकार पहाक़ियााँ हैं। इस पठार दो मुख्य भाग हैं-‘मध्य उ�भूमम’ तथा ‘दक्कन का पठार’।
नमवदा नदी के उत्तर में प्रायद्वीपीय पठार का वह भाग जो कक मालवा के पठार के अमधकतर भागों
पर फै ला है उसे मध्य उ�भूमम के नाम से जाना जाता है। वविंध्य शंखला दजक्षण में सतपु़िा श्रृंखला
तथा उत्तर-पजिम में अरावली से घघरी है। पजिम में यह धीरे-धीरे राजस्थान के बलुई तथा पथरीले
म�स्थल से ममल जाता है। इस क्षेत्र में बहने वाली नकदयााँ चंबल ससिंध बेतवा तथा दजक्षण-पजिम
से उत्तर-पूवव की तरफ बहती हैं
इस पठार के दो र्ुख्य भाग हैं :-
• ‘मध्य उ�भूमम’
• ‘दक्कन का पठार’
(6)
भारत का भौततक स्व�प 02
भारतीय र्�स्थल
अरावली पहा़िी के पजिमी ककनारे पर थार का म�स्थल स्थस्थत है। यह बालू के टटब्बों से ढाँका एक
तरंमगत मैदान है। इस क्षेत्रा में प्रतत वर्षव 150 मम.मी. से भी कम वर्षाव होती है। इस शुष्क जलवायु
वाले क्षेत्र में वनस्पतत बहुत कम है। वर्षाव रीतू में ही कु छ सररताएाँ कदखती हैं और उस के बाद वे
बालू में ही ववलीन हो जाती हैं। पयावप्त जल नहीं ममलने से वे समुद्र तक नहीं पहुाँच पाती हैं। के वल
‘लूनी’ ही इस क्षेत्र की सबसे ब़िी नदी है
हहर्ालय का तिभाजन
हहर्ालय का तिभाजन दो आधार पर ककया गया है :-
• उत्तर दजक्षण ववभाजन
• पजिम पूवव ववभाजन
उत्तर दलक्षर् तिभाजन र्ें हहर्ालय को तीन भागों र्ें तिभालजत ककया गया है :-
• टहमाषद्र (महान या आन्तररक टहमालय)
• टहमाचल (तनम्न टहमालय या मध्य टहमालय)
• जशवाजलक
(7)
भारत का भौततक स्व�प 02
पलिर् से पूिण का तिभाजन 4 भागों र्ें ककया गया है
• पंजाब टहमालय
• कु माउ टहमालय
• नेपाल टहमालय
• असम टहमालय
हहर्ाद्रि र्हान या आन्तररक हहर्ालय
• सबसे उत्तरी भाग में स्थस्थत श्रृंखला को महान या आंतररक टहमालय या टहमाषद्र कहते हैं।
• यह सबसे अमधक सतत् श्रृंखला है, जजसमें 6,000 मीटर की औसत ऊाँ चाई वाले सवावमधक
ऊाँ चे जशखर हैं।
• इसमें टहमालय के सभी मुख्य जशखर हैं।
• महान टहमालय के वलय की प्रकृ तत असमममत है।
• टहमालय के इस भाग का िोड ग्रेनाइट का बना है।
• यह श्रृंखला हमेशा बफव से ढाँकी रहती है तथा इससे बहुत सी टहमातनयों का प्रवाह होता है।
हहर्ाचल ननम्न हहर्ालय या र्ध्य हहर्ालय
• टहमाषद्र के दजक्षण में स्थस्थत श्रृंखला सबसे अमधक असम है एवं टहमाचल या तनम्न टहमालय
के नाम से जानी जाती है।
• इन शंखलाओं का तनमावण मुख्यतः अत्यामधक संपीकडत तथा पररवर्ततत शैलों से हुआ हैं।
• इनकी ऊाँ चाई 3,700 मीटर से 4,500 मीटर के बीच तथा औसत चौ़िाई 50 ककलोमीटर है।
• जबकक पीर पंजाल श्रृंखला सबसे लंबी तथा सबसे महत्त्वपूणव श्रृंखला है, धौलाधर एवं
महाभारत शंखलाएाँ भी महत्त्वपूणव हैं।
• इसी श्रृंखला में कश्मीर की घाटी तथा टहमाचल के कांग़िा एवं कु ल्लू की घाटटयााँ स्थस्थत हैं।
• इस क्षेत्र को पहा़िी नगरों के जलए जाना जाता है।
लििालल
(8)
भारत का भौततक स्व�प 02
• टहमालय की सबसे बाहरी श्रृंखला को जशवाजलक कहा जाता है।
• इनकी चौ़िाई 10 से 50 कक ० मी ० तथा ऊाँचाई 900 से 1,100 मीटर के बीच है।
• ये श्रृंखलाएाँ, उत्तर में स्थस्थत मुख्य टहमालय की श्रृंखलाओं से नकदयों द्वारा लायी गयी
असंषपकडत अवसादों से बनी है।
• ये घाटटयााँ बजरी तथा जलोढ़ की मोटी परत से ढाँकी हुई हैं।
• तनम्न टहमाचल तथा जशवाजलक के बीच में स्थस्थत लंबवत् घाटी को दून के नाम से जाना
जाता है।
कु छ प्रससद् दून हैं – देहरादून, कोटलीदून एवं पाटलीदून।
हहर्ाचल र्ें पाए जाने िाले प्रर्ुख दरे
• काराकोरम दराव
• रोहतांग दराव
• वुर्जजल दराव
• जोजलला दराव
• पीरपंजाल दराव
• जशपककला दराव।
पलिर् से पूिण का तिभाजन
टहमालय को पजिम से पूवव तक स्थस्थत क्षेत्रों के आधार पर भी ववभाजजत ककया गया है। इन
वगीीकरणों को नदी घाटटयों की सीमाओं के आधार पर ककया गया है।
• सतलुज एवं ससिंधु के बीच स्थस्थत टहमालय के भाग को पंजाब टहमालय के नाम से जाना
जाता है।
• पजिम से पूवव तक िमशः इसे कश्मीर तथा टहमाचल के नाम से भी जाना जाता है।
• सतलुज तथा काली नकदयों के बीच स्थस्थत टहमालय के भाग को कु मााँऊ टहमालय के नाम से
भी जाना जाता है।
(9)
भारत का भौततक स्व�प 02
भाबर और तराई
• काली तथा ततस्ता नकदयााँ, नेपाल टहमालय का एवं ततस्ता तथा कदहांग नकदयााँ असम टहमालय
का सीमांकन करती है।
ब्रहार्पुत्र का र्ैदान
ब्रह्मपुत्र का मैदान इसके पजिम ववशेर्षकर असम में स्थस्थत है।
आकृ ततक भभन्नता के आधार पर उत्तरी र्ैदानों का तिभाजन
आकृ ततक मभन्नता के आधार पर उत्तरी मैदानों को चार भागों में ववभाजजत ककया जा सकता है।
भाबर
नकदयााँ पववतों से नीचे उतरते समय जशवाजलक की ढाल पर 8 से 16 कक. मी. के चौ़िी पट्टी में गुटटका
का तनक्षेपण करती हैं। इसे ‘ भाबर ‘ के नाम से जाना जाता है। सभी सररताएाँ इस भाबर पट्टी में
ववलुप्त हो जाती हैं।
तराई
इस पट्टी के दजक्षण में ये सररताएाँ एवं नकदयााँ पुनः तनकल आती हैं। एवं नम तथा दलदली क्षेत्र का
तनमावण करती हैं, जजसे ‘ तराई ‘ कहा जाता है।
भांगर
(10)
भारत का भौततक स्व�प 02
उत्तरी मैदान का सबसे ववशालतम भाग पुराने जलोढ़ का बना है। वे नकदयों के बाढ़ वाले मैदान के
ऊपर स्थस्थत हैं तथा वेकदका जैसी आकृ तत प्रदर्जशत करते हैं। इस भाग को ‘ भांगर ’ के नाम से जाना
जाता है। इस क्षेत्र की मृदा में चूनेदार तनक्षेप पाए जाते हैं, जजसे स्थानीय भार्षा में ‘ कं क़ि ‘ कहा
जाता है।
खादर
बाढ़ वाले मैदानों के नये तथा युवा तनक्षेपों को ‘खादर‘ कहा जाता है। इनका लगभग प्रत्येक वर्षव
पुनतनमावण होता है, इसजलए ये उपजाऊ होते हैं तथा गहन खेती के जलए आदशव होते हैं।
(11)
भारत का भौततक स्व�प 02
दोआब
दोआब का अथव है दो नकदयों के बीच की भूमम। ‘दोआब‘ दो श�ों से ममलकर बना है – दो तथा
आब अथावत् पानी।
र्ध्य उच्चभूभर्
नमवदा नदी के उत्तर में प्रायद्वीपीय पठार का वह भाग जो कक मालवा के पठार के अमधकतर भागों
पर फै ला है उसे मध्य उ�भूमम के नाम से जाना जाता है। वविंध्य श्रृंखला दजक्षण में सतपु़िा श्रृंखला
तथा उत्तर – पजिम में अरावली से घघरी है। पजिम में यह धीरे धीरे राजस्थान के बलुई तथा पथरीले
म�स्थल से ममल जाता है।
दलक्षर् का पठार
दजक्षण का पठार एक ष्टत्रभुजाकार भूभाग है, जो नमवदा नदी के दजक्षण में स्थस्थत है। उत्तर में इसके
चौ़िे आधार पर सतपु़िा की श्रृंखला है, जबकक महादेव, कै मूर की पहा़िी तथा मैकाल शंखला इसके
पूवीी ववस्तार हैं।
दजक्षण का पठार पजिम में ऊाँ चा एवं पूवव की ओर कम ढाल वाला है। इस पठार का एक भाग उत्तर
– पूवव में भी देखा जाता है, जजसे स्थानीय �प से ‘मेघालय‘, ‘काबीी एंगलौंग पठार‘ तथा ‘उत्तर
कचार पहा़िी‘ के नाम से जाना जाता है।
दक्कन टरैप
प्रायद्वीपीय पठार का वह क्षेत्र जहााँ काली मृदा पाई जाती है वह दक्कन टरैप कहलाता है।
डेल्टा
नदी के सागर में ममलने से पहले उसके प्रवाह में हल्का सा अवरोध आने पर मलबे का तनक्षेपण
होने लगता है। इससे अवसाद जमा होकर एक ष्टत्रभुजाकार �प ले लेता है। जजस डेल्टा कहते है।
तटीय र्ैदान
(12)
भारत का भौततक स्व�प 02
प्रायद्वीपीय पठार के ककनारों संकीणव तटीय पट्टीयों का ववस्तार है। यह पजिम में अरब सागर से
लेकर पूवव में बंगाल की खा़िी तक ववस्तृत है। पजिमी तट, पजिमी घाट तथा अरब सागर के बीच
स्थस्थत एक संकीणव मैदान है।
तटीय र्ैदान का तिभाजन
इस मैदान के तीन भाग हैं। तट के उत्तरी भाग को कोंकण (मुंबई तथा गोवा), मध्य भाग को कन्नड
मैदान एवं दजक्षणी भाग को मालाबार तट कहा जाता है।
बंगाल की खा़िी वेफ साथ ववस्तृत मैदान चै़िा एवं समतल है। उत्तरी भाग में इसे उत्तरी सरकार
कहा जाता है। जबकक दजक्षणी भाग कोरोमंडल तट वेफ नाम से जाना जाता है। ब़िी नकदयााँ
जैसे – महानदी गोदावरी कृ ष्णा तथा कावेरी इस तट पर ववशाल डेल्टा का तनमावण करती हैं।
मचल्का झील पूवीी तट पर स्थस्थत एक महत्त्वपूणव भू.लक्षण है।
द्वीप सर्ूह
भारत के दो प्रर्ुख द्वीप सर्ूह हैं :-
अरब सागर के द्वीप :-
• द्वीपों का यह समूह छोटे प्रवाल द्वीपों से बना है।
• पहले इनको लकादीव, मीनकाय तथा एमीनदीव के नाम से जाना जाता था।
• 1973 में इनका नाम लक्षद्वीप रखा गया।
• यह 32 वगव कक.मी. के छोटे से क्षेत्र में फै ला है।
• कावारत्ती द्वीप लक्षद्वीप का प्रशासतनक मुख्यालय है।
• इस द्वीप समूह पर पादप तथा जंतु बहुत से प्रकार पाए जाते हैं।
• षपटली द्वीप, जहााँ मनुष्य का तनवास नहीं है, वहााँ एक पक्षी अभयारण्य है।
बंगाल की खाडी के द्वीप :-
• ये अंडमान एवं तनकोबार द्वीप हैं।
(13)
भारत का भौततक स्व�प 02
• यह द्वीप समूह आकार में ब़िे संख्या में बहुल तथा तबखरे हुए हैं।
• यह द्वीप समूह मुख्यतः दो भागों में बााँटा गया है – उत्तर में अंडमान तथा दजक्षण में तनकोबार।
• यह माना जाता है कक यह द्वीप समूह तनमस्थित पववत श्रेजणयों के जशखर हैं।
• यह द्वीप समूह देश की सुरक्षा के जलए बहुत महत्त्वपूणव है।
• इन द्वीप समूहों में पाए जाने वाले पादप एवं जंतुओं में बहुत अमधक ववववधता है।
• ये द्वीप ववर्षवत् वृत के समीप स्थस्थत हैं एवं यहााँ की जलवायु ववर्षुवतीय है तथा यह घने
जंगलों से आ�ाकदत है।
प्रिाल
प्रवाल पोजलपस कम समय तक जीववत रहने वाले सूक्ष्म प्राणी हैं, जो कक समूह में रहते हैं। इनका
ववकास जछछले तथा गमव जल में होता है। इनसे के ल्शियम काबोनेट का स्राव होता है। प्रवाल ड्डाव
एवं प्रवाल अस्थस्थयााँ टीले के �प में तनक्षेषपत होती हैं।
ये मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं-
1. प्रवाल रोमधका,
2. तटीय प्रवाल मभजत्त तथा
(14)
भारत का भौततक स्व�प 02
3. प्रवाल वलय
द्वीप आस्ट्रेजलया का ‘ग्रेट बैररयर रीफ’ प्रवाल रोमधका का अ�ा उदाहरण है। प्रवाल वलय द्वीप
गोलाकार या हासव शू आकार वाले रोमधका होते हैं।
(15)
भारत का भौततक स्व�प 02
NCERT SOLUTIONS
प्रश्न (पृष्ठ संख्या 14 - 15)
प्रश्न 1 तनम्नजलखखत ववकल्पों में से सही उत्तर चुतनए-
1. एक स्थलीय भाग जो तीन ओर से समुद्र से घघरा हो-
a) तट
b) प्रायद्वीप
c) द्वीप
d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर – b) प्रायद्वीप
2. भारत के पूवीी भाग में म्ांमार की सीमा का तनधावरण करने वाले पववतों का संयुक्त नाम-
a) टहमाचल
b) पूवाांचल
c) उत्तराखण्ड
d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर – b) पूवाांचल
3. गोवा के दजक्षण में स्थस्थत पजिम तटीय पट्टी
a) कोरोमंडल
b) कन्नड
c) कोंकण
d) उत्तरी सरकार
उत्तर – b) कन्नड
4. पूवी घाट का सवो� जशखर-
a) अनाईमुडी
(16)
भारत का भौततक स्व�प 02
b) महेंद्रमगरर
c) कं चनजंगा।
d) खासी
उत्तर – b) महेंद्रमगरर
प्रश्न 2 तनम्नजलखखत प्रश्नों के संक्षेप में उत्तर दीजजए-
1. 'भाबर' क्या है?
उत्तर – भाबर’ वह तंग पट्टी है जजसका तनमावण कं क़िों के जमा होने से होता है जो जशवाजलक
की ढलान के समानांतर ससन्धु एवं ततस्ता नकदयों के बीच पाई जाती हैं। इस पट्टी का तनमावण
पहाक़ियों से नीचे उतरते समय ववमभन्न नकदयों द्वारा ककया जाता है। सभी नकदयााँ भाबर पट्टी में
आकर ववलुप्त हो जाती हैं।
2. टहमालय के तीन प्रमुख ववभागों के नाम उत्तर से दजक्षण के िम में बताइए?
उत्तर – महान या आंतररक टहमालय या टहमाषद्र, टहमाचल या तनम्न टहमालय, बाह्य टहमालय
या जशवाजलक।
3. अरावली और वविंध्याचल की पहाक़ियों में कौन-सा पठार स्थस्थत है?
उत्तर – मालवा पठार अरावली और वविंध्याचल की पहाक़ियों के बीच स्थस्थत है।
4. भारत के उन द्वीपों के नाम बताइए जो प्रवाल मभजत्त के हैं।
उत्तर – टहमालय ववश्व की सवावमधक ऊाँ ची एवं मजबूत बाधाओं को प्रतततनमधत्व करता है। उत्तर
कदशा से दजक्षण की ओर इसे 3 मुख्य भागों में बांटा जा सकता है।
प्रश्न 3 तनम्नजलखखत में अंतर स्पि कीजजए-
1. बांगर व खादर में अंतर
2. पूवीी घाट और पजिमी घाट में अंतर-
उत्तर –1 बांगर व खादर में अंतर-
(17)
भारत का भौततक स्व�प 02
क्रर्ांक
संख्या
बांगर खादर
1. बांगर पुरानी जलोढ़ मृदा होती है। नई जलोढ़ मृदा को खादर कहा जाता है।
2.
यह मृदा नदी के बेससन से दूर पाई
जाती है।
यह मृदा नदी के बेससन के पास पाई जाती है।
3.
यह भूमम कम उपजाऊ होती है
तथा खेती के जाती है।
यह मृदा बहुत उववर होती है तथा कृ षर्ष के जलए
आदशव मानी जलए आदशव नहीं है।
1. पूवीी घाट और पजिमी घाट में अंतर-
क्रर्ांक
संख्या
पलिर्ी घाट पूिीी घाट
1.
दजक्षण के पठार के पजिमी ससरे पर स्थस्थत
है।
दजक्षण के पठार के पूवीी ससरे पर स्थस्थत है।
2.
सतत् है और के वल दरों के द्वारा ही पार
ककया जा सकता है।
सतत् नहीं है, अतनयममत हैं एवं बंगाल की
खा़िी में मगरने वाली नकदयों ने इनको काट
कदया है।
3.
पूवीी घाटी के अपेक्षा ऊाँचे हैं, इनकी औसत
ऊाँ चाई 900 से 1600 मीटर है।
पजिमी घाटी के अपेक्षा छोटे हैं, इनकी औसत
ऊाँ चाई 600 मीटर है।
4.
पजिमी घाटी में पववतीय वर्षाव होती है जो
घाट के पजिमी ढाल पर आद्र हवा के
टकराकर ऊपर उठने के कारण होती है।
यह ज्यादातर वर्षाव ठंड के मौसम के समय में
उत्तर-पूवीी मानसून द्वारा प्राप्त करती हैं।
पजिमी घाटी के अपेक्षा यहााँ कम वर्षाव होती है।
5. ममट्टी ज्यादा उपजाऊ होती है।
पजिमी घाट के अपेक्षा ममट्टी कम उपजाऊ
होती है।
प्रश्न 4 भारत के प्रमुख भू-आकृ ततक ववभाग कौन-से हैं? टहमालय क्षेत्र तथा प्रायद्वीप पठार के
उ�ावच लक्षणों में क्या अंतर है?
उत्तर –
(18)
भारत का भौततक स्व�प 02
भारत के प्रमुख भू-आकृ ततक ववभाग-
1. उत्तर के ववशाल पववत
2. उत्तर भारत का मैदान
3. प्रायद्वीपीय पठार ठार
4. भारतीय म�स्थल
5. तटीय मैदान तथा
6. द्वीप समूह।
टहमालय क्षेत्र तथा प्रायद्वीपीय पठार के उ�ावच लक्षणों में अंतर-
क्रर्ांक
संख्या
हहर्ालय क्षेत्र प्रायद्वीपीय पठार
1.
यह ससन्धु व गंगा के मैदान के ससरे पर
बना हुआ है।
यह दक्कन के पठार के ससरे पर बना हुआ है।
2.
जशमला, मंसूरी, दार्जजजलिंग, नैनीताल
आकद पहा़िी स्थल टहमालय में पाए
जाते हैं।
यहााँ कोई ववख्यात पहा़िी स्थल नहीं पाया
जाता।
3. इसकी औसत ऊाँ चाई 6,000 मी है। इस पठार की औसत ऊाँ चाई 600-900 मी है।
4. यह नवीन वजलत पववत है। यह प्राचीनकाल से ही अपरदन के चरण में है।
5.
यह बहुत से महाखड्ड
ू
एवं यू आकार
की घाटटयों से बना हैं।
पठार को कई नकदयों द्वारा बुरी तरह काट कदया
गया है।
6. इसमें बहुत कम खतनज पाए जाते हैं। यह खतनजों का भंडार है।
7.
सभी बारहमासी नकदयों का उद्गम
टहमालय से ही होता है।
इस पठार से तनकलने वाली नकदयााँ बरसाती हैं
964
8.
ववश्व के सवावमधक ऊाँ चे पववतों एवं गहरी
ममलकर बना है।
चौ़िी एवं जछछली घाटटयों तथा गोलाकार
पहाक़ियों से घाटटयों से ममलकर बना है।
(19)
भारत का भौततक स्व�प 02
9.
इंडो-आस्ट्रेजलयाई प्लेट व यूरेजशयन
प्लेट में टक्कर के कारण बना।
गोंडवाना भूमम के टूटने व खखसकने के कारण
बना।
10. तलछटी चट्टानों से बना है। आग्नेय एवं कायांतररत चट्टानों से बना है।
11.
भूवैज्ञातनक दृष्टि से यह अस्थस्थर क्षेत्र में
आता है।
भूवैज्ञातनक दृष्टि से यह स्थस्थर क्षेत्र में आता है।
12. यह ववश्व का सवावमधक ऊाँ चा पववत हैं।
मध्य उ�भूमम नीची पहाक़ियों से बना है और
इसमें कोई भी चोटी ववश्वववख्यात ऊाँ चाई की नहीं
है।
13.
टहमालय से बहुत-सी प्रससद् नकदयााँ
तनकलती तनकलती हैं।
नमवदा व ताप्ती जैसी कु छ ही नकदयााँ प्रायद्वीपीय
पठार से हैं जैसे ससन्धु, गंगा व ब्रह्मपुत्र।
प्रश्न 5 भारत के उत्तरी मैदान का वणवन कीजजए।
उत्तरी: र्ैदान तीन प्रर्ुख नदी प्रर्ाललयों- ससन्धु, गंगा एवं ब्रह्मपुत्र तथा इसकी सहायक नकदयों
से बना है। यह मैदान जलोढ़ मृदा से बना है। लाखों वर्षों में टहमालय के मगररपाद में स्थस्थत बहुत
ब़िे बेससन में जलोढ़ों का तनक्षेप हुआ, जजससे इस उपजाऊ मैदान का तनमावण हुआ है। इसका
ववस्तार 7 लाख वगव कक.मी. के क्षेत्र पर है तथा लगभग 2,400 कक.मी. लंबा एवं 240 से 320
कक.मी. चौ़िा है। उत्तरी मैदान को मोटे तौर पर तीन उपवगों में ववभाजजत ककया गया है- पंजाब का
मैदान, गंगा का मैदान और ब्रह्मपुत्र का मैदान। उत्तरी मैदान की भूमम समतल नहीं है। इन ववस्तृत
मैदानों की भौगोजलक आकृ ततयों में भी ववववधता है। आकृ ततक मभन्नता के आधार पर उत्तरी मैदानों
को चार भागों में भी ववभाजजत ककया जा सकता है- भाबर, तराई, भांगर तथा खादर।
प्रश्न 6 तनम्नजलखखत पर संजक्षप्त टटप्पजणयां जलखें।
1. मध्य टहमालय
2. मध्य उ�भूमम
3. भारत के द्वीप समूह
1. र्ध्य हहर्ालय- टहमाषद्र के दजक्षण में स्थस्थत यह श्रृंखला सबसे अमधक असम है। इन
श्रृंखलाओं का तनमावण मुख्यत: अत्यमधक संपीकडत तथा पररवर्ततत शैलों से हुआ है। इनकी
(20)
भारत का भौततक स्व�प 02
ऊाँ चाई 3,700 मीटर से 4,500 मीटर के बीच तथा औसत चौ़िाई 50 कक.मी. है। पीर पंजाल
श्रृंखला, धौलाधर एवं महाभारत श्रृंखलाएाँ सबसे लंबी तथा सबसे महत्वपूणव श्रृंखला है। इसी
श्रृंखला में कश्मीर की घाटी तथा टहमाचल के कांग़िा एवं कु ल्लू की घाटटयााँ स्थस्थत है| इस
क्षेत्र को पहा़िी नगरों के जलए जाना जाता है।
2. र्ध्य उच्चभूभर्- नमवदा नदी के उत्तर में प्रायद्वीपीय पठार का वह भाग जो कक मालवा के
पठार के अमधकतर भागों पर फै ला है उसे मध्य उ�भूमम के नाम से जाना जाता है। वविंध्य
श्रृंखला दजक्षण में मध्य उ�भूमम तथा उत्तर-पजिम में अरावली से घघरी है। पजिम में यह
धीरे-धीरे राजस्थान के बलुई तथा पथरीले म�स्थल से ममल जाता है। इस क्षेत्र में बहने
वाली नकदयााँ हैं- चम्बल, ससिंध, बेतवा तथा के न। मध्य उ�भूमम पजिम में चौ़िी लेककन पूवव
में संकीणव है इस पठार के पूवीी ववस्तार को स्थानीय �प से बुंदेलखंड तथा बघेलखंड के नाम
से जाना जाता है। इसके और पूवव के ववस्तार को दामोदर नदी द्वारा अपवाटहत छोटा नागपुर
पठार दशावता है।
3. भारत के द्वीप सर्ूह- भारत में दो मुख्य द्वीप समूह हैं- लक्षद्वीप तथा अंडमान और तनकोबार
द्वीप। के रल के मालाबार तट के पास द्वीपों का समूह लक्षद्वीप स्थस्थत है। द्वीपों का यह समूह
छोटे प्रवाल द्वीपों से बना है। पहले इनको लकादीव, मीनीकाय तथा एमीनदीव के नाम से
जाना जाता था। यह 32 वगव कक.मी. के छोटे से क्षेत्र में फै ला है। कावारत्ती द्वीप लक्षद्वीप
का प्रशासतनक मुख्यालय है। अंडमान और तनकोबार द्वीप बंगाल की खा़िी में उत्तर से दजक्षण
के तरफ फै ले द्वीपों की श्रृंखला है। यह द्वीप समूह आकर में ब़िे संख्या में बहुल तथा तबखरे
हुए हैं। यह द्वीप समूह मुख्यत: दो भागों में बााँटा गया है- उत्तर में अंडमान तथा दजक्षण में
तनकोबार। यह द्वीप समूह तनमस्थित पववत श्रेजणयों के जशखर हैं।
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