सामाजिक विज्ञान (इतिहास), अध्‍याय-2: "यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति"

ArthamResources 1,564 views 48 slides Feb 01, 2025
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सामाजिक विज्ञान (इतिहास), अध्‍याय-2: "यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति" (Socialism in Europe and the Russian Revolution) में समाजवाद के विचार�...


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सामाजिक विज्ञान
(इतिहास)
अध्याय-2: यूरोप में समाजवाद एवं रूसी
क्ांति

(1)

यूरोप में समाजवाद एवं �सी क्ांति 02
सामाजजक पररवितन का युग
यह दौर गहन सामाजिक और आर्थिक बदलावों का िा। औद्योगगक क्ाांति के दुष्पररणाम िैसे काम
की लांबी अवगि, कम, मिदूरी, बेरोिगारी, आवास की कमी, साफ – सफाई की व्यवस्था ने लोगों
को इस पर सोचने को वववश कर ददया।
फ्ाांसीसी क्ाांति ने समाि में पररवितन की सांभावनाओां के द्वार खोल ददए। इन्ीां सांभावनाओां को मूित
�प देने में िीन अलग – अलग ववचारिाराओां का ववकास हुआ :-
• उदारवादी
• �ढ़िवादी
• पररवितनवादी।
उदारवादी
उदारवादी एक ववचारिारा है जिसमें सभी िमों को बराबर का स�ान और िगह गमले। वे
व्यक्ति मात्र के अगिकारों की रक्षा के पक्षिर िे।
उदारवाददयों के मुख्य तवचार
• अतनयांत्रत्रि सत्ता के ववरोिी।
• सभी िमों का आदर एवां स�ान।
• व्यक्ति मात्र के अगिकारों की रक्षा के पक्षिर।
• प्रतितनगित्व पर आिाररि तनवातगचि सरकार के पक्ष में।
• सावतभौगमक व्यस्क मिागिकार के स्थान पर सांपजत्तिारकों को वोट का अगिकार के पक्ष में।
�द़िवादी
यह एक ऐसी ववचारिारा है िो पारांपररक मान्यिाओां के आिार पर कायत करिी है।
�द़िवादी के मुख्य तवचार

(2)

यूरोप में समाजवाद एवं �सी क्ांति 02
• उदारवाददयों और पररवितनवाददयों का ववरोि।
• अिीि का स�ान।
• बदलाव की प्रदक्या िीमी हो।
पररवितनवादी
ऐसी ववचारिारा िो क्न्तिकारी �प से सामाजिक और राितनतिक पररवितन चाहिा है।
पररवितनवाददयों के मुख्य तवचार
• बहुमि आिाररि सरकार के पक्षिर िे।
• बडे िमीांदारों और सम्पन्न उद्योगपतियों को प्राप्त ववशेषागिकार का ववरोि।
• सम्पजत्त के सांके द्रण का ववरोि लेदकन तनिी सम्पजत्त का ववरोि नहीां।
• महहला मिागिकार आांदोलन का समितन।
समाजवादी तवचारधारा
समािवादी ववचारिारा वह ववचारिारा है िो तनिी सम्पति रखने के ववरोिी है और समाि में
सभी को न्याय और सांिुलन पर आिाररि ववचारिारा है।
समाजवाददयों के मुख्य तवचार
• तनिी सम्पजत्त का ववरोि।
• सामुहहक समुदायों की रचना (रॉवटत ओवेन)
• सरकार द्वारा सामुहहक उद्यमों को ब़िावा (लुई ब्लॉक)
• सारी सम्पजत्त पर पूरे समाि का तनयांत्रण एवां स्वागमत्व (कालत मार्क्त और प्रेडररक एगेल्स)
औद्योगगक समाज और सामाजजक पररवितन :-
• यह ऐसा समय िा िब नए शहर बस रहे िे नए औद्योगगक क्षेत्र ववकससि हो रहे िे रेलवे का
काफी ववस्तार हो चुका िा। औरिो, आदगमयों और ब�ों, सबको कारखानों में लगा ददया

(3)

यूरोप में समाजवाद एवं �सी क्ांति 02
काम के घांटे बहुि लांबे होिे िे। मिदूरी बहु कम गमलिी िी बेरोिगारी उस समय की आम
समस्या िी।
• शहर िेिी से बसिे और फै लिे िा रहे िे इसजलए आवास और साफ सफाई का काम भी
मुन्तिल होिा िा रहा िा। उदारवादी और रैदडकल, दोनों ही इन समस्याओां का हल खोिने
की कोजशश कर रहे िे। बहुि सारे रैदडकल और उदारवाददयों के पास काफी सांपजत्त िी और
उनके यहाां बहुि सारे लोग नौकरी करिे िे।
यूरोप में समाजवाद का आना
• समािवादी तनिी सांपजत्त के ववरोिी िे यानी व सांपजत्त पर तनिी स्वागमत्व को सही नहीां
मानिे िे। उनका कहना िा दक बहु सारे लोगों के पास सांपजत्त िो है जिससे दूसरों को रोिगार
भी गमलिा है लेदकन समस्या यह है दक सांपजत्तिारी व्यक्ति को ससफत अपने फायदे से ही
मिलब रहिा है वह उनके बारे में नहीां सोचिा िो उसकी सांपजत्त को उत्पादनशील बनािे हैं।
• इसजलए उनका कहना है अगर सांपजत्त पर दकसी एक व्यक्ति के बिाय पूरे समाि का तनयांत्रण
हो िो सामाजिक हहिों पर ज्यादा अ�ी िरह ध्यान ददया िा सकिा है।
• कालत मार्क्त का ववश्वास िा दक खुद को पूांिीवादी शोषण से मुि कराने के जलए मिदूरों
को एक अत्यांि अलग दकस्म का समाि बनाना पडेगा उन्ोंने भववष्य के समाि को
सा�वादी (क�ुतनस्ट) समाि का नाम ददया।
समाजवाद के जिए समर्तन
• 1870 का दशक आिे – आिे समािवादी ववचार पूरे यूरोप में फै ल चुके िे। समािवाददयों
ने ढद्विीय इांटरनेशनल के नाम से एक अांिरराष्ट्रीय सांस्था भी बना ली िी।
• इांग्लैंड और िमतनी के मिदूरों ने अपनी िीवन और कायत स्थस्थति में सुिार लाने के जलए
सांगठन बनाना शु� कर ददया िा। काम के घांटों में कमी ििा मिागिकार के जलए आवाि
उठाना शु� कर ददया।

(4)

यूरोप में समाजवाद एवं �सी क्ांति 02
• 1905 िक तिटेन के समािवाददयों और टरेड यूतनयन आांदोलनकाररयों ने लेबर पाटीी के नाम
से अपनी एक अलग पाटीी बना ली िी फ्ाांस में भी सोशजलस्ट पाटीी के नाम से ऐसी एक पाटीी
का गठन दकया गया।
�सी क्ांति
माचत 1917 में रािशाही के पिन से लेकर अक्टूबर 1917 में �स की सत्ता पर समािवाददयों
के कब्जे िक की घटनाओां को �सी क्ाांति कहा िािा है।
माचत सन 1917 की �स की क्ान्ति ववश्व इतिहास की सबसे महत्वपूणत घटनाओां में से एक है।
इसके पररणामस्व�प �स से जार के स्वे�ाचारी शासन का अि हुआ ििा �सी सोववयि
सांघात्मक समािवादी गणराज्य (Russian Soviet Federative Socialist Republic) की
स्थापना हुई। यह क्ान्ति दो भागों में हुई िी - माचत 1917 में, ििा अक्टूबर 1917 में।
�सी क्ांति के कारण:
• तनरांकु श राििांत्र एवां स्वे�ाचारी शासक
• �स में तनरांकु श व दैवीय ससद्ाांि पर आिाररि शासन िा जिसका सांचालन कु लीन,
वांशानुगि सामांि वगत के माध्यम से दकया िािा िा।
• नौकरशाही वांशानुगि एवां भ्रष्ट् िी ििा िनिा का शोषण करने वाली िी।
• िार तनकोलस-I के शासनकाल में यह तनरांकु शिा अपने चरम पर पहुुँच गई फलि:
असांिोष और उग्र हो गया।
सामाजजक-आर्थर्क तवषमिा:
• फ्ाुँस की िरह यहाुँ भी सामांि व पादररयों का ववशेषागिकार युि वगत ििा दकसान व
मजदूरों के �प में अगिकारहीन वगत मौिूद िा। इनके मध्य अत्यांि िनाव व्याप्त िा।
• इस सामाजिक-आर्थिक ववषमिा के वव�द् असांिोष देखा गया।
दकसानों की दयनीय स्थिति:
• �स में सवातगिक सांख्या में दकसान मौिूद िे दकिं िु उनकी स्थस्थति अत्यांि दयनीय िी।

(5)

यूरोप में समाजवाद एवं �सी क्ांति 02
• भूगम का 67% हहस्सा सामांिों के पास िा िो वहीां 13% हहस्सा चचत के पास। दकसान खेिों
में मजदूरों की िरह कायत करिे िे।
• हालाुँदक वषत 1861 में �स में दास प्रिा का उन्मूलन हो गया िा दकिं िु व्यावहाररक �प
में अभी भी वह मौिूद िी।
• इन सबके चलिे दकसान व मजदूर वगत में भी ववद्रोही भावना ने िन्म जलया।
श्रममकों की दशा:
• �स में औद्योगीकरण देरी से हुआ और सीगमि रहा।
• अितव्यवस्था में ववदेशी पूांिी तनवेश के कारण ववदेशी पूांिीपतियों ने के वल मुनाफे पर
ध्यान ददया। जिसकी विह से श्रगमकों का अत्यगिक शोषण हुआ।
• मजदूरों के जलये न ही कायत के घांटे तनिातररि िे और न ही न्यूनिम वेिन और सुवविाएुँ।
• प्रिािाांत्रत्रक दल ने उन्ें सांगठठि कर क्ाांति के जलये िैयार दकया।
�स एवं जापान युद्ध:
• िब िापान ने चीन के मांचूररया क्षेत्र पर आक्मण दकया िो इसी दौरान �सी सेना से उसकी
गभडांि हुई और �सी सेना पराजिि हो गई।
• इससे राििांत्र की कमजोरी उिागर हो गई और पीदडि िनिा िार के वव�द् उठ खडी हुई।
• सामाजिक, आर्थिक एवां सैतनक स्तर पर कमजोरी को दूर करने के जलये िनिा ने एक
प्रतितनगि सदन ड्यूमा के गठन की माांग की।
• अपनी माांगों के समितन में �सी िनिा ने पीटसतबगत में शाांतिपूणत िुलूस तनकाला, जिस पर
िार ने गोली चलवा दी जिससे िनिा और उग्र हो गई ििा नागररक अगिकारों हेिु िार को
ड्यूमा के गठन की अनुमति देनी पडी।
• ड्यूमा का अस्थस्तत्व िार की इ�ा पर तनभतर िा, अि: उसने बार-बार इसे नष्ट् दकया और
लोकिांत्र कायम नहीां हो सका। अि: वषत 1905 की इस घटना को वास्तववक क्ाांति नहीां कहा
िा सकिा।
िात्काजिक कारण:

(6)

यूरोप में समाजवाद एवं �सी क्ांति 02
• �स ने साम्राज्यवादी लाभ लेने के उद्दे� से गमत्र राष्ट्रों के पक्ष में प्रिम ववश्वयुद् में भागीदारी
की। इसके चलिे उसे तनम्नजलखखि समस्याओां का सामना करना पडा-
• �स ने बडी मात्रा में सैतनकों की भिीी िो की दकिं िु पयातप्त मात्रा में हगियार उपल� नहीां
कराए और न ही वेिन ददया, इससे सैतनकों में असांिोष ब़िो गया।
• पररवहन के सािन युद् कायों में लगाए गए िे जिससे उद्योगों के पररचालन में बािा उत्पन्न
हुई और आर्थिक सांकट उत्पन्न हुआ।
• वषत 1916-17 में पडे भीषण अकाल से खाद्यान्न सांकट उत्पन्न हुआ जिससे िनिा आक्ोजशि
हुई ििा अांििः यह आक्ोश �सी क्ाांति में पररणि हो गया।
�सी क्ांति के चरण
वषत 1905 की क्ांति:
• 20वीां सदी के आरांभ में �स पर िार तनकोलस-II का शासन िा। वह एक िानाशाह िा,
जिसकी नीतियाुँ िनिा के बीच लोकढप्रय नहीां िीां। िब �स िापान से हार गया िो वषत
1905 में िार का ववरोि चरम पर पहुुँच गया।
• 9 िनवरी 1905 को �सी श्रगमकों का एक ित्था अपने बीबी ब�ों के साि िार को ज्ञापन
सौंपने के जलये तनकला, लेदकन सेंट पीटसतबगत में उन पर गोजलयाुँ बरसा दी गईं। यह घटना
इतिहास में ‘ब्लडी सन्डे’ के नाम से िानी िािी है। हजारों की सांख्या में लोग मारे गए और
समूचे �स में िार के वव�द् प्रदशतन होने लगे।
• िार तनकोलस को समझौिा करने के जलये वववश होना पडा और अिूबर घोषणा-पत्र िैयार
दकया गया, जिसमें एक तनवातगचि सांसद (ड्यूमा) को शागमल करने की भी बाि कही गई
िी। हालाुँदक बाद में िार अिूबर घोषणा-पत्र में दकये गए वादों से मुकर गया।
• िहाुँ एक ओरिार अपने वादों पर हटका नहीां रह सका, वहीां ड्यूमा भी �सी िनिा की
आकाांक्षाओां पर खरी नहीां उिर पाई। िनिा की परेशातनयाुँ ज्यों की त्यों बनी रहीां। अिः देर-
सबेर दूसरी क्ाांति िो होनी ही िी और कु छ इस िरह से वषत 1917 की क्ाांति की पृष्ठभूगम
िैयार हुई।
अक्तूबर 1917 की �सी क्ांति:

(7)

यूरोप में समाजवाद एवं �सी क्ांति 02
• माचत 1917 आिे-आिे िनिा की दशा अत्यांि ही दयनीय हो गई िी। उसके पास न पहनने
को कपडे िे और न खाने को अनाि िा।
• परेशान होकर भूखे और ठांड से ठठठुरिे हुए गरीब और मजदूरों ने 7 माचत को पेटरोग्रेड की
सडकों पर घूमना आरांभ कर ददया। रोटी की दुकानों पर िाजी और गरम रोहटयों के ढेर लगे
पडे िे। भूखी िनिा अपने आपको तनयांत्रण में नहीां रख सकी। उन्ोंने बाजार में लूट-पाट
करनी आरांभ कर दी।
• सरकार ने सेना को उन पर गोली चलाने का आदेश ददया िादक गोली चलाकर लूटमार करने
वालों को तििर-तबिर दकया िा सके, दकिं िु सैतनकों ने गोली चलाने से साफ मना कर ददया
क्योंदक उनकी सहानुभूति िनिा के प्रति िी।
• उनमें भी क्ाांति की भावना प्रवेश कर चुकी िी। िार को अपना अांि नजदीक नजर आने
लगा। ड्यूमा ने सलाह दी दक िनिाांत्रत्रक राििांत्र की स्थापना की िाए, लेदकन िार इसके
जलये िैयार नहीां हुआ और इस िरह से �स से राििांत्र का खात्मा हो गया।
• उपरोि तनणतय �स में भी पजिमी राज्यों की िरह प्रिािाांत्रत्रक व पूांिीवादी शासन के सांके ि
दे रहे िे िबदक �स की क्ाांति मजदूरों, कृ षकों, सैतनकों द्वारा प्राप्त की गई िी।
• बोल्शेववक के नेिृत्त्व में इस सरकार का ववरोि दकया गया।
• मजदूर और सैतनकों ने गमलकर सोववयि का गठन दकया। इस सोववयि ने ड्यूमा के साि
गमलकर अस्थायी सरकार का गठन दकया ििा इसका प्रमुख करेंसकी बना िो मध्यवगीीय
हहिों से पररचाजलि िा।
�सी क्ांति के नेिृत्त्व की स्थिति:
• लेतनन के नेिृत्त्व में बोल्शेववकों ने करेंसकी सरकार के वव�द् प्रदशतन दकया और सत्ता दकसान
एवां मजदूरों के हाि में देने की बाि की।
• उसके अनुसार राज्य के उत्पादन एवां वविरण के सािनों पर मजदूरों एवां दकसानों का तनयांत्रण
होना चाहहये।
• �स को प्रिम ववश्वयुद् में भागीदारी नहीां करनी चाहहये।

(8)

यूरोप में समाजवाद एवं �सी क्ांति 02
• इसी क्म में बोल्शेववकों ने सरकारी भवनों, रेलवे, तबिलीघरों में तनयांत्रण कर जलया और
करेंसकी को त्यागपत्र देना पडा ििा लेतनन के नेिृत्त्व में सवतहारा का शासन स्थाढपि हुआ।
�सी क्ांति का पररणाम
राजनीतिक पररणाम:
• राििांत्र समाप्त हुआ, सवतहारा का शासन स्थाढपि हो गया।
• �स द्वारा पूांिीवाद व उपतनवेशवाद के स्वाभाववक ववरोि के कारण उसे औपतनवेशक शोषण
से मुक्ति का अग्रदूि समझा गया।
• िमतनी के साि बेस्टजलटोवस्क की सांगि द्वारा प्रिम ववश्वयुद् से �स अलग हो गया।
आर्थर्क पररणाम:
• �स में उत्पादन एवां वविरण के सािनों पर राज्य का तनयांत्रण स्थाढपि।
• चूुँदक पूांिीवादी देशों से �स को दकसी प्रकार के सहयोग की अपेक्षा नहीां िी, अि: वह
वैज्ञातनक-िकनीकी ववकास हेिु आत्मतनभतरिा के पि पर अग्रसर हुआ।
• �स द्वारा तनयोजिि अितव्यवस्था के माध्यम से आर्थिक ववकास करने के कारण वह वैजश्वक
आर्थिक मांदी से दुष्प्रभाववि नहीां हुआ।
सामाजजक पररणाम:
• सामांि व कु लीन वगत की समान्तप्त।
• चचत के शासन की समान्तप्त।
• वगत भेद की समान्तप्त।
• �स में जशक्षा का प्रसार, राज्य द्वारा 16 वषत की उम्र िक तन:शुल्क एवां अतनवायत जशक्षा का
प्राविान।
• लैंगगक भेदभाव की समान्तप्त।
�सी समाज
• 1914 में �स और उसके साम्राज्य पर िार तनकोलस का शासन िा।

(9)

यूरोप में समाजवाद एवं �सी क्ांति 02
• मास्को के आसपास प़िने वाले छात्र के अलावा आि का दफनलैंड, लािववया, जलिुआतनया,
पोलैंड, यूक्े न व बेला�स के कु छ हहस्से �सी साम्राज्य के अांग िे।
�सी समाज की अर्तव्यविा
• बीसवीां सदी की शु�आि में �स की लगभग 85 प्रतिशि िनिा खेिी पर तनभतर िी।
• कारखाने उद्योगपतियों की तनिी सम्पजत्त िी िहाुँ काम की दशाएुँ बेहद खराब िी।
• यहाुँ के दकसान समय – समय पर सारी िमीन अपने क�ून (मीर) को सौंप देिे िे और
दफर क�ून पररवार की ि�रि के हहसाब से दकसानों को िमीन बाुँटिा िा।
• �स में एक तनरांकु श रािशाही िा।
• 1904 ई . में ि�री चीिों की कीमिें िेिी से ब़िने लगी।
• मिदूर सांगठन भी बनने लगे िो मिदूरों की स्थस्थति में सुिार की माुँग करने लगे।
�स में समाजवाद
• 1914 से पहले �स में सभी रािनीतिक पार्टटयाां गैरकानूनी िी।
• मार्क्त के ववचारों को मानने वाले समािवाददयों ने 1898 में रजशयन सोशल डेमोक्े हटक
वकत सत पाटीी का गठन दकया।
• यह एक �सी समाजिक लोकिाांत्रत्रक श्रगमक पाटीी िी।
• इस पाटीी का एक अखबार तनकलिा िा उसने मिदूरों को सांगठठि दकया िा और हडिाल
आदद कायतक्म आयोजिि दकए िे।
• 19 वी सदी के आखखर में �स के ग्रामीण इलाकों में समािवादी काफी सदक्य िे सन् 1900
में उन्ोंने सोशजलस्ट रेवलूशनरी पाटीी (समािवादी क्ाांतिकारी पाटीी) का गठन कर जलया।
• इस पाटीी ने दकसानों के अगिकारों के जलए सांघषत दकया और माांग की की सामांिो के कब्जे
वाली िमीन फॉरेन दकसानों को सौंप दी िाए।
खूनी रतववार

(10)

यूरोप में समाजवाद एवं �सी क्ांति 02
�सी क्ाांति की शु�आि 1905 में 22 िनवरी ददन रवववार को हुई िी। उस दौरान �स में िार
तनकोलस ढद्विीय का शासन िा। िार तनकोलस की कई नीतियों के खखलाफ मिदूरों में गुस्सा
िा। इसके चलिे मिदूर इस ददन अपने मेहनिाने और काम के घांटों िैसे मुद्दे पर प्रदशतन कर
रहे िे।
इसी दौरान पादरी गौपॉन के नेिृत्व में मिदूरों के िुलूस पर िार के महल के सैतनकों ने हमला
बोल ददया। इस घटना में 100 से ज्यादा मिदूर मारे गए और लगभग 300 घायल हुए। इतिहास
में इस घटना को ” खूनी रवववार के नाम से याद दकया िािा है।
1905 की क्ांति
1905 की क्ाांति की शु�आि इसी घटना से हुई।
• सारे देश में उडिाल होने लगी।
• ववश्वववद्यालय बांद कर ददए गए।
• वकीलों, डॉक्टरों, इांिीतनयरों और अन्य मध्यवगीीय कामगारों में सांवविान सभा के गठन की
माुँग करिे हुए यूतनयन ऑफ यूतनयन की स्थापना कर ली।
• िार एक तनवातगचि परामशतदािा सांसद (ड्यूमा) के गठन पर सहमि हुआ।
• मात्र 75 ददनों के भीिर पहली ड्यूमा, 3 महीने के भीिर दूसरी ड्यूमा को उसने बदातश्त कर
ददया।
• िीसरे ड्यूमा में उसने �ढ़िवादी रािनेिाओां को भर ददया िादक उसकी शक्तियों पर अांकु श
न लगे।
पहिा तवश्वयुद्ध और �सी साम्राज्य
• 1914 ई . में प्रिम ववश्व युद् शु� हो गया िो 1918 िक चला। इसमें दो खेमों कें ढद्रय
शक्तियाुँ (िमतनी, ऑन्तस्टरया, िुकीी) और गमत्र राष्ट्र (फ्ाांस, तिटेन व �स) के बीच लडाई शु�
हुई जिसका असर लगभग पूरे ववश्व पर पडा।
• इन सभी देशों के पास ववशाल वैजश्वक साम्राज्य िे इसजलए यूरोप के साि साि यह युद् यूरोप
के बाहर भी फै ल गया िा। इस युद् को पहला ववश्वयुद् कहा िािा है।

(11)

यूरोप में समाजवाद एवं �सी क्ांति 02
• इस युद् को शु� शु� में �ससयों का काफी समितन गमला लेदकन िैसे – िैसे युद् लांबा
खीांचिा गया ड्यूमा में मौिूद मुख्य पार्टटयों से सलाह लेना छोड ददया उसके प्रति िनिा का
समितक कम होने लगा लोगों ने सेंट पीटसतबगत का नाम बदलकर पेत्रोग्राद रख ददया क्योंदक
सेंट पीटसतबगत िमतन नाम िा।
• 1914 से 1916 के बीच िमतनी और ऑन्तस्टरया में �सी सेनाओां को भारी परािय झेलनी पडी।
1917 िक 70 लाख लोग मारे िा चुके िे पीछे हटिी �सी सेनाओां ने रास्ते में पडने वाली
फसलों इमारिों को भी नष्ट् कर डाला िादक दु�न की सेना वहाां हटक ही ना सके। फसलों
और इमारिों के ववनाश से �स में 30 लाख से ज्यादा लोग शरणािीी हो गए।
फरवरी क्ांति
फरवरी क्ांति के कारण :-
• प्रिम ववश्व युद् को लांबा खखिंचना।
• रासपुतिन का प्रभाव।
• सैतनकों का मनोबल गगरना।
• शरणार्थियों की समस्या।
• खाद्यान्न की कमी उद्योगों का बांद होना।
• असांख्य �सी सैतनकों की मौि।
फरवरी क्ांति की घटनाएँ :-
• 22 फरवरी को फैक्टरी में िालाबांदी।
• 50 अन्य फैक्टरी के मिदूरों की हडिाल।
• हडिाली मिदूरों द्वारा सरकारी इमारिों का घेराव।
• रािा द्वारा कफ्यू लगाना।
• 25 फरवरी को ड्यूमा को बखातस्त करना।
• 27 फरवरी को प्रदशतन काररयों ने सरकारी इमारिों पर कब्जा कर जलया।
• ससपाही एवां मिदूरों का सांगठन सोववयि का गठन।

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यूरोप में समाजवाद एवं �सी क्ांति 02
•2 माचत सैतनक कमाांडर की सलाह पर िार का गद्दी छोडना।
फरवरी क्ांति के प्रभाव :-
•�स में िारशाही का अांि।
•सावतभौगमक व्यस्क मिागिकार के आिार पर सांवविान सभा का चुनाव।
•अांिररम सरकार में सोववयि और ड्यूमा के नेिाओां की जशरकि।
अप्रैि र्ीमसस
महान बोल्शेववक नेिा लेतनन अप्रैल 1917 में �स लौटे। उन्ोंने िीन माुँगे की जिन्ें अप्रैल िीससस
कहा गया :-
•युद् की समान्तप्त
•सारी िमीनें दकसानों के हवाले।
•बैंको का राष्ट्रीयकरण।
अक्टूबर क्ांति
•फरवरी 1917 में रािशाही के पिन और 1917 के ही अक्टूबर के गमजश्रि घटनाओां को
अक्टूबर क्ाांति कहा िािा है।
•24 अक्टूबर 1917 का ववद्रोह शु� हो गया और शाम ढलिे – ढलिे पूरा पैटरोग्राद शहर
बोल्शेववकों के तनयांत्रण में आ गया। इस िरह अक्टूबर क्ाांति पूणत हुई।
अक्टूबर क्ांति के बाद क्या बदिा :-
•तनिी सम्पजत्त का खात्मा।
•बैंको एवां उद्योगों का राष्ट्रीकरण।
•िमीनों को सामाजिक सम्पजत्त घोढषि करना।
•अगभिात्य वगत की पुरानी पदववयों पर रोक।
•�स एक दलीय व्यवस्था वाला देश बन गया।

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यूरोप में समाजवाद एवं �सी क्ांति 02
• िीवन के हरेक क्षेत्र में सेंसरजशप लागू।
• गृह युद् का आरांभ।
गृह युद्ध :-
क्ाांति के पिाि् �सी समाि में िीन मुख्य समूह बन गए बोल्शेववक (रेड्स) सामाजिक क्ाांतिकारी
(ग्रीन्स) और िार समितक (व्हाइटस) इनके मध्य गृहयुद् शु� हो गया ग्रीन्स और ‘व्हाइटस‘
को फ्ाांस, अमेररका और तिटेन से भी समितन गमलने लगा क्योंदक ये समािवाददयों से सशांदकि
िे।

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यूरोप में समाजवाद एवं �सी क्ांति 02
NCERT SOLUTIONS
प्रश्न (पृष्ठ संख्या 48)
प्रश्न 1 �स के सामाजिक, आर्थिक और रािनीतिक हालाि 1905 ई. से पहले कै से िे?
उत्तर -19वीां शिा�ी में लगभग समस्त यूरोप में महत्त्वपूणत सामाजिक, आर्थिक और रािनीतिक
पररवितन हुए िे। इनमें कई देश गणराज्य िे, िो कई सांवैिातनक राििांत्र सामांिी व्यवस्था समाप्त
हो चुकी िी और सामांिों का स्थान नए मध्य वगत ने ले जलया िा। परिु �स अभी भी पुरानी दुतनया
में िी रहा िा। यह बाि �स की सामाजिक, आर्थिक ििा रािनीतिक दशा से स्पष्ट् हो िाएगी।
1905 ई. से पूवत �स की सामाजिक और आर्थिक स्थस्थति-
1. दकसानों की शोचनीय स्थिति- �स में दकसानों की स्थस्थति अत्यि शोचनीय िी। वहाुँ
कृ ढष-दास प्रिा अव� समाप्त हो चुकी िी, लेदकन दकसानों की दशा में कोई सुिार नहीां
हुआ िा। उनकी कृ ढष िोिें बहुि ही छोटी िीां और खेिी को ववकससि िरीके से करने के जलए
उनके पास पूुँिी का अभाव िा। इन छोटी-छोटी िोिों को पाने के जलए भी उन्ें अनेक दशकों
िक मुक्ति कर के �प में बडी कीमि चुकानी पडिी िी।
2. श्रममकों की हीन दशा- औद्योगगक क्ाांति के कारण �स में बडे-बडे पूुँिीपतियों ने अगिक
मुनाफा कमाने की इ�ा से मिदूरों का शोषण करना आरम्भ कर ददया। वे उन्ें कम वेिन
देिे िे ििा कारखानों में उनके साि बुरा व्यवहार करिे िे। यहाुँ िक दक ब�ों व न्तियों के
िीवन से भी खखलवाड करने में वे कभी नहीां चूकिे िे। ऐसी अवस्था से बचने के जलए मिदूर
एक होने लगे। दकिु 1900 ई. में इन पर हडिाल करने व सांघ बनाने पर भी रोक लगा दी
गई। उन्ें न िो कोई रािनीतिक अगिकार प्राप्त िे और न ही उन्ें सुिारों की कोई आशा
िी। ऐसे समय में उनके पास मरने अिवा मारने के अलावा और कोई चारा नहीां िा। यूरोप
के देशों की िुलना में �स में औद्योगीकरण बहुि देर से शु� हुआ। इसीजलए वहाुँ के लोग
बहुि ढपछडे हुए िे। �स में उद्योग-िन्धे लगाने के जलए पूुँिी का अभाव होने के कारण
ववदेशी पूुँिीपति �स के िन को लूटकर स्वदेश पहुुँचािे रहे। सन् 1904 मिदूरों के जलए

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यूरोप में समाजवाद एवं �सी क्ांति 02
बहुि बुरा िा। आव�क वस्तुओां के दाम बहुि ब़ि गए। मिदूरी 20 प्रतिशि घट गयी।
कामगार सांगठनों की सदस्यिा शुल्क नाटकीय िरीके से ब़ि िािा िा।
3. �स की राजनीतिक स्थिति- �स की रािनीतिक स्थस्थति 1905 ई. से पूवत अत्यि
गचिंिािनक िी। �स में िार का तनरांकु श शासन िा जिसमें िनिा ‘पुरानी दुतनया की िरह
रह रही िी क्योंदक वहाुँ पर अभी िक यूरोप के अन्य देशों की भाुँति आर्थिक, सामाजिक व
रािनीतिक पररवितन नहीां हो रहे िे। �स के दकसान, श्रगमक और िनसािारण की हालि
बडी खराब िी। �स में औद्योगीकरण देरी से हुआ। सारा समाि ववषमिाओां से पीदडि िा।
राज्य िनिा को कोई अगिकार देने को िैयार नहीां िा क्योंदक वह दैवी ससद्ाि में ववश्वास
रखिा िा। िार और उसकी पत्नी बुजद्हीन और भोग-ववलासी िे। वह िनिा पर दमनपूणत
शासन रखना चाहिा िा।
प्रश्न 2 1917 के पहले �स की कामकािी आबादी यूरोप के बाकी देशों के मुकाबले दकन-दकन
स्तरों पर गभन्न िी?
उत्तर -1917 के पहले �स की कामकािी आबादी यूरोप के बाकी देशों के मुकाबले तनम्नजलखखि
स्तरों पर गभन्न िी -
1. बीसवीां शिा�ी की शु�आि में �स की आबादी का एक बहुि हहस्सा खेिी-बाडी से िुडा
हुआ िा।�सी साम्राज्य का लगभग 85% िनिा आिीववका के जलए खेिी पर तनभतर िी।
यूरोप के दकसी भी देश में खेिी पर आजश्रि िनिा का प्रतिशि इिना नहीां िा। उदाहरण के
िौर पर फ्ाांस का 40-50 प्रतिशि से ज्यादा नहीां िा।
2. औद्योगगक क्ाांति के पररणामस्व�प यूरोपीय देश औद्योगगक हो चुक िे। िैसे िैसे तिटेन,
फ्ाांस और िमतनी। परिु उद्योग बहुि कम िे।
3. िारशाही �स में दकसान सामांिों और नवाबों का तबल्कु ल स�ान नहीां करिे िे। बहुिा वे
िमीदारों की हत्या भी कर देिे िे। इसके ववपरीि फ्ाांस में फ्ाांसीसी क्ाांति के दौरान तिटनी
(फ्ाांस का एक क्षेत्र) के दकसानों ने नवाबों को बचाने के जलए लडाइयाुँ लडी।

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यूरोप में समाजवाद एवं �सी क्ांति 02
4. �सी दकसान यूरोप के बाकी दकसानों के मुकाबले एक और जलहाि से अलग िे। यहाुँ के
दकसान समय-समय पर सारी िमीन अपने क�ून को सौंप दे देिे िे और दफर क�ून ही
प्रत्येक पररवार की ज�रि के अनुसार दकसानो को िमीन देिा िा।
5. कु छ �सी समािवाददयों का यह भी मानना िा दक दूसरे देशों की िुलना में �स बहुि िेिी
से समािवादी बना। इसका एकमात्र कारण �सी दकसानों द्वारा िमीन सौंपने ओर बाुँटने
की प्रदक्या से सांभव हुआ।
6. �सी िारशाही में मिदूर सामाजिक स्तर पर बुँटे हुए िे। कु छ मिदूर का अपने गाुँवो के
साि गहरे सांबांि बनाए हुए िे। बहुि सारे मिदूर स्थाई �प से शहरों में बस चुके िे। योग्यिा
और दक्षिा के स्तर पर उनमे काफी भेद िा।
7. 1914 में फैक्टरी मिदूरों में औरिों की सांख्या 31% िी परिु उन्ें पु�षों के मुकाबले कम
वेिन गमलिा िा।
प्रश्न 3 1917 में िार का शासन क्यों खत्म हो गया?
उत्तर – िनिा के बढिे अववश्वास एवां िार की नीतियों से असांिुत्रष्ट् के कारण िार का शासन 1917
में खत्म हो गया। िार तनकोलस ढद्विीय ने रािनैतिक गतिववगियों पर रोक लगा दी, मिदान के
तनयम बदल डाले और अपनी सत्ता के वव�द् उठे सवालों अिवा तनयांत्रण को खाररि कर ददया।
�स में युद् प्रारांभ में बहुि लोकढप्रय िा और िनिा िार का साि देिी िी। िैसे–िैसे युद् िारी
रहा, िार ने ड्यूमा के प्रमुख दलों से सलाह लेने से मना कर ददया। इस प्रकार उसने समितन खो
ददया और िमतन ववरोिी भावनाएां प्रबल होने लगीां। िारीना अलेर्क्ान्द्रा के सलाहकारों ववशेषकर
रास्पूतिन ने रािशाही को अलोकढप्रय बना ददया। �सी सेना लडाइयाुँ हार गई। पीछे हटिे समय
�सी सेना ने फसलों एवां इमारिों को नष्ट् कर ददया। फसलों एवां इमारिों के ववनाश से �स में
लगभग 30 लाख से अगिक लोग शरणािीी हो गए जिससे हालाि और तबगड गए।
प्रिम ववश्व युद् का उद्योगों पर बुरा प्रभाव पडा। बान्तिक सागर के रास्ते पर िमतनी का कब्जा हो
िाने के कारण माल का आयाि बांद हो गया। औद्योगगक उपकरण बेकार होने लगे ििा 1916 िक
रेलवे लाइनें टूट गई। अतनवायत सैतनक सेवा के चलिे सेहिमन्द लोगों को युद् में झोंक ददया गया
जिसके पररणामस्व�प, मिदूरों की कमी हो गई। रोटी की दुकानों पर दांगे होना आम बाि हो गई।

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यूरोप में समाजवाद एवं �सी क्ांति 02
26 फरवरी 1917 को ड्यूमा को बखातस्त कर ददया गया। यह आखखरी दाांव सातबि हुआ और इसने
िार के शासन को पूरी िरह िोखखम में डाल ददया। 2 माचत 1917 को िार गद्दी छोडने पर मिबूर
हो गया और इससे तनरांकु शिा का अांि हो गया। दकसान िमीन पर सफत के �प में काम करिे िे
और उनकी पैदावार का अगिकिम भाग िमीन के माजलकों एवां ववशेषागिकार प्राप्त वगों को चला
िािा िा। दकसानों में िमीन की भूख प्रमुख कारक िी। ववगभन्न दमनकारी नीतियों ििा कु �ा
के कारण वे आमिौर पर लगान देने से मना कर देिे और प्राय: िमीांदारों की हत्या करिे। कालत
मार्क्त की जशक्षाओां ने भी लोगों को ववद्रोह के जलए उत्साहहि दकया।
प्रश्न 4 दो सूगचयाुँ बनाइए: एक सूची में फरवरी क्ाांति की मुख्य घटनाओां और प्रभावों को जलखखए
और दूसरी सूची में अक्टूबर क्ाांति की प्रमुख घटनाओां और प्रभावों को दित कीजिए।
उत्तर - िार की गलि नीतियों, रािनीतिक भ्रष्ट्ाचार ििा िनसािारण एवां सैतनकों की दुदतशा के
कारण �स में क्ान्ति का वािावरण िैयार हो चुका िा। एक छोटी-सी घटना ने इस क्ान्ति की
शु�आि कर दी और यह दो चरणों में पूरी हुई। ये दो चरण िे- फरवरी क्ान्ति और अक्टूबर क्ान्ति।
सांक्षेप में क्ान्ति का सम्पूणत घटनाक्म इस प्रकार है-
1. फरवरी क्ान्ति- 1917 ई. के फरवरी माह में शीिकाल में राििानी पेत्रोग्राद में हालाि
तबगड गए। मिदूरों के क्वाटतरों में खाने की अत्यगिक कमी हो गयी िबदक सांसदीय
प्रतितनगि िार की ड्यूमा को बखातस्त करने की इ�ा के वव�द् िे। नगर की सांरचना इसके
नागररकों के ववभािन का कारण बन गयी। मिदूरों के क्वाटतर और कारखाने नेवा नदी के
दाएुँ िट पर स्थस्थि िे। बाएुँ िट पर फै शनेबल इलाके िैसे दक वविंटर पैलेस, सरकारी भवन
ििा वह महल भी िा िहाुँ ड्यूमा की बैठक होिी िी। सदीी बहुि ज्यादा िी- असािारण
कोहरा और बफत बारी हुई िी। 22 फरवरी को दाएुँ दकनारे पर एक कारखाने में िालाबांदी हो
गई। अगले ददन सहानुभूति के िौर पर 50 और कारखानों के मिदूरों ने हडिाल कर दी।
कई कारखानों में महहलाओां ने हडिाल की अगुवाई की। रवववार, 25 फरवरी को सरकार ने
ड्यूमा को बखातस्त कर ददया। 27 फरवरी को पुजलस मुख्यालय पर हमला दकया गया।
गजलयाुँ रोटी, मिदूरी, बेहिर कायत घ�ों एवां लोकिांत्र के नारे लगािे हुए लोगों से भर गईं।

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यूरोप में समाजवाद एवं �सी क्ांति 02
घुडसवार सैतनकों की टुकदडयों ने प्रदशतनकाररयों पर गोली चलाने से मना कर ददया ििा
शाम िक बगावि कर रहे सैतनकों यूरोप में समािवाद एवां �सी क्ान्ति एवां हडिाल कर रहे
मिदूरों ने गमलकर पेत्रोग्राद सोववयि नाम की सोववयि या काउांससल बना ली। िार ने 2
माचत को अपनी सत्ता छोड दी और सोववयि ििा ड्यूमा के नेिाओां ने गमलकर �स के जलए
अांिररम सरकार बना ली। फरवरी क्ाांति के मोचे पर कोई भी रािनैतिक दल नहीां िा। इसका
नेिृत्व लोगों ने स्वयां दकया िा। पेत्रोग्राद ने रािशाही का अि कर ददया और इस प्रकार
उन्ोंने सोववयि इतिहास में महत्त्वपूणत स्थान प्राप्त कर जलया।
फरवरी क्ान्ति का प्रभाव यह हुआ दक िनसािारण ििा सांगठनों की बैठकों पर से प्रतिबन्ध
हटा जलया गया। पेत्रोग्राद सोववयि की िरह ही सभी िगह सोववयि बन गई यद्यढप इनमें
एक िैसी चुनाव प्रणाली का अनुसरण नहीां दकया गया। अप्रैल, 1917 ई. में बोल्शेववकों के
नेिा ब्लाददमीर लेतनन देश तनकाले से �स वापस लौट आए। उसने ‘अप्रैल िीससस’ के नाम
से िानी िाने वाली िीन माुँगें रखीां। ये िीन माुँगें िीां- युद् को समाप्त दकया िाए, भूगम
दकसानों को हस्ताांिररि की िाए और बैंकों का राष्ट्रीयकरण दकया िाए। उसने इस बाि पर
भी िोर ददया दक अब अपने रैदडकल उद्दे�ों को स्पष्ट् करने के जलए। बोल्शेववक पाटीी का
नाम बदलकर क�ुतनस्ट पाटीी रख ददया िाए।
2. अक्टूबर क्ान्ति- िनिा की सबसे महत्त्वपूणत चार माुँगें िीां- शाांति, भूगम का स्वागमत्व
िोिने वालों को, कारखानों पर मिदूरों का तनयांत्रण ििा गैर-�सी िातियों को समानिा
का दिात। अस्थायी सरकार का प्रिान के रेस्की इनमें से दकसी भी माुँग को पूरा न कर सका
और सरकार ने िनिा का समितन खो ददया। लेतनन फरवरी क्ान्ति के समय स्थस्वट्िरलै�
में तनवातससि िीवन व्यिीि कर रहा िा, वह अप्रैल में �स लौट आया। उसके नेिृत्व में
बोल्शेववक पाटीी ने युद् समाप्त करने, दकसानों को िमीन देने ििा ‘सारे अगिकार सोववयिों
को देने की स्पष्ट् नीतियाुँ सामने रखीां। गैर-�सी िातियों के प्रश्न पर भी के वल लेतनन की
बोल्शेववक पाटीी के पास एक स्पष्ट् नीति िी। अक्टूबर क्ाांति अांिररम सरकार ििा बोल्शेववकों
में मिभेद के कारण हुई। ससिम्बर में ब्लाददमीर लेतनन ने ववद्रोह के जलए समितकों को इकट्ठा
करना शु� कर ददया। 16 अक्टूबर, 1917 ई. को उसने पेत्रोग्राद सोववयिे ििा बोल्शेववक
पाटीी को सत्ता पर सामाजिक कब्जा करने के जलए मना जलया। सत्ता पर कब्जे के जलए

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यूरोप में समाजवाद एवं �सी क्ांति 02
जलयोन टरॉटस्की के नेिृत्व में एक सैतनक क्ाांतिकारी सैतनक सगमति तनयुि की गई। िब
24 अक्टूबर को ववद्रोह शु� हुआ, प्रिानमांत्री के रेस्की ने स्थस्थति को तनयांत्रण से बाहर होने से
रोकने के जलए सैतनक टुकदडयों को लाने हेिु शहर छोडा। क्ाांतिकारी सगमति ने सरकारी
कायातलयों पर हमला बोला; ऑरोरा नामक युद्पोि ने वविंटर पैलेस पर बमबारी की और 24
िारीख की राि को शहर पर बोल्शेववकों का तनयांत्रण हो गया। िोडी सी गम्भीर लडाई के
उपराि बोल्शेववकों ने मॉस्को पेत्रोग्राद क्षेत्र पर पूरा तनयांत्रण पा जलया। पेत्रोग्राद में ऑल
रजशयन काांग्रेस ऑफ सोववयत्स की बैठक में बोल्शेववकों की कारतवाई को सवतस�ति से
स्वीकार कर जलया गया। अक्टूबर क्ान्ति का नेिृत्व मुख्यि: लेतनन ििा उसके अिीनस्थ
टरॉटस्की ने दकया और इसमें इन नेिाओां का समितन करने वाली िनिा भी शागमल िी।
इसने सोववयि पर लेतनन के शासन की शु�आि की ििा लेतनन के तनदेशन में बोल्शेववक
इसके साि िे।
प्रश्न 5 बोल्शेववकों ने अिूबर क्ाांति के फौरन बाद कौन-कौन-से प्रमुख पररवितन दकए?
उत्तर - अिूबर क्ाांति के बाद बोल्शेववकों द्वारा दकए गए कई बदलाव में शागमल हैं:
1. बोल्शेववक तनिी सांपजत्त के पक्षिर नहीां िे अि: अगिकिर उद्योगों एवां बैंकों का राष्ट्रीयकरण
कर ददया गया।
2. भूगम को सामाजिक सांपजत्त घोढषि कर ददया गया और दकसानों को उस भूगम पर कब्जा करने
ददया गया जिस पर वे काम करिे िे।
3. शहरों में बडे घरों के पररवार की आव�किा के अनुसार हहस्से कर ददए गए।
4. पुराने अगभिात्य वगत की पदववयों के प्रयोग पर रोक लगा दी गई।
5. पररवितन को स्पष्ट् करने के जलए बोल्शेववकों ने सेना एवां कमतचाररयों की नई वर्ददयाुँ पेश की।
6. बोल्शेववक पाटीी का नाम बदल कर �सी क�ूतनस्ट पाटीी (बोल्शेववक) रख ददया गया।
7. नवांबर में सांवविान सभा के चुनावों में बोल्शेववकों की हार हुई और िनवरी 1918 में िब
सभा ने उनके प्रस्तावों को खाररि कर ददया िो लेतनन ने सभा बखातस्त कर दी। माचत 1918
में रािनैतिक ववरोि के बाविूद �स ने िेस्ट जलटोव्स्स्क में िमतनी से सांगि कर ली।
8. �स एक-दलीय देश बन गया और टरेड यूतनयनों को पाटीी के तनयांत्रण में रखा गया।

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यूरोप में समाजवाद एवं �सी क्ांति 02
9. उन्ोंने पहली बार के न्द्रीकृ ि तनयोिन लागू दकया जिसके आिार पर पांचवषीीय योिनाएां
बनाई गई।
प्रश्न 6 तनम्नजलखखि के बारे में सांक्षेप में जलखखए-
a) कु लक
b) ड्यूमा
c) 1900 से 1930 ई. के बीच महहला कामगार
d) उदारवादी
e) स्ताजलन का सामूहहकीकरण कायतक्म।
उत्तर –
(a) कु िक
ये सोववयि �स के िनी दकसान िे। कृ ढष के सामूहहकीकरण कायतक्म के अिगति स्ताजलन ने
इनका अि कर ददया। स्ताजलन का ववश्वास िा दक वे अगिक लाभ कमाने के जलए अनाि इकट्ठा
कर रहे िे। 1927-28 ई. िक सोववयि �स के शहर अन्न आपूर्ति की भारी दकल्लि को सामना
कर रहे िे। इसजलए इन कु लकों पर 1928 ई. में छापे मारे गए और उनके अनाि के भ�ारों को
िब्त कर जलया गया। माक्र्सवादी स्ताजलनवाद के अनुसार कु लक गरीब दकसानों के वगत शत्रु िे।
उनकी मुनाफाखोरी की इ�ा से खाने की दकल्लि हो गई और अिि: स्ताजलन को इन कु लकों
का सफाया। करने के जलए सामूहहकीकरण कायतक्म चलाना पडा और सरकार द्वारा तनयांत्रत्रि बडे
खेिों की स्थापना करनी पडी।
(b) ड्यूमा
ड्यूमा �स की राष्ट्रीय सभा अिवा सांसद िी। �स के िार तनकोलस ढद्विीय ने इसे मात्र एक
सलाहकार सगमति में पररवर्तिि कर ददया िा। इसमें मात्र अनुदारवादी रािनीतिज्ञों को ही स्थान
ददया गया। उदारवाददयों ििा क्ान्तिकाररयों को इससे दूर रखा गया।
(c) 1900 से 1930 ई. के बीच महहिा कामगार

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यूरोप में समाजवाद एवं �सी क्ांति 02
1900 से 1930 ई. के बीच महहला कामगार-महहला मिदूरों ने �स के भववष्य तनमातण में महत्त्वपूणत
भूगमका तनभाई। महहला कामगार सन् 1914 िक कु ल कारखाना कामगार शक्ति का 31 प्रतिशि
भाग बन चुकी िी दकिु उन्ें पु�षों की अपेक्षा कम मिदूरी दी िािी िी। महहला कामगारों को न
के वल कारखानों में काम करना पडिा िा अढपिु उनके पररवार एवां ब�ों की भी देखभाल करनी
पडिी िी। वे देश के सभी मामलों में बहुि सदक्य िीां। प्राय: अपने साि काम करने वाले पु�ष
कामगारों को प्रेरणा भी देिी िीां।
1917 ई. की अक्टूबर क्ान्ति के बाद समािवाददयों ने �स में सरकार बनाई। 1917 ई. में रािशाही
के पिन एवां अक्टूबर की घटनाओां को ही सामान्यि: �सी क्ाांति कहा िािा है। उदाहरण के जलए
लॉरेंि टेलीफोन की महहला मिदूर माफात वासीलेवा ने ब़ििी कीमिों ििा कारखाने के माजलकों
की मनमानी के वव�द् आवाि उठाई और सफल हडिाल की। अन्य महहला मिदूरों ने भी माफ
वासीलेवा का अनुसरण दकया और िब िक उन्ोंने �स में समािवादी सरकार की स्थापना नहीां
की िब िक उन्ोंने राहि की साुँस नहीां ली।
(d) उदारवादी
उदारवाद एक क्मबद् और तनजिि ववचारिारा नहीां है, इसका सम्बन्ध न दकसी एक युग से है और
न ही दकसी सवतमान्य व्यक्ति ववशेष से। यह िो युगों-युगों ििा अनेक व्यक्तियों के दृत्रष्ट्कोणों का
पररणाम है। इस ववचारिारा के समितक प्राय: तनम्न ववषयों में पररवितन चाहिे िे |
• उदारवादी ऐसा राष्ट्र चाहिे िे जिसमें सभी िमों को बराबर का स�ान और िगह
गमले।
• व्यक्ति की गररमा और प्रतिष्ठा को बनाए रखा िाए क्योंदक समाि और राज्य व्यक्ति
की प्रगति और उत्थान के सािन मात्र हैं।
• प्रत्येक व्यक्ति को इ�ानुसार व्यवसाय करने ििा सम्पजत्त अर्जिि करने का अगिकार
होना चाहहए। राज्य को आव�क कर ही लगाने चाहहए।
• नागररकों को कानून के द्वारा आव�क स्विन्त्रिा प्रदान की िानी चाहहए जिससे
स्वे�ाचारी शासन का अि हो सके ििा व्यक्ति का ववकास िीव्र गति से सम्भव हो
सके ।

(22)

यूरोप में समाजवाद एवं �सी क्ांति 02
इनके अनुसार व्यक्तियों को प्राचीन �ढ़ियों एवां परम्पराओां का दास नहीां बनना चाहहए। प्रगति एवां
ववकास के जलए यदद परम्पराओां का ववरोि करना पडे िो भी करना चाहहए।
(e) स्ताजिन का सामूहहकीकरण कायतक्म।
सन् 1929 से स्ताजलन के सा�वादी दल ने सभी दकसानों को सामूहहक स्रोिों (कोलखोि) में काम
करने का तनदेश िारी कर ददया। ज्यादािर िमीन और सािो-सामान को सामूहहक खेिों में बदल
ददया गया। �स के सभी दकसान सामूहहक खेिों पर गमल-िुलकर काम करिे िे। कोलखोि के
लाभ को सभी दकसानों के बीच बाुँट ददया िािा िा। इस तनणतय से नाराि दकसानों ने सरकार का
ववरोि दकया।
इस ववरोि को ििाने के जलए वे अपने िानवरों को मारने लगे। पररणामस्व�प �स में 1929 से
1931 ई. के बीच िानवरों की सांख्या में एक तिहाई की कमी आयी। सरकार द्वारा सामूहहकीकरण
का ववरोि करने वालों को कठोर द� ददया िािा िा। अनेक ववरोगियों को देश से तनवातससि कर
ददया गया। सामूहहकीकरण के फलस्व�प कृ ढष उत्पादन में कोई ववशेष वृजद् नहीां हुई। दूसरी िरफ
1930 से 1933 ई. के बीच खराब फसल के बाद सोववयि �स में सबसे बडा अकाल पडा। इस
अकाल में 40 लाख से अगिक लोग मारे गए।

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