सामाजिक विज्ञान (भूगोल), अध्याय-3: "अपवाह"
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सामाजिक विज्ञान (भूगोल), अध्याय-3: "अपवाह" में पानी की गति और प्रवाह की प्रक्रिया को समझाया जाता है। यह अध्याय जल�...
सामाजिक विज्ञान (भूगोल), अध्याय-3: "अपवाह" में पानी की गति और प्रवाह की प्रक्रिया को समझाया जाता है। यह अध्याय जलवायु, अपवाह प्रणाली और जल संसाधनों के महत्त्व को उजागर करता है, और यह बताता है कि कैसे जल की गतियों का वितरण और प्रक्रिया जलवायु, कृषि और अन्य प्राकृतिक परिस्थितियों को प्रभावित करती है।
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सामाजिक विज्ञान
(भूगोल)
अध्याय-3: अपवाह
(1)
अपवाह 03
अपवाह
” अपवाह ” एक �ेत्र के नदी तंत्र की व्याख्या के लिए उपयोग होता है।
अपवाह द्रोण
एक नदी तंत्र द्वारा लिस �ेत्र का िि प्रवाहहत होता है उसे अपवाह द्रोणी कहते हैं।
ववश्व की सबसे बड़ी अपवाह द्रोण़ी
ववश्व की सबसे बडी अपवाह द्रोणी अमेज़न नदी की है।
भारत की सबसे बड़ी अपवाह द्रोण़ी
भारत की सबसे बडी अपवाह द्रोणी गंगा नदी की है।
जल ववभाजक
कोई भी ऊँचा �ेत्र, िैसे- पववत या उ� भूमम दो पडोसी अपवाह द्रोलणयों को एक दूसरे से अिग
करती है। इस प्रकार की उ� भूमम को िि ववभािक कहते हैं।
भारत में अपवाह तंत्र
(2)
अपवाह 03
भारत के अपवाह तंत्र का ननयंत्रण मुख्यतः भौगोलिक आकृ नतयों के द्वारा होता है। इस आधार पर
भारत़ीय नदियों को िो मुख्य वर्गों में ववभाजजत दकया र्गया है :-
• हहमािय की नददयाँ
• प्रायद्वीपीय नददयाँ
हहमालय की नदियााँ
• हहमािय की अमधकतर नददयाँ बारहमासी नददयाँ होती हैं।
• इनमें वर्व भर पानी रहता है, क्योंदक इन्हें वर्ाव के अनतररक्त ऊँ चे पववतों से पपघिने वािे हहम
द्वारा भी िि प्राप्त होता है।
• हहमािय की दो मुख्य नददयाँ ससिंधु तथा ब्रह्मपुत्र इस पववतीय श्ृंखिा के उत्तरी भाग से
ननकिती हैं।
• इन नददयों ने पववतों को काटकर गॉिों का ननमावण दकया है।
• हहमािय की नददयाँ अपने उत्पलत्त के स्थान से िेकर समुद्र तक के िंबे रास्ते को तय करती
हैं।
• ये अपने मागव के ऊपरी भागों में तीव्र अपरदन दिया करती हैं तथा अपने साथ भारी मात्रा में
ससल्ट एवं बािू का संवहन करती हैं।
• मध्य एवं ननचिे भागों में ये नददयाँ ववसपव, गोखुर झीि तथा अपने बाढ़ वािे मैदानों में
बहुत – सी अन्य नन�ेपण आकृ नतयों का ननमावण करती हैं।
• ये पूणव ववकससत डेल्टाओं का भी ननमावण करती हैं।
(3)
अपवाह 03
हहमालय की प्रमुख नदियााँ
• ससिंधु नदी तंत्र
• गंगा नदी तंत्र
• ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र
ससिंधु, गंगा तथा ब्रह्मपुत्र हहमािय से ननकिने वािी प्रमुख नददयाँ हैं। ये नददयाँ िंबी हैं तथा अनेक
महत्त्वपूणव एवं बडी सहायक नददयाँ आकर इनमें ममिती हैं। दकसी नदी तथा उसकी सहायक नददयों
को नदी तंत्र कहा िाता है।
ससिंधु निी तंत्र
• ससिंधु नदी का उद्गम मानसरोवर झीि के ननकट नतब्बत में है।
• पलिम की ओर बहती हुई यह नदी भारत में िद्दाख से प्रवेश करती है।
• इस भाग में यह एक बहुत ही सुंदर दशवनीय गािव का ननमावण करती है।
• ससिंधु नदी बिूमचस्तान तथा मगिमगत से बहते हुए अटक में पववतीय �ेत्र से बाहर ननकिती
है।
(4)
अपवाह 03
इसकी सहायक नदियााँ :- इस �ेत्र में बहुत सी सहायक नददयाँ िैसे िास्कर, नूबरा, �ोक तथा
हुंिा इस नदी में ममिती हैं।
ससिंधु निी की लंबाई :- 2,900 दक० मी० िंबी ससिंधु नदी ववश्व की िंबी नददयों में से एक है।
• अंत में कराची से पूवव की ओर अरब सागर में ममि िाती है।
र्गंर्गा निी तंत्र
लंबाई :- गंगा की िंबाई 2,500 दक ० मी ० से अमधक है।
• इसकी मुख्य धारा ‘ भागीरथी ‘ गंगोत्री हहमनद से ननकिती है।
• अिकनंदा अतराखण्ड के देवप्रयाग में इससे ममिती है।
• हररद्वार में गंगा पववतीय भाग छोडकर मैदान में आती है।
• हहमािय से ननकिने वािी बहुत सी नददयाँ आकर गंगा में ममिती हैं यमुना, घाघरा, गंडक,
कोसी
ब्रह्मपुत्र निी तंत्र
• ब्रह्मपुत्र नदी नतब्बत की मानसरोवर झीि के पूवव तथा ससिंधु एवं सतिुि के स्रोतों के काफी
निदीक से ननकिती है।
• इसकी िंबाई ससिंधु से कु छ अमधक है, परंतु इसका अमधकतर मागव भारत से बाहर स्थस्थत है।
• यह हहमािय के समानांतर पूवव की ओर बहती है। नामचा बारवा लशखर (7,757 मीटर) के
पास पहुँचकर यह अंग्रेिी के यू (U) अ�र िैसा मोड बनाकर भारत के अ�णाचि प्रदेश में
गॉिव के माध्यम से प्रवेश करती है। यहाँ इसे ददहाँग के नाम से िाना िाता है।
• ब्रह्मपुत्र को नतब्बत में सांगपो एवं बांग्लादेश िमुना कहा िाता है।
इसकी सहायक नदियााँ :- ददबांग, िोहहत, के नुिा एवं दूसरी सहायक नददयाँ इससे ममिकर
असम में ब्रह्मपुत्र का ननमावण करती हैं।
• ब्रह्मपुत्र नदी में नतब्बत में गाद कम होती है क्योंदक नतब्बत एक शुष्क तथा शीत �ेत्र है।
(5)
अपवाह 03
सुन्दर वन डेल्टा
ववश्व का सबसे बडा डेल्टा सुंदर वन है, सुन्दर वन डेल्टा का नाम यहाँ पाए िाने वािे सुंदरी के पेड
के कारण पडा है।
• प्रायद्वीप़ीय नदियााँ
• अमधकतर प्रायद्वीपीय नददयाँ मौसमी होती हैं, क्योंदक इनका प्रवाह वर्ाव पर ननभवर करता है।
• शुष्क मौसम में बडी नददयों का िि भी घटकर छोटी – छोटी धाराओं में बहने िगता है।
• हहमािय की नददयों की तुिना में प्रायद्वीपीय नददयों की िंबाई कम तथा लछछिी हैं।
• दफर भी इनमें से कु छ कें द्रीय उ�भूमम से ननकिती हैं तथा पलिम की तरफ बहती हैं।
• प्रायद्वीपीय भारत की अमधकतर नददयाँ पलिमी घाट से ननकिती हैं तथा बंगाि की खाडी
की तरफ बहती हैं।
प्रायद्वीप़ीय की प्रमुख नदियााँ
• नमवदा द्रोणी
• पानी द्रोणी
• गोदवरी द्रोणी
• महानदी द्रोणी
• कृ ष्णा द्रोणी
• कावेरी द्रोणी
नममिा द्रोण़ी
• नमवदा का उद्गम मध्य प्रदेश में अमरकं टक पहाडी के ननकट है।
• यह पलिम की ओर एक भ्रंश घाटी में बहती है।
• समुद्र तक पहुँचने के िम में यह नदी बहुत से दशवनीय स्थिों का ननमावण करती है।
• िबिपुर के ननकट संगमरमर के शैिों में यह नदी गहरे गािव से बहती है तथा िहाँ यह नदी
तीव्र ढाि से मगरती है, वहाँ ‘ धुँआधार प्रपात ‘ का ननमावण करती है।
(6)
अपवाह 03
इसकी सहायक नदियााँ :- नमवदा की सभी सहायक नददयाँ बहुत छोटी हैं, इनमें से अमधकतर
समकोण पर मुख्य धारा से ममिती हैं।
• नमवदा द्रोणी मध्य प्रदेश तथा गुिरात के कु छ भागों में ववस्तृत है।
ताप़ी द्रोण़ी
• तापी का उद्गम मध्य प्रदेश के बेतुि लििे में सतपुडा की श्ृंखिाओं में है।
• यह भी नमवदा के समानांतर एक भ्रंश घाटी में बहती है, िेदकन इसकी िंबाई बहुत कम है।
• इसकी द्रोणी मध्यप्रदेश, गुिरात तथा महाराष्ट्र राज्य में है।
• अरब सागर तथा पलिमी घाट के बीच का तटीय मैदान बहुत अमधक संकीणव है। इसलिए
तटीय नददयों की िंबाई बहुत कम है।
• पलिम की ओर बहने वािी मुख्य नददयाँ साबरमती, माही, भारत पुिा तथा पेररयार हैं।
र्गोिावरी द्रोण़ी
• गोदावरी सबसे बडी प्रायद्वीपीय नदी है।
• यह महाराष्ट्र के नाससक लििे में पलिम घाट की ढािों से ननकिती है।
• यह बहकर बंगाि की खाडी में मगरती है।
• प्रायद्वीपीय नददयों में इसका अपवाह तंत्र सबसे बडा है।
• इसकी द्रोणी महाराष्ट्र (नदी द्रोणी का 50 प्रनतशत भाग), मध्य प्रदेश, ओदडशा तथा आंध्र
प्रदेश में स्थस्थत है।
लंबाई :- इसकी िंबाई िगभग 1,500 दक० मी० है।
इसकी सहायक नदियााँ :- गोदावरी में अनेक सहायक नददयाँ ममिती हैं, िैसे पूणाव, वधाव, प्रान्हन्हता,
मांिरा, वेनगंगा तथा पेनगंगा। इनमें से अंनतम तीनों सहायक नददयाँ बहुत बडी हैं।
• बडे आकार और ववस्तार के कारण इसे ‘ दल�ण गंगा ‘ के नाम से भी िाना िाता है।
महानिी द्रोण़ी
(7)
अपवाह 03
•महानदी का उद्गम छत्तीसगढ़ की उ�भूमम से है तथा यह ओदडशा से बहते हुए बंगाि की
खाडी में ममि िाती है।
लंबाई :- इस नदी की िंबाई 860 दक० मी० है।
•इसकी अपवाह द्रोणी महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, झारखंड तथा ओदडशा में है।
कृ ष्णा द्रोण़ी
•महाराष्ट्र के पलिमी घाट में महाबािेश्वर के ननकट एक स्रोत से ननकिकर कृ ष्णा िगभग
1,400 दक ० मी ० बहकर बंगाि की खाडी में मगरती है।
इसकी सहायक नदियााँ :- तुंगभद्रा, कोयना, घाटप्रभा, मुसी तथा भीमा इसकी कु छ सहायक
नददयाँ हैं।
इसकी द्रोणी महाराष्ट्र, कनावटक तथा आंध्र प्रदेश में फै िी है।
कावेरी द्रोण़ी
•कावेरी पलिमी घाट के ब्रह्ममगरी श्ृंखिा से ननकिती है तथा तममिनाडु में कु डिूर के दल�ण
में बंगाि की खाडी में ममि िाती है।
लंबाई :- इसकी िंबाई 760 दक० मी० है।
इसकी सहायक नदियााँ :- इसकी प्रमुख सहायक नददयाँ हैं अमरावती, भवानी, हेमावती तथा
कानबनन।
•इसकी द्रोणी तममिनाडु, के र तथा कनावटक में ववस्तृत है।
झ़ील
पृथ्वी की सतह के गतव वािे भागों में िहाँ िि िमा हो िाता है, उसे झीि कहते हैं।
बडे आकार वािी झीिों को समुद्र कहा िाता है। िैसे :- के स्पियन, मृत तथा अरि सागर।
(8)
अपवाह 03
झ़ीलों की उपयोगर्गता
• बाढ़ की रोकथाम
• नदी के बद्यव को सुचा� बनाना
• िि ववद्युत का ननमावण
• ििवायु को सामान्य बनाना
• ििीय पाररतंत्र को संतुलित करना
• पयवटन को बढ़ावा
भारत में झ़ीलें
भारत में भी बहुत – सी झीिें हैं। ये एक दूसरे से आकार तथा अन्य ि�णों में मभन्न हैं। अमधकतर
झीिें स्थायी होती हैं तथा कु छ में के वि वर्ाव ऋतु में ही पानी होता है, िैसे – अंतदेशीय अपवाह
वािे अधवशुष्क �ेत्रों की द्रोणी वािी झीिें।
यहाँ कु छ ऐसी झीिें हैं, लिनका ननमावण हहमाननयों एवं बफव चादर की दिया के फिस्व�प हुआ
है। िबदक कु छ अन्य झीिों का ननमावण वायु, नददयों एवं मानवीय दियाकिापों के कारण हुआ है।
(9)
अपवाह 03
भारत में म़ीठे पाऩी की प्राकृ वतक झ़ीले
वुिर, डि, भीमताि, नैनीताि, िोकताक तथा बडापानी हैं।
भारत में मानव ननर्ममत झ़ील
गोववन्द सागर, राणा प्रताप सागर, ननज़ाम सागर, महत्वपूणव हैं।
नदियों का अर्मव्यवस्था में महत्त्व
भारत िैसे देश के लिए, िहाँ दक अमधकांश िनसंख्या िीववका के लिए कृ पर् पर ननभवर है, वहाँ
ससिंचाई, नौसंचािन, ििववद्युत ननमावण में नददयों का महत्त्व बहुत अमधक है।
निी प्रिूष
नदी िि की घरेिू, औद्योमगक तथा कृ पर् में बढ़ती माँग के कारण, इसकी गुणवत्ता प्रभाववत हुई
है। इसके पररणामस्व�प, नददयों से अमधक िि की ननकासी होती है तथा इनका आयतन घटता
िाता है।
दूसरी ओर, उद्योगों का प्रदूर्ण तथा अपररष्कृ त कचरे नदी में ममिते रहते हैं। यह के वि िि की
गुणवत्ता को ही नहीं, बस्पि नदी के स्वतः स्व�ीकरण की �मता को भी प्रभाववत करता है।
निी प्रिूषण से बचा
(10)
अपवाह 03
नददयों में बढ़ते प्रदूर्ण के कारण इनको स्व� बनाने के लिए अनेक कायव योिनाएँ िागू की गई
हैं।
राष्ट्ऱीय निी संरक्षण योजना (एनआरस़ीप़ी)
देश में नदी सफाई कायविम का शुभारंभ 1985 में गंगा ए�न प्लान (िीएपी) के साथ आरंभ
हुआ। वर्व 1995 में राष्ट्रीय नदी संर�ण योिना (एनआरसीपी) के तहत अन्य नददयों को िोडने के
लिए गंगा कायव योिना का ववस्तार दकया गया। नददयाँ देश में िि का प्रमुख स्रोत हैं। एनआरसीपी
का उद्दे� नददयों के िि में प्रदूर्ण को कम करके िि की गुणवत्ता में सुधार करना है।
(11)
अपवाह 03
NCERT SOLUTIONS
प्रश्न (पृष्ठ संख्या 48)
प्रश्न 1 ददए गए चार ववकल्पों में से सही ववकल्प चुननए-
1. वूिर झीि ननम्नलिन्हखत में से दकस राज्य में स्थस्थत है?
a) रािस्थान
b) पंिाब
c) उत्तर प्रदेश
d) िम्मू क�ीर
उत्तर- d) िम्मू क�ीर
2. नमवदा नदी का उद्गम कहाँ से है?
a) सतपुडा
b) अमरकं टक
c) ब्र्ह्ह्ममगरी
d) पलिमी घाट के ढाि
उत्तर- b)अमरकं टक
3. ननम्नलिन्हखत में से कौन-सी िवणीय िि वािे झीि है?
a) सांभर
b) वूिर
c) डि
d) गोनबिंद सागर
उत्तर- a) सांभर
4. ननम्नलिन्हखत में से कौन-सी प्रायद्वीपीय भारत की सबसे बडी नदी है?
a) नमवदा
(12)
अपवाह 03
b) गोदावरी
c) कृ ष्णा
d) महानदी
उत्तर- b) गोदावरी
5. ननम्नलिन्हखत नददयों में से कौन-सी नदी भ्रंश घाटी से होकर बहती है?
a) महानदी
b) कृ ष्णा
c) तुंगभद्रा
d) तापी
उत्तर- d)तापी
प्रश्न 2 ननम्नलिन्हखत प्रश्नों के उत्तर संल�प्त में दीलिए-
1. िि ववभािक का क्या अथव है? एक उदाहरण दीलिए।
उत्तर- कोई उ�भूमम िैसे पववत िो दो पडोसी अपवाह द्रोलणयों को अिग करता है उसे िि
ववभािक कहा िाता है। उदाहरणत: ससिंधु और गंगा नदी तंत्र के बीच का िि ववभािक।
अंबािा इसके िि ववभािक पर स्थस्थत है।
2. भारत में सबसे ववशाि नदी द्रोणी कौन-सी है?
उत्तर - भारत की सबसे ववशाि नदी द्रोणी गंगा नदी की द्रोणी है। गंगा नदी की िंबाई
2,500 दकमी है।
3. ससिंधु एवं गंगा नददयाँ कहाँ से ननकिती हैं?
उत्तर - ससिंधु नदी नतब्बत में मानसरोवर झीि के पास से ननकिती है। गंगा नदी गंगोत्री
नामक हहमानी से ननकिती है िो हहमािय की दल�णी ढिान पर स्थस्थत है।
4. गंगा की दो मुख्य धाराओं के नाम लिन्हखए? ये कहाँ पर एक-दूसरे से ममिकर गंगा नदी का
ननमावण करती हैं?
(13)
अपवाह 03
उत्तर - अिकनंदा और भागीरथी गंगा की दो मुख्य धाराएँ हैं। ये दोनों देवप्रयाग में ममिकर
गंगा नदी का ननमावण करती हैं।
5. िंबी धारा होने के बाविूद नतब्बत के �ेत्रों में ब्रह्मपुत्र में कम गाद क्यों है?
उत्तर - नतब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी को सांपो कहा िाता है तथा नतब्बत में इसे बहुत कम पानी
प्राप्त होता है इसलिए इसमें नतब्बत के �ेत्रों में कम गाद पाई िाती है। इसके ववपरीत िब
यह नदी भारत में प्रवेश करती है तो यह ऐसे �ेत्रों से गुिरती है िहाँ बहुत अमधक वर्ाव होती
है। यहाँ नदी बहुत अमधक पानी िेकर िाती है और इसी कारण इसमें गाद की मात्रा भी बढ़
िाती है। क्योंदक नतब्बत का मौसम ठण्डा व शुष्क है, इसलिए नतब्बत में इसे बहुत कम
पानी प्राप्त होता है और इस �ेत्र में गाद भी कम पाई िाती है।
6. कौन-सी दो प्रायद्वीपीय नददयाँ गतव से होकर बहती हैं? समुद्र में प्रवेश करने के पहिे वे
दकस प्रकार की आकृ नतयों का ननमावण करती हैं?
उत्तर - दो प्रायद्वीपीय नददयाँ िो गतव से होकर बहती हैं वे नमवदा और तापी हैं। वे समुद्र में
प्रवेश में करने से पहिे ज्वारनदमुख का ननमावण करती हैं।
7. नददयों तथा झीिों के कु छ आर्थथक महत्त्व को बताएँ।
उत्तर - नददयाँ एवं झीिें नदी के बहाव को ननयंत्रत्रत करती हैं। ये अनत-वृत्रष्ट् के समय बाढ़
को रोकती हैं। अनावृत्रष्ट् के समय ये पानी के बहाव को बनाए रखती हैं। इनका उपयोग
ििववद्युत उत्पादन के लिए दकया िाता है। ये आस-पास की ििवायु को मृदु बनाती हैं
तथा ििीय पररतंत्र का संतुिन बनाए रखती हैं। ये प्राकृ नतक सौंदयव में वृलि करती हैं तथा
पयवटन का ववकास करने में सहायता प्रदान करती हैं और मनोरंिन करती हैं।
प्रश्न 3 नीचे भारत की कु छ झीिों के नाम ददए गए हैं। इन्हें प्राकृ नतक एवं मानवननर्थमत वगों में
बाँहटए-
• वूिर
• डि
• नैनीताि
(14)
अपवाह 03
• भीमताि
• गोनबन्द सागर
• िोकताक
• बारापानी
• मचिा
• सांभर
• राणाप्रताप सागर
• ननिाम सागर
• पुलिकट
• नागािुवन सागर
• हीराकु ण्ड
उत्तर-
प्राकृ वतक झ़ील मानवननर्ममत झ़ील
वूिर गोववन्द सागर
डि राणा प्रताप सागर
नैनीताि ननिाम सागर
भीमताि नागािुवन सागर
िोकताक हीराकु ण्ड
बारापानी
मचिा
सांभर
पुलिकट
प्रश्न 4 हहमािय तथा प्रायद्वीपीय नददयों के मुख्य अंतरों को िष्ट् कीलिए।
उत्तर- हहमािय तथा प्रायद्वीपीय नददयों में ननम्नलिन्हखत अंतर है-
(15)
अपवाह 03
क्रमांक
संख्या
हहमालय से ननकलने वाल़ी नदियााँ प्रायद्वीप़ीय भारत की नदियााँ
1.
इन नददयों से नहरें ननकािना आसान
और अमधक उपयोगी है। इनके िि का
उपयोग ससिंचाई और िि ववद्युत दोनों में
खूब दकया िाता है।
इन नददयों से नहरें ननकािना कठठन है। अतः
सीममत �ेत्रों में ही ससिंचाई हो पाती है।
2.
इन नददयों ने देश के ववस्तृत उपिाऊ
मैदान का ननमावण कर, देश को
कृ पर्प्रधान बनाया है।
ये नददयाँ तेि ढाि वािे �ेत्रों तथा पथरीिे
भागों में बहती हैं। अतः िि ववद्युत के न्द्रों की
स्थापना कर, िि ववद्युत के ननमावण के लिए
अमधक उपयोगी हैं।
3.
देश का कु ि संभाववत िि ववद्युत �मता
को 60 प्रनतशत प्रनतशत भाग हहमािय
की नददयों में है।
इन नददयों में देश की संभाववत ििशक्तक्त का
40
भाग पाया िाता है।
4.
समति भू-भाग से होकर बहने के कारण
से नाव्य नददयाँ हैं।
ये नददयाँ मागव में प्रपात बनाती चिती हैं।
अतः नाव्य नहीं हैं। तटीय मैदानों में ही ये
नाव्य हैं।
5.
हहमािय पववत से ननकिने वािी
अमधकांश नददयाँ हहमाननयों से िन्मी हैं।
प्रायद्वीपीय भारत की नददयाँ वर्ाव के िि
अथवा भूममगत िि पर ननभवर हैं। यहाँ कोई
हहमानी नहीं है।
6.
इन नददयों में िि वर्व भर पयावप्त मात्रा
में ममिता है।
शुष्क मौसम में यहाँ की अमधकांश नददयाँ सूख
िाती हैं, शेर् की ििधारा बहुत पतिी हो
िाती है। अतः ये नददयाँ सदानीरा होती हैं।
प्रश्न 5 प्रायद्वीपीय पठार के पूवव एवं पलिम की ओर बहने वािी नददयों की तुिना कीलिए।
उत्तर- पूवव एवं पलिम की ओर बहने वािी नददयों में प्रमुख अंतर इस प्रकार है-
क्रमांक
संख्या
पूवम की ओर बहने वाल़ी नदियााँ पजिम की ओर बहने वाल़ी नदियााँ
(16)
अपवाह 03
1.
कृ ष्णा, कावेरी, गोदावरी, महानदी
पूवव की ओर बहने वािी नददयाँ हैं।
नमवदा एवं तापी पलिम की ओर बहने वािी नददयाँ
हैं।
2.
पूवव की ओर बहने वािी नददयाँ
बंगाि की खाडी में मगरती हैं।
ये नददयाँ अरब सागर में मगरती हैं।
3.
इन नददयों का अपवाह तंत्र ववकससत
तथा आकार में बडा है।
इन नददयों का अपवाह तंत्र ववकससत नहीं है।
उनकी सहायक नददयाँ आकार में छोटी होती हैं।
4.
ये नददयाँ बहुत गहराई में नहीं बहती
हैं।
ये नददयाँ गतव से होकर बहती हैं।
5.
ये नददयाँ पूवीी तट पर बडे डेल्टा का
ननमावण करती हैं।
ये नददयाँ डेल्टा की बिाय ज्वारनद का ननमावण
करती हैं।
6.
मुहाने के ननकट इन नददयों की गनत
बहुत मंद हो िाती है।
मुहाने के ननकट इन नददयों की गनत बहुत तेि
होती है।
7.
इन नददयों की िंबाई अमधक होती
है।
इन नददयों की िंबाई कम होती है।
प्रश्न 6 दकसी देश की अथवव्यवस्था के लिए नददयाँ महत्त्वपूणव क्यों हैं?
उत्तर- नददयाँ दकसी देश की अथवव्यवस्था के लिए महत्त्वपूणव हैं। कु छ नबन्दु िो नददयों की महत्ता
को प्रदर्शशत करते हैं वे नीचे ददए गए हैं-
• नददयों से हमें प्राकृ नतक तािा मीठा पानी ममिता है िो मनुष्य सहहत अमधकतर िीव-िंतुओं
के िीवन के लिए आव�क है।
• ये नई मृदा नबछाकर उसे खेती योग्य बनाती हैं लिससे नबना अमधक मेहनत के इस पर खेती
की िा सके ।
• नददयों के तटों ने प्राचीनकाि से ही आददवाससयों को आकर्षर्त दकया है। ये बस्थस्तयाँ कािांतर
में बडे शहर बन गए।
• ये िि के बहाव को ननयंत्रत्रत करने में सहायता करती हैं।
• ये भारी वर्ाव के समय बाढ़ को रोकती हैं।
(17)
अपवाह 03
• ये शुष्क मौसम के दौरान पानी का एक समान बहाव बनाए रखती हैं।
• इनकी सहायता से िि-ववद्युत पैदा की िाती है।
• ये आस-पास के वातावरण को मृदु बना देती हैं।
• ये ििीय पररतंत्र को बनाए रखती हैं।
• ये प्राकृ नतक सौन्दयव में वृलि करती हैं।
• ये पयवटन का ववकास करने में सहायता प्रदान करती हैं और मनोरंिन करती हैं।
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experience and learning outcomes. Here are some of the key benefits you can
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educational materials tailored to their class level. This includes various formats such
as PDFs, Word files, PowerPoint presentations, lesson plans, worksheets, practical
tips, viva questions, reference books, smart content, curriculum details, syllabus,
marking schemes, exam patterns, and blueprints. This rich assortment of resources
enhances teaching and learning experiences.
Immediate Doubt Resolution: The group facilitates quick clarification of doubts.
Members can seek assistance by sending messages, and experts promptly respond
to queries. This real-time interaction fosters a supportive learning environment
where educators and students can exchange knowledge and address concerns
effectively.
Access to Previous Years' Question Papers and Topper Answers: The group
provides access to previous years' question papers (PYQ) and exemplary answer
scripts of toppers. This resource is invaluable for exam preparation, allowing
individuals to familiarize themselves with the exam format, gain insights into scoring
techniques, and enhance their performance in assessments.
Free and Unlimited Resources: Members enjoy the benefit of accessing an array of
educational resources without any cost restrictions. Whether its study materials,
teaching aids, or assessment tools, the group offers an abundance of resources
tailored to individual needs. This accessibility ensures that educators and students
have ample support in their academic endeavors without financial constraints.
Instant Access to Educational Content: SOE WhatsApp groups are a platform where
teachers can access a wide range of educational content instantly. This includes study
materials, notes, sample papers, reference materials, and relevant links shared by
group members and moderators.
Timely Updates and Reminders: SOE WhatsApp groups serve as a source of timely
updates and reminders about important dates, exam schedules, syllabus changes, and
academic events. Teachers can stay informed and well-prepared for upcoming
assessments and activities.
Interactive Learning Environment: Teachers can engage in discussions, ask questions,
and seek clarifications within the group, creating an interactive learning environment.
This fosters collaboration, peer learning, and knowledge sharing among group
members, enhancing understanding and retention of concepts.
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experts, teachers, or experienced educators can benefit from their guidance,
expertise, and insights on various academic topics, exam strategies, and study
techniques.
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