3rd Global Sanskrit Conference held in Mauritius

Viswanandputeea 2 views 12 slides Oct 03, 2025
Slide 1
Slide 1 of 12
Slide 1
1
Slide 2
2
Slide 3
3
Slide 4
4
Slide 5
5
Slide 6
6
Slide 7
7
Slide 8
8
Slide 9
9
Slide 10
10
Slide 11
11
Slide 12
12

About This Presentation

GSF 3rd Sanskrit Conference


Slide Content

शोध-शीर्षक संस्कृत और हिन्दी भाषा का अंत : संबंध - एक भाषाई अध्ययन ************** प्रस्तुतकर्ता डॉ . कीर्ति देवी रमजतन महात्मा गांधी संस्थान ०६ . ०९ . २०२४

परिचय संस्कृत भारतीय भाषाओं की जननी है । हिंदी संस्कृत से विकसित हुई है । संस्कृत और हिंदी के गहरे संबंधों का विश्लेषण ।

संस्कृत और हिंदी भाषा के मध्य अध्ययन के पहलू शब्दावली संस्कृत से हिंदी में आए तत्सम और तद्भव शब्दों का विश्लेषण । व्याकरण दोनों भाषाओं की व्याकरणिक संरचनाओं जैसे कारक, संधि, समास, प्रत्यय आदि का तुलनात्मक अध्ययन । ध्वन्यात्मक परिवर्तन संस्कृत से हिंदी में ध्वनि और उच्चारण में हुए परिवर्तनों का अध्ययन । साहित्यिक प्रभाव संस्कृत साहित्य का हिंदी साहित्य पर पड़ने वाले प्रभाव का विश्लेषण ।

उद्देश्य संस्कृत और हिंदी के भाषाई संबंधों को समझना । हिंदी की शब्दावली, व्याकरण और साहित्य पर संस्कृत के प्रभाव का विश्लेषण ।

शब्दावली तत्सम शब्द : संस्कृत से बिना परिवर्तन के (जैसे: अग्नि, सूर्य) । तद्भव शब्द : संस्कृत से परिवर्तित शब्द (जैसे: अग्नि → आग, सूर्य → सूरज) । उच्चारण में अंतर : संस्कृत में सभी वर्णों का उच्चारण, हिंदी में अंतिम ‘अ’ का उच्चारण नहीं ।

व्याकरण संस्कृत और हिंदी व्याकरण की तुलना कारक : दोनों भाषाओं में समान । संस्कृत में विभक्ति-प्रत्यय शब्द का अंग, हिंदी में अलग । उदाहरण : संस्कृत - ‘गोपलाय’, हिंदी - ‘गोपाल के लिए’

संधि और समास संधियुक्त शब्दावली जगत् + ईश = जगदीश सूर्य + उदय = सूर्योदय देव + आलय = देवालय सामासिक शब्दावली दो या दो से अधिक शब्दों का मेल लंबे वाक्यों को संक्षिप्त रूप में व्यक्त करना । उदाहरण: यथाशक्ति नीलकण्ठ चन्द्रमुखी त्रिलोचन

संस्कृत और हिंदी में प्रत्ययों का प्रयोग संस्कृत भाषा में प्रत्ययों का प्रयोग - विस्तृत और गहन - शब्दों को अर्थ-विस्तार और व्याकरणिक स्वरूप प्रदान करना । - ‘सुप्तिङन्तं पदम्’ सूत्र - प्रत्येक पद में प्रत्यय का होना अनिवार्य । - कृत् प्रत्यय: क्रिया से संज्ञा, विशेषण आदि (जैसे: कर्तृ, कारक) - तद्धित प्रत्यय: संज्ञा से अन्य संज्ञा, विशेषण आदि । हिंदी भाषा में प्रत्ययों का प्रयोग - सरल और सीमित - नए शब्दों के निर्माण और अर्थ-विस्तार के लिए - कम जटिल - संस्कृत की तुलना में

ध्वन्यात्मक परिवर्तन सरलीकरण ज्ञ → ग्य (ज्ञान → ग्यान) । ष → श या स (मूर्धन्य से दंत्य) । ह्रस्व और दीर्घ मात्राओं का अंतर कम ।

संस्कृत साहित्य का प्रभाव संस्कृत साहित्य के विभिन्न रूप काव्य, महाकाव्य, गद्य, पद्य, एकांकी इत्यादि । हिंदी साहित्य ने संस्कृत साहित्य से गहरा प्रभाव लिया । इन सभी विधाओं को अपना उपजीव्य बनाया । संस्कृत महाकाव्यों से प्रेरणा लेकर हिंदी के अनेक कवियों ने रचनाएं कीं । संस्कृत के महान नाटककारों की कृतियों का गहरा प्रभाव हिंदी साहित्यकारों पर देखा जा सकता है ।

निष्कर्ष सारांश : हिंदी भाषा का विकास संस्कृत पर आधारित है । दोनों भाषाओं के गहरे सांस्कृतिक और भाषाई संबंध । भविष्य का शोध : भाषाई अध्ययन को और गहन करना । हिंदी से संस्कृत की समझ को बढ़ाना ।

धन्यवाद! 🙏
Tags