About c v ramman

kfhulkoti 276 views 18 slides Dec 02, 2014
Slide 1
Slide 1 of 18
Slide 1
1
Slide 2
2
Slide 3
3
Slide 4
4
Slide 5
5
Slide 6
6
Slide 7
7
Slide 8
8
Slide 9
9
Slide 10
10
Slide 11
11
Slide 12
12
Slide 13
13
Slide 14
14
Slide 15
15
Slide 16
16
Slide 17
17
Slide 18
18

About This Presentation

sir c v ramman


Slide Content

गदग पब्लिक स्कूल, गदग

विषय : महान वैज्ञानिक चंद्रशेखर वेंकट रामन (C V Raman)

द्वारा मुस्कान मुस्कान पृथ्वी युकथा कीरतना आशीतोश चिराग

सी वी रामन  का जन्म   दक्षिण भारत के त्रिचुनापल्ली में पिता चंद्रशेखर अय्यर व माता पार्वती अम्मा के घर में 7 नवंबर 1888 को जन्मे भौतिक शास्त्री चंद्रशेखर वेंकट रमन उनके माता पिता के दूसरे नंबर की संतान थे। उनके पिता चंद्रशेखर अय्यर महाविद्यालय में भौतिक विज्ञान के प्रवक्ता थे। 

रामन की पढ़ाई और नौकरी बेहतर शैक्षिक वातावरण में पले बढ़े सीवी रमन ने अनुसंधान के क्षेत्र में कई कीर्तिमान स्थापित किए। भारत में विज्ञान को नई ऊंचाइयां प्रदान करने में उनका काफी बड़ा योगदान रहा है।

प्रेसीडेंसी कॉलेज मद्रास से भौतिक विज्ञान से स्नातकोत्तर की डिग्री लेने वाले श्री रमन को गोल्ड मैडल प्राप्त हुआ। भारत सरकार ने भी विज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के उन्हें भारत रत्न सम्मान से नवाजा। साथ ही संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा दिए जाने वाले प्रतिष्ठित लेनिन शांति पुरस्कार से उन्हें सम्मानित किया गया। 

वैज्ञानिक के तौर पर दुनियाभर में जाने गए रमन की गणित में जबर्दस्त रूचि थी और उनकी पहली नौकरी कोलकाता में भारत सरकार के वित्त विभाग में सहायक महालेखाकार की थी। देश को आजादी मिलने के बाद 1947 में भारत सरकार ने उन्हें राष्ट्रीय प्रोफेसर नियुक्त किया था।

सी वी रामन की उपलब्धि:  भौतिकी विशेषज्ञ सर सीव. रमन द्वारा 'रमन इफैक्ट' की खोज के उपलक्ष्य में 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने ही पहली बार तबले और मृदंगम के संनादी (हार्मोनिक) की प्रकृति का पता लगाया था।

पुरस्कार विज्ञान के क्षेत्र में योगदान के लिए अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उन्हें वर्ष 1929 में नाइटहुड, वर्ष 1954 में भारत रत्न तथा वर्ष 1957 में लेनिन शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले सीवी रमन पहले  भारतीय वैज्ञानिक  बने।

रामन प्रभाव 'रमन प्रभाव' की खोज भारतीय भौतिक शास्त्री सर सीवी रमन द्वारा दुनिया को दिया गया विशिष्ट उपहार है। इस खोज के लिए उन्हें विश्व प्रतिष्ठित पुरस्कार नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था और भारत में इस दिन को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है।

रामन प्रभाव 'रमन प्रभाव' विश्व को दिए गए इस अनूठी खोज के बाद ही उन्हें वर्ष 1930 में प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।  पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम जहां वीणा वादन कर अपने तनावों से मुक्ति पाते हैं और प्रख्यात वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन वायलिन बजाते थे, वहीं रमन की रूचि वाद्ययंत्रों में दूसरे तरीके की थी।

संगीत उन्होंने संगीत वाद्य यंत्रों के एकास्टिक पर काम किया और वह ऐसे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने भारतीय वाद्य यंत्र तबला तथा मृदंगम के संनादी (हार्मोनिक) प्रकृति का भी पता लगाया था। इतना ही नहीं शायद इस वैज्ञानिक के दिमाग में भारत में आने वाले समय में व्यापारिक आवश्यकताओं का खाका भी था और उन्होंने डॉ. कृष्णमूर्ति के साथ मिलकर  त्रावणकोर मैन्युफैक्चरिंग लिमिटेड  कंपनी बनाई। पिछले 60 सालों में इस कंपनी के दक्षिण भारत में चार कारखाने स्थापित हुए हैं।

विज्ञान की सेवा करते करते  21 नवंबर 1970  को बेंगलुरू में उनका  निधन  हो गया।

सम्मान और पुरस्कार बिड़ला औद्योगिक एवं प्रौद्योगिकीय संग्रहालय के बगीचे में रखा गया है जो चंद्रशेखर वेंकट रमन की फोड़ो. रमन मानद डॉक्टरेट और वैज्ञानिक समाज की सदस्यता की एक बड़ी संख्या के साथ सम्मानित किया गया. उन्होंने अपने व्यवसाय की शुरुआत (1924) में रॉयल सोसाइटी के फैलो चुने गए और 1929 में नाइट की उपाधि दी गई थी. 1930 में उन्होंने भौतिकी में नोबेल पुरस्कार जीता. 1941 में उन्होंने फ्रेंकलिन पदक से सम्मानित किया गया था. 1954 में वह भारत रत्न से सम्मानित किया गया. वह 1998 में 1957 में लेनिन शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया, विज्ञान की खेती के लिए अमेरिकन केमिकल सोसायटी और भारतीय संघ एक अंतर्राष्ट्रीय ऐतिहासिक रासायनिक मील का पत्थर के रूप में रमन की खोज को मान्यता दी. भारत 1928 में रमन प्रभाव की खोज की स्मृति में हर साल 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाता है.

सी वी रमन पर किताबें

सी वी रमन के परिवार और दोस्त
Tags