मानवविज्ञान क्या है ? मानवविज्ञान ( Anthropology) मनुष्य का समग्रता में अध्ययन करता है , जिसके विषय क्षेत्र में मानविकी एवं विज्ञान सम्मिलित हैं। एक वृहत विषय होने के कारण इसे चार शाखाओं में बांटा गया है , जिसके अंतर्गत जैविक मानवविज्ञान ( Biological Anthropology), प्रागैतिहासिक मानवविज्ञान ( Archaeological Anthropology), सामाजिक-सांस्कृतिक मानवविज्ञान ( Social-Cultural Anthropology) एवं भाषाई मानवविज्ञान ( Linguistic Anthropology) आते हैं। जैविक मानवविज्ञान का अध्ययन क्षेत्र मानव शरीर रचना , आनुवांशिकी , अस्थिविज्ञान आदि हैं। प्रागैतिहासिक मानवविज्ञान में मानव के अलिखित इतिहास एवं उसके विकास का अध्ययन तो दूसरी तरफ भाषाई मानवविज्ञान में भाषा एवं उससे संबन्धित अन्य आयामों के अध्ययन से संबंधित है। सामाजिक-सांस्कृतिक मानवविज्ञान मानव समाज एवं उसकी संस्कृति का अध्ययन किया जाता है। सामाजिक और जीव विज्ञान के विद्यार्थियों के लिए मानवविज्ञान को एक आसान विषय माना जाता है। यह विषय विज्ञान की अवधारणाओं से ओतप्रोत है। इससे विज्ञान के छात्रों के लिए विषय को समझना आसान हो जाता है
विभागीय विशेषताएं : एथोनोग्राफिक संगहालय आधुनिक उपकरणों से समृद्ध प्रयोगशाला जनजातीय क्षेत्र में क्षेत्रकार्य अनुभव जनजातीय संशोधन एवं प्रशिक्षण संस्थान ( TRTI) के साथ अनुबंधित शोध परियोजनाएं
शैक्षणिक सदस्य : - प्रो. फरहद मलिक - डॉ. वीरेन्द्र प्रताप यादव - डॉ. निशीथ राय - डॉ.अर्चना भालकर - श्री भवेंद्र कुमार पाटिल