Authoritarian Theories

Chandankumar2050 31 views 5 slides Apr 27, 2020
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Normative theories of media


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प्रभुत्ववादी सिद्धांत (Authoritarian Theories)

समाज की अपनी सामाजिक व राजनैतिक व्यवस्था होती है । कुछ नियम व आदर्श होते हैं । इसी व्यवस्था के तहत नियम व आदर्श को ध्यान में रखकर संचार माध्यमों को अपना कार्य करना पड़ता है । संचार माध्यमों के प्रभाव से सामाजिक व राजनैतिक व्यवस्था न केवल प्रभावित , बल्कि परिवर्तित भी होती है । यहीं कारण है कि संचार विशेषज्ञ सदैव यह जानने के लिए प्रयासरत रहते है कि समाज का सामाजिक व राजनैतिक परिवरेश कैसा है ? किसी देश व समाज के संचार माध्यमों को समझने के लिए उस देश व समाज की आर्थिक व राजनैतिक व्यवस्था , भौगोलिक परिस्थिति तथा जनसंख्या को जानना महत्वपूर्ण है , क्योंकि इसके अभाव में संचार माध्यमों का विकास व विस्तार असंभव है ।  

इस सम्बन्ध में संचार विशेषज्ञ   फ्रेडरिक सिबर्ट , थियोडोर पीटरसन तथा विलबर श्राम ने 1956 में प्रकाशित अपनी चर्चित पुस्तक Four Theories of the Press के अंतर्गत प्रेस के चार प्रमुख सिद्धांतों की विस्तृत व्याख्या की है , जिसे नियामक सिद्धांत कहा जाता है । जो निम्नलिखित हैं प्रभुत्ववादी सिद्धांत ( Authoritarian Theories) उदारवादी सिद्धांत ( Libertarian Theories) सामाजिक उत्तरदायित्व का सिद्धांत (Social Responsibility Theories) साम्यवादी मीडिया सिद्धांत ( Communist Media Theories) इन चारों सिद्धांतों का प्रतिपादन प्रेस के संदर्भ में किया गया है । बाद में संचार विशेषज्ञों ने इसे मास मीडिया के संदर्भ में देखते हुए दो अन्य सिद्धांतों को प्रतिपादित करके जोड़ा है । लोकतांत्रिक भागीदारी का सिद्धांत (Democratic Participant Theories) विकास माध्यम सिद्धांत (Development Media Theories)  

प्रभुत्ववादी सिद्धांत (Authoritarian Theories) प्राचीन काल के शासकों का अपने साम्राज्य पर पूर्ण नियंत्रण होता था । उसे सर्वशक्तिमान तथा ईश्वर का दूत माना जाता था । ग्रीक दार्शनिक प्लेटो ने अपने दार्शनिक राजा के सिद्धांत में शक्तिशाली राजा का उल्लेख किया है । प्रभुत्ववादी या निरंकुश शासन-व्यवस्था में व्यक्ति व समाज के पास कोई अधिकार नहीं होता है । उसके लिए शासक वर्ग की आज्ञा का पालन करना अनिवार्य होता है । ऐसी व्यवस्था में शासक को उसके कार्यों के लिए उत्तरदायी ठहराने के लिए विधि का अभाव होता है । मध्य युगीन इटली के दार्शनिक मेकियावली ने अपनी पुस्तक   The Prince में शासक को सत्ता के लिए सभी विकल्पों का प्रयोग करने का उल्लेख किया है ।  

लाइसेंस प्रणाली : प्राचीन काल में शासक वर्ग ने प्रेस पर प्रभावी तरीके से नियंत्रण रखने के लिए प्रिंटिंग प्रेस लगाने के लिए लाइसेंस अनिवार्य कर दिया । शासक वर्ग को नजर अंदाज करने पर लाइसेंस रद्द करने की व्यवस्था थी ।    सेंसरशिप कानून : लाइसेंस लेने के बावजूद प्रेस को कुछ भी प्रकाशित करने का अधिकार नहीं था । सेंसरशिप कानून के अनुपालन तथा सत्ता विरोधी सामग्री के प्रकाशन पर प्रतियों का प्रसारण रोकने का अधिकार शासक वर्ग के पास था ।    सजा : शासक वर्ग की नीतियों के विरूद्ध कार्य करने पर जुर्माना व कारावास के सजा की व्यवस्था थी ।
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