“और जब मुझे इन सब बात? का एहसास _आ, तो मyने यह संकhप ?कया ?क मy ?ज़ंदगी क? तमाम अRछी
चीजv हािसल करके र`ँगा। मy उन लोग? जैसा नहm बनूंगा, जो दूर खड़े रहते हy और सुखी लोग? से ईlयाE करते हy।
मy सmते कपड़? मv संतु? नहm र`ंगा, िजनमv लोग सeमानजनक ?दखने क? कोिशश करते हy। मy गरीब आदमी क?
?ज़ंदगी से संतु? नहm र`ँगा । इसके िवपरीत, मy बेहतरीन चीज़? के इस ज? मv खुद को एक सeमािनत अितिथ
बनाऊँगा।”
“जैसा तुम लोग जानते हो, मेरे िपता एक छोटे ?ापारी थे और हमारा प?रवार बड़ा था, इसिलए मुझे
िवरासत मv कुछ िमलने क? ज़रा भी उeमीद नहm थी। जैसा तुम लोग? ने कहा है, मुझमv ती? बुि? या िवशेष
योOयता भी नहm थी। इसिलए मyने फ़ैसला ?कया ?क अगर मy अपनी इRछा पूरी करना चाहता _ँ, तो इसके िलए
मुझे समय और Dान क? ज़hरत हy।”
“जहाँ तक समय का सवाल है, यह सबके पास ?चुरता मv होता है। तुम सबके पास दौलतमंद बनने के िलए
काफ़? समय था, िजसे तुमने बबाEद कर ?दया है। तुम लोग? के अनुसार तुeहारे पास संपिk के नाम पर िसफ़E
तुeहारे प?रवार हy, जो सचमुच गवE करने लायक हy।”
“जहाँ तक Dान का सवाल है, तुeहv याद होगा, हमारे बुि?मान अ_यापक ने हम सबको यह िसखाया था ?क
Dान दो तरह का होता है : एक तरह का Dान वह होता है, जो हम सीखते और जानते हy। और दूसरी तरह का
Dान यह ?िशCण है ?क हम उस चीज़ का पता कैसे लगाएँ, िजसे हम नहm जानते हy?”
“इसिलए मyने यह पता लगाने का फैसला ?कया ?क दौलत का सं?ह कैसे ?कया जा सकता है। मyने यह
संकhप ?कया ?क इसका तरीक़ा मालूम होते ही मy दौलत का सं?ह करने मv जुट जाऊँगा और इस काम को अRछी
तरह कhंगा। समझदारी इसी मv है ?क जब तक हम इस दुिनया मv हy, तब तक ?जंदगी का आनंद लv, Mय??क इस
दुिनया से जाने के बाद हमv पयाE? दुख िमलvगे।”
“मुझे ?रकॉडE hम मv नक़लनवीस का काम िमल गया। मy हर ?दन कई घंट? तक मृदाप? (िम?ी क? टेबलेWस)
पर मेहनत से िलखता रहा। महीन? मेहनत करने के बावज़ूद मy दौलत के नाम पर कुछ भी इक?ा नहm कर पाया।
भोजन, कपड़े, देवता? के ?ायि?त और न जाने ?कतनी चीज़? पर मेरी सारी कमाई ख़चE हो जाती थी। ले?कन
इसके बावज़ूद मेरा संकhप कम नहm _आ।”
?फर एक ?दन सा`कार अhग़ेिमश िसटी माmटर के घर पर आए। उ`ह?ने नवv िनयम क? नक़ल माँगी और
मुझसे कहा, ‘मुझे यह दो ?दन मv चािहए, और अगर यह काम उस समय तक पूरा हो गया, तो मy तुeहv ताँबे के दो
िस?े दूँगा।’
मyने कड़ी मेहनत क?, परंतु वह िनयम लंबा था और जब अhग़ेिमश आए, तो काम अधूरा पड़ा था। वे नाराज़
होकर बोले ?क अगर मy उनका गुलाम होता, तो वे मेरी खाल उधेड़ लेते। बहरहाल, मy जानता था ?क िसटी
माmटर उ`हv मुझ पर हाथ नहm उठाने दvगे, इसिलए मुझे इस बात का डर नहm था। मyने उनसे कहा, ‘ अhग़ेिमश,
आप ब_त अमीर हy। मुझे बताएँ ?क मy भी अमीर कैसे बन सकता `ँ। अगर आप ऐसा करने का वायदा करv, तो मy
सारी रात मृदाप? पर िलखूँगा और सूरज उगने तक आपका काम पूरा हो जाएगा। ’
वे मेरी तरफ़ देखकर मुmकराए और बोले, “तुम ब_त ही दुmसाहसी हो, परंतु मुझे यह सौदा मंजूर है।’
“मy पूरी रात िलखता रहा, हालाँ?क मेरी कमर मv ददE हो रहा था, तेल क? बदबू से मेरा िसर घूम रहा था
और मेरी आँख? के सामने अँधेरा छा रहा था। ले?कन जब वे सुबह आए, तो िनयम क? पूरी नक़ल तैयार हो चुक?
थी।”
?फर मyने उनसे कहा, ‘अब आप अपना वायदा पूरा करv।’
“वे दयालुता से बोले, ‘तुमने सौदे का अपनी तरफ़ वाला िहmसा पूरा कर िलया है, बेटे! और मy अपना
िहmसा पूरा करने के िलए तैयार `ँ। मy तुeहv वे सब बातv बताऊँगा, जो तुम जानना चाहते हो, Mय??क मy बूढ़ा हो
रहा `ँ और बूढ़े लोग? को मुँह चलाना अRछा लगता है। जब युवक बूढ़े लोग? के पास सलाह लेने आते हy, तो उ`हv
अनुभव से हािसल Dान िमलता है। परंतु अMसर युवक यह मान लेते हy ?क बूढ़े लोग? के पास जो Dान है, वह गुज़रे
जमाने का Dान है और वतEमान मv उससे कोई लाभ नहm होगा। यही वजह है ?क वे उस Dान का लाभ नहm उठाते
हy। मगर एक बात हमेशा याद रखना, आज जो सूरज चमक रहा है, यह वही सूरज है जो तुeहारे िपता के जमाने
मv चमकता था और यह सूरज तब भी चमकता रहेगा, जब तुeहारे नाती–पोते इस दुिनया से चले जाएँगे।”
“उ`ह?ने आगे कहा, ‘युवा? के िवचार उन धूमकेतु? क? तरह होते हy, जो अMसर आसमान को चमकदार