Best Moral Story in Hindi - लोमड़ी और बगुला की कहानी
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Apr 18, 2025
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किसी नदी के किनारे एक लोमड़ी और बगुला रहते थे। दोनों में बहुत गहरी दोस्ती थी। जिसके कारण बगुला नदी से मछलियों को पकड़�...
किसी नदी के किनारे एक लोमड़ी और बगुला रहते थे। दोनों में बहुत गहरी दोस्ती थी। जिसके कारण बगुला नदी से मछलियों को पकड़कर लोमड़ी को खिलाता तथा लोमड़ी उसे नदी के बाहर की कुछ चीजे खिलाती थी।
एक दिन लोमड़ी ने बगुले से कहा- “कल आप हमारे यहाँ दावत पर आइए। मैं आपकों अपने हाथों से अच्छा पकवान बनाकर खिलाऊँगी। बगुला लोमड़ी की बातों को मान जाता हैं। अगले दिन जब वह लोमड़ी के घर पर पहुंचता हैं तो लोमड़ी उसे एक थाली में सूप पीने के लिए देती हैं।
लेकिन, सूप थाली की सतह पर फैला होने के कारण बगुला अपनी चोंच से सूप नहीं पी पाता हैं। बगुला बहुत भूखा था, उसके साथ ऐसे व्यवहार को देखकर वह बहुत दुखी हो जाता हैं। बगुला लोमड़ी से कहता हैं चलता हूँ दोस्त! कहकर उड़ जाता हैं। बगुला नदी पहुँचकर सोचता हैं कि लोमड़ी ने उसके साथ ठीक नहीं किया, उसने मेरा अपमान किया हैं।
अब बगुला लोमड़ी को मजा चखाना चाहता था। अगले दिन लोमड़ी से बगुले ने कहा – “दोस्त कल तुम मेरे यहां दावत पर आना मैं तुम्हें कुछ अच्छे पकवान खिलाऊँगा।” उसकी बातों को सुनकर लोमड़ी बहुत खुश होती हैं।
लोमड़ी अपने घर पहुँचकर सोचती हैं, अब मैं कल तक कुछ नहीं खाऊँगी।
जिससे अधिक भूख लग सके और कल अपने दोस्त के घर भरपेट भोजन करूंगी। अगले दिन भूखी लोमड़ी बगुले के पास पहुंची। बगुले ने मछली बनाई थी, जिसकी खुशबू इतनी अच्छी थी की लोमड़ी के मुहँ से पानी टपक रहा था। बगुले ने लोमड़ी को एक लंबे गिलास में कुछ पकी हुई मछलियों को डालकर खाने के लिए दिया।
लेकिन गिलास इतना गहरा था की उसका मुहँ नीचे तक नहीं जा पा रहा था। बगुला उसे खाने की विधि बताते हुए अपनी चोंच गिलास में डालकर सभी मछलियों को खा गई। अब लोमड़ी को ऐहसास होने लगा जैसा करोगे, वैसा भरोगे। उसने अपने किए पर बगुले से माँफी मांगी। बगुला उसे माँफ कर देता हैं। फिर से उन दोनों के बीच दोस्ती हो जाती हैं।
नैतिक सीख:
अगर आप मान सम्मान पाना चाहते हैं तो, पहले आपको दूसरों को सम्मान देना पड़ेगा।
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Added: Apr 18, 2025
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लोमड़ी और बगुलाकीकहानी
ककसी नदी के ककनारे एक लोमड़ी और बगुला रहते थे। दोनों में बहुत गहरी दोस्ती थी।
जिसके कारण बगुला नदी से मछललयों को पकड़कर लोमड़ी को खिलाता तथा लोमड़ी
उसे नदी के बाहर की कु छ चीिे खिलाती थी।
एक ददन लोमड़ी ने बगुले से कहा- “कल आप हमारे यहााँ दावत पर आइए। मैं आपकों
अपने हाथों से अच्छा पकवान बनाकर खिलाऊाँ गी। बगुला लोमड़ी की बातों को मान
िाता हैं। अगले ददन िब वह लोमड़ी के घर पर पहुुंचता हैं तो लोमड़ी उसे एक थाली में
सूप पीने के ललए देती हैं।
लेककन, सूप थाली की सतह पर फै ला होने के कारण बगुला अपनी चोंच से सूप नहीं पी
पाता हैं। बगुला बहुत भूिा था, उसके साथ ऐसे व्यवहार को देिकर वह बहुत �िी हो
िाता हैं। बगुला लोमड़ी से कहता हैं चलता हाँ दोस्त! कहकर उड़ िाता हैं। बगुला नदी
पहुाँचकर सोचता हैं कक लोमड़ी ने उसके साथ ठीक नहीं ककया, उसने मेरा अपमान
ककया हैं।
अब बगुला लोमड़ी को मिा चिाना चाहता था। अगले ददन लोमड़ी से बगुले ने कहा –
“दोस्त कल तुम मेरे यहाुं दावत पर आना मैं तुम्हें कु छ अच्छे पकवान खिलाऊाँ गा।”
उसकी बातों को सुनकर लोमड़ी बहुत िुश होती हैं।
लोमड़ी अपने घर पहुाँचकर सोचती हैं, अब मैं कल तक कु छ नहीं िाऊाँ गी।
जिससे अधिक भूि लग सके और कल अपने दोस्त के घर भरपेट भोिन करुं गी।
अगले ददन भूिी लोमड़ी बगुले के पास पहुुंची। बगुले ने मछली बनाई थी, जिसकी
िुशबू इतनी अच्छी थी की लोमड़ी के मुहाँ से पानी टपक रहा था। बगुले ने लोमड़ी को
एक लुंबे कगलास में कु छ पकी हुई मछललयों को डालकर िाने के ललए ददया।
लेककन कगलास इतना गहरा था की उसका मुहाँ नीचे तक नहीं िा पा रहा था। बगुला उसे
िाने की कवधि बताते हुए अपनी चोंच कगलास में डालकर सभी मछललयों को िा गई।
अब लोमड़ी को ऐहसास होने लगा िैसा करोगे, वैसा भरोगे। उसने अपने ककए पर
बगुले से मााँफी माुंगी। बगुला उसे मााँफ कर देता हैं। कफर से उन दोनों के बीच दोस्ती हो
िाती हैं।
अगर आप मान सम्मान पाना चाहते हैं तो, पहले आपको �सरों को सम्मान देना पड़ेगा।