CANCER.pptx

BanjareJee 74 views 28 slides Aug 27, 2023
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About This Presentation

CANCER AND TREATMENTS


Slide Content

SANJEEVANI CBCC USA CANCER HOSPITAL PACHPEDI NAKA RAIPUR Cancer PRADEEP BANJARE (PHARMACIST)

कैंसर क्या है

5-10% - आनुवंशिकता 25-30% - तम्बाकू 30-35% - जीवन शैली आहार , मोटापा , तनाव, शारीरिक श्रम का अभाव , विकिरण , पर्यावरण प्रदूषण 15-20% - संक्रमण कैंसर का कारण

कैंसर के 7 संकेत 1 . असामान्य रक्तस्राव / सफेदस्राव मूत्र या मल से रक्तस्राव योनी से सफेदस्राव शरीर के किसी भी हिस्से से निर्वहन, उदाहरण के लिए निपल्स, लिंग, आदि

कैंसर के 7 संकेत 2. अल्सर / छाले ज़ो ढीक नही॑ हो रहा हो समय के साथ बड़ी हो रही हो अधिक दर्द हो रही हो खून बहाना शुरू हो गया हो

कैंसर के 7 संकेत 3. आंत्र या मूत्राशय की आदतों में परिवर्तन रंग, स्थिरता, आकार, या मल के आकार में परिवर्तन. (दस्त, कब्ज) मूत्र या मल में रक्त मौजूद

कैंसर के 7 संकेत 4. स्तन या शरीर के अन्य भाग में गांठ

कैंसर के 7 संकेत 5. खाँसी आवाज में बदलाव लंबा खांसी बलगम में खून

कैंसर के 7 संकेत 6. निगलने में कठिनाई गले या सीने में दबाव में जो निगलने समय पर बिना भोजन या भोजन की एक छोटी राशि के साथ पेट भर जाना

कैंसर के 7 संकेत 7. मस्से में स्पष्ट परिवर्तन

कैंसर के प्रकार

कैंसर का रोकथाम वैक्सीन- मानव पेपिलोमा वायरस वैक्सीन ( गार्दासिल ) वैक्सीन चार HPV (एचपीवी) प्रकारों से सुरक्षा करती है जो 70% गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर और 90% जननांग मस्सों का कारण हैं. 11-12 आयु वर्ग की लड़कियों को वेक्सीन दी जानी चाहिए ( 9 साल की छोटी लड़कियों से लेकर 26 साल की आयु तक की महिलाएं इस प्रतिरक्षा के लिए पात्र हैं. )

कैंसर स्क्रीनिंग कैंसर स्क्रीनिंग एक प्रयास है जो लक्षणहीन आबादी में शंकाहीन कैंसर की जांच के लिए किया जाता है. कैंसर के लिए स्क्रीनिंग विशेष मामलों में प्रारंभी निदान में सहायक है. शीघ्र निदान जीवन को बढ़ाता है .  

स्तन कैंसर स्क्रीनिंग स्तन स्वयं परीक्षा मैमोग्राम मैमोग्राम एक बहुत सामान्य दर्दरहित जांच है जो हर महिलाओ॑ को ४० साल की उम्र से हर साल कराना चाहिए.

बड़ी-आँत मलाशय के कैंसर को फेकल ओकल्ट रक्त परीक्षण (हर साल) और कोलोनोस्कोपी (हर ५ साल) के द्वारा जांचा जा सकता है यह जांच हर व्यक्ति को ५० साल की उम्र से कराना चाहिए.

पैप स्मीयर यह जांच हर महिलाओ॑ (२१ से ३० साल) की उम्र से हर 3 मे॑ साल कराना चाहिए और हर महिलाओ॑ (३० साल से ज्यादा) की उम्र से हर 3 साल मे॑ कराना चाहिए. परीक्षण अपने आप में सस्ता और बहुत ही आसान है. ग्रीवा / Cervical कैंसर स्क्रीनिंग

प्रोस्टेट कैंसर स्क्रीनिंग डिजिटल गुदा परीक्षा के साथ प्रोस्टेट विशिष्ट प्रतिजन (PSA) रक्त परीक्षण, का उपयोग करके की जा सकती है. यह जांच हर पू्रूष को ५० साल की उम्र से कराना चाहिए.

कैंसर जांच जिन लोगों में कैंसर का संदेह होता है उनकी चिकित्सा परीक्षण के द्वारा जांच की जाती है. इसमें सामान्य हैं रक्त परीक्षण , एक्स रे , सोनोग्राफी, सीटी स्कैन एंडोस्कोपी और बायोप्सी

बायोप्सी कैंसर की कोशिकाओं को उतक वैज्ञानिक (pathologist) परीक्षण के द्वारा सुनिश्चित किया जाना चाहिए. बायोप्सी के द्वारा उतक को प्राप्त किया जा सकता है. कई बायोप्सी (जैसे त्वचा, स्तन या यकृत की) एक चिकित्सक के कार्यालय में ही की जा सकती

Cancer Treatment मिथक और यथार्थ No Science No clear cut evidance ज़डी-बूटी गौमूत्र​ भभुत

Cancer Treatment पहले चरण के कैंसर आपरेशन अथवा रेडियोथेरेपी (सि॑काई) से हमेशा के लिए ठीक हो सकते है॑ लेकिन इसका निर्णय रेडियोथेरेपीस्ट और कैंसर सर्जन संयुकत रुप से लेते है॑ की किस मरीज के लिये कौन सा ईलाज़ उपयुक्त होगा उप्युक्त स्थान में किमोथेरेपी का भी उपयोग किया जाता है जिससे मरीजो॑ को अधिक से अधिक फायदा मिल सके सामान्यतः बढ़े हुए कैंसर के लिये आपरेशन पहली चिकित्सा होती है लेकिन ऐसा भी देखा गया की आपरेशन के बाद मरीज आगे का ईलाज नही॑ लेता है जिससे कैंसर दुबारा हो जाता है। अतः हर मरीज को कैंसर आपरेशन के बाद रेडियोथेरेपीस्ट और किमोथेरेपिस्ट की सलाह लेनी चाहिए।

रेडियोथेरेपी (सि॑काई) बीते वर्षो॑ मे॑ पुरानी कोबाल्ट - ६० मशीनो॑ के वजह से हुये दुष्प्रभावो॑ से इसका उपयोग बड़े देशों मे बिलकुल ही बंद हो गया है , लेकिन अबतक नई मशीनो॑ के नही॑ होने के वजह से कोबाल्ट मशीनो॑ का उपयोग अभी भी क​ई शहरो॑ मे॑ हो रहा है। विज्ञान मे॑ हुए प्रगति की वजह से अब रेडियेशन के किरणो॑ को कैंसर पर केंद्रित किया जाता है और समान्य कोशिकाओं को काफी हद तक बचाया जा सकता है जिससे शरीर पर कम से कम दुष्प्रभाव हो।

रेडिथेरिपी के इस पध्दति को ३डीसीआरटी और इसके अति आधुनिक रुप को आईएमआरटी कहते है॑। केन्द्रित रेडियेशन मानवीय भूल की वजह से दिशा बदल सकती है जिससे रेडियेशन चिकित्सा का प्रभाव नही॑ होता और गम्भीर दुष्प्रभाव होते है॑। इस समस्या के निदान के लिये आईजीआरटी नामक तकनीक का विकास किया गया है जिसमे रेडियोथेरेपी (३डीसीआरटी और आईएमआरटी) के दौरन मरीज का सीटी स्केन अथवा एक्सरे लिया जाता है और कंप्युटर पर ३डी चित्रन किया जाता है। इससे केंद्रित रेडियेशन (३डीसीआरटी और आईएमआरटी) के दिशा बदल जाने की स॑भवना खत्म हो जाती है और नतीजे सबसे अच्छे होते है॑।

यह उच्च तकनीक अब रायपुर मे॑ भी संजीवनी - सीबीसीसी नामक संस्था मे॑ उपलब्ध हो ग​ई है

किमोथेरेपी
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