ccvrajbhasha niti hindi presentationx.pptx

Harit52 132 views 10 slides Sep 07, 2025
Slide 1
Slide 1 of 10
Slide 1
1
Slide 2
2
Slide 3
3
Slide 4
4
Slide 5
5
Slide 6
6
Slide 7
7
Slide 8
8
Slide 9
9
Slide 10
10

About This Presentation

dd hindi resentaion


Slide Content

राजभाषा: नियम, प्रगामी प्रयोग और अनुपालन केन्द्रीय विद्यालय महासमुंद कार्यशाला आयोजक: राजभाषा कार्यान्वयन समिति

सरकार की राजभाषा नीति भारत सरकार की राजभाषा नीति देश की भाषाई विविधता का सम्मान करते हुए हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। कानूनी प्रावधान इस नीति को विभिन्न कानूनी प्रावधानों, जैसे संविधान के अनुच्छेद और राजभाषा अधिनियम, द्वारा समर्थित किया गया है।

राजभाषा के संवैधानिक आधार भारतीय संविधान (1950) संविधान राजभाषा के उपयोग के लिए मूल ढांचा तैयार करता है, जिसमें अनुच्छेद 343 से 351 तक भाषा से संबंधित विशेष प्रावधान शामिल हैं। राजभाषा अधिनियम (1963) यह अधिनियम उन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए बनाया गया था, जिनके लिए संविधान में हिंदी को राजभाषा के रूप में अपनाया गया था। राजभाषा नियम (1976) ये नियम अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने और केंद्र सरकार के कार्यालयों में हिंदी के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए विस्तृत दिशानिर्देश प्रदान करते हैं।

संविधान में राजभाषा भारतीय संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों में राजभाषा के संबंध में विस्तृत प्रावधान किए गए हैं, जो केंद्र और राज्यों दोनों में भाषा के उपयोग को नियंत्रित करते हैं।

अनुच्छेद 343: संघ की राजभाषा संघ की राजभाषा संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी। शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयुक्त अंकों का स्वरूप भारतीय अंकों का अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप होगा। ३४३ अनुच्छेद संख्या १४ भाग ९ अध्याय

देवनागरी अंकों का प्रयोग भारत के राष्ट्रपति के 1952 के एक आदेश के अनुसार शासकीय प्रयोजनों के लिए, राज्यों के राज्यपाल, उच्चतम न्यायालय व अन्य न्यायालयों के न्यायाधीश देवनागरी अंकों का प्रयोग कर सकते हैं। यह आदेश देवनागरी अंकों को आधिकारिक उपयोग के लिए अधिकृत करता है, विशेषकर न्यायपालिका और राज्य प्रशासन में। ६ ५ ४ ८

अनुच्छेद 344: राजभाषा आयोग का गठन संविधान के अनुच्छेद 344 के तहत, 26 जनवरी, 1950 से 5 वर्ष की अवधि के बाद एक राजभाषा आयोग नियुक्त किया जाना था। इस आयोग का मुख्य कार्य संघ के सरकारी कामकाज में हिंदी के उत्तरोत्तर प्रयोग तथा अंग्रेजी के प्रयोग पर लगे प्रतिबंधों पर राष्ट्रपति को सिफारिशें देना था।

अनुच्छेद 345: राज्यों की राजभाषाएं भाषाई स्वतंत्रता प्रत्येक राज्य को अपने विधायी मंडल द्वारा कानून बनाकर, हिंदी को या राज्य में प्रयुक्त होने वाली किसी अन्य भाषा या भाषाओं को राजभाषा के रूप में अपनाने की स्वतंत्रता है। राज्य की विविधता यह प्रावधान राज्यों को उनकी विशिष्ट भाषाई और सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने की अनुमति देता है, जिससे भाषाई विविधता को बढ़ावा मिलता है।

अनुच्छेद 346: राज्यों और संघ के बीच संचार की भाषा एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच अथवा संघ और राज्य के बीच संचार की भाषा वह होगी जो उस समय केंद्र द्वारा प्रयोग के लिए अधिकृत है। यह सुनिश्चित करता है कि अंतर-राज्यीय संचार और केंद्र-राज्य संचार में एक सुसंगत भाषा नीति का पालन किया जाए। अंतर-राज्यीय संचार केंद्र-राज्य संचार केंद्र द्वारा अधिकृत भाषा

अनुच्छेद 347: अल्पसंख्यकों की भाषाओं को मान्यता "यदि किसी राज्य की जनसंख्या का कोई भाग अपनी भाषा द्वारा बोली जाने वाली किसी विशेष भाषा को राज्य द्वारा मान्यता दिए जाने की मांग करता है, तो राष्ट्रपति उस भाषा को राज्य में मान्यता प्रदान कर सकते हैं।" यह अनुच्छेद भाषाई अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करता है और उन्हें अपनी भाषाओं को सरकारी उद्देश्यों के लिए मान्यता दिलाने का अवसर प्रदान करता है।
Tags