कम्युनिकेशन स्किल्स क्या है? कम्युनिकेशन को हिंदी में संचार या सम्प्रेक्षण कहते हैं। इसका उद्भव लैटिन भाषा में “ Communis ” शब्द से हुआ हैं। कम्युनिकेशन का अर्थ होता है सूचना का आदान-प्रदान। कम्युनिकेशन का मतलब है ] आप अपनी बात को लोगों के सामने कितने प्रभावी रूप से रखते हैं। किसी व्यक्ति से आपके बात करने के तरीके को कम्युनिकेशन स्किल्स कहते हैं।
कम्युनिकेशन स्किल्स के प्रकार i <+ uk (reading) Lkquuk (listening) fy [ kuk (writing) Ckksyuk (speaking)
संचार ÁfØ;k
संचार के अंग प्रेषक ( Sender ): वह व्यक्ति है जो अपने विचारों को दूसरे व्यक्ति तक पहुंचते है, उस प्रेषक कहते है । सन्देश ( Message ): यह संचार का मुख्य विषय होता है , जिसमें कोई भी सूचना लिखित, मौखिक या अलिखित किसी भी माध्यम से सम्प्रेषित की जा सकती है । एन्कोडिंग ( Encoding ) : सूचना भेजने वाला व्यक्ति अपने विचारों को अपनी भाषा में या विभिन्न चिन्हों की एक श्रृंखला के रूप में व्यवस्थित करता है और फिर इस सूचना को आगे भेजता है । संचार माध्यम ( Communication Channel ): सन्देश भेजने के लिए एक ऐसे माध्यम की जरूरत पड़ती है , जिसके द्वारा वह अपने सन्देश को आगे भेज सके संचार माध्यम औपचारिक अथवा अनौपचारिक किसी भी प्रकार का हो सकता है । डिकोडिंग ( Decoding ) : सन्देश प्राप्त होने के बाद प्राप्तकर्ता सन्देश को समझता है । यदि सन्देश किसी कूट भाषा या सांकेतिक भाषा में लिखा है , तो वह इस सन्देश को समझने के लिए अपने शब्दों में उसे डिकोड करता है , जिससे उसे सन्देश समझने में सहायता मिलती है । प्राप्तकर्ता ( Receiver ): वह व्यक्ति जो संदेश प्राप्त करता है वो प्राप्तकर्ता कहलाता है।
कम्युनिकेशन के प्रकार मौखिक संचार ( Verbal Communication) लिखित संचार ( Written Communication) अमौखिक संचार ( Non-Verbal Communication)
मौखिक संचार- ऐसी संचार प्रणाली है जिसमे हम एक या एक से अधिक लोगो से बात करके सन्देश का सम्प्रेक्षण करते है। इसमें आप अपने शब्दो से किसी व्यक्ति की मना सकते है। इसका हमारे जीवन में बहुत महत्व होता है इस लिए आपकी मौखिक संचार सही होना चाहिए। लिखित संचार- लिखित संचार का मतलब अपनी बात को लिखित रूप से समझाना आपके लिखने की कला व्यक्तित्व को प्रभावित कर सकती है।यह विज्ञापन सामग्री, प्रिंट मीडिया अन्य संस्थाओं से संचार के लिए जरूरी है। अमौखिक संचार- इसमें आप अपनी बॉडी लैंगवेज के द्वारा किसी से बातचीत कर रहे हैं। उसे अपनी बॉडी लैंग्वेज से अपनी बात को मनवाना नॉन वर्बल कम्युनिकेशन स्किल्स कहते हैं। बॉडी लैंग्वेज से कहीं लोग आपके पर्सनैलिटी का अंदाजा लगा सकते हैं।
संचार के साधन इंटरापर्सनल कम्युनिकेशन : इसमें व्यक्ति खुद से बातचीत करता है। अपने मन में विचार करता है। जैसे : सोचना, किसी चीज़ का अंदाज़ा लगाना आदि। इंटरपर्सनल कम्युनिकेशन : इसमें इसमें दो लोग आपस में बात करते हैं, जिसमे एक चैनल शब्द , विचारों या संदेशो के रूप में बात करते हैं । ग्रुप कम्युनिकेशन : इसमें कम्युनिकेशन एक समूह यानी ग्रुप के बीच होता है। हर व्यक्ति किसी न किसी ग्रुप का हिस्सा होता ही है जब किसी ग्रुप में एक विशेष टॉपिक पर चर्चा होती हैं तो वो ग्रुप कम्युनिकेशन कहलाता है। मास कम्युनिकेशन : ये कम्युनिकेशन का बड़ा रूप होता हैं जिसमें हम लोगों तक किसी मीडियम के द्वारा सूचना पहुंचाते है जैसे : टेलीविज़न , रेडियो, सोशल मीडिया आदि।
कम्युनिकेशन स्किल्स को बेहतर कैसे बनायें? सरल भाषा- प्रेषक द्वारा सन्देश में सरल भाषा का उपयोग करे A तकनीकी और कठिन भाषा के प्रयोग से बचना चाहिए A सन्देश में ऐसी भाषा प्रयोग होना चाहिए जो सन्देश प्राप्तकर्ता को आसानी से समझ आये। व्यवस्थित सन्देश & सन्देश का समय , विषय , स्थान ] उद्देश्य , सन्देश प्राप्तकर्ता सभी पहले से व्यवस्थित होने चाहिए। पक्षपात से बचे & संदेश प्राप्त करने एवं भेजने वाले दोनों को पूर्वाग्रह से बचना चाहिए । उन्हें सन्देश पर खुले और स्पष्ट तरीके से विचार करना चाहिए । बॉडी लैंग्वेज & कम्युनिकेशन स्किल्स में बॉडी लैंग्वेज का बहुत महत्व होता है, बातचीत करते समय अपने बॉडी लैंग्वेज को सही रखना चाहिए। अच्छा श्रोता- आपको अच्छा वक्ता होने के साथ-साथ एकअच्छा श्रोता भी होना चाहिए अगर अपनी कम्युनिकेशन स्किल्स को अच्छा बनाना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको लोगों की बात को ध्यान से सुनना पड़ेगा ।
ऑय कोन्टक्ट- अपने वार्तालाप को बेहतर बनाने के लिए ऑय कोन्टक्ट होना चाहिए , जिससे सामने वाला व्यक्ति आपकी बातों पर विश्वास कर सकें। अगर आप बात करते समय अपनी नज़रों को चुराते हैं तो कोई भी व्यक्ति आपकी बातों पर विश्वास नहीं करेगा। कॉंफिडेंट और सकारात्मक रहे- जब आप किसी के सामने अपनी बात रखते है तो उसे प्रेजेंट करने में विश्वास बनाकर रखे और अपनी बात कहे। इसके लिए पहले थोड़ा सोचे उसके बाद ही अपनी बात कहे। अगर आप कॉंफिडेंट दिखते है तो आप अपनी बात को सही साबित कर सकते है। पॉइंट टू पॉइंट बात करे- हम अपनी बातों को तभी समझा पाते है जब हम पॉइंट टू पॉइंट बात करते है। बहुत से लोग ऐसा करते है कि किसी बात को एक ही बार में एक साथ बोल देते है जिससे सामने वाले व्यक्ति को कुछ भी समझ में नहीं आता है। इसके लिए अपनी बातों को पॉइंट टू पॉइंट रखे जिससे सुनने वाले को आपकी सभी बाते अच्छे से समझ में आये। सही शब्दों का प्रयोग करे- जब आप किसी से बात करते है तो गलत शब्दों का प्रयोग ना करे। सही शब्दों का चयन करे, कभी भी काम चलाऊ जैसे शब्दों का प्रयोग ना करे। जब आप अच्छे और आकर्षित शब्दों का प्रयोग करते है तो लोग आपसे आकर्षित होते है। और आपकी बात ध्यान से सुनते है तथा आपको एक अच्छा व्यक्ति समझते है।
अभिप्रेरणा (Motivation) अभिप्रेरणा Motivation एक आंतरिक प्रेरणा का नाम हैं अर्थात किसी कार्य को करने हेतु जब हम स्वयं अपने मन से प्रेरित एवं उत्साहित होते हैं, उसे ही अभिप्रेरणा कहते हैं। किसी कार्य को करने के पीछे व्यक्ति का कुछ निजी उद्देश्य होता हैं अर्थात वह उस कार्य को करके अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करता हैं।
अभिप्रेरणा का अर्थ अभिप्रेरणा का अंग्रेजी अनुवाद है ‘मोटिवेशन’। जिसका अर्थ हैं, किसी कार्य को करने हेतु आंतरिक रूप से प्रेरित करना। अभिप्रेरणा एक ऊर्जा का नाम हैं जो मनुष्य के व्यवहार का निर्माण कर उसको स्थिरता प्रदान करने का कार्य करती हैं।
अभिप्रेरणा के स्रोत उद्दीपन Incentive – व्यक्ति की आवश्यकता की पूर्ति जिन-जिन वस्तुओं से होती है। उन सभी को मनोविज्ञान में उद्दीपन कहा जाता हैं। जैसे- भूख लगने में भोजन की आवश्यकता। मनोविज्ञान के अनुसार व्यक्ति उद्दीपन के होने से ही अनुक्रिया करता हैं। इसे SR Theory भी कहा जाता हैं। ● आवश्यकताए Needs – मनुष्य को जीवन-यापन करने हेतु अनेक साधनों एवं वस्तुओं की आवश्यकता पड़ती हैं और वह व्यक्ति इन समस्त आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु विभिन्न कार्य एवं प्रयास करता हैं। यह सभी आवश्यकताओ का एहसास उसमे ऊर्जा पैदा करती हैं। ● चालक Driver – चालक उस वस्तु का नाम हैं, जिसे प्राप्त कर लेने से व्यक्ति की आवश्यकता की पूर्ति हो जाती हैं, अर्थात भोजन मिलने से उसकी भूख शांत हो जाती है या प्यास लगने पर पानी मिल जाना। ● प्रेरक Motive – प्रेरक के अंतर्गत उन सभी तत्वों को सम्मिलित किया जाता है जो व्यक्ति को किसी कार्य को करने एवं उस कार्य को लगातार करते रहने में उसकी सहायता करता हैं यह तत्व इस प्रकार होते हैं-
अभिप्रेरणा की विशेषता अभिप्रेरणा एक ऊर्जा हैं जो व्यक्ति को आंतरिक रूप से प्रेरित करने का कार्य करती हैं। 2) यह नकारात्मक ( Negative) सकारात्मक ( Positive) दोनों रूपों में पाई जाती हैं। 3) इसका प्रयोग किसी निश्चित उद्देश्य एवं लक्ष्य की प्राप्ति हेतु किया जाता हैं। 4) यह एक प्रक्रिया हैं, जिसमें व्यक्ति को विभिन्न चरणों से गुजरना होता हैं। 5) मनोविज्ञान में इसको उद्दीपन-अनुक्रिया के रूप में भी परिभाषित किया गया हैं। 6) इसका उपयोग कार्य को सुचारू रूप से करने एवं उस कार्य में स्थिरता प्रदान करने हेतु किया जाता हैं। 7) इसका विश्लेषण मनोवैज्ञानिक आधार पर किया जाता हैं।
Negotiation Negotiation’ मतलब बातचीत की एक ऐसी प्रक्रिया जिसमें दो या दो से अधिक पक्ष और उनसे संबधित या विवादित मुद्दे शामिल होते हैं | इस बातचीत में शामिल लोग इन संबधित या विवादित मुद्देपर कुछ निर्णय लेने या उनसे सहमत होने का प्रयास करते हैं |