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Added: Jul 10, 2020
Slides: 24 pages
Slide Content
Dr. MeenakshiPrasad
Assistant Professor
P.G. Department of
Geography
M.U, BodhGaya
प्रवाल भित्तिया�:परििाषा,
त्तवकास के भलए शर्ते,
त्तवर्तिणऔि प्रकाि
त्तवषयवस्र्तु:
•प्रवाल भित्तियों की
परििाषा
•प्रवाल भित्तियों का
त्तवर्तिण
•प्रवाल भित्तियों के
त्तवकास की शर्तें
•प्रवाल भित्तियों के
प्रकाि
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परििाषा
•प्रवाल भित्ति एक प्रकाि की चट्टान है जोचूना पत्थि
औि डोलोमाइट का त्तपण्ड होर्ता है, जो चूने के स्रात्तवर्त
जीवों द्वािा स�चचर्त ककया जार्ता है, जजसेकोिल पॉलीप्स
कहा जार्ता है, जो एक प्रकाि का समुद्री एनीमोन होर्ता
हैऔि त्तवभिन्न ि�गों का हो सकर्ता है।
•इसका आकाि एक रिज की र्तिह होर्ता हैजजसकाआधाि
चौडाऔिशीषषपर्तला होर्ता हैजो समुद्री लहिों की
कािषवाई से चपटा हो जार्ता है
•इसके शीषष पि जीत्तवर्त कोिल पॉलीप्स पाए जार्ते हैं
•ये र्तट के किीब जस्थर्त होर्ते हैं औि उससेउथलेलैगून
द्वािा अलगहोर्ते हैं
त्तवर्तिण
•प्रवाल भित्तिया� 30
0
N से30
0
S अक्ा�शों के बीच महाद्वीपों की पूवी
सीमा के सहािे पाई जार्ती हैं त्तवषुवर्तीय अक्ा�शोंको छोडकि (5
0
N
से5
0
S अक्ा�शोंके बीच का क्ेत्र)
•ये महाद्वीपीय मग्न र्तट औि सब मिीन चबूर्तिों पि अनुकूल
गहिाई पि त्तवकभसर्त होर्ते हैं
•कुछ पुिानी प्रवाल भित्तिया� 37
0
अक्ा�शों र्तक पाई जार्ती
हैं जजनकी व्याख्या जलवायु परिवर्तषन औि महाद्वीपीय
त्तवस्थापन द्वािा की जार्ती है
•त्तवश्व में प्रवाल भित्तियों के दो प्रमुखक्ेत्र हैं :
➢कैरिबबयन सागि
➢हहन्द महासागि औि पजश्चमी प्रशा�र्त महासागि
Contd……
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त्तवकास की अनुकूल दशाए�
•र्तापमान-प्रवाल जीवों के त्तवकास हेर्तु आदशष र्तापमान
20
0
Cहोना चाहहए ककन्र्तु त्तवभशष्ट परिजस्र्तचथयों में यह
18
0
C -25
0
Cके मध्य िी त्तवकभसर्त हो सकर्ते हैं
•समुद्र की गहिाई–प्रवाल भित्ति के त्तवकासके भलए समुद्र
की आदशष गहिाई 45-55मीटि मानी जार्ती है लेककन
इनका त्तवकास 90मीटि की गहिाई र्तक िी स�िव है.
सामान्यर्तः 10मीटि से कम गहिाई में इनका त्तवकास
नही� होर्ता है। वस्र्तुर्तः इनके त्तवकास हेर्तु वह गहिाई
अनुकूल है जहा� र्तक सूयष की ककिणों का प्रकाश पहु�च
पर्ता है औि प्लैंकटन का त्तवकास होर्ता है.
•लवणर्ता–27%
0से 40%
0
लवणर्ता वाला समुद्री जल
प्रवाल जीवों के त्तवकास के
भलए अनुकूल परिजस्र्तचथया�
बनर्ता है. प्रवली जीवोंका
त्तवकास अत्यचधक लवणर्ता
युक्र्त समुद्री जल में नही�
होर्ता क्योंकक उसमें चूना के
काबोनेट की कमी होर्ती है
जबकक चूना प्रवाल का मुख्य
िोजन है. पूणषर्तः लवण
त्तवहीन समुद्री जल िी इसके
भलए अनुकूल नही� है
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•जल की स्वच्छर्ता–प्रवाल जीवों के त्तवकास हेर्तु न
र्तो अतर्त स्वच्छ जल औि न ही मृदा भमचिर्त जल
अनुकूल होर्ता है. अत्यचधक स्वच्छ जल में
कैजशशयम काबोनेट का अिाव होर्ता हैजबकक
अवसादों के कािण प्रवाल कीटों का मुख ब�द हो
जार्ता है औि वे मि जार्ते हैं। चू�कक र्तट से सटे
हुए जल में ये दोनों परिजस्र्तचथया� पाई जार्ती हैं ,
इसीभलए प्रवली जीवों का त्तवकास र्तट सेहटकि
होर्ता है.
•प्लैंकटन की उपजस्थतर्त-प्रवाल जीवोंके त्तवकास
के भलए प्लैंकटन का त्तवकास आवश्यक हैक्योंकक
यह प्रावली जीवों का िोजन है.
•सबमिीन चबूर्तिों की उपजस्थतर्त-प्रवाल भित्ति
के त्तवकास के भलए आदशष गहिाई पि सबमिीन
चबूर्तिों की उयजस्थतर्त अतनवायष है जजनपि
प्रवाल कीट अपनी कॉलोतनया� बसा सकें
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•त्तवकास के भलए आदशष दशाए� उपलब्ध होने पिप्रवाल
पोभलप अपनी कॉलोतनया� शुरू किर्ते है जजससे की प्रवाल
भित्ति का त्तवकास होर्ता है.अन्र्तः सागिीयचबूर्तिों पि
प्रावली जीव का त्तवकास दो रूपों में होर्ताहै –
➢प्रवाल ऊपि की ओि तनम्न ज्वाि र्तल र्तक बढ़र्तेहैं
➢वे र्तट से दूि समुद्र की ओि बढ़र्ते हैं जहा� िोजन की
प्रचुिर्ता होर्ती है. यह वृद्चध प्रवाल भित्ति की चौडाई
तनधाषरिर्त किर्ती है
➢भित्ति के र्तट की ओि के प्रवाल धीिे -धीिे अवसादों
की अचधकर्ताकेकािण मि जार्ते हैं जजसके फलस्वरूप
भित्ति औि र्तट के बीच एक उथले लैगून का त्तवकास
हो जार्ता है
•भित्ति के त्तवकास के साथ-साथ औि र्तट की ओि
उन्मुख प्रवालों के मिने के साथ साथ लैगून की
चौडाई िी बढ़र्ती जार्ती है.
प्रकृतर्त, आकाि र्तथा अवजस्थतर्त केआधाि
पि प्रवाल भित्तियों को ऊपि वर्णषर्त र्तीन
प्रकािों में बा�टा जार्ता है
प्रवाल भित्तियों
के प्रकाि
र्तटीयप्रवाल
भित्ति
अविोधक प्रवाल
भित्ति
एटॉल
र्तटीय प्रवाल भित्ति
•र्तट के ककनािे त्तवकभसर्त
प्रवालभित्ति को र्तटीयप्रवाल
भित्ति कहर्तेहैं
•इनकी चौडाई कम होर्ती है।
•इनकी मोटाई 50-55 m होर्तीहै
र्तथा इनका समुद्र की ओि
का ककनािा र्तटकी ओि के
ककनािे से थोडा अचधक ऊ�चा
होर्ता है।
•इनकी समुद्र की ओि र्तथा
स्थल की ओि कीढालम�द
होर्ती है।
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•स्थल से ये एक स�किे लैगून द्वािा अलग होर्तेहैं
जजसकी गहिाई 0.3-1.5 m होर्ती है।इसे बोट चैनल के
नाम से जाना जार्ता है।
•लैगून की सर्तह पि प्रावली चट्टानों के टुकडे क्ले
औि भमटटी के साथ सजम्मचिर्त पाए जार्ते हैं औि
समय के साथ ही लैगून की गहिाई घटर्ती जार्ती है।
•ऐसी भित्तियों के उदाहिण दक्षक्णी फ्लोरिडा के र्तट पि
र्तथा अ�डमान औि तनकोबाि द्वीप समूहों के ककनािे
पाए जार्ते हैं
अविोधक भित्ति
•अविोधक भित्ति िी र्तट के ककनािे त्तवकभसर्तहोर्ती है
ककन्र्तु यह र्तटीय भित्ति की र्तुलना में अचधक दूिी पि
जस्थर्त होर्ती है।
•अविोधक भित्ति की चौडाई िी र्तटीय भित्ति से
अचधक होर्ती है. सामान्यर्तः यह50 m से अचधक
होर्ती हैऔि150 m र्तक हो सकर्ती है. ग्रेट बैरियि
िीफ की अचधकर्तम मोटाई 180 mहै।
•इसका लैगून िी अपेक्ाकृर्त अचधक चौडाऔि
गहिा होर्ता है. लैगून की गहिाई 50 m र्तक हो
सकर्ती है।
•इसकी र्तट की ओि औि स्थल की ओि ढाल
दोनों ही र्तीव्र होर्ती है.
•अविोधक भित्ति का सबसे अच्छा उदाहिण‘ग्रेट
बैरियि िीफ’है।
ग्रेट बैरियि िीफ
•त्तवश्व की सबसे बडी
अविोधक भित्ति
•ऑस्रेभलया के पूवी र्तट के
ककनािे9
0
S से 22
0
S अक्ा�शों
के मध्य1920 km की
लम्बाई में त्तवस्र्तृर्त है।
•इसके लैगून की औसर्त
गहिाई 240’ हैऔि इसकी
चौडाई 11 से128 km के
बीच है।
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एटॉल
•यह घोडे की नाल की आकृतर्त कीप्रवाल भित्ति
होर्ती है।
•इसकी वलयाकाि आकृतर्त का मूलकािण इसका
खुले महासागिों में द्वीपों के ककनािे त्तवकभसर्त
होना या जलमग्न पठाि ऊपि त्तवकभसर्तहोनाहै।
•यह सवाषचधक मोटी प्रवाल भित्तिया� हैं. र्तहहर्ती
द्वीपमेंइसकी मोटाई हज़ािों मीटि है।
•इनके लैगून िी सवाषचधक गहिे होर्ते हैं. इसकी
गहिाई 240-420’के बीच होर्ती है।
•इसकी र्तट की ओि औि स्थल की ओि ढाल
दोनों ही र्तीव्र होर्ती है।
•दक्षक्णी प्रशा�र्त महासागि में जस्थर्तFunafuti द्वीप
औि बबककनी द्वीप इसके अच्छे उदाहिण हैं
एटॉल के प्रकाि
•एटॉल को र्तीन वगों में त्तविाजजर्त ककया जार्ता है :
1.ट्रू एटॉल(True Atoll)जजनकी वलयाकाि भित्ति के
मध्य भसफष एक तछछला लैगून होर्ता है, कोई द्वीप
नही�। उदाहिण -लक्द्वीप
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2. आइलैंड एटॉल(Island Atoll)जजनके लैगून के मध्य में
एक द्वीप जस्थर्त होर्ता है।
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3. ऐसे एटॉल जजनके मध्य में पहले र्तो कोई द्वीप नही�
होर्ता पि बाद में समुद्री लहिों की तनक्ेपण किया से
बन जार्ता है।
•उथले छोटे लैगून वाले छोटे एटॉल के चेन कोfaros
कहा जार्ता है।
•कोिल द्वीप को छोडकि
सिी प्रकाि की प्रवाल
भित्तिया� उच्च ज्वाि के
दौिान जलमग्न हो जार्ती
हैं।
•कोिल िीफ आमर्तौि पि
कई स्थानों पि टूट जार्ते
हैं, जजसके माध्यम से
लैगून का स�पकष खुले
समुद्रों औि महासागिों से
होर्ता है। इन ब्रेक को
ज्वािीय इनलेट कहा
जार्ता है
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स�दिषसूची
•Sharma, R.C. & Vatal, M. : Oceanography for
Geographers, ChaitanyaPublishing House,
Allahabad, 1995
•Singh. S : Physical Geography, PrayagPustak
Bhawan, Allahabad,2012