cultivation of paddy / rice || Agronomy || B.Sc agriculture

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About This Presentation

cultivation of rice
paddy cultivation
Introduction
Morphology of Paddy (Rice)
Classification
Special characteristics
sowing time /बोने का समय
Verities/ किस्मे
Seed Rate /बीजदर
plant distance /पोध अंतराल
Fertilizer खाद एवं उ�...


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धान ( Paddy) Introduction Morphology of Paddy (Rice) Classification Special characteristics sowing time /बोने का समय Verities / किस्मे Seed Rate /बीजदर plant distance /पोध अंतराल Fertilizer खाद एवं उर्वरक Irrigation / सिचाई Disease, insect and weed / रोग , कीट एवं खरपतवार

वानस्पतिक नाम  ऑराइजा सेटाइवा  ( Oryza sativa) कुल  ग्रेमिनी / पोएसी  उत्पत्ति  वेस्ट एशिया/ बर्मा  गुणसुत्र संख्या  2n=42  Introduction & Facts Rice -

चावल अनाज वाली फसलो में बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण अनाज है, इसे दुनिया की कुल आबादी के लगभग 60 % लोगो द्वारा इसे एक स्थायी आहार के रूप में लिया जाता है| इसका सबसे अधिक उत्पादन (90%) और उपभोग दक्षिण-पूर्वी एशिया ( S. E. Asia) होता है |धान या चावल का पौधा एक नम एवं उष्णकटिबंधीय जलवायु वाला पौधा है,  जो कि शीतोष्ण इलाको के नाम क्षेत्रों में भी उगाया जाता है | हमारे देश भारत में यह सभी अनाज वाली फसलों में उपभोग और उत्पादन  पहले स्थान पर आता है |  

Rice ( चावल) में प्रोटीन की मात्रा कम होती है, सफ़ेद चावल ( White Rice) में यह 6-7% और ब्राउन राईस ( Brown Rice) में यह 7.9% , और फैट की मात्रा 2-2.5% है; जो की मीलिंग के दौरान यह कम हो जाता है | धान के खेत से मिथेन CH 4  gas मुक्त होती है | paddy ( धान) में दाने और खोल का अनुपात ( hulling) में चावल 66% या 2/3 होता है | सामान्यतः अनाज वाली फसलों को 1 किलो शुष्क पदार्थ के निर्माण करने में 400-500 लीटर जल की आवश्यकता होती है, पर चावल 10 गुना ज्यादा जल की आवश्यकता पड़ती है | इसमें  लगभग 5000 लीटर जल की खपत से 1 किलो शुष्क पदार्थ बनता है | चावल की खेतो में उसके परागण और बीज निर्माण के दौरान 5 c.m . जल में डूबे रहना लाभदायक है | चावल में उसका मुख्या प्रोटीन  Oryzin   होता है | प्रोपानिल ( stamp F-34) धान में सबसे अधिक उपयोग होने वाला post emergence  खरपतवारनाशी ( Herbicide) है | IMP POINTS….

MORPHOLOGY-

बाली Panicle:- धान का यह हिस्सा उसका प्रजनन अंग ( Reproductive Organ) है | धान के पुष्प क्रम को ही पेनिकल panicle कहा जाता है, और जिस हिस्से से यह जुड़ा होता है उसे tiller कहते है तना ( Stem):- धान का तना panicle और पत्तियों का आधार बनता है; जो उन्हें सहारा प्रदान करता है | धान के तने को clum कहते है, जो कई Nods और Internodes से मिलकर बना होता है | इन्ही nods और internodes से  tiller और पत्तियाँ निकली होती है, सबसे अंतिम के nods से tiller विकसित होता है|  clum  ( धान का तना ) में  Aerenchyma   कोशिकाओ का समूह पाया जाता है, जिसके कारण  धान पानी में डूबे होने के बाद भी जीवित रहता है पत्ते ( Leaf) :- इसका मुख्यतः कार्य होता है, प्रकाश संश्लेष्ण करना | इसकी पत्तियाँ अन्य घांस कुल के पौधों की तरह समान्तर शिराविन्यास वाली होती है | धान की पत्तियों के उपरी तथा निचली भागों में भी रंध्राव्काश पाए जाते है, इसी कारन धान में Transpiration की क्रिया अधिक होती है; और धान अधिक जल की खपत करता है | जड़ ( Root) :- धान में adventitious (Roots) जड़े पायी जाती है |

द्विगुणित 2 n=24 होती  genus  में  कुल 24 प्रजातियाँ अभी तक खोजी गयी है, जिसमे से दो प्रजतियों की खेती की जाती है Oryza glaberrima

Oryza indica : यह भारत में पाए जाने वाली नस्ल है, यह ऊष्ण तथा उपोष्ण क्षेत्रों में पाई जाती है | जिनकी मुख्या विशेषता इनकी लम्बी संरचना, और कमजोर तना है  जिसमे लगने वाले बाली झुकी हुई होती है | भारत में पाए जाने वाले पारम्परिक चावल के दाने अपेक्षाकृत अन्य भोगोलिक जातियों से लम्बे होते है Oryza japonica :- यह प्रजाति जापान के शुष्क और सम-शीतोष्ण जलवायु वाले क्षेत्र में पाई जाती है | इनकी विशेषता इनका छोटा आकर, मजबूत तना और गहरी हरी रंग की पत्तियाँ है | इसकी उत्पादकता अधिक होती है, और इनकी सघन खेती की जा सकती है Oryza javanica :- यह प्रजाति इन्डोनेशियाई क्षेत्र में पाई जाती है, यह चावल की जंगली रूप जैसी है | यह एक लम्बी अवधि वाला फसल है

Special characteristics of Rice- धान एक स्वपरागित फसल है, तथा इसके फल का प्रकार  caryopsis  है | इसमें Hypogeal germination होता है | धान का बीज Lema   और Palea   ढका होता है, जिसे Hull कहते है | और इन्हें निकालने की process को hulling कहते है | इसका का टेस्ट weight :-  25 g.  ( हर 1000 दानो में) है | धान के  पुष्पक्रम को  panicle   कहते है | धान के बौनेपण के लिए dee -gee-woo-gen gene जिम्मेदार होता है | Climate जलवायु :- धान एक अल्प दिन अवधि वाला ( Short Day )   पौधा है , और यह C3 Plant है जो कि गर्म और नम जलवायु की आवश्यकता होती है | धान के लिए cardinal temperature 25-35 °C. वृद्धि एवं विकास के लिए –  21 to 27 °C. फुल आने के लिए -26 -29 ° C. परिपक्वता के लिए -20 -25° C. soil( मृदा)  बलुई दोमट PH-5-6.5 होनी चाहिये अम्लीय मृदा | pH range – 4-6.

Season     Sowing time    Harvesting    ओस या  Autom  मई-जून   सितंबर-अक्टूबर  अमन या  Winter  जुलाई -अगस्त  नवम्बर-दिसम्बर  बोरों या  Spring   नवम्बर-दिसम्बर  मार्च -अप्रेल  SOWING TIME - अगेती फसल वर्षाऋतू की फसल  दक्षिण भारत 

Verities :- जल्दी पकने वाली  – कलिंगा-3,बाला ,आभा ,कावेरी ,जवाहर-175 | मध्म पकने वाली  -अनुपमा , IR-36, रतना,आसा ,दीप्ती ,समृधि | देर से पकने वाली  -क्रांति ,माधुरी ,प्रगति ,गरिमा ,मन्ह्सुरी ,रूचि ,फाल्गुना | सुगंधित किस्म  – नगीना-108,बासमती ,साकेत-4,हंसराज,बादशाह भोग ,कस्तुरी, दुबराज | कुछ विशेष किस्मे – धान की पहली बौनी प्रजाति :-  TN-1( In taiwan ) चावल की चमत्कारिक किस्म – IR-8 ( विश्व की ) भारत की प्रथम अधिक उपज देने वाली किस्म :- जया ( Jaya ) है, जिसे भारत की चमत्कारिक चावल कहा जाता है IGKV द्वारा विकसित किस्मे  :- महामाया, श्यामला, पूर्णिमा, बमलेश्वरी, समलेश्वरी, दंतेश्वरी, चंद्रहासनी | इंदिरा सुगन्धित धान :- दूबराज, छत्तीसगढ़ सुगन्धित धान, बादशाह भोग, कस्तूरी, छत्तीसगढ़ मधुराज 55 (मधुमेह या Diabetes   रोगी के लिए )

Sowing Method   Seed Rate   सुखी छिड़काव बुवाई  130 kg/ha  गिली छिडकाव पद्धति  120kg/ha  लेही पद्धति  80kg/ha  सीड ड्रील  70kg/ha  रोपाई पद्धति  40 kg/ha  हायब्रिड जाती में  15 kg/ha  श्री  Method  6-7kg/ha 

Nursery For Rice गीली या wet method में मुख्य खेत का 1/10 भाग या 1 ha. के लिए 800-1000 m² जगह की आवश्यकता होती है | dapog method के लिए मात्र 30-40 m² की आवश्यकता होती है (1.5-3 kg seed/m² ) Required  nursery area  for SRI is 100 m 2  / ha plant distance ( पोध अंतराल) जल्द पकने वाली जाती-15 x 10 cm. मध्य एवं देर वाली जाती -20 x 10 cm.

Fertilizer( खाद एवं उर्वरक)- NPK Ratio -120:60:40 kg/ha . Nitrogen Efficiency in Rice 30-40 %. उपयोग लिए जाने वाले fertilizer :- CAN, Ammonium nitrate, Urea . जैविक उर्वरक :-  अजोला  ( azola ),  Azospirillum , B.G.A.(Blue Green Algae),  Azotobacter . धान के खेत में सबसे अधिक नाइट्रोजन की हानि denitrification होती है |

धान में सिचाई ( Irrigation In Rice )- फसल  में सिचाई के लिए सबसे महत्वपूर्ण समय अवधि :- सीडलिंग -नर्सरी टिल्रिरिंग- कल्ले निकलते समय बूटिंग -गाभोड़ समय फ्लोवरिंग-पुष्पनअवस्था मिल्किंग-दुधिया अवस्था dough stage- सूखने की अवस्था धान को सबसे अधिक जल की आवश्यकता -booting stage or late panicle initiation में होती है |

रोग  ( Disease)  कारक  ( Disease factor)  प्रबंधन ( Manegement)   Blast  झुलसा रोग   Fungus   Seed treatment- Thirum @2.5 kg. / kg. Of seed  B.L.B. (Bacterial Leaf Blight)   Xanthomonas oryzae   Streptocycline 0.015%  Brown Leaf Spot ( भूरा धब्बा)   Helminthosporium oyzae  Seed treatment with tricyclazole (0.4%)  Khaira  खैरा रोग   Zn deficiency    5 kg. Zn.SO4 /ha  धान में white eye Fe (iron) की कमी से होती है

Weed ( खरपतवार ) - मोथा, सावा, कुटकी, करगा , दूबघास, सत गठिया | The most dominant species of rice weed is  Echinochloa sp . Weed control- प्रोपानिल, butacholre Insect ( कीट ) - स्टेमबोरर = तना छेदक – टिलरिंग स्टेज एफिड =माहू – टिलरिंग स्टेज गालमीज गंधीबग = मिल्किंग स्टेज आर्मी वार्म =सैनिक कीट