CV RAMAN PPT FOR CLASS 9 HINDI HOLIDAY HW

aditya12342008 755 views 7 slides Jun 28, 2024
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वैज्ञानिक चेतना के वाहक चन्द्रशेखर वेंकट रामन 7 नवंबर सन् 1888.. उनके पिता गणित और भौतिकी के शिक्षक थे रमन 7 नवंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली नगर में पैदा हुए थे

वैज्ञानिक चेतना के वाहक चन्द्रशेखर वेंकट रमन 7 नवंबर सन् 1888.. उनके पिता गणित और भौतिकी के शिक्षक थे रमन 7 नवंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली नगर में पैदा हुए थे वैज्ञानिक चेतना का विकास रमन ने बचपन से ही वैज्ञानिक रहस्यों को सुलझाने के लिए प्रयत्नशील रहा और कॉलेज में शोध कार्यों में रुचि ली रमन ने अपनी शिक्षा में गणित और भौतिकी में उच्च अंक प्राप्त किए और विश्वप्रसिद्ध वैज्ञानिक बने

वैज्ञानिक चेतना के वाहक चन्द्रशेखर वेंकट रमन 7 नवंबर सन् 1888.. उनके पिता गणित और भौतिकी के शिक्षक थे रमन 7 नवंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली नगर में पैदा हुए थे वैज्ञानिक चेतना का विकास रमन ने बचपन से ही वैज्ञानिक रहस्यों को सुलझाने के लिए प्रयत्नशील रहा और कॉलेज में शोध कार्यों में रुचि ली रमन ने अपनी शिक्षा में गणित और भौतिकी में उच्च अंक प्राप्त किए और विश्वप्रसिद्ध वैज्ञानिक बने युवावस्था   और रूचि रामन् अपने समय के अन्य सुयोग्य छात्रों की भाँति भारत सरकार के वित्त विभाग में अफसर बन गए इंडियन   एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साईंस   संस्था में रमन ने पहले वाद्ययंत्रों की ध्वनियों के पीछे छिपे वैज्ञानिक रहस्यों का पता लगाने का प्रयास किया

वैज्ञानिक चेतना का विकास रमन ने बचपन से ही वैज्ञानिक रहस्यों को सुलझाने के लिए प्रयत्नशील रहा और कॉलेज में शोध कार्यों में रुचि ली रमन ने अपनी शिक्षा में गणित और भौतिकी में उच्च अंक प्राप्त किए और विश्वप्रसिद्ध वैज्ञानिक बने युवावस्था   और रूचि रामन् अपने समय के अन्य सुयोग्य छात्रों की भाँति भारत सरकार के वित्त विभाग में अफसर बन गए इंडियन   एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साईंस   संस्था में रमन ने पहले वाद्ययंत्रों की ध्वनियों के पीछे छिपे वैज्ञानिक रहस्यों का पता लगाने का प्रयास किया 1917 में वे कलकत्ता विश्वविद्यालय की नौकरी में आ गए । उनके लिए सरस्वती की साधना सरकारी सुख – सुविधाओं से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण थी रामन   प्रभाव रामन् ने ठोस , रवेदार और तरल पदार्थों पर प्रकाश की किरण के प्रभाव का अध्ययन किया उन्होंने ने पाया कि जब एकवर्णीय प्रकाश की किरण किसी तरल या ठोस रवेदार पदार्थ से गुजरती है तो गुजरने के बाद उसके वर्ण में परिवर्तन आ जाता है रामन् की खोज भौतिकी के क्षेत्र में एक क्रांति के समान थी रामन् प्रभाव की खोज में उन्हें विश्व की चोटी के वैज्ञानिकों की पंक्ति में ला खड़ा किया

युवावस्था   और रूचि रामन् अपने समय के अन्य सुयोग्य छात्रों की भाँति भारत सरकार के वित्त विभाग में अफसर बन गए इंडियन   एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साईंस   संस्था में रमन ने पहले वाद्ययंत्रों की ध्वनियों के पीछे छिपे वैज्ञानिक रहस्यों का पता लगाने का प्रयास किया 1917 में वे कलकत्ता विश्वविद्यालय की नौकरी में आ गए । उनके लिए सरस्वती की साधना सरकारी सुख – सुविधाओं से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण थी रामन् ने ठोस , रवेदार और तरल पदार्थों पर प्रकाश की किरण के प्रभाव का अध्ययन किया उन्होंने ने पाया कि जब एकवर्णीय प्रकाश की किरण किसी तरल या ठोस रवेदार पदार्थ से गुजरती है तो गुजरने के बाद उसके वर्ण में परिवर्तन आ जाता है रामन् की खोज भौतिकी के क्षेत्र में एक क्रांति के समान थी रामन् प्रभाव की खोज में उन्हें विश्व की चोटी के वैज्ञानिकों की पंक्ति में ला खड़ा किया उपलब्धियां रॉयल सोसाइटी के फेलो   (1924) नाइट बैचलर   (1930) ह्यूजेस मेडल   (1930) भौतिकी में नोबेल पुरस्कार (1930) भारत रत्न  (1954) लेनिन पुरस्कार  (1957) रामन   प्रभाव

रामन   प्रभाव रामन् ने ठोस , रवेदार और तरल पदार्थों पर प्रकाश की किरण के प्रभाव का अध्ययन किया उन्होंने ने पाया कि जब एकवर्णीय प्रकाश की किरण किसी तरल या ठोस रवेदार पदार्थ से गुजरती है तो गुजरने के बाद उसके वर्ण में परिवर्तन आ जाता है रामन् की खोज भौतिकी के क्षेत्र में एक क्रांति के समान थी रामन् प्रभाव की खोज में उन्हें विश्व की चोटी के वैज्ञानिकों की पंक्ति में ला खड़ा किया उपलब्धियां रॉयल सोसाइटी के फेलो   (1924) नाइट बैचलर   (1930) ह्यूजेस मेडल   (1930) भौतिकी में नोबेल पुरस्कार (1930) भारत रत्न  (1954) लेनिन पुरस्कार  (1957) भारतीय संस्कृति से रामन् को गहरा लगाव रहा । उन्होंने अपने भारतीय पहचान को हमेशा अक्षुण्ण रखा । उनके अंदर एक राष्ट्रीय चेतना थी और वे देश में वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन के विकास के प्रति समर्पित थे । उन्हीं के नाम पर ‘ रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट ‘ और शोध संस्थान की स्थापना की गई है जो बैंगलौर में है । आज जरूरत है- रामन् के जीवन से प्रेरणा लेने की और प्रकृति के बीच छिपे वैज्ञानिक रहस्य को खोज निकालने की । रामन  से प्रेरणा

उपलब्धियां रॉयल सोसाइटी के फेलो   (1924) नाइट बैचलर   (1930) ह्यूजेस मेडल   (1930) भौतिकी में नोबेल पुरस्कार (1930) भारत रत्न  (1954) लेनिन पुरस्कार  (1957) भारतीय संस्कृति से रामन् को गहरा लगाव रहा । उन्होंने अपने भारतीय पहचान को हमेशा अक्षुण्ण रखा । उनके अंदर एक राष्ट्रीय चेतना थी और वे देश में वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन के विकास के प्रति समर्पित थे । उन्हीं के नाम पर ‘ रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट ‘ और शोध संस्थान की स्थापना की गई है जो बैंगलौर में है । आज जरूरत है- रामन् के जीवन से प्रेरणा लेने की और प्रकृति के बीच छिपे वैज्ञानिक रहस्य को खोज निकालने की । रामन  से प्रेरणा
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