ध्यान और एकाग्रता, जीवन में सफलता का मूलमंत्र-आवश्यक कर्म में एकाग्रता, अष्टांग योग और एकाग्रता, एकाग्र से ऊपर की स�...
ध्यान और एकाग्रता, जीवन में सफलता का मूलमंत्र-आवश्यक कर्म में एकाग्रता, अष्टांग योग और एकाग्रता, एकाग्र से ऊपर की स्थिति
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Added: Jul 16, 2018
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ध्यान सामान्य परिचय एवं लाभ
“Life as a game of Concentration ” Meditation is the final stage of an ordinary life and a first step of extraordinary life.
जीवन के हर क्षेत्र की सफलता में एकाग्रता का महत्व एकाग्रता की साधना जीवन की सबसे महत्वपूर्ण साधना के रूप में...
विधार्थी जीवन और एकाग्रता शिखने की क्रिया में एकाग्रता वांचन में एकाग्रता लेखन में एकाग्रता आर्थिक जीवन और एकाग्रता कोम्पीटीटीव एक्साम्स में एकाग्रता साक्षात्कार में एकाग्रता नौकरी में एकाग्रता आध्यात्मिक जीवन और एकाग्रता स्वाध्याय में एकाग्रता सत्संग में एकाग्रता साधना में एकाग्रता
एकाग्रता के तिन मुख्य आधार (१) योग (२) भोग (3) रोग
मोक्षेण योजनात् योगः What c onnects the soul to liberation is yoga योग
Steps before Meditation ध्यान से पहेले ५ यम और एकाग्रता जीवन के लक्ष्य की और एकाग्रता बनी रहे इसके लिए पांच स्थिति में यमराज को याद करें सत्य और एकाग्रता: जूठ बोलने पर मन विचलित हो जाता है| जूठ पकड़ा न जाए इसके लिए जो गलत चेष्टाएँ करनी पड़ती है वह भी मन की चंचलता को बढाती है| जूठ पकड़ा न जाए इसकी चिंता भी मन को चंचल बनाती है| अतः कर्म के सिद्धांत पर श्रद्धा रखते हुए हर पल याद रखें कि सच्च नहीं बोलेंगे तो यम का डंडा हमारे ऊपर जरुर पड़ेगा अहिंसा और एकाग्रता: हिंसा से दुसरो को बाद में पहले हमारे मन को नुकशान होता है| मन को हिंसा विचलित कर देती है| अतः हर पल याद रखें कि मन, वचन, वाणी से हिंसा करेंगे तो यम का डंडा हमारे ऊपर जरुर पड़ेगा जूठ की तरह चोरी भी मन को विचलित कर देती है| अतः हर पल याद रखें कि किसी के विचारों की या वस्तुओं की चोरी करेंगे तो यम का डंडा हमारे ऊपर जरुर पड़ेंगा ज्यादा वस्तुओं के रखरखाव में और सुरक्षा में जो चेष्टाएँ की जाती है वह मन को चंचल बना देती है| अतः हर पल याद रखें कि आवश्यकता से अधिक वस्तुओं का संग्रह करेंगे तो यम का डंडा हमारे ऊपर जरुर पड़ेंगा ब्रह्म को मन का मालिक एवं एकाग्रता का सर्वोच्च शिखर मानते हुए उसी में विचरण करने से भी एकाग्रता बढ़ती है| इस से विपरीत इन्दियों को खुल्ला छोड़ देने पर मन की एकाग्रता कम होने लगती है| अतः हर पल याद रखें कि इन्द्रियों का संयम नहीं रखेंगे तो यम का डंडा हमारे ऊपर जरुर पड़ेंगा
पांच नियम और एकाग्रता: १. स्वच्छ शरीर में हि स्वच्छ मन रहता है | कषाय कल्मषो की जब तक सफाई नहीं होती है मन एकाग्र नहीं हो पाता| अतः मन और शरीर को हंमेशा स्वच्छ बनाए रखने का नियम बना लें २. संतोषी मन जल्दी एकाग्र होता है| जीतने भौतिक साधन मिले है उसी में खुश रहने नियम बना लें 3. कठनाइयों में मन योगसाधना के मार्ग से दूर जाने लगता है| अतः योग के मार्ग में आने वाली कठनाईयो को सहन करने का नियम बना लें ४. स्वाध्याय से मन को एकाग्र करने के नए नए तरीको तथा नियमो के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है| अतः यौगिक ग्रंथो का नियमित अभ्यास करनें का नियम बना लें ५. कठनाइयों में मन भयभीत होने लगता है| भयभीत मन एकाग्र नहीं हो सकता है| मन को भय से मुक्त करने के लिए इश्वर प्रणिधान की सहायता ली जा सकती है| अतः किसी भी परिस्थिति में ईश्वर विश्वास को बनाए रखने का नियम बना लें
ध्यान में आसन का महत्व: मन को एकाग्र करने के लिए एक स्थिति में स्थिर रहेना आवश्यक है| ध्यानात्मक आसन इसके लिए लाभदायी है| अन्य आसन शरीर के स्नायुओं के कम्पन को कम करते हुए शरीर को स्वस्थ बनाने में सहायक है जो मन को एकाग्र करने के लिए जरुरी है| ध्यान में प्राणायाम का महत्व : मन प्राणों के प्रवाहो पर झूलता रहता है| प्राणों के स्थिर होने पर मन भी स्थिर हो जाता है| इसलिए विद्वान लोग ध्यान से पहले प्राणायाम करने की सलाह देते है| ध्यान में प्रत्याहार का महत्व : जब तक इन्द्रियाँ बाहरी विषयों का सेवन करती रहती हे मन एकाग्र नहीं हो पाता है| अतः उन्हें अंतर्मुखी बनाना अत्यंत आवश्यक है| ध्यान में धारणा का महत्व : मन को एकाग्र करने के लिए किसी एक वास्तु पर आँखों को केन्द्रित किया जाता है या किसी एक विषय पर मन को केन्द्रित किया जाता है धारणा के अभ्यास से धीरे धीरे ध्यान अपने आप लगने लगता है|
• क्षि પ્ત Kshipta Disturbed • मूढ Mudha Stupefied • विक्षि પ્ત Vikshipta Distracted • एकाग्र Ekägra Concentrated • निरुध्ध Niruddha Absolutely balanced state OF MIND मनःस्थिति के चार चरण: The degree of attentiveness साधारण योग साधना का लक्ष्य : क्षिप्त/मूढ़ या विक्षिप्त मन को एकाग्र बनाना उच्चस्तरीय योग साधना का लक्ष्य : एकाग्र मन को निरुद्ध बनाना
भोग और एकाग्रता: शारीरिक भोग और एकाग्रता चटोरापन नींद इन्द्रिय सुख मानसिक भोग और एकाग्रता मान सम्मान की इच्छा धन-वैभव की इच्छा
रोग और एकाग्रता: शारीरिक रोग और एकाग्रता ज्वर आदि मानसिक रोग और एकाग्रता काम क्रोध लोभ मोह मद मत्सर आगंतुज रोग और एकाग्रता कृमियो (Antibodies) का शरीर के जरीये मन पर प्रभाव