क"व प&रचय
अयो$या 'संह उपा$याय ‘ह.रऔध’ का जीवन प.रचय:
!हंद% भाषा के महान लेखक और क2व अयो7या 8संह उपा7याय
‘ह=रऔध’ जी का जBम 15 अEेल सन् 1865 मI उJरEदेश राLय
के आजमगढ़ िजले के Qनज़ामाबाद नामक Tथान पर हुआ। ये
XाYमण प=रवार मI पैदा हुआ थे, ले]कन बाद मI इBह_ने 8सख धम`
अपनाकर अपना नाम भोला 8संह रख 8लया।
इBह_ने !हंद% सा!हaय मI अपना अbभुत योगदान !दया। वे दो बार
!हंद% सा!हaय सdमेलन के सभापQत रह चुके है और सdमेलन मI
इBहI 2वbयावाचTपQत कf उपाgध से सdमाQनत ]कया जा चुका
है।इनकf Eमुख रचनाओं मI 2Eय Eवास, क2व सiाट, वैदेह%
वनवास, बाल 2वभव, फूल पJे आ!द शा8मल हm। माना जाता है ]क
सन् 1947 मI Qनज़ामाबाद मI ह% इBह_ने अपनी अंQतम साँसI ल%ं।
श"दाथ&
घमंड-अ0भमान
ऐंठा-अकड़ा
मुंडेर-छत का ;कनारा
<तनका-सूखी घास का टुकड़ा
दबे पांव भागना-चुपके से <नकल जाना
Gझझक-अचकचाहट
मूठ -कपडे को मोड़कर मोटा तथा
गोलाकार बनाना
ढब-तरMका
समझ-अNल , बुPQध
ताने देना-SयंTय करना
म; घम=ड? म@ भरा ऐंठा हुआ ।
एक Hदन जब था मु=डेरे पर खड़ा ।
आ अचानक दूर से उड़ता हुआ ।
एक Qतनका आँख म@ मेरS पड़ा ।1।
Uसंग-उपयु`rतपंिrतयाँहमार%पाठयपुTतक‘वसंतभाग-2
‘कfक2वता“एकQतनका‘सेउbघृतहmऔरइनपंिrतय_केमा
7यमसेक2व‘अयो7या8संहउपा7याय‘ह=रऔध’नेअहंकार%मनुzयकेअहंकारकाउbघाटनकरतेहुएकहाहै]क-
भावाथX:‘मm‘मनुzयकेअहंकारकाEतीकहै,जबमनुzयअहंकार%
होताहैतोवहअपनेआपकोसव{प=रमाननेलगताहै।ETतुतपंिrतय_मIक2वउसअहंकार%मनुzयअहंकार%|यिrतकाप=र
चयदेतेहुएकहतेहm]कवहअपने घर कf
मुंडेर(छतका]कनारा)पर घमंड मI खड़ाहm
वहसोचताहै]कवहबहुतशिrतशाल%हैऔरउसे]कसीकfआव
?यकतानह%ंहै। तभी अचानक उनकf आँखमI कह%ं से उड़कर एक
Qतनका आ gगरता है।
म; Yझझक उठा, हुआ बेचैन-सा ।
लाल होकर आँख भी दुखने लगी ।
मूँठ देने लोग कपड़े क^ लगे ।
ऐंठ बेचारS दबे पाँव? भगी ।2।
Uसंग-उपयु`rतपंिrतयाँहमार%पाठयपुTतक‘वसंतभाग-2
‘कfक2वता“एकQतनका‘सेउbघृतहmऔरइनपंिrतय_केमा7य
मसेक2व‘अयो7या8संहउपा7याय‘ह=रऔध’नेआंखमIQतनकाप
ड़नेपरउसकfदशाकावण`नकरतेहुएकहाहै]क-
भावाथX:आँख मI Qतनका चले जाने से उBहI बड़ी ह% बेचैनी होने लगी,
वहQतनकेकोQनकालनेके8लएEयaनकरनेलगा।कभीवहआंख
मलता,कभीआँख_परपानीडालताऔरकभीउसQतनकेकोQनका
लनेके8लएअBयउपाय_कासहारालेता,िजसकारणउसकfउन
कf आँख लाल हो गयी और दुखनेलगीउसके
पासआयेQतनकाQनकालनेमI उसकfमदद करनेलगे। लोग कपड़े
का उपयोग करके उनकf आँख से Qतनका Qनकालने कf को8शश करने
लगे। इस दौरान
लोग_कोइसEकारमददकरतेहुएदेखकरउसघमंडी|यिrतका
घमंडचूरहोगयाऔरउसेअपने|यवहारपरप?चातापहोनेलगा।
जब `कसी ढब से Qनकल Qतनका गया ।
तब ‘समझ’ ने य? मुझे ताने Hदए ।
ऐंठता तू `कस'लए इतना रहा ।
एक Qतनका है बहुत तेरे 'लए ।3।
Uसंग-उपयुXdतपंिdतयाँहमारSपाठयपुfतक‘वसंतभाग-2
‘क^कgवता“एकQतनका‘सेउiघृतह;औरइनपंिdतय?केमा
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`कसUकारअहंकारSkयिdतकेअहंकारकोएकछोटेसेQतनकेने
समाnतकरHदयाकgवकहतेह;`क-
भावाथX:जबलोग&के)याससेउसक.आंखसे2तनका2नकलगयातब
उसेदद6सेमुि:त;मल<औरतभीइसके बाद उसेमन मC एक ख़याल
आया
Fकवहिजसशि:तपरघमंडकरतेथेआजवहउनकेकामनह<ंआई,
िजनलोग&कोवहअपनेआगेतुQछसमझतेथेआजवह<लोगउTहCदद6
मCदेखकरउनक.मददकरनेके;लएआगेआये।आजउसेयेबातसम
झमCआगईFकअहंकार<मनुVयकेअहंकारकोख़Wमकरनेके;लएए
कछोटासा2तनकाह<काफ़.हैअतःमनुVयकोअपनेजीवनमCकभीअ
हंकारनह<ंकर
चा]हए:यूंFकअहंकारमनुVयकेपतनकाकारणबनताहै।मनुVयकोसब
केसाथसदभावरखनाचा]हए:यूंFकमुि`कलकेसमयवह<लोगआपके
UVनोWर
Uoन-एक Qतनकाकgवता म@ dया संदेश QनHहत है?
एक Qतनका' कgवता के मा$यम से कgव अयो$या 'संह उपा$याय
'ह.रऔध' लोग? को घमंड नहSं करने क^ सलाह देता है। कgव के
अनुसार संसार म@ लोग? के अंदर घमंड कूट-कूटकर भरा होता है।
घमंड म@ भरे हुए, वह `कसी का भी अपमान करने से चूकते नहSं ह;।
उनके 'लए बस यहS आवoयक होता है `क वह सबसे बड़े ह;। कgव ने
fवयं के हुए अनुभव से लोग? को संदेश देने का Uयास `कया है।
कgव अपने समय म@ बहुत घमंडी kयिdत हुआ करता था। अपने
घमंड म@ वह सबका अपमान करता है। एक Hदन उसक^ आँख म@
घास का एक Qतनका rगर जाता है। उस Qतनके के कारण उसे बहुत
ददX होता है। Qतनके से 'मले कtट से उसे uात होता है `क उसके
घमंड को चूर करने के 'लए एक Qतनका बहुत है। वह इस घटना से
सबक लेता है और घमंड को vयाग देता है। वह सबको भी यहS
सलाह देता है `क हम@ घमंड नहSं करना चाHहए और सबके साथ Uेम
और सwमान से रहना चाHहए।
U. 2.‘एक Qतनका’ कgवता म@ `कस घटना क^ चचाX क^ गई है,
िजससे घमंड नहSं करने का संदेश 'मलता है?
उ{र.एक Qतनका कgवता म@ कgव ने एक Hदन क^ घटना क^ चचाX
क^ है, जब वह अपने ऊपर घमंड करने लगता है और ख़ुद को
सवX~ेtठ समझने लगता है। तभी अचानक कहSं से एक Qतनका
उसक^ आँख म@ आ rगरता है, िजससे उसे बहुत तकलSफ़ हुई और
उसक^ आँख लाल हो गई। बड़ी मुिoकल से वो Qतनका कgव क^
आँख से Qनकला और तब कgव को महसूस हुआ `क मेरा घमंड
तोड़ने के 'लए तो एक न?हा-सा Qतनका हS काफ^ है। इसी'लए एक
Qतनका कgवता के ज़.रए उ?ह?ने हम@ भी घमंड ना करने का संदेश
Hदया है।
U. 3.‘एक Qतनका’ क2वता मI घमंडी को उसकf ‘समझ’ ने
चेतावनी द%-
ऐंठता तू `कस'लए इतना रहा,
एक Qतनका है बहुत तेरे 'लए।
इसी Uकार क^ चेतावनी कबीर ने भी दS है-
Qतनका कबहूँ न QनंHदए, पाँव तले जो होय|
कबहूँ उ?ड़ आँYखन परै, पीर घनेरS होय||
इन दोन? म@ dया समानता है और dया अंतर? 'लYखए।
उ{र.दोन? म@ समानता यह है `क दोन? हS काkयांश? म@ Qतनक? का
Uयोग उदाहरण देने के 'लए `कया गया है।
दोन? काkयांश? म@ अंतर यह है `क पहले काkयांश म@ कgव ह.रऔध
जी हम@ घमंड ना करने क^ 'श?ा दे रहे ह;, जब`क दूसरे काkयांश
म@ कबीर दास जी कह रहे ह; `क हम@ कभी `कसी को अपने से
नीचा या तु?छ नहSं समझना चाHहए।
U. 4. घमंड करने को मनुtय के gवकास का बाधक समझा जाता
है। dया आपम@ घमंड करने क^ Uवृg{ है?
उ{र-
घमंड या अहंकार मनुtय के gवकास म@ काफ़^ बाधक है। kयिdत
को अपने आप पर या धन दौलत पर घमंड नहSं करना चाHहए।
एक छोटS-सी वfतु या छोटा kयिdत भी हमारे घमंड को चुनौती
देने क^ ?मता रखता है और मुसीबत म@ डाल सकता है। मेरे सोच
म@ `कसी Uकार क^ घमंडी बनने क^ Uवृg{ नहSं है। म; एक
सामा?य जीवन kयतीत करता हूँ।
अ?यास कायX
U. 1.घमंडी कf आँख से Qतनका Qनकालने के 8लए उसके
आसपास लोग_ ने rया ]कया?
U. 2.आँख मI Qतनका पड़ने के बाद घमंडी कf rया दशा हुई?
U. 3. 'एक Qतनका है बहुत तेरे 8लए' पंिrत मI Qन!हताथ` Tपzट
कfिजए।
U. 4.घमंड करने को मनुzय के 2वकास का बाधक समझा जाता
है। rया आपमI घमंड करने कf Eवृ2J है?