DR. BHANVAR SINGH PORTE GOVT. COLLEGE, PENDRA (AFFILIATED COLLEGE OF ATAL BIHARI VAJPAYEE VISHWAVIDYALAY) SESSION – 2024-2025 COURSE – M.COM (3rd SEMESTER) SUBJECT – SPECIALIZED ACCOUNTING NAME - ANURADHA FATHER’S NAME – SURENDRA KUMAR ROLL NO. - 2 GUIDED BY – MS. K. MISHRA MAM TOPIC – GENERAL ACCOUNT AND DOUBLE ACCOUNT SYSTEM UNIT - 3
दोहरा खाता प्रणाली
दोहरा लेखा प्रणाली का अर्थ विशेष अधिनियमों द्वारा स्थापित की हुई सार्वजनिक उपयोगिता संस्थाएं, अधिकतर कम्पनियां होती है l इनके खाते दोहरा लेखा प्रणाली के आधार पर बनाए जाते है l विशेष अधिनियम द्वारा स्थापित की हुई बड़ी बड़ी कम्पनियों के वार्षिक खाते बनाने की एक विशेष प्रणाली अपनाई जाती है जिस प्रणाली को दोहरा खाता प्रणाली कहते है l
दोहरा खाता प्रणाली की परिभाषा 4
पिकल्स के अनुसार :- दोहरा खाता प्रणाली पुस्तपालन की कोई विशेष प्रणाली नहीं है l इसमें भी लेखे दोहरा प्रविष्टि प्रणाली के अनुसार ही किये जाते है l यह कुछ कम्पनियों में विशेषतया सार्वजनिक उपयोगिता वाली कम्पनियों में प्रकाशित खातों को प्रस्तुत करने की की एक विशेष विधि है l 5
एक कंपनी के वार्षिक खाते बनाते समय कंपनी की सभी संपत्तियों व दायित्वों के लिए साधारणतया केवल एक चिटठा बनाया जाता है, परन्तु सार्वजनिक उपयोगिता वाली कम्पनियों में दोहरा प्रणाली के अनुसार एक चिट्ठे के स्थान पर पूँजी खाते पर प्राप्तियां एवं व्यय खाता (Receipt and Expenditure on Capital Account) तथा एक साधारण चिट्ठा ( General Balance Sheet ) बनाया जाता है l पूँजी खाते पर प्राप्तियां एवं व्यय खाता तथा साधारण चिट्ठे के अतिरिक्त एक रेवेन्यू खाता ( Revenue Account ) और शुद्ध रेवेन्यू खाता (Net Revenue Account ) भी बनाया जाता है l 6
दोहरा लेखा प्रणाली : यह काम कैसे करता है बिजली प्रदान करने वाली संस्थाएं, जल प्रदाय संस्थाएं, गैस प्रदान करने वाली संस्थाएं आदि भी सार्वजनिक उपयोगिता वाली संस्थाएं है l सार्वजनिक उपयोगिता वाली संस्थाएं जिन सेवाओं को देती है उनके सम्बन्ध में एकाधिकार प्राप्त होता है l 7 डबल एंट्री अकाउंटिंग बही खाते की एक प्रणाली है, जिसमें प्रत्येक वित्तीय लेनदेन को कम से कम दो खातों में दर्ज किया जाता है l दोहरा लेखा प्रणाली प्रत्येक लेनदेन के लिए एक चेक और बैलेंस प्रदान करता है, जो सटीकता सुनिश्चित करने और धोखाधड़ी को रोकने में मदद करता है ल यह A/c प्रणाली आपको व्यवसाय के वित्त को अधिक प्रभावी ढंग से ट्रैक करने और अपने संसाधनों को कहाँ आबंटित करना है इस बारे में बेहतर निर्णय लेने की अनुमति देता है l
दोहरा लेखा प्रणाली की विशेषताएं ( CHARACTERISTICS OF DOUBLE ACCOUNTING SYSTEM) सार्वजनिक उपयोगिता वाली कम्पनियों में जो दोहरा खाता प्रणाली अपनाई जाती है उसकी प्रमुख विशेषताएं निम्नांकित है :- (1) प्रारम्भ से अन्तिम खाते बनाने के पूर्व तक सारा लेखांकन कार्य दोहरा लेखा प्रणाली के आधार पर उसी प्रकार किया जाता है जिस प्रकार अन्य कम्पनियों में किया जाता है, परन्तु सार्वजनिक उपयोगिता वाली कम्पनियों में अन्तिम खाते एक विशेष प्रकार से बनाये जाते हैं और इनमें विस्तृत वर्णन दिया जाता है। (2) लाभ-हानि खाते के स्थान पर इन कम्पनियों में रेवेन्यू खाता ( Revenue Account) बनाया जाता है। (3) लाभ-हानि समायोजन खाते के स्थान पर शुद्ध रेवेन्यू खाता ( Net Revenue Account) बनाया जाता है। (4) ऋणपत्रों और ऋणों पर ब्याज लाभ-हानि खाते में न दिखाकर शुद्ध रेवेन्यू खाते में दिखाया जाता है।
(5) चिट्टे को दो भागों में बांटा जाता है। इसका प्रथम भाग पूंजी खाता कहा जाता है और द्वितीय भाग सामान्य चिट्ठा कहा जाता है। (6) पूंजी खाते के बायीं ओर स्थायी सम्पत्तियों एवं स्थायी पूंजी व्ययों का लेखा किया जाता है और दाहिनी ओर स्थायी पूंजी प्राप्तियों का लेखा किया जाता है। (7) अंशों पर कटौती एवं प्रीमियम की राशि को समायोजित करके पूंजी खाते में ही लिखा जाता है। (8) सम्पत्तियों में से ह्रास का घटाना इस खाते में लिखी हुई स्थायी सम्पत्तियों से नहीं किया जाता है। (9) चिट्ठे का दूसरा भाग सामान्य चिट्ठा होता है। इस सामान्य चिट्टे में स्थायी सम्पत्तियां एवं स्थायी दायित्व ही लिखे जाते हैं और शुद्ध रेवेन्यू खाते की बाकी भी इसमें लिखी जाती है। दोहरा खाता प्रणाली को इकहरा लेखा विधि ( Single Entry System ) से बिल्कुल अलग समझना चाहिए क्योंकि इकहरा लेखा विधि में लेखे अपूर्ण रहते हैं, जबकि दोहरा खाता प्रणाली में लेखे पूर्ण रहते हैं और यह बहुत बड़ी-बड़ी सार्वजनिक उपयोगिता वाली कम्पनियों में प्रयोग की जाती है जिनके लेखे कभी भी इकहरा लेखा विधि से नहीं रखे जाते हैं।
सामान्य लेखा प्रणाली और दोहरा खाता प्रणाली ( GENERAL ACCOUNT AND DOUBLE ACCOUNT SYSTEM) सामान्य लेखा प्रणाली और दोहरा खाता प्रणाली में आरम्भ से अन्तिम खाते बनाये जाने के समय तक लेखे एक ही प्रकार से किये जाते हैं। दोनों ही प्रणालियां 'दोहरा लेखा प्रणाली' ( Double Entry System) पर आधारित हैं, यह समझना भूल है कि दोहरा लेखा प्रणाली और दोहरा खाता प्रणाली लेखा करने की दो अलग-अलग प्रणालियां हैं। दोहरा लेखा प्रणाली का ही प्रयोग उन कम्पनियों में किया जाता है जिनमें दोहरा खाता प्रणाली प्रयोग की जाती है। अन्तर केवल अन्तिम वार्षिक खाते बनाते समय हो जाता है। इसलिए दोहरा लेखा प्रणाली ( Double Account System) अन्तिम खातों को प्रस्तुत करने का एक ढंग मात्र है। प्रयोग—इसका प्रयोग केवल उन जनहित कार्य ( Public utility) वाली तथा अन्य कम्पनियों में किया जाता है जिन्हें विशेष अधिनियम ( special acts) द्वारा स्थापित किया जाता है। निम्न कम्पनियों द्वारा इस प्रकार के खाते रखना अनिवार्य-सा है : (1) रेलवे कम्पनी, (2) इलेक्ट्रिक कम्पनी, (3) गैस कम्पनी, (4) जल कम्पनी, (5) जहाजी कम्पनी, (6) खानों वाली कम्पनी, आदि।
दोहरा खाता प्रणाली तथा साधारण या सामान्य लेखा प्रणाली में अन्तर ( DIFFERENCE BETWEEN DOUBLE ACCOUNT SYSTEM AND GENERAL ACCOUNT SYSTEM) क्रम संख्या अंतर का आधार दोहरा लेखा प्रणाली साधारण या सामान्य लेखा पद्धति 1. वार्षिक खाते इस प्रणाली के वार्षिक खातों के अन्तर्गत रेवेन्यू खाता, शुद्ध रेवेन्यू खाता, पूंजी खाता तथा साधारण चिट्ठा आते हैं। इस प्रणाली में वार्षिक खातों के अन्तर्गत लाभ-हानि खाता, लाभालाभ विभाजन खाता और चिट्ठा आते हैं। 2. स्थायी सम्पत्तियों व दायित्वों का लेखा पूंजी खाते में स्थायी सम्पत्तियों व दायित्वों का लेखा स्थायी संपत्तियों व दायित्वों का लेखा पूँजी खाते में किया जाता है l स्थायी संपत्तियों व दायित्वों का लेखा चिट्ठे में किया जाता है l
3. ह्रास स्थायी सम्पत्तियों को पूंजी खाते में लिखते समय हास घटाकर नहीं लिखा जाता है। ह्रास की राशि को हास संचय खाते में क्रेडिट किया जाता है और रेवेन्यू खाते में डेबिट किया जाता है। ह्रास संचय खाते की बाकी साधारण चिट्ठे के दायित्व की ओर दिखायी जाती है। सम्पत्तियों में से ह्रास घटाकर चिट्ठे में लिखा जाता है। हास की राशि को लाभ-हानि खाते में दिखाया जाता है। 4. पक्ष स्थायी सम्पत्तियां पूंजी खाते के बायें पक्ष में और अंश यहां पूंजी दाहिने पक्ष में लिखी जाती है। यहाँ स्थायी संपत्तियां चिट्ठे में दाहिनी ओर पूँजी चिट्ठे के बायीं ओर लिखी जाती है l 5. ब्याज इस प्रणाली में 'ब्याज' रेवेन्यू खाते में नहीं ले जाया जाता है, वरन् सदैव शुद्ध रेवेन्यू खाते में लिखा जाता है l इस प्रणाली में 'ब्याज' लाभ-हानि खाते में ले जाया जाता है, लाभ-हानि नियोजन खाते में नहीं। 6. किराया रेलवे कम्पनी की दशा में पट्टे की भूमि का किराया शुद्ध रेवेन्यू खाते में ले जाया जाता है। यहाँ किराया लाभ हानि खाते में लिखा जाता है l 7. अनिवार्यता यह प्रथा कुछ विशेष प्रकार की बड़ी कम्पनियों द्वारा जिनके लिए विशेष अधिनियम बनाये जाते हैं, अपनायी जाती है; जैसे, बिजली कम्पनी, रेलवे कम्पनी, आदि। यह प्रथा एकाकी व्यापार, साझेदारी संस्थाओं, आदि में अपनायी जाती है। कम्पनी में यह अनिवार्य है।