Growth and development in hindi

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About This Presentation

This presentation contains :-
1.Growth
2. Development
3. Growth in hindi
4. Development on hindi
5. Factors affecting growth and development
6. child health nursing


Slide Content

वृद्धि एवं विकास Growth and Development Presented By – Atul Yadav (RN,RM) For more info. – Nursing Study YouTube Channel

वृद्धि ( Growth):- वृद्धि ( Growth) प्रत्येक बच्चे के जीवन का आवश्यक एवं मुख्य गुण है। वृद्धि होने की प्रक्रिया गर्भाधान ( Conception) के समयसे ही प्रारम्भ हो जाती है और बच्चे के पूर्ण वयस्क होने तक निरन्तर चलती रहती है। इसमें बच्चे के शरीर एवं शरीर के अंगों कीलम्बाई, चौड़ाई एवं वजन आयु के अनुसार बढ़ता जाता है। इस वृद्धि को सेंटीमीटर ( Centimeter) और किलोग्राम ( Kilogram) से नापा जा सकता है।

विकास ( Development):- विकास ( Development) के अन्तर्गत बच्चे की मानसिक ( mental), भावनात्मक ( emotional), समाजिक ( social ) योग्यता को रखा गया है। फिर भी वृद्धि को मात्रा ( quantity) के रूप में समझ सकते हैं।वृद्धि और विकास प्रत्येक बच्चों में समान नहीं होता है। यह बच्चे के पोषण, वातावरण आदि बहुत से कारकों ( factor) सेप्रभावित होता है।

सामान्यता शारीरिक वृद्धि और विकास की व्याख्या में स्पष्ट रूप से अन्तर करना अत्यंत कठिन सिद्ध होता है। बालकों में विकास परस्पर समानान्तर गति से होता है। शारीरिक (ऊँचाई, वजन एवं अंग-विशेष की वृद्धि) मानसिक (मांसपेशियों एवं विभिन्न कार्यकलापों पर नियंत्रण तथा दक्षता स्थापित करना) भावात्मक (भावनाएँ, विचार एवं दृष्टिकोण)। इस प्रकार शारीरिक वृद्धि को सेन्टीमीटर, किलोग्राम आदि मापदण्डों के द्वारा नापा व मापा जा सकता है, किन्तु बालक केविकास की जानकारी हेतु उसके शारीरिक, मानसिक, भावात्मक एवं सामाजिक पहलूओं की जानकारी उपलब्ध कराना अतिआवश्यक है।

परिपक्वता ( Maturation): शारीरिक वृद्धि और विकास पूर्ण होने पर बालक परिपक्व ( maturation) हो जाता है। परिपक्वहोने पर वह अपने वंशानुगत पैतृक गुणों को जीन्स ( genes) के द्वारा संचारित करने में समर्थ हो जाता है। वृद्धि का क्रम या नियम : बालकों की वृद्धि एक निश्चित क्रम के अनुसार होती है, अर्थात एक नवजात शिशु पहले बैठनाउसके बाद खड़ा होना तत्पश्चात चलना सीखता है। इस क्रम की विपरीत दशा कदापि संभव नहीं है। वृद्धि की गति : शिशु की शारीरिक वृद्धिध के लिए कोई उचित – अनुचित समय नहीं है। प्रत्येक बच्चा अन्य बच्चे से सर्वथाभिन्न होता है। अत: उसकी शारीरिक वृद्धि भी विभिन्न समय में होती है। एक ही परिवार के बच्चों की शारीरिक वृद्धि अलग-अलगसमय पर होती हैं।

वद्धि और विकास को प्रभावित करने वाले कारक ( Factor Affecting Growth and Development)

1. आनुवांशिक कारक ( Genetic factor) :- आनुवांशिकता ( hereditary) बच्चे के विकास एव वृद्धि को प्रभावित करने वाला एक प्रमुख कारक है, जैसे- चीन या तिब्बतमें रहने वाले व्यक्तियों के बच्चों की लम्बाई कम बढ़ती है, क्योंकि उनके माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी आदि सभी की लम्बाई कम होती है। इसी प्रकार छाती ( chest) की बनावट तथा मोटापा भी आनुवांशिकता से सम्बन्धित होता है।

Cont… मूत्र में फिनाइल पाइरूविक अम्ल का पाया जाना ( phenyl ketonuria ), थैलासीमिया ( thalassemia ) - एक आनुवांशिक रक्तसंलायी ( hemolytic- रूधिरवर्णिका विषटन) रोग, हीमोफीलिया ( hemophilia)- एक आनुवांशिक रक्तस्त्रावी रोग जिसमें किसी रक्त स्कन्दनकारक( blood coagulation factor) की कमी से रक्त जमता नहीं है, गौलेक्टोरसीमिया ( galactoscmia ) ( जन्म से होने वाले चयापचयी।( metabolism) दोष के रूप में नवजात शिशु के रक्त में गैलेक्टोज का पाया जाना) आदि अनेक रोग एक पीढ़ी से second generation म आते रहते हैं, जो बच्चे की वृद्धि तथा विकास को प्रभावित करते हैं। प्रायः बुद्धिमान माता-पिता की सन्तान बुद्धिमान ही होती है |

2. पोषण सम्बन्धी कारक ( Nutritional factor) उचित पोषण के अभाव में बच्चे की वृद्धि और विकास पूर्ण रूप से नहीं हो सकता है क्योंकि उचित पोषण से ही बच्चे को proteins, विटामिन्स ( vitamins), विभिन्न आवश्यक खनिज ( minerals), आवश्यक अमीनो एसिड ( essential amino acid) आदि तत्व प्राप्त होते हैं, जो विकास और वृद्धि के लिए अति आवश्यक होते हैं। पोषण की मात्रा तथा गुणवत्ता ( quantity and quality) दोनों ही विकास एवं वृद्धि को प्रभावित करते हैं। बच्चे को age अनुसार उचित मात्रा तथा उत्तम प्रकार का पोषण देने से बच्चे की वृद्धि और विकास दोनों ही अच्छी प्रकार से होती है। कुपोषण के कारण अनेक रोग जैसे रक्ताल्पता ( anaemia), प्रोटीन-एनर्जीमाल-न्यूट्रीशन ( protein-energy malnutrition), विटामिन्स की कमी के रोग ( vitamin's deficiency) हो जाते हैं, जिससे बच्चे की वृद्धि और विकास रूक जाता है। इसी प्रकार आवश्यकता से अधिक पोषक आहार देने से बच्चे मे मोटापा होने की सम्भावना बनी रहती है।

3. आर्थिक कारण (Economic factors):- गरीब परिवार के बच्चों की शारीरिक वृद्धि और मानसिक विकास धनवान व्यक्तियों की अपेक्षा कम होता है। गरीब परिवार के बच्चों में प्राय: चिन्ता, असुरक्षा की भावना पायी जाती है, जिससे बच्चों की वृद्धि और विकास प्रभावित होताहै। अनाथ बच्चे या गरीब बच्चों को माता-पिता का प्यार नहीं मिल पाता है, जिससे बच्चे उदास रहते हैं और कुंठित बुद्धि वाले होजाते हैं। गरीब बच्चों के चारों तरफ कुपोषण, गन्दगी, उपेक्षा, असुरक्षा चिन्ता, भय का वातावरण रहता है। जिससे बच्चे शारीरिक एवंमानसिक रोगों से पीढ़ित बने रहते हैं। उनका उचित विकास या वृद्धि नहीं हो पाती है।

4. वातावरण से सम्बन्धित कारक ( Environmental factors) भ्रूण ( foetus ) माता के गर्भाशय में वृद्धि करता है। अत: माँ के स्वास्थ्य का प्रभाव भ्रुण पर पडता है, जैसे यदि माँ रक्ताल्पता( anaemia) से पीढ़ित है तो भ्रूण के विकास में कमी हो जाती है और भ्रूण ( foetus ) का आकार ( size) छोटा रह जाता है।यदि माँ तम्बाकू खाती है या सिगरेट पीती है या शराब पीने की आदी है तो उसके गर्भ में पल रहे भ्रूण ( foetus ) की वृद्धि मेंरूकावट पड़ती है। जिस माँ ने गर्भावस्था के दौरान उचित पोषक आहार लिया है तो जन्म के समय बच्चे का वजन औसत होता है। जिसे मीउचित पोषक आहार नही लिया है, तो जन्म के समय उसके बच्चे का वजन औसत से कम होता है। गर्भावस्था के दौरान होने वाले रोग जैसे- उच्च रक्तचाप ( Hypertension), प्रीएक्लैम्पसिया ( preeclampsia) गभावस्यविषरक्तता जिसकी विशेषताएं उच्च रक्तचाप, मूत्र में एल्ब्यूमिन आना ( albuminuria ) और पैरों पर शोफ ( edema) हाना है।

Cont… गर्भाशय में एक से अधिक भ्रूण ( multiple pregnancy) होने के कारण भ्रूण की वृद्धि ठीक प्रकार से नहीं होती है। ईसकेअलावा गर्भवती महिला को जीर्ण वृक्कपात ( chronic renal failure) संचयशील हृदयपात ( congestive heart failure) भी भ्रूण की वृद्धि कम हो जाती है। कुछ दवाएं जैसे थैलीडोमाइड ( thalidomide) आदि गर्भावस्था के पहले तीन माह के समय में देने से भ्रूण पर बुरा प्रभावडालती है।जर्मन रोमान्तिका या खसरा ( rubella), सिफिलिस ( syphilis), हैपेटाइटिस - बी ( hepatitis-B), एच. आई. वी. ( HIV) आदिरोग की वृद्धि एवं विकास को प्रभावित करते हैं।बच्चे की वृद्धि एवं विकास में आस-पास का, घर का एवं स्कूल का वातावरण भी एक कारक ( factor) है ।

Cont… बच्चा जिस घर में रहता है, उस घर में सफाई रहती है या नहीं, सूर्य का प्रकाश अन्दर आता है या नहीं, शुद्ध हवा का घर मेंप्रवेश हो पाता है या नहीं, माता-पिता बच्चों को प्यार करते हैं या नहीं। बच्चे की माँ या पिता दूसरे (सौतेले) तो नहीं हैं। बच्चे केपरिवार के रहने का स्तर कैसा है। उस परिवार की समाज में कैसी प्रतिष्ठा है। बच्चे के भाई/बहनों तथा परिवार के अन्य सदस्यों केसाथ सम्बन्ध कैसे हैं। स्कूल के साथियों तथा अध्यापकों के साथ बच्चे के सम्बन्ध ठीक हैं या नहीं। ये सभी कारण बच्चेके वृद्धि एवं विकास प्रभावकारी कारक है। यदि बच्चा किसी कारण से उदास या कुण्ठित रहता है तो उसके विकास एवं वृद्धि मेंबाधा पड़ती है। साफ-सुथरे मकान, अच्छे वातावरण, अच्छा पौष्टिक आहार, माता-"ता व परिवार के अन्य सदस्यों तथा मित्रों, स्कूलअध्यापकों, के साथ मधुर सम्बन्ध होने पर बच्चे की वृद्धि का विकास अच्छी प्रकार से होता है।

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