Hindi पत्र लेखन

25,373 views 21 slides Jan 11, 2017
Slide 1
Slide 1 of 21
Slide 1
1
Slide 2
2
Slide 3
3
Slide 4
4
Slide 5
5
Slide 6
6
Slide 7
7
Slide 8
8
Slide 9
9
Slide 10
10
Slide 11
11
Slide 12
12
Slide 13
13
Slide 14
14
Slide 15
15
Slide 16
16
Slide 17
17
Slide 18
18
Slide 19
19
Slide 20
20
Slide 21
21

About This Presentation

LETTER WRITING IN HINDI
INCLUDING FORMATS, RULES AND SALUTATIONS


Slide Content

द्वारा : चिन्मय रंजन साहू कक्षा :- नौवीं - जी अनुक्रमांक - 44 पत्र-लेखन

दूर रहने वाले अपने सबन्धियों अथवा मित्रों की कुशलता जानने के लिए तथा अपनी कुशलता का समाचार देने के लिए पत्र एक साधन है। इसके अतिरिक्त्त अन्य कार्यों के लिए भी पत्र लिखे जाते है। पत्र-लेखन की परिभाषा 2

दूरसंचार साधनों के क्षेत्र में आज क्रांति हुई है तथा दूरभाष जैसे साधन सर्व - सुलभ होने के अतिरिक्त उपयोग भी सिद्ध हुए हैं | उन साधनों के बावजूद आज फिर पत्रों के महत्व को नकारा नहीं जा सकता है | उन्हें दृष्टियों से पत्र लेखन आवश्यक और उपयोगी है यही नहीं आधुनिक युग में पत्रों के प्रकार और आकार विषय पर शैली में भी परिवर्तन हुए हैं | एक ओर पत्र के माध्यम से हम व्यक्तिगत विचार , चिंतन , अनुभूति और संवेदनाओं की अभिव्यक्ति करते हैं , तो दूसरी ओर व्यापार और व्यवसाय के क्षेत्र में , कार्यालय की औपचारिकताओं के संदर्भ में तथा पत्र-पत्रिकाओं में अपनी समस्याओं को प्रकाशित करवाने में भी पत्र - लेखन को ही महत्व देते हैं | अतएव इस युग में पत्र लेखन का भी विशेष महत्व हैं | पत्र लेखन का महत्व 3

आधुनिक युग में पत्रलेखन को 'कला' की संज्ञा दी गयी है। पत्रों में आज कलात्मक अभिव्यक्तियाँ हो रही है। साहित्य में भी इनका उपयोग होने लगा है। जिस पत्र में जितनी स्वाभाविकता होगी, वह उतना ही प्रभावकारी होगा। एक अच्छे पत्र के लिए कलात्मक सौन्दर्यबोध और अन्तरंग भावनाओं का अभिव्यंजन आवश्यक है। एक पत्र में उसके लेखक की भावनाएँ ही व्यक्त नहीं होती, बल्कि उसका व्यक्तित्व भी उभरता है। इससे लेखक के चरित्र, दृष्टिकोण, संस्कार, मानसिक स्थिति, आचरण इत्यादि सभी एक साथ झलकते हैं। अतः पत्रलेखन एक प्रकार की कलात्मक अभिव्यक्ति है। लेकिन, इस प्रकार की अभिव्यक्ति व्यवसायिक पत्रों की अपेक्षा सामाजिक तथा साहित्यिक पत्रों में अधिक होती है। पत्रलेखन एक कला 4

पत्रों को विषय वस्तु एवं शैली के आधार पर दो वर्गों में वर्गीकृत कर सकते हैं : औपचारिक पत्र अनौपचारिक पत्र पत्रों के प्रकार 5

सरकारी , अर्ध - सरकारी और गैर - सरकारी संदर्भों में औपचारिक स्तर पर भेजे जाने वाले पत्रों को औपचारिक पत्र कहते हैं | इनमें व्यावसायिक , कार्यालयी और सामान्य जीवन - व्यवहार के संदर्भ में लिखे जाने वाले पत्रों को शामिल किया जा सकता है | इन पत्रों में संक्षिप्तता , स्पष्टता और स्वत : पूर्णता की अपेक्षा रहती हैं | औपचारिक पत्रों के अंतर्गत दो प्रकार के पत्र आते हैं : सरकारी , अर्धसरकारी और व्यावसायिक संदर्भों में लिखे जाने वाले पत्र सामान्य जीवन व्यवहार करें या अन्य विशिस्ट संदर्भों में लिखे जाने वाले पत्र औपचारिक पत्र 6

सरकारी , अर्धसरकारी और व्यावसायिक संदर्भों में लिखे जाने वाले पत्र - इनकी विषयवस्तु प्रशासन , कार्यालय और कारोबार से संबंधित होती है | इनकी भाषा - शैली निश्चित सांचे में ढली होती है और प्रारूप निश्चित होता है | सरकारी कार्यालयों बैंकों और व्यावसायिक संस्थानों द्वारा किए जाने वाले पत्र व्यवहार इस वर्ग के अंतर्गत आता है | विभिन्न पदों के लिए लिखे गए आवेदन - पत्र भी इसी श्रेणी में आते हैं | औपचारिक पत्र के प्रकार 7

सामान्य जीवन व्यवहार करें या अन्य विशिस्ट संदर्भों में लिखे जाने वाले पत्र - यह पत्र परिचित एवं अपरिचित व्यक्तियों को तथा विविध क्षेत्रों से संबंधित अधिकारियों को लिखा जाता है इनकी विषयवस्तु सामान्य जीवन की विभिन्न स्थितियों से संबंध होती है | ये प्रायः सामान्य और औपचारिक भाषा - शैली में लिखे जाते हैं | इनके प्रारूप में प्रायः स्थिति और संदर्भ के अनुसार परिवर्तन हो सकता है | इनके अंतर्गत शुभकामना - पत्र , बधाई - पत्र , निमंत्रण - पत्र , शोक - संवेदना पत्र , पूछताछ - पत्र , शिकायती पत्र , संपादक को पत्र आदि आते हैं | 8

सेवा में , श्रीमान प्रधानाचार्य जी , विद्यालय का पता दिनांक विषय   मान्यवर महोदय / महोदया , ––––––––––--––––––----– संदेश –––––––––––––––––––––– धन्यवाद आपका आज्ञाकारी छात्र / छात्रा नाम औपचारिक पत्र का प्रारूप 9

सेवा में , प्रधानाचार्या महोदया , महानगर गर्ल्स स्कूल , लखनऊ   01 जनवरी , 2017 महोदया , सविनय निवेदन यह है कि मैं आपके विद्यालय में कक्षा छह ' अ ' की छात्रा हूँ।झे कल रात से बहुत तेज़ बुखार है। डॉक्टर ने मुझे एक सप्ताह तक , विश्राम करने के लिए कहा है। इसलिए मैं विद्यालय आने में असमर्थ हूँ।   अतः आपसे प्रार्थना है कि मुझे दिनांक 01-01-2017 से 07-01-2017 तक अवकाश प्रदान करने की कृपा करें।   आपकी आज्ञाकारी शिष्या XXX कक्षा - छह ' अ ’ प्रधानाचार्य को एक सप्ताह के अवकाश के लिए प्रार्थनापत्र 10

अनौपचारिक पत्र - इस प्रकार के पत्रों में पत्र लिखने वाले और पत्र पाने वाले के बीच नजदीकी या घनिष्ठ संबंध होता है | यह संबंध पारिवारिक तथा अन्य सगे-संबंधियों का भी हो सकता है और मित्रता का भी | इन पत्रों को व्यक्तिगत पत्र भी कहते हैं | इन पत्रों की विषय वस्तु निजी और घरेलू होती है | इनका स्वरूप संबंधों के आधार पर निर्धारित होता है | पत्रों की भाषा - शैली प्रायः अनौपचारिक और आत्मीय होती है | अनौपचारिक पत्र 11

पता दिनांक प्रिय मित्र , नमस्कार/नमस्ते ! ------------------------- संदेश ------------------------ तुम्हारा मित्र , नाम अनौपचारिक पत्र का प्रारूप 12

विद्यालय की ओर से पिकनिक पर जाने के लिए धन की मांग करते हुए पिताजी को पत्र 13

पत्र चाहे औपचारिक हो या अनौपचारिक , सामान्यतः पत्रिका निम्नलिखित अंग होते हैं , जैसे - पता और दिनांक संबोधन तथा अभिवादन शब्दावली का प्रयोग पत्र की सामग्री पता की समाप्ति , स्वनिर्देश और हस्ताक्षर पत्र के अंग 14

1. पता और दिनांक - पत्र के बाई और कोने में पत्र - लेखक का पता लिखा जाता है और उसके नीचे तिथि दी जाती है | 2. संबोधन तथा अभिवादन - जब हम किसी को पत्र लिखना शुरु करते हैं तो उस व्यक्ति के लिए किसी ना किसी संबोधन शब्द का प्रयोग किया जाता है | जैसे पूज्य / पूज्य / श्रद्धेय / प्रिय / प्रियवर / मान्यवर | प्रिय - संबोधन का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में किया जाता है :- अपने से छोटे के लिए अपने बराबर वालों के लिए घनिष्ठ व्यक्तियों के लिए औपचारिक स्थिति में - मान्यवर / प्रिय महोदय / महोदया प्रिय श्री / श्रीमती / सुश्री / नाम या उपनाम प्रिय - नाम - जी आदि 15

अनौपचारिक पत्रों में महोदय संबोधन शब्द के बाद अल्प विराम का प्रयोग नहीं किया जाता है , क्योंकि अगली पंक्ति में हमें अभिवादन के लिए कोई शब्द नहीं देना होता है | अनौपचारिक पत्रों में अपने से बड़े के लिए नमस्कार , नमस्ते , प्रणाम जैसे अभिवादनों का प्रयोग होता है | जब स्नेह , शुभाशीष , आशीर्वाद जैसे अभिवादनों का प्रयोग होता है तो मात्र संबोधन देखते ही हम समझ जाते हैं कि संबोधित व्यक्ति लिखने वाले से आयु में छोटा है | औपचारिक पत्रों में इस प्रकार के अभिवादन की आवश्यकता नहीं रहती है | पत्र में वक्तव्य के पूर्व (1) सम्बोधन, (2)अभिवादन औरवक्तव्य के अन्त में (3) अभिनिवेदन का, सम्बन्ध के आधार अलग-अलग ढंग होता है। इनके रूप इस प्रकार हैं- 16

17

अभिवादन शब्द लिखने के बाद पूर्ण विराम अवश्य लगाना चाहिए , जैसे - पूज्य भाई साहब | सादर प्रणाम | प्रिय विवेक | प्रसन्न रहो | 18

3. पत्र सामग्री - पत्र अभिवादन के बाद की पत्र सामग्री देनी होती है | पत्र के माध्यम से जो हम कहना चाहते हैं या कहने जा रहे हैं वही पत्र की सामग्री कहलाती है | 4. पत्र की समाप्ति स्वनिर्देश और हस्ताक्षर - अनौपचारिक पत्र के अंत में लिखने वाले और पाने वाले की आयु , अवस्था तथा गौरव - गरिमा के अनुरूप स्वनिर्देश बदल जाते हैं , जैसे - तुम्हारा , आपका , स्नेही , आपका आज्ञाकारी , शुभचिंतक आदि | औपचारिक पत्रों का अंत प्रायः निर्धारित स्वनिर्देश द्वारा होता है , यथा - भवदीय , आपका शुभेच्छु आदि | 19

पत्र का लेख सुंदर , शुद्ध एवं सुवाच्य हो | पत्र की भाषा सरल , वाक्य छोटे एवं असंदिग्ध हों | पत्र के विषय को अलग-अलग अनुच्छेद में लिख सकते हैं | विषय की पुनरावृत्ति कभी न करें | औपचारिकता को अधिक विस्तार न दें | आवश्यक बातों को प्राथमिकता देकर पहले लिखें | पत्र में कभी कठिन भाषा एवं अपशब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए | प्रभावशाली पत्र कैसे लिखें ? 20

धन्यवाद 21