Hindi avyay ppt

mohitchoudhry4 49,826 views 22 slides Jul 31, 2019
Slide 1
Slide 1 of 22
Slide 1
1
Slide 2
2
Slide 3
3
Slide 4
4
Slide 5
5
Slide 6
6
Slide 7
7
Slide 8
8
Slide 9
9
Slide 10
10
Slide 11
11
Slide 12
12
Slide 13
13
Slide 14
14
Slide 15
15
Slide 16
16
Slide 17
17
Slide 18
18
Slide 19
19
Slide 20
20
Slide 21
21
Slide 22
22

About This Presentation

avyay ppt for class 6 to 12


Slide Content

MOHIT DUDI CLASS 8 अव्यय

  अव्यय – ऐसे शब्द जिनके स्वरुप में लिंग, वचन, काल आदि के प्रभाव से कोई विकार नहीं होता अर्थात् कोई परिवर्तन नहीं होता वे अविकारी शब्द कहलाते हैं |     का शाब्दिक अर्थ है – अव्यय अ  (नहीं) या   (खर्च या परिवर्तन) +   व्यय   →    जैसे  – यहाँ, वहाँ, धीरे , तेज, कब, और , तथा एवं आदि |

अव्यय के भेद

1. क्रिया-विशेषण बतलाते हैं, उन्हें क्रिया विशेषण ऐसे अव्यय शब्द क्रिया की विशेषता जो कहते हैं  | जो शब्द क्रिया के अर्थ में विशेषता प्रकट राधा  धीरे  बोलती है | मोहन  तेज चलता है | आप  भीतर  बैठ जायें |

कालवाचक क्रियाविशेषण राम अभी आया है | कल मेरी परीक्षा है | मोहन सुबह आएगा | कालवाचक क्रिया विशेषण  : जिन शब्दों से क्रिया के होने के समय का बोध होता है उन्हें कालवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं | नोट  →   क्रिया से पहले “कब” शब्द लगाकर प्रश्न करने पर जिस उत्तर प्राप्ति होती है वह कालवाचक क्रियाविशेषण होता है |

(ब)  स्थानवाचक –   ऐसे अव्यय शब्द जिनसे क्रिया के घटित होने के स्थान का हो है उन्हें स्थानवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं | जैसे – यहाँ, वहाँ, वहीँ, कहीं, ऊपर, नीचे, वाएँ, पास, दूर, अन्दर, बाहर, सामने, निकट आदि | ( i )   मुझे  वहाँ  जाना है | ( ii)  मैं  इधर  आ रहा था |   नोट  →   क्रिया के साथ कहाँ लगाने से जो उत्तर आयेगा वह स्थानवाचक क्रिया विशेषण है |

रीतिबोधक क्रिया–विशेषण  :   वे अव्यय शब्द, जो क्रिया के होने की रीति या ढंग का बोध कराते हैं | जैसे – धीरे-धीरे, सहसा, शीघ्र, तेज, मीठा, शायद, मानो, ऐसे, अचानक, स्वयं, यथाशक्ति, निःसंदेह | ( i )   आज हमारे यहाँ अतिथि  अचानक  आ गए | ( ii)  छात्र अध्यापक की बात  ध्यानपूर्वक  सुन रहे थे | ( iii)  जरा  जल्दी  चलो | ( iv)  सारा काम  फटाफट  हो गया | नोट  →   क्रिया से पहले कैसे लगाकर प्रश्न करने पर जो उत्तर मिलता है वही रीतिवाचक क्रिया विशेषण होता है |

  परिमाण बोधक क्रिया – विशेषण :   वे अव्यय शब्द, जो क्रिया के होने की मात्रा या परिमाण का बोध कराते हैं | जैसे   – बहुत, अति, सर्वथा, कुछ, थोड़ा, बराबर, ठीक, कम, अधिक, बढ़कर, थोड़ा-थोड़ा, उतना, जितना, खूब | ( i )   राम और  अधिक  काम नहीं कर सकता | ( ii)   उतना  खाओ  जितना  जीने के लिए आवश्यक हो | ( iii)  राहुल  बहुत  बोलता है | अशोक अधिक खाता है |   नोट  →   क्रिया के साथ कितना, कितनी शब्द लगाकर प्रश्न करने से जो उत्तर आता है वही परिमाणवाचक क्रिया विशेषण है |

2. समुच्चय बोधक अव्यय वे अव्यय शब्द, जो दो शब्दों, वाक्यांशों या वाक्यों को जोड़ते हैं, उन्हें समुच्चय बोधक अव्यय या संयोजक शब्द कहते हैं | जैसे  →   राम और मोहन विद्यालय गए | →     गीता और सीता खाना खा रही है |

संयोजक → और, तथा एवं जैसे → पिताजी तथा चाचा जी आ रहे हैं | राम, लक्ष्मण और सीता वन को गए | राधा एवं दीदी नृत्य में निपुण हैं | विकल्पबोधक / विभाजक  →     या, अथवा, चाहे, आदि | जैसे → आप रोटी खाएँगे या खिचड़ी खाएँगे | →    आप घूमने जाएँगे  अथवा आराम करेंगे |

परिणाम दर्शक → अत:, फलत:, इसलिए, अतएव परिणामस्वरूप, वरना, अन्यथा आदि | मेहनत करो अन्यथा असफल हो जाओगे | महेश ने चोरी की इसलिए उसे पुलिस ले गई | विरोध सूचक  → पर, परन्तु, किंतु, लेकिन, मगर, बल्कि आदि | उदाहरण सुरेश मेहनती नहीं है फिर भी पास हो जाता है | पुलिस चोर के पीछे भागी परन्तु वह चकमा देकर निकल गया | गीता सुन्दर नहीं है पर बुद्धिमती है |

व्याधिकरण समुच्चयबोधक →   जो योजक शब्द एक या अधिक आश्रित उपवाक्यों को प्रधान वाक्य से जोड़ते हैं वे व्याधिकरण समुच्चयबोधक कहलाते हैं | जैसे   →   वे सफल होते है, जो परिश्रम करते हैं | →    मोहन को गाड़ी नहीं मिली क्योंकि वह समय पर नहीं गया | कारणमूलक →   क्योंकि, चूंकि, इसलिए, कि ताकि आदि | उदाहरण छात्र विद्यालय नहीं जा पायेगा क्योंकि वह बीमार है | वेदांत व्यस्त था इसलिए बाजार न जा सका |

संकेतबोधक   →   यद्दपि-तथापि, यदि, तो यद्दपि-परन्तु, जब-तब…. तब–तक | उदाहरण यद्दपि राम ने मेहनत की परन्तु सफलता नहीं मिली | यदि तुम सोच-विचार कर काम करोगे तो फल अच्छा होगा | स्वरुप बोधक  →   अर्थात्, यानि, मानो | जैसे  →   राधा तो गाय है, अर्थात् सीधी है | राजेश गाँधीवादी है अर्थात् अहिंसा का पुजारी है | सीता का मुख चन्द्रमा के समान है अर्थात् बहुत सुन्दर है |

उद्देश्य सूचक  →  ताकि, इसलिए, जिससे, कि उदाहरण पाठ पढ़ लिया है जिससे अध्यापक की मार न पड़े | सामान ले लिया है ताकि दो दिन आराम से रूक सकूँ | नानी पहले आ गई हैं जिससे कि विवाह की तैयारी करा सकें | राधा बीमार है इसलिए आराम कर रही है |   3. संबंध बोधक अव्यय : →   वे अव्यय शब्द, जो किसी संज्ञा या सर्वनाम शब्द के साथ लगकर उसका सम्बन्ध वाक्य में प्रयुक्त अन्य शब्द से बताते हैं, उन्हें संबंध बोधक अव्यय कहते हैं | जैसे   →   दूध के बिना बच्चा नहीं रह सकता | →   गोलू दादा जी के साथ घूमने जाता है |

प्रकार : संबंध बोधक अव्यय निम्न 10 प्रकार के होते हैं – ( i )   काल वाचक      :    पहले, पीछे उपरान्त, आगे | ( ii)  स्थानवाचक      :    सामने, भीतर, निकट, यहाँ | मेरे घर के सामने बगीचा है | ( iii)  दिशावाचक       :    आसपास, ओर, पार, तरफ |                                       जैसे  – रेखा की ओर आँख उठाकर भी मत देखना | ( iv)  समतावाचक      :    भाँति, समान, तुल्य, योग | ( v)  साधनवाचक      :    द्वारा, सहारे, माध्यम | ( vi)  विषयवाचक      :    विषय, भरोसे, बाबत, नाम | ( vii) विरुद्धवाचक     :    विपरीत, विरुद्ध, खिलाप, उलटे | ( viii) संग वाचक       :    साथ, संग, सहचर | ( ix)  हेतु वाचक       :    सिवा, लिए, कारण, वास्ते | ( x)   तुलनावाचक      :    अपेक्षा, आगे, सामने | पहले मुझसे  पहले  पिता ने भोजन कर लिया है | कालवाचक द्वारा राम के  द्वारा  रावण मारा गया | – साधनवाचक समान कृष्ण के  समान  कोई दूसरे देवता नहीं हैं | तुल्य आप तो देव  तुल्य  व्यक्ति हो |  

  समतावाचक तक  वह चार दिन  तक  मर साथ रहा | कारण सीता के कारण राम ने रावण को मारा | (हेतुवाचक संबंधबोधक) पहले मुझसे  पहले  पिता ने भोजन कर लिया है | कालवाचक द्वारा राम के  द्वारा  रावण मारा गया | – साधनवाचक समान कृष्ण के  समान  कोई दूसरे देवता नहीं हैं | तुल्य आप तो देव  तुल्य  व्यक्ति हो |

संबंधबोधक और क्रिया विशेषण में अंतर –    जब इनका प्रयोग संज्ञा या सर्वनाम के साथ होता है तब वे संबंधबोधक अव्यय होते हैं और जब वे क्रिया की विशेषता प्रकट करते हैं तब क्रिया विशेषण होते हैं | जैसे→ ( i )   दिनकर से  आगे  पुष्कर निकल गया | (संबंधबोधक) पुष्कर दिनकर से  आगे  चला गया | (क्रिया विशेषण) ( ii)  विनय कमरे के  अंदर  बैठा है | (संबंधबोधक) विनय  अंदर  बैठा है | (क्रिया विशेषण)

4. विस्मयादिबोधक अव्यय वे अव्यय शब्द, जो आश्चर्य, विस्मय, शोक, घृणा, प्रशंसा, प्रसन्नता, भय आदि भावों का बोध कराते हैं, उन्हें विस्मयादिबोधक अव्यय कहते हैं | जैसे  →   अहा ! कितना सुन्दर दृश्य है | →   जीते रहो ! दीर्घायु हो | ( i )    आश्चर्य बोधक     :     क्या, अरे, अहो, हैं, सच, ओह, ओहो, ऐं ( ii)   शोक बोधक       :     उफ, आह, हाय, हे राम, राम-राम | ( iii)   हर्ष बोधक        :     वाह, धन्य, अहा | ( iv)   प्रशंसा बोधक      :     शाबाश, वाह, अति सुन्दर | |

(v)   क्रोध बोधक       :     अरे, चुप | ( vi)   भय बोधक       :     हाय; बाप रे | ( vii)  चेतावनी बोधक    :     खबरदार, बचो, सावधान | ( viii)  घृणा बोधक       :     छि: छि:, धिक्कार, उफ्, धत्, थू-थू | ( ix)   इच्छा बोधक      :     काश, हाय | ( x)    संबोधन बोधक     :     अजी, हे, अरे, सुनते हो | ( xi)   अनुमोदन बोधक   :     अच्छा, हाँ, हाँ- हाँ, ठीक | ( xii)   आशीर्वाद बोधक    :     शाबाश, जीते रहो, खुश रहो |

नोट  : → कभी – कभी संज्ञा, विशेषण, सर्वनाम आदि शब्द भी विस्मयबोधक का काम करते हैं | संज्ञा :   राम – राम ! शिव-शिव ! जय गंगे ! विशेषण   :   अति सुन्दर ! खूब ! अच्छा ! सर्वनाम   :   यही ! कौन, क्या ! तूने ! क्रिया     :   चुप ! आ गए ! वाक्यांश  :   राम ही राखे, शांत पाप ! भगवान् भला करे !

MADE BY MOHIT CLASS 8th