हिंदी दिवस एवं सरकारी कार्यालयों में हिंदी का प्रयोग 14 सितम्बर 1949: संविधान सभा ने हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया।
हिंदी का महत्व हिंदी विश्व की चौथी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है । भारत की विविधता में एकता का प्रतीक है । हिंदी का उद्भव वैदिक काल की संस्कृत भाषा से माना जाता है। संस्कृत से प्राकृत और अपभ्रंश के विभिन्न रूपों के विकास के साथ, हिंदी का वर्तमान स्वरूप अस्तित्व में आया। 10वीं शताब्दी के बाद हिंदी का व्यवस्थित रूप से विकास हुआ, और कबीर, तुलसीदास, सूरदास जैसे महान संत कवियों ने इसे जन-जन तक पहुंचाया। उनकी रचनाओं ने न केवल हिंदी साहित्य को समृद्ध किया, बल्कि समाज को भी एकजुट किया। आजादी की लड़ाई में भी हिंदी ने देश को एकजुट करने का काम किया। महात्मा गांधी और अन्य नेताओं ने हिंदी को राष्ट्रीय एकता का प्रतीक माना और इसे स्वतंत्रता संग्राम का माध्यम बनाया।
परिचय प्रत्येक राष्ट्र की एक आधिकारिक भाषा होती है। हिंदी को संविधान सभा द्वारा 14 सितंबर, 1949 को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया। इसलिए प्रति वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। यह दिन राजेन्द्र सिम्हा ( हिंदी प्रचारक ) के जन्मदिन के सम्मान में चुना गया। इसका उद्देश्य हिंदी भाषा को बढ़ावा देना और सम्मान देना है। यह दिन हमें अपनी सांस्कृतिक और भाषाई पहचान की याद दिलाता है।
सरकारी कार्यालयों में हिंदी केंद्रीय सरकार के कार्यालयों में पत्राचार और आधिकारिक कार्य हिंदी में करने का प्रावधान है । हिंदी पखवाड़ा और कार्यशालाएँ आयोजित होती हैं । लगभग 50 करोड़ लोग हिंदी बोलते हैं।
हिंदी के प्रयोग की चुनौतियाँ हिंदी प्रयोग की चुनौतियाँ अंग्रेज़ी का बढ़ता प्रभुत्व। तकनीकी और वैज्ञानिक शब्दावली की कमी। राज्यों में स्थानीय भाषाओं की प्राथमिकता। अधिकारियों व कर्मचारियों में भाषा दक्षता की कमी।
हिंदी और प्रौद्योगिकी मोबाइल ऐप्स और वेबसाइट्स में हिंदी का प्रयोग। ई - गवर्नेंस व डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर हिंदी। गूगल ट्रांसलेट और AI टूल्स से सुविधा। शिक्षा और प्रशिक्षण में हिंदी का विस्तार।
भविष्य की दिशा सरकारी कार्यों में हिंदी को और प्रोत्साहन। युवाओं को हिंदी प्रयोग के लिए प्रोत्साहित करना। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हिंदी की पहचान बढ़ाना। तकनीकी क्षेत्र में हिंदी शब्दावली विकसित करना। सरकारी कर्मचारियों के लिए हिंदी प्रशिक्षण, विश्व हिंदी सम्मेलनों की मेजबानी, हिंदी प्रचार के लिए अनुदान प्रदान करना, राजभाषा भारती जैसी हिंदी पत्रिकाओं का प्रकाशन, और विदेशों में हिंदी पीठों की स्थापना
निष्कर्ष हिंदी हमारी सांस्कृतिक धरोहर और राष्ट्रीय पहचान है। सरकारी कार्यों में हिंदी का बढ़ता प्रयोग भारत की एकता और सरल प्रशासन के लिए आवश्यक है। उक्ति : “ हिंदी हमारी शान है , भारत की पहचान है। ”